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CBSE Important Questions for Class 11 Hindi Aroh Miyan Nasiruddin - 2025-26

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CBSE Important Questions for Class 11 Hindi Aroh Miyan Nasiruddin - 2025-26

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 2 - Miyan Nasiruddin prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class 11 Hindi Chapter 2 - मियाँ नसीरुद्दीन

अति लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                            (1 अंक)

1. परेशानी तथा तरेरा शब्द का अर्थ बताइए। 

उत्तर: पेशानी – माथा

तरेरा– घूरकर देखा


2. मियाँ ने रोटियां बनाना किससे सीखा था?

उत्तर: मियां ने रोटियां बनाने की कला अपने बुजुर्गों से सीखी।


3. बादशाह ने मियाँ के बुजुर्गों से कैसे पकवान बनाने को कहा?

उत्तर: बादशाह ने मियां के बुजुर्गों से बिना आग का प्रयोग करके तथा न पानी का प्रयोग करके पकवान बनाने को कहा।


4. मियाँ नसीरुद्दीन के अनुसार कौन सी रोटी पापड़ से महीन होती है?

उत्तर: मियां नसीरुद्दीन के अनुसार तुनकी रोटी पापड़ से महीन होती है।


5. शागिर्द के तीन पर्यायवाची बताइए।

उत्तर: शागिर्द के तीन पर्यायवाची–

  • विद्यार्थी

  • चेला

  • शिष्य


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                 (2 अंक)

1. अखबार बनाने वाले तथा अखबार बेचने वाले के लिए मियाँ के क्या विचार थे?

उत्तर: अखबार बनाने वाले व अखबार पढ़ने वालों के लिए मियां नसीरुद्दीन के विचार यह थे कि वह लोग निठल्ले होते हैं। जो लोग काम करते हैं उन्हें अखबार पढ़ने की जरूरत नहीं होती।


2. लेखिका विभिन्न प्रकार की रोटियां बनाने की कला जानकारी प्राप्त करने किसके पास गई थी?

उत्तर: लेखिका विभिन्न प्रकार की रोटियां बनाने की कला की जानकारी प्राप्त करने के लिए मियां नसीरुद्दीन के पास गई थी।


3. मियाँ नसीरुद्दीन अपनी किस पीढ़ी के नानबाई है? 

उत्तर: मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के नानबाई है क्योंकि पहली पीढ़ी के नानबाई उनके दादा अलान बाई मियां कल्लन और दूसरी पीढ़ी के नाम भाई उनके पिता मियां बरकतशाही थे।


4. लेखक ने उनसे पूछा कि बुजुर्गों की कौन सी नसीहत उन्हें याद है तब मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या कहा?

उत्तर: लेखिका ने उनसे जब पूछा कि उन्हें बुजुर्गों की कौन सी नसीहत याद है तो उन्होंने बुजुर्गों की नसीहत बताई कि काम करने से आता है किसी की नसीहत से नहीं।


5. मियाँ ने रोटियां बनाना सीखने से पहले क्या-क्या काम किया था?

उत्तर: मियां ने रोटियां बनाना सीखने से पहले कई प्रकार के कार्य सीखे जैसे– बर्तन धोना, भट्टी बनाना भक्ति को आंच देना।


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                 (3 अंक)

1. बादशाह के बारे में पूछने पर जब मियाँ नसीरुद्दीन सही जवाब नहीं दे पाए तो क्या किया?

उत्तर: जब लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह का नाम पूछा तो उन्हें बादशाह का नाम नहीं पता था उनके पास कोई भी प्रमाण नहीं था इसलिए उनकी दिलचस्पी जवाब देने में खत्म होने लगी और वह बेरुखी से दिखाने लगे। उनके सवाल को नजरअंदाज करने के लिए अपने कारीगर को आदेश देने लगे कि बट्टी सुलगाओ।


2. मियाँ नसीरुद्दीन के पास जाने के पीछे लेखिका का क्या उद्देश्य था? 

उत्तर: मियां नसीरुद्दीन के पास लेखिका का जाने का उद्देश्य यह था कि वह एक जाने-माने नानबाई थे जिन्हें 56 प्रकार की रोटियां बनानी आती थी वह अपने पेशे को अपनी कला मानते थे। लेखिका रोटियां बनाने की कला के बारे में मियां नसीरुद्दीन से जानकारी प्राप्त करना चाहती थी और लोगों को उनकी कला के बारे में बताना चाहती थी इसलिए वह मियां नसीरुद्दीन के पास गई।


3. नानबाई के संदर्भ में मियाँ नसीरुद्दीन की क्या पहचान थी?

उत्तर: नानबाई के संदर्भ में मियां नसीरुद्दीन की यह पहचान बताई गई कि वह कोई आम नानबाई नहीं थे बल्कि वह 56 प्रकार की रोटियां बनाना जानते थे और आम नानबाइयों को सिर्फ रोटी बनानी आती थी। उन्हे नानबाइयो का मशीहा कहा जाता था। वह एक खानदानी नानबाई थे और अपने पेशे को कला मानते थे।


4. जब लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह का नाम पूछा तो मियाँ की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर: जब लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह का नाम पूछा तो उन्हें बादशाह का नाम नहीं पता था उनके पास कोई भी प्रमाण नहीं था इसलिए उनकी दिलचस्पी जवाब देने में खत्म होने लगी और वह बेरुखी से दिखाने लगे। वह बस डींगे हाक रहे थे सुनी सुनाई बातें बता रहे थे। जब लेखिका ने उनके सामने बहादुरशाह जफर का नाम लिया तो उन्होंने कहा हां  यही नाम लिख दो।


5. पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का परिचय कैसे कराया गया है?

उत्तर: पाठ में मियां नसीरुद्दीन का परिचय अलग–अलग तरीकों से कराया है जैसे–

‘हमने जो अंदर झांका तो पाया, मियां चारपाई पर बैठे बीड़ी का मजा ले रहे हैं। मौसमो की मार से पका चेहरा आंखों से काइयां  भोलापन और परेशानी पर मंजे हुए कारीगर के तेवर। मियां नसीरुद्दीन की उम्र 70 वर्ष के आसपास होगी।”


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न                                                                                          (5 अंक)

1. लेखिका ने जब मियांँ से पूछा कि कारीगर लोग “क्या आपकी शागिर्दी करते हैं?” तो मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या जवाब दिया?

उत्तर: लेखिका ने जब मियां से पूछा कि कारीगर लोग “क्या आपकी शागिर्दी करते हैं” तो मियां नसीरुद्दीन में बताया कि “सिर्फ शागिर्दी ही नहीं करते हैं। मैं उन्हें दो रुपए मन आटा और चार रुपए मन मैदा के हिसाब से इन्हें गिन–गिन कर मजूरी भी देता हूं।” मियां नसीरुद्दीन के कहने का यह अर्थ था कि वह कारीगरों से सीखाने की आड़ में मुफ़्त में काम नहीं करवाते थे। वह एक खानदानी नानबाई थे और इसलिए उनसे लोग सीखने आते थे। वह लोगो से काम कराते थे काम कराते वक्त उचित मजदूरी भी दिया करते थे।


2. मियाँ लेखिका की किस बात से नाराज होकर बेरुखी दिखने लगे तथा क्यों?

उत्तर: लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह के बारे में सवाल पूछे तो मियां नसीरुद्दीन नाराज हो गए और बेरुखी दिखाने लगे। उनके पास किसी भी बात का प्रमाण नहीं था। वह केवल सुनी सुनाई बाते ही बता रहे थे। उनके पास इन बातों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था। मियां ने केवल इतना बताया उनके परिवार के लोग बादशाह के लिए खाना बनाते थे। परिवार के लोग बादशाह के बावर्ची थे। जब लेखिका ने बादशाह का नाम पूछा तो उन्हें बादशाह का नाम नहीं पता था उनके पास कोई भी प्रमाण नहीं था इसलिए उनकी दिलचस्पी जवाब देने में खत्म होने लगी और वह बेरुखी से दिखाने लगे। वह बस डींगे हाक रहे थे सुनी सुनाई बातें बता रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार के लोग बादशाह के लिए पकवान बनाते थे और एक बार बादशाह ने कहा कि आग में बिना पकाए केवल पानी का प्रयोग करके ।पकवान बनाकर दिखाएं। उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्गों ने बादशाह के लिए केवल पानी का प्रयोग करके पकवान बनाकर दिखाएं थे।


3.“ ज्यादातर भट्टी पर कौन सी रोटियां पका करती है” इस सवाल के जवाब में मियाँ ने क्या जवाब दिया?

उत्तर: “ज्यादातर भट्टी पर कौन सी रोटी पका करती है” इस सवाल के जवाब में मियां ने बोला कि भट्टियों पर कई प्रकार की रोटियाँ बनती हैं ‘खमीरी,बाकरखानी, शीरमाल, ताफतान, बेसनी, गाव, तुनकी, गाशेबान, दीदा, रूमाली’ आदि रोटियां बनती हैं। इसके बाद मियां ने सवाल पूछने वाले को घूर कर देखा और बताया कि “तुनकी पापड़ से ज़्यादा महीन होती है। हाँ, किसी दिन खिलाएंगे ,आपको”। इसके बाद वह पूरानी यादो को याद करने लगे और कहा कि “उतर गए वे जमाने। और गए वे कद्रदान जो पकाने–खाने की कद्र करना जानते थे! मियां अब क्या रखा है..... निकाली तंदूर से, निगली और हजम।”


4. लेखक जब मियाँ नसीरुद्दीन के पास पहुंचे तो मियाँ ने उन्हें क्या समझ लिया था तथा उसके बाद क्या प्रतिक्रिया दी थी?

उत्तर: लेखक जब मियां नसीरुद्दीन के घर पहुंचे तो मियां के लगा कि वह लोग रोटी खरीदने के लिए आए हैं। लेकिन जब लेखक ने उन्हें बताया कि वह कुछ सवाल पूछने के लिए आए हैं तो मियां नसीरुद्दीन को लगा कि वह अखबार वाले पत्रकार हैं। मियां नसीरुद्दीन का यह मानना था अखबार वाले कामचोर होते हैं और अखबार पढ़ने वाले भी कामचोर होते हैं। उनका कहना था जो लोग काम करते हैं उन्हें अखबार पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। लेकिन लेकिन नसीरुद्दीन ने कहा कि आप लोग इतनी दूर से आए ही हैं तो आप जो भी जानना चाहते हैं जान सकते हैं।


5. मियाँ ने अपने बुजुर्गों के बारे में क्या बताया?

उत्तर: मियां ने अपने बुजुर्गों के बारे में कई बातें बताई । उन्होंने बताया उनके वालिद और वालिद के वालिद बहुत जाने-माने नानबाई थे। वह साधारण नानबाई नहीं, बहुत बड़े खानदानी नानबाई थे। उन्होंने कई कार्य अपने पूर्वजों से सीखें। जैसे अलग-अलग तरीकों की रोटी बनाना। मियां के वालिद की 80 वर्ष में मृत्यु हो गई। मियां के परिवार के बुजुर्गों को पकवान बनाने भी आते थे। वह बादशाहो के लिए पकवान भी बनाते थे। और बादशाह द्वारा हर प्रकार की की गई मांग को पूरा करते थे। बादशाह ने उन्हें पकवान बनाने को कहा वो भी आग व पानी का प्रयोग किए बिना उन्होंने बादशाह को पकवान बनाकर खिलाएं थे।


Important Study Material Links for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 2


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FAQs on CBSE Important Questions for Class 11 Hindi Aroh Miyan Nasiruddin - 2025-26

1. कक्षा 11 हिंदी आरोह के अध्याय 2, 'मियाँ नसीरुद्दीन' से परीक्षा में किस तरह के महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जा सकते हैं?

सीबीएसई 2025-26 परीक्षा के लिए, 'मियाँ नसीरुद्दीन' अध्याय से कई प्रकार के महत्वपूर्ण प्रश्न बन सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • लघु उत्तरीय प्रश्न (2-3 अंक): मियाँ नसीरुद्दीन के स्वभाव की विशेषताएँ, उन्हें 'नानबाइयों का मसीहा' क्यों कहा जाता था, या लेखिका से उनकी बातचीत के किसी विशेष अंश पर आधारित प्रश्न।
  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक): मियाँ नसीरुद्दीन का विस्तृत चरित्र-चित्रण, पाठ का मुख्य संदेश, या पारंपरिक कला के लुप्त होने की समस्या पर टिप्पणी।
  • मूल्य-आधारित प्रश्न (HOTS): कारीगरों के प्रति समाज के बदलते दृष्टिकोण और कला के सम्मान जैसे विषयों पर विश्लेषण करने वाले प्रश्न।

छात्रों को इन सभी प्रकार के प्रश्नों के लिए तैयारी करनी चाहिए।

2. 'मियाँ नसीरुद्दीन' पाठ के मुख्य पात्र का चरित्र-चित्रण करें। 5 अंकों के प्रश्न के लिए उत्तर कैसे लिखें?

मियाँ नसीरुद्दीन का चरित्र-चित्रण करते समय, निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल करना चाहिए ताकि पूरे अंक मिल सकें:

  • अपने पेशे में माहिर: वे छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने में माहिर थे और इसे एक कला मानते थे, केवल एक व्यवसाय नहीं।
  • गर्व और आत्मविश्वास: उन्हें अपने खानदानी होने और अपनी कला पर बहुत गर्व था। वे खुद को 'नानबाइयों का मसीहा' कहते थे।
  • बातूनी और मज़ाकिया स्वभाव: वे अपने खास अंदाज़ में बात करते थे, जिसमें हास्य और व्यंग्य का मिश्रण होता था।
  • परंपरावादी: वे मानते थे कि सच्ची कला 'तालीम' और मेहनत से सीखी जाती है, न कि किताबों या पूछने से।
  • चिड़चिड़ापन: जब लेखिका उनके काम या परिवार के बारे में गहरे सवाल पूछती, तो वे चिढ़ जाते थे क्योंकि उन्हें यह अपनी कला का अपमान लगता था।

3. 'मियाँ नसीरुद्दीन' पाठ की लेखिका कौन हैं और इस पाठ का मुख्य संदेश क्या है?

इस पाठ की लेखिका कृष्णा सोबती हैं। इस पाठ का मुख्य संदेश यह है कि किसी भी कला या हुनर को सीखने के लिए सच्ची लगन, मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है। यह पाठ उन कारीगरों के महत्व को भी उजागर करता है जो अपनी पारंपरिक कला को जीवित रखे हुए हैं, भले ही आधुनिक दुनिया में उनकी कद्र कम हो गई हो। यह हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है।

4. मियाँ नसीरुद्दीन को 'नानबाइयों का मसीहा' क्यों कहा जाता था?

मियाँ नसीरुद्दीन को 'नानबाइयों का मसीहा' इसलिए कहा जाता था क्योंकि वे एक साधारण नानबाई नहीं थे, बल्कि एक खानदानी नानबाई थे जिन्हें छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर प्राप्त था। उनकी रोटियाँ दूर-दूर तक प्रसिद्ध थीं। वे अपने पेशे को एक कला के रूप में देखते थे और पूरी शान और आत्मविश्वास के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करते थे, जो उन्हें अन्य नानबाइयों से अलग और श्रेष्ठ बनाता था।

5. लेखिका के सवालों से मियाँ नसीरुद्दीन क्यों परेशान हो जाते थे? यह उनके स्वभाव के बारे में क्या दर्शाता है?

मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका के सवालों से इसलिए परेशान हो जाते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि लेखिका उनके हुनर को समझने की कोशिश नहीं कर रही, बल्कि एक पत्रकार की तरह केवल जानकारी इकट्ठा कर रही है। यह उनके स्वभाव के बारे में निम्नलिखित बातें दर्शाता है:

  • वे अपनी कला को सर्वोच्च मानते थे और उस पर किसी भी तरह की बाहरी पूछताछ पसंद नहीं करते थे।
  • उनका मानना था कि असली ज्ञान और कला (तालीम) मेहनत और अभ्यास से आती है, सवालों के जवाब देने से नहीं।
  • वे अपने खानदानी गौरव को लेकर बहुत संवेदनशील थे और नहीं चाहते थे कि कोई उनके व्यक्तिगत जीवन या उनके पूर्वजों के बारे में अनावश्यक रूप से जाने।

6. क्या मियाँ नसीरुद्दीन सिर्फ घमंडी थे या उनके गर्व का कोई आधार था? पाठ से उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

मियाँ नसीरुद्दीन को पहली नज़र में घमंडी कहा जा सकता है, लेकिन उनका गर्व निराधार नहीं था। यह उनके असाधारण कौशल और अपनी कला के प्रति गहरे समर्पण से उपजा था। उदाहरण के लिए:

  • वे छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने की बात करते हैं, जो उनके ज्ञान और अनुभव को दर्शाता है।
  • वे कहते हैं कि 'तालीम की तालीम भी बड़ी चीज़ होती है', जिसका अर्थ है कि उन्होंने इस कला को सीखने के लिए वर्षों तक कड़ी मेहनत की है।
  • वे अपने पूर्वजों द्वारा बादशाह के लिए बनाई गई विशेष रोटी का ज़िक्र करते हैं, जो उनके खानदानी गौरव को सही ठहराता है।

अतः, उनका गर्व उनके आत्मविश्वास और अपनी कला के प्रति सम्मान का प्रतीक था, न कि केवल खोखले घमंड का।

7. मियाँ नसीरुद्दीन ने अपने खानदानी नानबाई होने का क्या सबूत दिया?

मियाँ नसीरुद्दीन ने अपने खानदानी नानबाई होने का सबूत एक किस्से के माध्यम से दिया। उन्होंने बताया कि उनके बुज़ुर्गों ने एक बार बादशाह सलामत के कहने पर एक ऐसी चीज़ बनाई थी जो न आग से पकती थी, न पानी से बनती थी। जब लेखिका ने उस पकवान का नाम पूछा, तो वे टाल गए। इस किस्से को सुनाकर वे यह साबित करना चाहते थे कि उनका खानदान कोई साधारण नानबाइयों का नहीं, बल्कि शाही खानदान से जुड़ा हुआ है, जिनके पास असाधारण हुनर था।

8. परीक्षा के लिए 'मियाँ नसीरुद्दीन' अध्याय की तैयारी कैसे करें ताकि अधिकतम अंक प्राप्त हों?

इस अध्याय से अधिकतम अंक प्राप्त करने के लिए, छात्रों को निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:

  • पात्र का विश्लेषण: मियाँ नसीरुद्दीन के चरित्र की सभी विशेषताओं (गर्व, कला-प्रेम, बातूनी स्वभाव) को उदाहरण सहित याद करें।
  • मुख्य विषय-वस्तु: 'लुप्त होती पारंपरिक कला' और 'मेहनत का सम्मान' जैसे मुख्य विषयों को समझें।
  • महत्वपूर्ण संवाद: पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन के महत्वपूर्ण संवादों और उनके गहरे अर्थों को समझें।
  • लेखिका का दृष्टिकोण: यह भी समझें कि कृष्णा सोबती ने इस पात्र के माध्यम से क्या दर्शाने की कोशिश की है।