Shirish Ke Phool Important Questions For CBSE Class 12: Free PDF Download
FAQs on Important Questions For CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 14- Shirish Ke Phool
1. 'शिरीष के फूल' पाठ के अनुसार लेखक ने जन्म और मृत्यु के विषय में क्या कहा है? (1 अंक)
लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी जन्म और मृत्यु को संसार का सबसे परिचित और प्रामाणिक सत्य मानते हैं। उनके अनुसार, यह एक ऐसा अटल सत्य है जिसे कोई टाल नहीं सकता और सभी को इसे सहजता से स्वीकार करना पड़ता है।
2. लेखक ने शिरीष के फूल को 'अद्भुत अवधूत' क्यों कहा है? (2 अंक)
लेखक ने शिरीष को 'अद्भुत अवधूत' इसलिए कहा है क्योंकि शिरीष का फूल भीषण गर्मी, लू और उमस में भी अविचलित होकर खिलता रहता है। जैसे एक अवधूत (संन्यासी) हर सुख-दुःख की परिस्थिति में समान भाव से रहता है, वैसे ही शिरीष भी हर कठोर मौसम में अपनी कोमलता और सौंदर्य बनाए रखता है।
3. CBSE 2025-26 परीक्षा के लिए, शिरीष के फूलों और फलों में क्या मुख्य अंतर बताए गए हैं? (3 अंक)
पाठ के अनुसार, शिरीष के फूलों और फलों में निम्नलिखित मुख्य अंतर हैं जो परीक्षा में पूछे जा सकते हैं:
- कोमलता बनाम कठोरता: शिरीष के फूल बहुत कोमल और आकर्षक होते हैं, जबकि इसके फल बहुत मजबूत और कठोर होते हैं।
- जीवन-चक्र: फूल कुछ समय के लिए खिलकर झड़ जाते हैं, लेकिन फल इतने मजबूत होते हैं कि वे नए पत्ते और फूल आने पर भी अपनी जगह नहीं छोड़ते, जब तक उन्हें बलपूर्वक धकेलकर बाहर न कर दिया जाए।
4. 'महाकाल के कोड़े' से लेखक का क्या तात्पर्य है और यह जीवन को कैसे प्रभावित करता है? (3 अंक)
'महाकाल के कोड़े' से लेखक का तात्पर्य समय और मृत्यु के निरंतर प्रहार से है, जो मनुष्य को जीवन की नश्वरता का अहसास कराते हैं। लेखक के अनुसार, यमराज रूपी महाकाल लगातार कोड़े बरसाते हैं, जिससे मनुष्य के जीवन में सुख-दुःख, रोग, और वृद्धावस्था जैसी परिस्थितियाँ आती हैं। इन पीड़ाओं के बावजूद, मनुष्य की जीने की इच्छा (जिजीविषा) समाप्त नहीं होती।
5. लेखक के अनुसार कालिदास के व्यक्तित्व और शिरीष के फूल के बीच क्या समानता है?
लेखक के अनुसार, कालिदास भी शिरीष के फूल की तरह ही सरस और अनासक्त थे। जिस प्रकार शिरीष का फूल बाहरी कठोरता के बीच भी अपनी कोमलता बनाए रखता है, उसी प्रकार कालिदास ने भी जीवन के सौंदर्य को भोगते हुए भी उससे अनासक्त रहकर 'मेघदूत' जैसी अमर रचना की। दोनों में बाहरी रूप से कोमल और आंतरिक रूप से दृढ़ रहने का गुण समान है, जो एक महत्वपूर्ण वैचारिक प्रश्न है।
6. "शकुंतला कालिदास के हृदय से निकली थी" - इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
इस पंक्ति का आशय है कि कालिदास ने शकुंतला का चित्रण केवल उसके बाहरी शारीरिक सौंदर्य के आधार पर नहीं किया था, बल्कि उन्होंने शकुंतला को अपने मन की गहरी सुंदरता और भावों से रचा था। कालिदास की दृष्टि ने शकुंतला के चरित्र में एक अद्वितीय सौंदर्य भर दिया था, जो केवल बाहरी आँखों से नहीं देखा जा सकता। इसीलिए लेखक कहते हैं कि शकुंतला का सौंदर्य कालिदास की अपनी आंतरिक दृष्टि का प्रतिबिंब था।
7. 'शिरीष के फूल' पाठ दृढ़ता और जिजीविषा (जीने की इच्छा) का क्या संदेश देता है?
'शिरीष के फूल' पाठ में फूल के प्रतीक द्वारा यह संदेश दिया गया है कि जीवन में चाहे कितनी भी प्रतिकूल परिस्थितियाँ (जैसे जेठ की गर्मी और लू) क्यों न हों, मनुष्य को अपनी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। शिरीष की तरह, हमें भी जीवन के संघर्षों का सामना करते हुए अपनी आंतरिक शक्ति, कोमलता और जीने की इच्छा (जिजीविषा) को बनाए रखना चाहिए। यह पाठ अविचलित रहने और धैर्य रखने का एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।
8. "हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी होती है" - पाठ के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिए। (5 अंक)
यह कथन शिरीष के फूल के चरित्र से प्रेरित एक महत्वपूर्ण वैचारिक प्रश्न है। शिरीष का फूल बाहर से कठोर वातावरण (गर्मी, लू) को सहन करता है ताकि उसकी आंतरिक कोमलता और सौंदर्य सुरक्षित रह सके। इसी तरह, लेखक का मानना है कि मनुष्य को भी अपने दया, करुणा और प्रेम जैसे कोमल भावों को दुनिया की कठोरता से बचाने के लिए कभी-कभी बाहरी रूप से दृढ़ और कठोर व्यवहार अपनाना पड़ता है। यह कठोरता एक कवच की तरह काम करती है, जो मन की संवेदनशीलता को आघातों से बचाती है।
9. लेखक पुराने कवियों को क्यों फटकार लगाते हैं? उन्होंने शिरीष के पेड़ के संबंध में क्या चूक की थी?
लेखक पुराने कवियों को इसलिए फटकार लगाते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी रचनाओं में शिरीष के पेड़ की विशेषताओं को नजरअंदाज किया। कवियों ने अक्सर बकुल या अन्य पेड़ों पर झूला डालने का वर्णन किया, लेकिन शिरीष पर नहीं। लेखक का तर्क है कि भले ही शिरीष की डालियाँ कमजोर लगती हों, पर उन पर झूलने वाली नायिकाओं का वजन भी तो कम होता है। इस प्रकार, कवियों ने शिरीष के सौंदर्य और उसकी क्षमता को पूरी तरह से नहीं पहचाना और उसे अपनी रचनाओं में उचित स्थान नहीं दिया।
10. लेखक के अनुसार एक सच्चा और महान कवि बनने के लिए कौन-से गुण आवश्यक हैं? कबीर का उदाहरण क्यों दिया गया है? (5 अंक)
लेखक के अनुसार, एक महान कवि बनने के लिए निम्नलिखित गुण आवश्यक हैं, जो 5-अंकीय प्रश्नों के लिए महत्वपूर्ण हैं:
- अनासक्त होना: उसे सांसारिक सुख-दुःख और मोह-माया से ऊपर उठना चाहिए।
- फक्कड़पन: उसे सांसारिक लाभ-हानि के लेखा-जोखा से मुक्त होकर अपनी ही दुनिया में मस्त रहना चाहिए।
- सरस हृदय: उसका हृदय प्रेम और संवेदना से भरा होना चाहिए।
लेखक ने कबीर दास का उदाहरण इसलिए दिया है क्योंकि वे इन सभी गुणों का सटीक उदाहरण थे। वे एक फक्कड़ थे, जो सामाजिक बंधनों से मुक्त थे और उनकी कविता में गहरी अनासक्ति और सच्चाई का भाव था, जो उन्हें एक महान कवि बनाता है।

















