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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 14 - Shiris Ke Phool

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Shiris ke Phool Class 12 Hindi Aroh NCERT Solutions: Free PDF Download

Here, we provide the NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 Shirish K Phool PDF to help students prepare the chapter for their exams. The NCERT Solutions to this chapter are created by our subject matter experts. All the exercise questions of this chapter are solved in an easy-to-understand manner so students can revise the concepts quickly before the exam. Students can download the NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 Shirish Ke Phool for free from Vedantu.


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Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Hindi

Subject Part:

Hindi Part 4 - Aroh

Chapter Name:

Chapter 14 - Shiris Ke Phool

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

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Access NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter-14 शिरीष के फूल

1. लेखक शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है ?

उत्तर: 'आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी' शिरीष को अवधूत इसलिए मानते है क्योंकि, शिरीष का फूल भी एक संन्यासी की तरह सुख और दुःख की परवाह नहीं करता और एक शास्त्रीय अवधूत की तरह जीवन की अजेयता के मंत्र की घोषणा करता है। जब पृथ्वी अग्नि की तरह धधक रही है, शिरीष अभी भी कोमल फूलों से लड़ता रहता है। बाहर की गर्मी, धूप, बारिश, गरज कुछ भी उसे प्रभावित नहीं करती है। इतना ही नहीं, शिरीष धैर्य के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपना अजेय जीवन व्यतीत करता है। भावनाओं की भीषण गर्मी में भी वह गतिहीन रहता है।


2. हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी ज़रूरी हो जाती है। प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर: लेखक 'आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार ह्रदय की कोमलता को बचाने के लिए कभी कभी कठोर व्यव्हार करना आवश्यक हो जाता है। और कठोर व्यवहार करने से हम कभी कभी ठगे जाने से भी बच जाते हैं।


3. द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी जीवन स्थितियों में अविचल रहकर जिजीविषु  बने रहने की सीख दी है। स्पष्ट करें।

उत्तर: शिरीष उस समय पनपता है, जब गर्मी अपने चरम सीमा पर होती है। यहाँ लेखक ने जीवन के संघर्ष के साथ गर्मी की तीव्रता को जोड़ा है। हर मनुष्य का जीवन संघर्षों और पीड़ाओं के मेल से बना होता है, और मनुष्य को ना केवल इसका सामना करना पड़ता है, बल्कि विसम हालातों में भी कोमल फूलों की तरह खिलकर यह साबित करना होता है कि, सबसे कठिन परिस्थितियों में भी, एक व्यक्ति जीने की इच्छा को बनाए रखकर इसे दूर कर सकता है। यह मनुष्य के जीने की इच्छा और उसके जीवित रहने के संघर्ष पर निर्भर करता है। यदि कोई आदमी लड़ना बंद कर देता है और विषम और विकट परिस्थितियों से घबरा जाता है तो, वह व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता,वह टूट जाएगा। शिरीष वृक्ष हमें सभी जीव जीवों से मुक्त रहने की प्रेरणा देता है।


4. हाय, वह अवधूत आज कहाँ है! ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर देह-बल के वर्चस्व की वर्तमान सभ्यता के संकट की ओर संकेत किया है। कैसे ?

उत्तर: सांसारिक मोह माया से ऊपर उठने वाले लोग। वे आत्मविश्वास का प्रतीक हैं। लेकिन आज, मानव आत्म-शक्ति के बजाय, लोग शरीर, धन शक्ति आदि जुटाने में लगे हुए हैं। आज मानव में आत्मविश्वास की कमी है। आज मानव, जीवन मूल्यों को त्याग कर, गलत प्रवृत्ति, हिंसा, असत्य आदि को अपनाते हुए अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। ऐसी स्थिति किसी भी सभ्यता के लिए संकट की तरह है।


5. कवि (साहित्यकार) के लिए अनासक्त योगी की स्थिर प्रज्ञता और विदग्ध प्रेमी का हृदय- एक साथ आवश्यक है। ऐसा विचार प्रस्तुत कर लेखक ने साहित्य कर्म के लिए बहुत ऊंचा मानदंड निर्धारित किया है। विस्तार पूर्वक समझाएं!

उत्तर: कवि द्विवेदी जी के अनुसार साहित्य कर्म के लिए जो मानदंड निर्धारित है वह यह है कि, एक महान कवि वही बन सकता है, जिसके पास एक अनासक्त योगी की तरह  स्थिर दिल और एक प्रेमी की तरह उदार दिल हो।  छंद आदि विधाएं तो कोई भी लिख सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह एक महान कवि है। कवि को वज्र के समान कठोर और फूल की तरह कोमल दोनों प्रवृत्ति का होना चाहिए। इसीलिए लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने कबीर दास और कालिदास को महान माना है क्योंकि, दोनों में एक प्रकार की स्थिरता थी एवम  अनासक्ति का भाव था ।


6. सर्वग्रासी काल की मार से बचते हुए वही दीर्घजीवी हो सकता है, जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रही स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर: एक इंसान को खुद को बदलती परिस्थितियों के अनुकूल ढाल लेना चाहिए, जिसने यह कर लिया, वही प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाता है। इसलिए, यह दीर्घकालिक है। हमें अपने स्वभाव से जड़ता को खत्म करना होगा क्योंकि, जड़ता मनुष्य को प्रगति नहीं देती और मनुष्य को कुचल देती है। केवल वे लोग जो समय और स्थिति के अनुसार परिवर्तन को स्वीकार करते हैं, वही लंबे समय तक अपने अस्तित्व को बचाने में सक्षम हैं। भारतीय संस्कृति इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने कई सभ्यताओं को जन्म दिया। पहले हमारे देश में अनेकों चीजें थी पर युद्ध और आक्रमण ने उन्हे नष्ट कर दिया, जिनके अवशेष आज भी मिलते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद, भारतीय संस्कृति आज भी उसी गरिमा के साथ खड़ी है। ऐसे ही लेखक ने शिरीष के फल का उदाहरण दिया है। इसके फल अपने पेड़ से तब तक चिपके रहते हैं जब तक कि नए फूल और पत्तियां उन्हें गिरने के लिए मजबूर न करें। इसलिए हम सभी को समय के अनुसार खुद को ढालना चाहिए और इस बदलते समय में कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए। शिरीष के फूल और गांधी जी इसके सबसे महान उदाहरण हैं


7. आशय स्पष्ट कीजिए

(क) दुरंत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा पाएँगे। भोले हैं वे हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की ओर मुँह किए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे।

(ख) जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो किए-कराए का लेख-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है ? ..... मैं कहता हूँ कवि बनना है मेरे दोस्तों, तो फक्कड़ बनो।

(ग) फूल हो या पेड़, वह अपने आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है।

उत्तर:

(क) इन पंक्तियों में जीवन जीने की कला का उल्लेख है। लेखक के अनुसार, दुरंत प्राणधारा और सर्वशक्तिमान कलाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। जो बुद्धिमान और समझदार हैं, वे अपनी जिंदगी लगातार दृढ़ता से लड़ रहे हैं। लेकिन जो मूर्ख हैं वे अपनी जगह से थोड़ा भी आगे बढ़ने को तैयार नहीं हैं। उन्हें लगता है कि अपनी जगह पर रहने से वे समय के दृष्टिकोण से बच जाएंगे। वे निर्दोष और भोले हैं। वे नहीं जानते कि जड़ता मृत्यु के समान है, तो गतिशीलता जीवन है। जो सदैव आगे बढ़ता है, उसे मृत्यु से भी बचाया जा सकता है। क्योंकि गतिशीलता ही जीवन है।

(ख) ये पंक्तियाँ सच्चे कवियों की हैं। लेखक का मानना है कि अगर आप एक महान कवि बनना चाहते हैं, तो आपको लगाव से दूर रहना होगा और फक्कड़ बनना होगा। सांसारिक मोह माया से परे एक अलग नज़रिए से सोचना होगा। जो अपने कार्यों, हानि और लाभ आदि के हिसाब को मिलाने में उलझ जाता है, वह कवि नहीं बन पाता और सदैव खुद में ही उलझ कर रह जाता है।

(ग) यह रेखा सौंदर्य और सृजन की सीमा को संदर्भित करती है। लेखक का यह कहना था कि फल, वृक्ष और फूल का अपना अस्तित्व है। ये सिर्फ खत्म नहीं होते हैं, बल्कि वे हम सभी को संकेत देते हैं कि जीवन में अभी बहुत कुछ बाकी है। अभी भी सृजन की बहुत संभावना है, और हर अंत के बाद जीवन की एक नई शुरुआत होती है।


8. शिरीष के पुष्प को शीतपुष्प भी कहा जाता है। ज्येष्ठ माह की प्रचंड गरमी में फूलने वाले फूल को शीतपुष्प संज्ञा किस आधार पर दी गई होगी ?

उत्तर: ज्येष्ठ माह अर्थात, ग्रीष्म ऋतु का सबसे प्रचंड गर्मी वाला महीना। इस समय जन-जीवन ही नहीं बल्कि धरती और वन भी गर्मी की प्रचंडता से झुलस जाते हैं। ऐसे तपते मौसम में भी शिरीष के फूलों का खिले रहना, किसी आश्चर्य से कम नहीं। ऐसी गर्मी में तो मज़बूत छाल वाले वृक्ष तक मुरझा जाते हैं। फूलों को तो निश्चय ही जल जाना चाहिए, किन्तु ये शिरीष के फूल खिले रहते हैं। ये तो तभी संभव है, जब पुष्प इतने ठंडे और शीतल हों कि आग भी इन्हें छूकर ठंडी हो जाए। इसी आधार पर इन्हें शीत पुष्प की संज्ञा दी गई होगी |


9. कोमल और कठोर दोनो भाव किस प्रकार गांधीजी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए ।

उत्तर: अगर हम गांधीजी के बारे में बात करते हैं, तो वह मनुष्यों की तुलना में, उच्च स्तर तक बढ़ कर एक विचार बन गए हैं। इसके दो सबसे बड़े कारण यह हैं कि, सबसे पहले, उनके पास बच्चों की तरह कोमल भावनाएं और कोमल हृदय था, जिसके फलस्वरूप, भारत के आम लोगों की पीड़ा के साथ रो पड़े। दूसरी ओर, उनके पास वज्र के समान साहस था, जिसमे वे अंग्रेजों से भी भीड़ गए और उनके खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद की। एक तरफ गांधीजी के भीतर सत्य और अहिंसा की कोमल भावना थी, दूसरी तरफ अनुशासन के मामले में वे बहुत दृढ़ थे। इसलिए, हम कह सकते हैं कि कोमल और कठोर दोनों भाव गांधीजी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए।


10. दस दिन फूले फिर खंखड़-खंखड़ इस लोकोक्ति से मिलते-जुलते कई वाक्यांश पाठ में हैं, उन्हें छाँट कर लिखें।

उत्तर:

1. ऐसे दुमदारों से तो लँडूरे भले।

2. वे चाहें तो लोहे का पेड़ बनवा लें।

3. किसी प्रकार जमाने का रुख नहीं पहचानते।

4. कालदेवता की आँख बचा जाएँ।

5. रह-रहकर उसका मन खीझ उठता था।

6. खून-खच्चर का बवंडर बह गया।

7. न ऊधो का लेना न माधो का देना।


Chapter Summary

Chapter 14, “Shiris Ke Phool,” is a captivating and thought-provoking story that delves into the complexities of human relationships. The chapter revolves around the life of the protagonist, a young man named Nitya Gopal, who comes to work at an orchard belonging to a wealthy landlord, Seth Govind Dayal. Nitya Gopal finds himself irresistibly drawn to the enchanting fragrance of the shiris flowers in the orchard. As the story unfolds, we witness the gradual transformation of Nitya Gopal’s life and his deep emotional connection with the orchard, especially the shiris flowers. The chapter beautifully explores the themes of love, longing, and the profound impact of nature on the human psyche. It illustrates teh power of nature to evoke a sense of wonder and bring about a metamorphosis in the human heart. “Shiris Ke Phool” is a poignant tale that touches the reader’s soul and leaves a lasting impression.


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Conclusion

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 14 - “Shiris Ke Phool” is a valuable resource for students. These solutions provide profound insights, empowering students to develop a solid comprehension of the chapter and approach their examinations with confidence. We believe that these NCERT Solutions by Vedantu will enrich your understanding of the chapter’s depth. The PDF version is readily available for your convenience, allowing easy access for your reference whenever needed. For Further related materials and enhanced support, we encourage you to explore Vedantu, your gateway to a vast array of resources that will enrich your learning experience. 

FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 14 - Shiris Ke Phool

1. Can we access the NCERT Solutions of Chapter 14  Hindi Aroh Class 12 offline?

The NCERT Solutions of Chapter 14 Hindi Aroh Class 12 in a PDF form can be accessed offline by downloading them from Vedantu’s website or Vedantu app for free. It becomes very easy for you to learn in a systematic and organized way. You can also prepare the notes accordingly, making preparation much easier.

2. How do the NCERT Solutions of Class 12 Hindi Aroh  Chapter 14 help students in their exam preparation?

Subject experts curated NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 in a simple language to help students understand the concepts meticulously. The experts have answered all the exercise questions after thorough research on the topic. Hence,  students can completely rely on these solutions without doubt about their accuracy. Studying chapter-wise NCERT Solutions for each subject can help students score good marks in the board exams.

3. What did the writer call “ Shirish K Phool” in the chapter?

According to the writer of the essay, Shirish Ka Phool is always blooming, even when it is hot. Shirish Ka Phool remains cool and calm no matter how the seasons change. The calls Shirish Ka Pool a flower that offers coolness even in extreme heat. 

4. What does the  essay “ Shirih K Phool” teach us?

The essay teaches us how we can live in this world with both softness and hardness. We live in a fleeting world. Hence, nothing is permanent. The poem also talks about the life cycle and how the system remains constant even after an individual's birth and later death. The solutions for this essay are easily available on Vedantu for your reference. 

5. Why should I refer to the NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh from Vedantu?

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