CBSE Important Questions for Class 11 Hindi Aroh Miyan Nasiruddin - 2025-26
FAQs on CBSE Important Questions for Class 11 Hindi Aroh Miyan Nasiruddin - 2025-26
1. कक्षा 11 हिंदी आरोह के अध्याय 2, 'मियाँ नसीरुद्दीन' से परीक्षा में किस तरह के महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जा सकते हैं?
सीबीएसई 2025-26 परीक्षा के लिए, 'मियाँ नसीरुद्दीन' अध्याय से कई प्रकार के महत्वपूर्ण प्रश्न बन सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
- लघु उत्तरीय प्रश्न (2-3 अंक): मियाँ नसीरुद्दीन के स्वभाव की विशेषताएँ, उन्हें 'नानबाइयों का मसीहा' क्यों कहा जाता था, या लेखिका से उनकी बातचीत के किसी विशेष अंश पर आधारित प्रश्न।
- दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक): मियाँ नसीरुद्दीन का विस्तृत चरित्र-चित्रण, पाठ का मुख्य संदेश, या पारंपरिक कला के लुप्त होने की समस्या पर टिप्पणी।
- मूल्य-आधारित प्रश्न (HOTS): कारीगरों के प्रति समाज के बदलते दृष्टिकोण और कला के सम्मान जैसे विषयों पर विश्लेषण करने वाले प्रश्न।
छात्रों को इन सभी प्रकार के प्रश्नों के लिए तैयारी करनी चाहिए।
2. 'मियाँ नसीरुद्दीन' पाठ के मुख्य पात्र का चरित्र-चित्रण करें। 5 अंकों के प्रश्न के लिए उत्तर कैसे लिखें?
मियाँ नसीरुद्दीन का चरित्र-चित्रण करते समय, निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल करना चाहिए ताकि पूरे अंक मिल सकें:
- अपने पेशे में माहिर: वे छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने में माहिर थे और इसे एक कला मानते थे, केवल एक व्यवसाय नहीं।
- गर्व और आत्मविश्वास: उन्हें अपने खानदानी होने और अपनी कला पर बहुत गर्व था। वे खुद को 'नानबाइयों का मसीहा' कहते थे।
- बातूनी और मज़ाकिया स्वभाव: वे अपने खास अंदाज़ में बात करते थे, जिसमें हास्य और व्यंग्य का मिश्रण होता था।
- परंपरावादी: वे मानते थे कि सच्ची कला 'तालीम' और मेहनत से सीखी जाती है, न कि किताबों या पूछने से।
- चिड़चिड़ापन: जब लेखिका उनके काम या परिवार के बारे में गहरे सवाल पूछती, तो वे चिढ़ जाते थे क्योंकि उन्हें यह अपनी कला का अपमान लगता था।
3. 'मियाँ नसीरुद्दीन' पाठ की लेखिका कौन हैं और इस पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
इस पाठ की लेखिका कृष्णा सोबती हैं। इस पाठ का मुख्य संदेश यह है कि किसी भी कला या हुनर को सीखने के लिए सच्ची लगन, मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है। यह पाठ उन कारीगरों के महत्व को भी उजागर करता है जो अपनी पारंपरिक कला को जीवित रखे हुए हैं, भले ही आधुनिक दुनिया में उनकी कद्र कम हो गई हो। यह हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है।
4. मियाँ नसीरुद्दीन को 'नानबाइयों का मसीहा' क्यों कहा जाता था?
मियाँ नसीरुद्दीन को 'नानबाइयों का मसीहा' इसलिए कहा जाता था क्योंकि वे एक साधारण नानबाई नहीं थे, बल्कि एक खानदानी नानबाई थे जिन्हें छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर प्राप्त था। उनकी रोटियाँ दूर-दूर तक प्रसिद्ध थीं। वे अपने पेशे को एक कला के रूप में देखते थे और पूरी शान और आत्मविश्वास के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करते थे, जो उन्हें अन्य नानबाइयों से अलग और श्रेष्ठ बनाता था।
5. लेखिका के सवालों से मियाँ नसीरुद्दीन क्यों परेशान हो जाते थे? यह उनके स्वभाव के बारे में क्या दर्शाता है?
मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका के सवालों से इसलिए परेशान हो जाते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि लेखिका उनके हुनर को समझने की कोशिश नहीं कर रही, बल्कि एक पत्रकार की तरह केवल जानकारी इकट्ठा कर रही है। यह उनके स्वभाव के बारे में निम्नलिखित बातें दर्शाता है:
- वे अपनी कला को सर्वोच्च मानते थे और उस पर किसी भी तरह की बाहरी पूछताछ पसंद नहीं करते थे।
- उनका मानना था कि असली ज्ञान और कला (तालीम) मेहनत और अभ्यास से आती है, सवालों के जवाब देने से नहीं।
- वे अपने खानदानी गौरव को लेकर बहुत संवेदनशील थे और नहीं चाहते थे कि कोई उनके व्यक्तिगत जीवन या उनके पूर्वजों के बारे में अनावश्यक रूप से जाने।
6. क्या मियाँ नसीरुद्दीन सिर्फ घमंडी थे या उनके गर्व का कोई आधार था? पाठ से उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
मियाँ नसीरुद्दीन को पहली नज़र में घमंडी कहा जा सकता है, लेकिन उनका गर्व निराधार नहीं था। यह उनके असाधारण कौशल और अपनी कला के प्रति गहरे समर्पण से उपजा था। उदाहरण के लिए:
- वे छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने की बात करते हैं, जो उनके ज्ञान और अनुभव को दर्शाता है।
- वे कहते हैं कि 'तालीम की तालीम भी बड़ी चीज़ होती है', जिसका अर्थ है कि उन्होंने इस कला को सीखने के लिए वर्षों तक कड़ी मेहनत की है।
- वे अपने पूर्वजों द्वारा बादशाह के लिए बनाई गई विशेष रोटी का ज़िक्र करते हैं, जो उनके खानदानी गौरव को सही ठहराता है।
अतः, उनका गर्व उनके आत्मविश्वास और अपनी कला के प्रति सम्मान का प्रतीक था, न कि केवल खोखले घमंड का।
7. मियाँ नसीरुद्दीन ने अपने खानदानी नानबाई होने का क्या सबूत दिया?
मियाँ नसीरुद्दीन ने अपने खानदानी नानबाई होने का सबूत एक किस्से के माध्यम से दिया। उन्होंने बताया कि उनके बुज़ुर्गों ने एक बार बादशाह सलामत के कहने पर एक ऐसी चीज़ बनाई थी जो न आग से पकती थी, न पानी से बनती थी। जब लेखिका ने उस पकवान का नाम पूछा, तो वे टाल गए। इस किस्से को सुनाकर वे यह साबित करना चाहते थे कि उनका खानदान कोई साधारण नानबाइयों का नहीं, बल्कि शाही खानदान से जुड़ा हुआ है, जिनके पास असाधारण हुनर था।
8. परीक्षा के लिए 'मियाँ नसीरुद्दीन' अध्याय की तैयारी कैसे करें ताकि अधिकतम अंक प्राप्त हों?
इस अध्याय से अधिकतम अंक प्राप्त करने के लिए, छात्रों को निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:
- पात्र का विश्लेषण: मियाँ नसीरुद्दीन के चरित्र की सभी विशेषताओं (गर्व, कला-प्रेम, बातूनी स्वभाव) को उदाहरण सहित याद करें।
- मुख्य विषय-वस्तु: 'लुप्त होती पारंपरिक कला' और 'मेहनत का सम्मान' जैसे मुख्य विषयों को समझें।
- महत्वपूर्ण संवाद: पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन के महत्वपूर्ण संवादों और उनके गहरे अर्थों को समझें।
- लेखिका का दृष्टिकोण: यह भी समझें कि कृष्णा सोबती ने इस पात्र के माध्यम से क्या दर्शाने की कोशिश की है।

















