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CBSE Important Questions for Class 11 Hindi Aroh Namak ka Daroga - 2025-26

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CBSE Important Questions for Class 11 Hindi Aroh Namak ka Daroga - 2025-26

Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 1 Namak ka Daroga are discussed here on Vedantu. All the important questions of the chapter are provided in a PDF that can be downloaded for free. These important questions and answers are prepared by our subject experts to help students develop a better understanding of the chapter.


The story Namak ka Daroga was written by a prominent author named Premchand. The story depicts the life and struggles of a young man named Munshi Vanshidhar in colonial India. The story essentially depicts the challenges faced by the young man while living by the high moral standards, the story is also a portrayal of the injustices and disparity and movements against the British in colonial India.


The important questions provided here encapsulate the complete chapter. It is curated by subject matter experts and is written in a simple and precise manner. If you are a Class 11 student we highly recommend practising these questions to excel in your preparations. 

Study Important Questions for class 11 Hindi पाठ १: नमक का दरोगा

लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                               (1 अंक)

1. नमक के तीन पर्यायवाची बताइए।

उत्तर: नमक के पर्यायवाची: लवण, क्षार और लोन।


2. नमक के दरोगा पाठ के लेखक का क्या नाम है? 

उत्तर: नमक के दरोगा पाठ के लेखक मुंशी प्रेमचंदजी हैं।


3. न्याय के दरबार में कर्मचारियों पर किसका नशा छाया हुआ था? 

उत्तर: न्याय के दरबार में कर्मचारियों पर पक्षपात का नशा छाया हुआ था।


4. पंडित अलोपीदीन न्यायालय में मुकदमा कैसे जीत गए?

उत्तर: पंडित अलोपीदीन न्यायालय में मुकदमा अपने पैसे के बल से जीत गए। उन्होंने सभी को खरीद लिया था।


5. वंशीधर के लिए मजिस्ट्रेट ने क्या फैसला सुनाया? 

उत्तर: मजिस्ट्रेट ने वंशीधर को नौकरी से निष्कासित कर दिया।


लघु उत्तरीय                                                                                              (2 अंक)

1. पंडित अलोपीदीन के पक्ष में फैसला आने पर वकीलों में खुशी का माहौल क्यों था?

उत्तर: पंडित अलोपीदीन के पक्ष में फैसला आने पर वकीलों में खुशी का माहौल इसलिए था क्योंकि वकीलों को पंडित अलोपीदीन  से धन प्राप्त होता था।


2. वृद्ध मुंशी ने वंशीधर से अपनी बेटियों के लिए क्या कहा?

उत्तर: वृद्ध मुंशी ने वंशीधर से कहा कि लड़कियां घांस फूंस की तरह अत्यधिक गति से बड़ी हो जाती हैं।


3. लक्ष्मी जी के लिए पंडित अलोपीदीन के क्या विचार थे?

उत्तर: पंडित अलोपीदीन को लक्ष्मी जी के ऊपर अंध विश्वास था। पंडित जी कहते थे कि पृथ्वी के साथ  - साथ परलोक में भी लक्ष्मी जी का ही निवास है।


4. पंडित अलोपीदीन जब वंशीधर से मिलने उसके घर आए तो वंशीधर के पिता से क्या बोले?

उत्तर: पंडित अलोपीदीन जब वंशीधर से मिलने उसके घर आए तो वंशीधर के पिता से कहा कि "कुलतिलक और पुरुषों कि कीर्ति उज्ज्वल करने वाले संसार में ऐसे जो धर्म पर अपना सब कुछ अर्पण कर सकें कितने धर्मपरायण मनुष्य हैं ?"।


5. पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को क्या प्रस्ताव दिया था और क्यों?

उत्तर: अपनी सभी संपत्तियों का प्रबंधक बनाने का प्रस्ताव पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को दिया था। क्योंकि वह वंशीधर कि ईमानदारी से काफ़ी खुश था।


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                       (3 अंक)

 1. 'पढ़ना - लिखना सब अकारथ गया।' वृद्ध मुंशी जी ने यह वाक्य क्यों कहा?

उत्तर: मुंशी जी के पुत्र वंशीधर ने हजारों रुपए की रिश्वत लेने से इंकार करके पंडित अलोपीदीन को अपनी हिरासत में ले लिया था था। यह बात जब मुंशी जी को जान पड़ी तो उन्होंने अपने पुत्र को डांटने के लिए कहा कि ' पढ़ना - लिखना सब अकारथ गया  ' अर्थात पढ़ना और लिखना सब व्यर्थ चला गया।


2. "नौकरी में औहदे कि ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।" यह बात किसके द्वारा कही गई है, तथा इसका क्या अर्थ है ?

उत्तर: यह वाक्य मुंशी जी अपने बेटे वंशीधर से कहते हैं। इस वाक्य का मतलब यह है कि नौकरी के पद से रिश्वत और उपहारों का मूल्य अधिक होता है। इसलिए पद से अधिक नौकरी ऐसी करनी चाहिए, जिसमें रिश्वत लेने के अत्यधिक मौके प्राप्त हों।


3. रात में पुल से गुजर रहे वाहनों की आवाज सुनकर वंशीधर के मन में क्या विचार आया ? 

उत्तर: रात को सोते वक्त वंशीधर को पुल से गुजर रहे वाहनों कि गड़गड़ाहट सुनाई दी तो उन्हें कुछ आभास हुआ। वंशीधर ने सोचा कि देर रात वाहन कौन ले जाएगा ? ज़रूर कुछ गलत हो रहा है।


4. कहानी में वृद्ध मुंशी का पात्र कौन है और कैसा है? 

उत्तर: कहानी में मुंशी जी का पात्र वंशीधर के पिता है। वह अपनी परिस्थिति से चिंतित है, तथा अपने पुत्र कि नौकरी कि सहारे अपने घर कि परिस्थिति को सही दिशा दिखाना चाहते हैं। उनके अनुसार नौकरी पर रिश्वत लेने में कोई बुराई नहीं है। इसलिए वह अपने बेटे वंशीधर को बेईमान बनने का ज्ञान देती है।


5. वंशीधर ने जब पंडित अलोपीदीन को हिरासत में लिया तो आस - पास के क्षेत्रों के लोगों कि क्या प्रतिक्रिया थी ?

उत्तर: वंशीधर ने जब पंडित अलोपीदीन को हिरासत में लिया तो रातों - रात यह समाचार सारे क्षेत्र में फैल गई। सभी लोग पण्डित जी के इस व्यवहार पर अपने अपने अनुसार तंज कस रहे थे। पंडित जी के उपर हर तरफ से निंदा कि वर्षा हो रही थी। पानी को दूध के नाम से बेचने वाला ग्वाला, रिश्वत लेने वाले अधिकारी, रेल में बिना टिकट यात्रा करने वाले बाबु लोग, जाली दस्तावेज तैयार करने वाले सेठ और साहूकार। यह सब के सब पंडित जी को कोस रहे थे।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न                                                       (5 अंक)

1. पंडित अलोपीदीन ने रिश्वत के लिए चालीस हजार का प्रस्ताव दिया तो वंशीधर ने क्या किया?

उत्तर: जब  पंडित अलोपीदीन ने रिश्वत के लिए चालीस हजार रुपए का प्रस्ताव दिया, तो वंशीधर ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। वंशीधर ने सत्य, निष्ठा और ईमानदारी के धर्म का निर्वाह करते हुए अलोपीदीन द्वारा चालीस हजार रुपए का प्रस्ताव ठुकरा दिया। धर्म इंसान के निष्ठा निर्धारित करता है और वंशीधर के 'धर्म' ने अलोपीदीन के  'धन' को नीचा दिखा दिया, अर्थात धन के राज को वंशीधर के धर्म से हारना पड़ा।


2. कहानी के पात्र वंशीधर कि विशेषता बताइए। 

उत्तर: "नमक का दारोगा" कि कहानी में वंशीधर सबसे महत्वपूर्ण पात्र है और उसका चरित्र अत्याधिक प्रभावशाली है। वंशीधर एक ईमानदार, शिक्षित और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है। अपने पिता के द्वारा दिए गए बेईमानी के ज्ञान के बावजूद, वह ईमानदार है। वह एक स्वाभिमानी व्यक्ति है। न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ नतीजा दिए जाने पर भी उन्होंने अपना आत्मसम्मान नहीं खोया। कहानी में वंशीधर के पात्र कि ईमानदारी और स्वाभिमान पाठकों को अत्यधिक प्रभावित करता है। पाठक के मन में उस पात्र के गुणों को अपनाने कि प्रेरणा मिलती है।


3. कहानी के पात्र पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व की विशेषता बताइए।

उत्तर: पंडित अलोपीदीन के पात्र दो विशेषताएं हैं। वह लक्ष्मी के पुजारी और ईमानदारी के प्रशंसक हैं। पंडित अलोपीदीन को लक्ष्मी जी के उपर अखंड विश्वास था, वह समझते थे कि लक्ष्मी की सहायता से किसी को भी अपने अधीन कर सकते हैं। उन्होंने लक्ष्मी की सहायता से ही न्यायालय को भी अपने अधीन कर लिया था। पंडित अलोपीदीन लक्ष्मी के साथ साथ ईमानदारी को भी मानते हैं। वंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित हो कर, वह वंशीधर को अपनी सभी संपत्तियों का प्रबंधक बना देते हैं। वंशीधर के लिए उनके मन में कोई भी दोष नहीं है, जबकि वंशीधर ने ही पंडित अलोपीदीन को जेल भेज कर न्यायालय में प्रस्तुत किया था।


4.अलोपीदीन के पक्ष में मजिस्ट्रेट के फैसले पर वकील की क्या प्रतिक्रिया थी ? तथा इससे क्या निष्कर्ष निकलता है।

उत्तर: मजिस्ट्रेट ने अपना नतीजा पंडित अलोपीदीन के पक्ष में सुनाया था। मजिस्ट्रेट  के इस नतीजे से वकील अत्याधिक प्रसन्न था। वकील का प्रसन्न होना न्यायालय के नतीजे पर प्रश्न उठाता है और शर्मसार करता है। धन के आधार पर न्यायालय में न्याय दिलाना वकीलों का धर्म नहीं है। लेकिन इस नतीजे पर वकीलों कि भागीदारी के कारण वंशीधर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। वंशीधर बहुत ही ईमानदार व्यक्ति था, और उसने ईमानदारी का परिचय देते हुए पंडित अलोपीदीन को अपनी हिरासत में लिया था। लेकिन, फिर भी न्यायालय ने वकीलों कि दलीलों के कारण नतीजा उसके खिलाफ आया और उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।


5. वंशीधर के पिता ने वंशीधर से नौकरी पर जाने से पहले क्या कहा था ?

उत्तर: वंशीधर के पिता ने वंशीधर से नौकरी पर जाने से पहले क्या कहा कि वेतन पूर्णमासी के चांद कि भांति होता है। वंशीधर के पिता द्वारा कहे गए इस कथन का अर्थ था कि चांद महीने में एक बार पूर्णिमा को पूरा नज़र आता है, और मासिक वेतन भी महीने में एक ही बार मिलता है। पूर्णिमा के बाद चांद का आकार धीरे धीरे घटता चला जाता है, और अंत में खत्म हो जाता है। इसी प्रकार वेतन भी सिर्फ एक बार ही पूरा नज़र आता है, और धीरे धीरे खत्म हो जाता है।


Class 11 Hindi Chapter 1 Important Questions - Free PDF Download

Chapter 1 of Hindi Class 11 CBSE is Namak ka Daroga by Munshi Premchand. This PDF contains all the important questions from the chapter from the exam's perspective. The subject experts at Vedantu have prepared these questions after thorough research. They studied all the previous years’ questions and the CBSE guidelines to prepare these questions. You can practice these questions to get a better understanding of the chapter. Class 11 Hindi Aroh Namak ka Daroga Important Questions are available for free download from Vedantu’s official website and mobile app.


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FAQs on CBSE Important Questions for Class 11 Hindi Aroh Namak ka Daroga - 2025-26

1. 'नमक का दारोगा' कहानी से 3-अंकीय प्रश्न के लिए मुंशी वंशीधर के किन चारित्रिक गुणों का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है?

CBSE 2025-26 परीक्षा के लिए, 'नमक का दारोगा' से मुंशी वंशीधर के चरित्र चित्रण पर आधारित 3-अंकीय प्रश्न के उत्तर में निम्नलिखित गुणों का उल्लेख करना आवश्यक है:

  • कर्तव्यनिष्ठा: वे अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानते थे और किसी भी प्रलोभन के आगे नहीं झुकते थे।
  • ईमानदारी: पिता के रिश्वत लेने के सुझाव के विपरीत, उन्होंने ईमानदारी का मार्ग चुना।
  • निर्भीकता: उन्होंने क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति, पंडित अलोपीदीन को भी गिरफ्तार करने का साहस दिखाया।
  • सत्यनिष्ठा: उन्होंने धन के बजाय धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना चुना, जो उनकी आंतरिक शक्ति को दर्शाता है।

2. 'नमक का दारोगा' से किस प्रकार के मूल्य-आधारित प्रश्न (value-based questions) 2025-26 की परीक्षा में पूछे जाने की उम्मीद है?

इस अध्याय से अपेक्षित मूल्य-आधारित प्रश्न छात्रों की नैतिक समझ का परीक्षण करेंगे। एक संभावित प्रश्न यह हो सकता है: "'ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का मूल्य किसी भी भौतिक संपत्ति से बड़ा होता है।' 'नमक का दारोगा' कहानी के आधार पर इस कथन की विवेचना करें।" इसका उत्तर देते समय, छात्रों को वंशीधर के कार्यों और पंडित अलोपीदीन के अंतिम निर्णय का उदाहरण देकर यह सिद्ध करना होगा कि कैसे नैतिक मूल्य अंततः भौतिक धन पर विजय प्राप्त करते हैं।

3. कहानी के अंत में पंडित अलोपीदीन के हृदय परिवर्तन का क्या महत्व है? यह एक दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

पंडित अलोपीदीन का हृदय परिवर्तन कहानी का एक महत्वपूर्ण मोड़ है क्योंकि यह 'धर्म की धन पर विजय' के केंद्रीय संदेश को स्थापित करता है। दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • यह दर्शाता है कि एक व्यक्ति की अटूट ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सबसे शक्तिशाली और धनी व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकती है।
  • अलोपीदीन का वंशीधर को अपनी पूरी संपत्ति का स्थायी मैनेजर नियुक्त करना, यह स्वीकार करना है कि चरित्र की संपत्ति सांसारिक धन से कहीं अधिक मूल्यवान है।
  • यह कहानी को एक सकारात्मक और आशावादी अंत देता है, जो नैतिक मूल्यों की अंतिम जीत को स्थापित करता है।

4. 'नमक का दारोगा' कहानी का मूल संदेश क्या है और यह CBSE Class 11 के पाठ्यक्रम में क्यों शामिल है?

कहानी का मूल संदेश यह है कि कठिन परिस्थितियों में भी ईमानदारी और कर्तव्य के प्रति निष्ठा अंततः सम्मान और सफलता दिलाती है। यह दिखाती है कि नैतिक मूल्यों की शक्ति भौतिक धन और सामाजिक प्रभाव से कहीं अधिक है। इसे CBSE पाठ्यक्रम में इसलिए शामिल किया गया है ताकि छात्रों को सत्यनिष्ठा, साहस और नैतिक जिम्मेदारी जैसे मूल्यों के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके, जो एक आदर्श नागरिक के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।

5. वंशीधर के पिता द्वारा दी गई सलाह और वंशीधर के वास्तविक कार्यों के बीच क्या विरोधाभास है? यह कहानी के मुख्य संघर्ष को कैसे उजागर करता है?

वंशीधर के पिता ने उन्हें सलाह दी थी कि 'मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है' और उन्हें ऊपरी आय (रिश्वत) पर ध्यान देना चाहिए। इसके ठीक विपरीत, वंशीधर ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि माना और रिश्वत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। यह विरोधाभास कहानी के मुख्य नैतिक संघर्ष को उजागर करता है - एक ओर समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और व्यावहारिक सोच है, और दूसरी ओर एक युवा अधिकारी के आदर्श और सिद्धांत। वंशीधर का अपने पिता की सलाह के विरुद्ध जाना ही कहानी का केंद्रीय द्वंद्व है।

6. परीक्षा की दृष्टि से, 'नमक का दारोगा' में 'नमक' किसका प्रतीक है? इस प्रतीक पर आधारित एक महत्वपूर्ण प्रश्न कैसे तैयार किया जा सकता है?

परीक्षा के संदर्भ में, 'नमक' केवल एक वस्तु नहीं है, बल्कि यह ईमानदारी, कर्तव्य और राष्ट्र के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। जिस प्रकार नमक भोजन के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा एक समाज के लिए आवश्यक है। इस पर आधारित एक महत्वपूर्ण प्रश्न हो सकता है: "'नमक का दारोगा' कहानी में नमक के प्रतीकात्मक अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताइए कि लेखक ने इसे कहानी का केंद्रीय तत्व क्यों बनाया?"

7. क्या पंडित अलोपीदीन का हृदय परिवर्तन केवल एक नैतिक epiphany था, या यह एक चतुर व्यवसायी का व्यावहारिक निर्णय भी था?

यह एक उच्च-स्तरीय चिंतन प्रश्न (HOTS) है। ऊपरी तौर पर यह एक नैतिक epiphany लगता है, लेकिन गहराई से देखने पर यह एक व्यावहारिक निर्णय भी है। पंडित अलोपीदीन, एक अनुभवी और चतुर व्यवसायी होने के नाते, यह समझ गए थे कि वंशीधर जैसा ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति उनकी विशाल संपत्ति की देखभाल के लिए सबसे विश्वसनीय व्यक्ति हो सकता है। उन्होंने वंशीधर की ईमानदारी में अपनी संपत्ति की दीर्घकालिक सुरक्षा देखी, जो किसी भी भ्रष्ट प्रबंधक से संभव नहीं थी। अतः, यह नैतिक जागृति और व्यावसायिक बुद्धिमत्ता का एक संयोजन था।

8. CBSE 2025-26 की परीक्षा के लिए 'नमक का दारोगा' अध्याय से कौन से दो दृश्य व्याख्या (passage explanation) के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं?

व्याख्या-आधारित प्रश्नों के लिए, दो दृश्य विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं:

  1. नदी के तट पर टकराव का दृश्य: जब वंशीधर, पंडित अलोपीदीन की गाड़ियों को रोकते हैं और उनके बीच संवाद होता है। यह दृश्य धन और धर्म के बीच सीधे टकराव को दर्शाता है।
  2. कहानी का अंतिम दृश्य: जब पंडित अलोपीदीन स्वयं वंशीधर के घर जाकर उन्हें अपनी संपत्ति का मैनेजर नियुक्त करते हैं। यह दृश्य कहानी के संदेश और पात्रों के चरित्र परिवर्तन को चरमोत्कर्ष पर ले जाता है।

इन दृश्यों से संवाद, भाषा शैली और निहित अर्थ पर प्रश्न बन सकते हैं।