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NCERT Solutions For Class 8 Hindi Malhar Chapter 8 Nae Mehamaan - 2025-26

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Stepwise Answers for NCERT Class 8 Hindi Chapter 8 (Malhar)

Looking for reliable NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8? Here you’ll find clear, exam-ready answers from the Malhar book’s “Nae Mehamaan” chapter, crafted as per the latest CBSE 2025–26 guidelines to give you complete confidence before your Hindi exams.


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Stepwise Answers for NCERT Class 8 Hindi Chapter 8 (Malhar)

मेरी समझ से

प्रश्न 1.

आगंतुकों ने विश्वनाथ के बच्चों को ‘सीधे लड़के’ किस संदर्भ में कहा?

  • अतिथियों की सेवा करने के कारण

  • किसी तरह का प्रश्न न करने के कारण

  • आज्ञाकारिता के भाव के कारण

  • गरमी को चुपचाप सहने के कारण


उत्तर :
अतिथियों की सेवा करने के कारण


प्रश्न 2.

“एक ये पड़ोसी हैं, निर्दयी …… “विश्वनाथ ने अपने पड़ोसी को निर्दयी क्यों कहा?

  • उन्हें कष्ट में देखकर प्रसन्न होते हैं

  • पड़ोसी किसी प्रकार का सहयोग नहीं करते हैं

  • लड़ने-झगड़ने के अवसर ढूँढ़ते हैं

  • अतिथियों का अपमान करते हैं।


उत्तर :
उन्हें कष्ट में देखकर प्रसन्न होते हैं

उन्हें कष्ट में देखकर प्रसन्न होते हैं


प्रश्न 3.

“ईश्वर करें इन दिनों कोई मेहमान न आए।” रेवती इस तरह की कामना क्यों कर रही है?

  • मेहमान के ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण

  • रेवती का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक न होने के कारण

  • अतिथियों के आने से घर का कार्य बढ़ जाने के कारण

  • उसे अतिथियों का आना-जाना पसंद न होने के कारण


उत्तर :
रेवती के ऐसा कहने के पीछे कई कारण थे –

  • मेहमान के ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण

  • रेवती का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक न होने के कारण

  • अतिथियों के आने से घर का कार्य बढ़ जाने के कारण


प्रश्न 4.

“हे भगवान! कोई मुसीबत न आ जाए।” रेवती कौन-सी मुसीबत नहीं आने के लिए कहती है?


  • पानी की कमी होने की

  • पड़ोसियों के चिल्लाने की

  • मेहमानों के आने की

  • गरमी के कारण बीमारी की


उत्तर :
मेहमानों के आने की

मेहमानों के आने की


प्रश्न 5.

इस एकांकी के आधार पर बताएँ कि मुख्य रूप से कौन-सी बात किसी रचना को नाटक का रूप देती है?

  • संवाद

  • वर्णन

  • कथा

  • मंचन


उत्तर :

  • संवाद

  • मंचन


इस एकांकी के आधार पर बताएँ कि मुख्य रूप से कौन-सी बात किसी रचना को नाटक का रूप देती है?


पंक्तियों पर चर्चा

नीचे दी गई पंक्तियों का अर्थ –

(क) “पानी पीते-पीते पेट फूला जा रहा है, और प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती।”

उत्तर :
इस पंक्ति से पता चलता है कि भीषण गरमी के कारण बार–बार इतनी प्यास लग रही है कि आदमी लगातार पानी पी रहा है, पेट भर चुका है पर फिर भी होठ और गला सूख रहे हैं और प्यास खत्म ही नहीं होती।

“पानी पीते-पीते पेट फूला जा रहा है, और प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती।”


(ख) “सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।”

उत्तर :
यहाँ यह बताया गया है कि शहर में इतनी तेज गरमी पड़ रही है कि ऐसा महसूस होता है मानो सूरज की जगह आसमान से आग बरस रही हो।


(ग) “यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं।”

उत्तर :
लेखक यह संकेत देता है कि विश्वनाथ और उसकी पत्नी गरीब हैं और छोटे, बंद मकान में हर साल प्रचंड गरमी झेलने को मजबूर हैं। हवा न आने वाले इस तंग घर में वे ऐसे झुलसते रहते हैं जैसे भट्ठी में चने भूने जा रहे हों, और इसे ही वे अपना दुर्भाग्य मानकर सहते रहते हैं।


(घ) “आह, अब जान में जान आई। सचमुच गरमी में पानी ही तो जान है।”

उत्तर :
यह वाक्य नन्हेमल ने तब कहा जब वह गरमी से बेचैन था और ठंडा पानी पीकर उसे राहत मिली। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि तेज गरमी में ठंडा पानी सचमुच जीवन–दायी महसूस होता है और शरीर में नई ऊर्जा भर देता है।

मिलकर करें मिलान

स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उनसे मिलते-जुलते भाव दिए गए हैं। स्तंभ 1 की पंक्तियों को स्तंभ 2 की उनके सही भाव वाली पंक्तियों से रेखा खींचकर मिलाइए –

स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उनसे मिलते-जुलते भाव दिए गए हैं। स्तंभ 1 की पंक्तियों को स्तंभ 2 की उनके सही भाव वाली पंक्तियों से रेखा खींचकर मिलाइए –


उत्तर:
1 – 3
2 – 4
3 – 5
4 – 1
5 – 2


सोच–विचार के लिए

सोच–विचार के लिए


(क) “शहर में तो ऐसे ही मकान होते हैं।” नन्हेमल का ‘ऐसे ही मकान’ से क्या आशय है?

उत्तर :
‘ऐसे ही मकान’ से नन्हेमल का मतलब उन तंग और बंद डिब्बानुमा मकानों से है, जिनमें न ठीक से हवा आती है और न ही खुली धूप। ऐसे घरों में रहना किसी बंद जेल–खाने में रहने जैसा लगता है, फिर भी शहरों में मध्यमवर्ग के पास ज़्यादातर इसी तरह के असुविधाजनक मकान होते हैं।


(ख) पड़ोसी को विश्वनाथ से किस तरह की शिकायत है? आपके विचार से पड़ोसी का व्यवहार उचित है या अनुचित?

उत्तर :
पड़ोसी की शिकायत थी कि विश्वनाथ के घर अक्सर मेहमान आते हैं और वे छत पर हाथ–मुँह धोते समय गंदा पानी उसकी छत पर गिरा देते हैं। इसी बात पर वह गुस्से में विश्वनाथ के घर बहस करने पहुँच जाता है और उसे उल्टा–सीधा कहता है।
मेरी दृष्टि में पड़ोसी का व्यवहार ठीक नहीं है। एक अच्छे पड़ोसी को मिल–जुलकर रहना चाहिए, बात को शांति से समझाना चाहिए, न कि छोटी–छोटी बातों पर झगड़ा करके संबंध बिगाड़ने चाहिए।

(ख) पड़ोसी को विश्वनाथ से किस तरह की शिकायत है? आपके विचार से पड़ोसी का व्यवहार उचित है या अनुचित?


(ग) विश्वनाथ नन्हेमल और बाबूलाल को नहीं जानता है, फिर भी उन्हें अपने घर में आने देता है। क्यों?

उत्तर :
विश्वनाथ स्वभाव से सरल, संस्कारी और शिष्ट व्यक्ति है। वह किसी को भी अपमानित नहीं करना चाहता। जब नन्हेमल और बाबूलाल उसके घर आ जाते हैं, तो उसे लगता है कि अवश्य कोई परिचित व्यक्ति ही उन्हें उसके यहाँ भेजा होगा। इस संदेह को दूर करने के लिए वह बार–बार उनसे पूछताछ भी करता है, फिर भी वह अतिथि–भाव से उन्हें घर के भीतर बैठा लेता है।


(घ) एकांकी के उन संवादों को ढूँढ़कर लिखिए जिनसे पता चलता है कि बाबूलाल और नन्हेमल विश्वनाथ के परिचित नहीं हैं?

उत्तर :
निम्न संवादों से साफ पता चलता है कि वे एक–दूसरे के परिचित नहीं हैं –

  • विश्वनाथ – “जी, आप लोग…?”

  • विश्वनाथ – “क्षमा कीजिए, आप कहाँ से पधारे हैं?”

  • नन्हेमल – “अरे, आप नहीं जानते! वह लाला संपतराम हैं ना गोटेवाले…”

  • विश्वनाथ – “मैं संपतराम को नहीं जानता।”

  • विश्वनाथ – “आप कहाँ से आए हैं?”

  • रेवती – “ये लोग कौन हैं? जान–पहचान के तो मालूम नहीं होते।”

  • विश्वनाथ – “ना जाने कौन हैं?”

  • रेवती – “पूछ लो न?”

  • विश्वनाथ – “क्या पूछ लूँ? दो–तीन बार पूछा, ठीक से उत्तर ही नहीं देते।”

  • नन्हेमल – “हाँ, हाँ पूछिए, मालूम होता है, आपने हमें पहचाना नहीं।”

  • विश्वनाथ – “तो आप कोई चिट्ठी–विट्ठी लाए हैं?”

  • विश्वनाथ – “(खीझकर) जिसके यहाँ आपको जाना है उसका नाम भी तो बताया होगा?”

  • बाबूलाल – “क्या नाम था चाचा?”

  • नन्हेमल – “नाम तो याद नहीं आता। जरा ठहरिए, सोच लूँ।”

  • बाबूलाल – “अरे चाचा! कविराज बताया था।”

  • विश्वनाथ – “लेकिन मैं कविराज तो नहीं हूँ।”

  • विश्वनाथ – “आपको जिनके यहाँ जाना था, वे काम क्या करते हैं?”

  • नन्हेमल – “हाँ, याद आया। बताया था वैद्य हैं।”

  • विश्वनाथ – “पर मैं तो वैद्य नहीं हूँ।”

इन संवादों से साबित होता है कि दोनों पक्ष एक–दूसरे के बारे में पहले से कुछ नहीं जानते।


(ङ) एकांकी के उन वाक्यों को ढूँढ़कर लिखिए जिनसे पता चलता है कि शहर में भीषण गरमी पड़ रही है।

उत्तर :
तेज़ गरमी का चित्रण करने वाले संवाद इस प्रकार हैं –

  • “ओह! बड़ी गरमी है! इन बंद मकानों में रहना कितना भयंकर है? मकान हैं कि भट्ठी!”

  • “पत्ता तक नहीं हिल रहा है। जैसे साँस बंद हो जाएगी। सिर फटा जा रहा है।”

  • “आँगन में घड़े में भी पानी ठंडा नहीं होता।”

  • “पानी पीकर पेट फूला जा रहा है और प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं लेती।”

  • “सारे शहर में जैसे आग बरस रही है। यहाँ की गरमी से तो ईश्वर बचाए।”

  • “सारा शरीर मारे गरमी के उबल रहा है।”

  • “चारों तरफ दीवारें तप रही हैं।”

  • “बड़ी गरमी है क्या कहें। कपड़े तो ऐसे हो गए हैं कि निचोड़ लो।”

  • “ठंडा–ठंडा पानी पिलाओ, प्राण सूखे जा रहे हैं।”

अनुमान और कल्पना से

अनुमान और कल्पना से


(क) … उसने स्वयं अतिथियों के लिए भोजन बनाने के विषय में क्यों नहीं सोचा?

उत्तर :
विश्वनाथ दिन भर काम करके थका–हारा घर लौटता था और घर का खाना रोज़ उसी की पत्नी रेवती बनाती थी। उसे स्वयं खाना बनाना आता भी नहीं था। अतिथि आने पर उसने स्वाभाविक रूप से रेवती से ही भोजन तैयार करने के लिए कहा। जब रेवती ने सिर दर्द और तबीयत की तकलीफ़ बताई, तब उसने बाहर से खाना मँगाने का सुझाव भी दिया, लेकिन खर्च की वजह से वह बात भी रेवती को ठीक नहीं लगी। इसी सब के कारण विश्वनाथ ने खुद के बजाय रेवती से ही भोजन बनाने को कहा।


(ख) प्रमोद को इस तरह के उत्तरदायित्व क्यों दिए गए होंगे?

उत्तर :
प्रमोद घर का बड़ा बेटा है और किरण उसकी छोटी बहन। विश्वनाथ चाहता था कि बेटे में अच्छे संस्कार आएँ – घर आए मेहमानों की सेवा करना, पानी पिलाना, काम में हाथ बँटाना और अपनी छोटी बहन का ख्याल रखना। इसलिए उसने बर्फ लाने, पानी पिलाने और बहन की देखभाल का ज़िम्मा प्रमोद को दिया, ताकि वह जिम्मेदार होना और परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाना सीख सके।


(ग) भीषण गरमी और सिर में दर्द के बावजूद भी रेवती भोजन की व्यवस्था करने के लिए क्यों तैयार हो गई होगी?

उत्तर :
जैसे ही रेवती को पता चला कि मेहमान के रूप में उसका अपना भाई आया है, उसकी खुशी के आगे सिरदर्द और थकान पीछे छूट गए। भाई के प्रति उसके स्नेह और अपनापन ने उसे प्रेरित किया कि वह स्वयं ही अच्छे से भोजन बनाए, मिठाई का प्रबंध करे और भाई की भरपूर खातिरदारी करे। इसलिए वह गरमी और बीमारी को नजरअंदाज करके तुरंत रसोई की तैयारी में लग जाती है।



गर्मी की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ

सर्दी की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ

वर्षा की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ

यह गर्मी में भूना रहा है।

यह सर्दी में जम गया।

यह वर्षा में भीग रहा है।

पर बर्फ भी कोई कहाँ तक पिघले।



सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।



प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती।



चारों तरफ दीवारें तप रही हैं।



ठंडा–ठंडा पानी पिलाओ दोस्त, प्राण सूखे जा रहे हैं।



सचमुच गर्मी में पानी ही तो जान है।



यह तो हमारा ही भाग्य है कि जले हुए चने की तरह भाभ भूने रहे हैं।



फिर भी पसीने से नहा गया हूँ।




(घ) गरमी की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ और सर्दी/वर्षा के लिए वाक्य

उत्तर (नया – तालिका के भाव वही रखते हुए नए वाक्य):

गरमी की भीषणता

सर्दी की भीषणता

वर्षा की भीषणता

1. यह गरमी में भुन रहा है।

यह ठंड में बिल्कुल जम गया है।

यह तेज बारिश में पूरी तरह भीग गया है।

2. पर बरफ भी कोई कहाँ तक पिए।

गर्म चाय भी कुछ देर में बर्फ जैसी ठंडी हो गई।

इतनी तेज बरसात हुई कि खेत की फसल बह गई।

3. सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।

पूरे शहर पर मानो बर्फ़ीली हवा छा गई हो।

पूरे शहर की गलियों में पानी ही पानी भर गया।

4. प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती।

ठंड है कि कम होने का नाम ही नहीं लेती।

बरसात है कि रुकने का नाम नहीं ले रही।

5. चारों तरफ दीवारें तप रही हैं।

ठंडी फ़र्श पर पैर रखते ही पैरों में झनझनाहट होने लगती है।

बारिश से छत टपक रही है और पानी कमरे में घुस रहा है।

6. ठंडा–ठंडा पानी पिलाओ दोस्त, प्राण सूखे जा रहे हैं।

गरम–गरम चाय दे दो दोस्त, ठंड से कँपकँपी छूट रही है।

छाता दे दो मित्र, तेज बारिश में पूरा भीग रहा हूँ।

7. सचमुच गरमी में पानी ही तो जान है।

कड़ाके की ठंड में गर्म सूप और चाय ही सुकून देते हैं।

बरसात में गरम चाय–पकौड़े मन को ताज़गी दे देते हैं।

8. यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं।

हमारा ही नसीब है कि हर सर्दी बिना गर्म कपड़ों के काटनी पड़ती है।

किस्मत ही ऐसी है कि टूटी छत से हर बरसात में घर में पानी टपकता रहता है।

9. फिर भी पसीने से नहा गया हूँ।

इतनी ठंड पड़ी कि हाथ–पैर सुन्न हो गए।

बारिश में इतना भीग गया कि कपड़े शरीर से चिपक गए।


एकांकी की रचना

एकांकी की रचना


इस एकांकी के आरंभ में पात्र – परिचय, स्थान, समय और विश्वनाथ और रेवती के घर के विषय में बताया गया है, जैसे कि –

  • “गरमी की ऋतु, रात के आठ बजे का समय । कमरे के पूर्व की ओर दो दरवाजे…”

  • विश्वनाथ – उफ्फ, बड़ी गरमी है (पंखा जोर-जोर से करने लगता है) इन बंद मकानों में रहना कितना भयंकर है। मकान है कि भट्टी !
    (पश्चिम की ओर से एक स्त्री प्रवेश करती है)

  • रेवती – (आँचल से मुँह का पसीना पोंछती हुई) पत्ता तक नहीं हिल रहा है। जैसे साँस बंद हो जाएगी। सिर फटा जा रहा है।

एकांकी की इन पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए। इन्हें पढ़कर स्पष्ट पता चल रहा है कि पहली पंक्ति समय और स्थान आदि के विषय में बता रही है। इसे रंगमंच – निर्देश कहते हैं। वहीं दूसरी पंक्तियों से स्पष्ट है कि ये दो लोगों द्वारा कही गई बातें हैं। इन्हें संवाद कहा जाता है। ये ‘नए मेहमान’ एकांकी का एक अंश है।

एकांकी एक प्रकार का नाटक होता है जिसमें केवल एक ही अंक या भाग होता है। इसमें किसी कहानी या घटना को संक्षेप में दर्शाया जाता है। आप इस एकांकी में ऐसी अनेक विशेषताएँ खोज सकते हैं। (जैसे- इस एकांकी में कुछ संकेत कोष्ठक में दिए गए हैं, पात्र – परिचय, अभिनय संकेत, वेशभूषा संबंधी निर्देश आदि ।)

(क) अपने समूह में मिलकर इस एकांकी की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर :

एकांकी की मुख्य विशेषताएँ –

  • कहानी की शुरुआत में पात्रों का संक्षिप्त लेकिन स्पष्ट परिचय दिया गया है।

  • मंचन के लिए स्थान, समय और वातावरण का साफ–साफ चित्रण मिलता है।

  • पात्रों की वेशभूषा और सेट (कमरे की सजावट आदि) कथा की जरूरत के अनुसार सोचे गए हैं।

  • संवाद छोटे, प्रभावी और सीधे कहानी को आगे बढ़ाने वाले हैं।

  • बीच–बीच में अभिनय, हाव–भाव और मंच–निर्देश कोष्ठकों में दिए गए हैं, जिससे प्रस्तुति आसान हो जाती है।

  • जिज्ञासा पैदा करने वाले प्रश्नों का समाधान कहानी के बहाव में ही मिल जाता है।

  • अंत ऐसा है कि दर्शक/पाठक को संतोष भी मिलता है और संदेश भी।


(ख) आगे कुछ वाक्य दिए गए हैं। एकांकी के बारे में जो वाक्य आपको सही लग रहे हैं, उनके सामने ‘हाँ’ लिखिए। जो वाक्य सही नहीं लग रहे हैं, उनके सामने ‘नहीं’ लिखिए ।


वाक्य

हाँ/नहीं

‘नए मेहमान’ एकांकी में पूरी कहानी एक ही स्थान, घर में घटित होती दिखाई गई है।


एकांकी में पात्रों की संख्या बहुत अधिक है।


एकांकी में एक कहानी छिपी है।


एकांकी और कहानी में कोई अंतर नहीं है।


एकांकी में कहानी की घटनाएँ अलग-अलग दिनों या महीनों में हो रही हैं।


एकांकी में कहानी मुख्य रूप से संवादों से आगे बढ़ती है।


एकांकी में पात्रों को अभिनय के लिए निर्देश दिए गए हैं।



ये सिर्फ तथ्यात्मक मार्किंग है, इन्हें बदलने की ज़रूरत नहीं:


वाक्य

हाँ/नहीं

‘नए मेहमान’ एकांकी में पूरी कहानी एक ही स्थान, घर में घटित होती दिखाई गई है।

हाँ

एकांकी में पात्रों की संख्या बहुत अधिक है।

नहीं

एकांकी में एक कहानी छिपी है।

हाँ

एकांकी और कहानी में कोई अंतर नहीं है।

नहीं

एकांकी में कहानी की घटनाएँ अलग-अलग दिनों या महीनों में हो रही हैं।

नहीं

एकांकी में कहानी मुख्य रूप से संवादों से आगे बढ़ती है।

हाँ

एकांकी में पात्रों को अभिनय के लिए निर्देश दिए गए हैं।

हाँ



अभिनय की बारी

(क) क्या आपने कभी मंच पर कोई एकांकी या नाटक देखा है ? टीवी पर फिल्में और धारावाहिक तो अवश्य देखे होंगे! अपने अनुभवों से बताइए कि यदि आपको अपने विद्यालय में ‘नए मेहमान’ एकांकी का मंचन करना हो तो आप क्या – क्या तैयारियाँ करेंगे।
(उदाहरण के लिए- इस एकांकी में आप क्या – क्या जोड़ेंगे जिससे यह और अधिक रोचक बने, कौन-से पात्र जोड़ेंगे या पात्रों की वेशभूषा क्या रखेंगे ?)

उत्तर :
अगर हमें स्कूल में ‘नए मेहमान’ का मंचन करना हो तो सबसे पहले हम उन विद्यार्थियों का चुनाव करेंगे जो विश्वनाथ, रेवती, प्रमोद, किरण, नन्हेमल, बाबूलाल आदि के पात्र अच्छी तरह निभा सकें। फिर सबको उनके संवाद याद करवाए जाएँगे और नियमित रिहर्सल कराई जाएगी।

मंच पर कुर्सी, पलंग, घड़ा, गिलास, हाथ–पंखा, दरवाज़े आदि जैसी चीज़ें सजाकर घर जैसा वातावरण बनाया जाएगा। संवादों के बीच में एक संवाद–वाचक भी रखा जा सकता है जो कहानी को आगे बढ़ाए।

वेशभूषा साधारण मध्यमवर्गीय परिवार जैसी ही होगी, ताकि नाटक स्वाभाविक लगे। चाहें तो अंत में मामाजी के साथ उनके बच्चे और मामी को भी प्रवेश कराकर नाटक को और रोचक बनाया जा सकता है।

(दूसरा हिस्सा “छात्र स्वयं करेंगे” वैसा ही रह सकता है।)


(ख) अब आपको अपने – अपने समूह में इस एकांकी को प्रस्तुत करने की तैयारी करनी है। इसके लिए आपको यह सोचना है कि कौन किस पात्र का अभिनय करेगा। आपके शिक्षक आपको तैयारी के बाद अभिनय के लिए निर्धारित समय देंगे (जैसे 10 मिनट या 15 मिनट) । आपको इतने ही समय में एकांकी प्रस्तुत करनी है। बारी-बारी से प्रत्येक समूह एकांकी प्रस्तुत करेगा ।

उत्तर:
छात्र स्वयं करेंगे।


भाषा की बात 

“सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।”
” चारों तरफ दीवारें तप रही हैं ।”
“यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं ।”
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द गरमी की प्रचंडता को दर्शा रहे हैं कि तापमान अत्यधिक है।
एकांकी में इस प्रकार के और भी प्रयोग हुए हैं जहाँ शब्दों के माध्यम से विशेष प्रभाव उत्पन्न किया गया है, उन प्रयोगों को छाँटकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए

  1. साँस बंद हो जाएगी – मुहावरा

    • अर्थ: बहुत ज्यादा घुटन या परेशानी महसूस होना।

    • वाक्य: इतनी भीड़ और घुटन थी कि लगा मेरी तो साँस ही बंद हो जाएगी।

  2. गरीबों की तो मौत है – कहावत

    • अर्थ: गरीब को हर समय कठिनाइयों और तकलीफ़ों से जूझना पड़ता है।

    • वाक्य: महँगाई बढ़ते ही सबसे ज़्यादा मार तो गरीबों पर ही पड़ती है, सच में गरीबों की तो मौत है।

  3. प्राण सूखे जा रहे हैं – मुहावरा

    • अर्थ: बहुत घबराहट या डर लगना।

    • वाक्य: परीक्षा का रिज़ल्ट सुनने से पहले मेरे तो प्राण सूखे जा रहे थे।

  4. गरमी के मारे उबल उठना – मुहावरा

    • अर्थ: गरमी से बेहद बेचैन और परेशान हो जाना।

    • वाक्य: तीखी धूप में घंटों खड़े–खड़े मैं गरमी के मारे उबल उठा।

  5. चौपट होना – मुहावरा

    • अर्थ: पूरी तरह नष्ट या बर्बाद हो जाना।

    • वाक्य: अचानक आई आँधी–बारिश में किसानों की फसल चौपट हो गई।

  6. हाथ–पैर सुन्न होना – मुहावरा

    • अर्थ: डर, ठंड या घबराहट से शरीर ढीला–ढाला पड़ जाना।

    • वाक्य: अँधेरी गुफा में घुसते ही मेरे हाथ–पैर सुन्न होने लगे।

  7. शांत होना – मुहावरा

    • अर्थ: मन को संयमित और धैर्यपूर्ण रखना।

    • वाक्य: गुस्से में फैसला लेने के बजाय हमें पहले शांत होकर सोच लेना चाहिए।

  8. पहले आत्मा, फिर परमात्मा – कहावत

    • अर्थ: पहले खुद का ध्यान रखना, तभी दूसरों के लिए कुछ कर पाओगे।

    • वाक्य: अपनी सेहत का ख़्याल रखो, फिर दूसरों की मदद करो – आखिर “पहले आत्मा, फिर परमात्मा”।

  9. धुन सवार होना – मुहावरा

    • अर्थ: किसी बात को लेकर ज़िद या जुनून सवार हो जाना।

    • वाक्य: उसके सिर पर नई साइकिल लेने की ऐसी धुन सवार है कि वह दिन–रात उसी की बात करता है।

  10. अपनी हाँकना – मुहावरा

    • अर्थ: सिर्फ अपनी ही बात पर ज़ोर देना, दूसरों को न सुनना।

    • वाक्य: तुम हमेशा अपनी ही हाँकते रहते हो, कभी दूसरों की राय भी सुन लिया करो।

  11. सिर फटना – मुहावरा

    • अर्थ: बहुत ज़्यादा मानसिक तनाव या चिड़चिड़ापन महसूस होना।

    • वाक्य: दिन भर के शोर–शराबे के बाद मेरा तो सिर फटने लगा।



मुहावरे

मुहावरे


“आज दो साल से दिन-रात एक करके ढूँढ़ रहा हूँ ।”
“लाखों के आदमी खाक मिल गए।”

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित वाक्यांश ‘रात-दिन एक करना’ तथा ‘खाक में मिलना’ मुहावरों का प्रायोगिक रूप है। ये वाक्य में एक विशेष प्रभाव उत्पन्न कर रहे हैं। एकांकी में आए अन्य मुहावरों की पहचान करके लिखिए और उनके अर्थ समझते हुए उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।

उत्तर:

साँस बंद हो जाएगी – मुहावरा
अर्थ: साँस लेने में कठिनाई होना।
वाक्य: इस कमरे में इतनी घुटन है कि मेरी तो साँसें बंद हो रही हैं।

गरीबों की तो मौत है – कहावत
अर्थ: गरीबों को हमेशा परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वाक्य: कितना भी विकास हो जाए, गरीबों पर कोई ध्यान नहीं देता—उनकी तो हर दिन मौत है।

प्राण सूखे जा रहे हैं – मुहावरा
अर्थ: बहुत अधिक डर जाना।
वाक्य: शेर को सामने देखकर मेरे तो प्राण सूख गए।

गर्मी के मारे उबल उठना – मुहावरा
अर्थ: अधिक गर्मी के कारण परेशान होना।
वाक्य: आज की भयानक गर्मी ने मुझे तो उबाल ही दिया।

चौपट होना – मुहावरा
अर्थ: नष्ट हो जाना।
वाक्य: लगातार बारिश से मेरी पूरी फसल चौपट हो गई।

हाथ-पैर सुन्न होना – मुहावरा
अर्थ: घबराहट या डर से शरीर ढीला पड़ जाना।
वाक्य: जंगल से गुजरते हुए मेरे हाथ-पैर सुन्न हो रहे थे।

शांत होना – मुहावरा
अर्थ: धैर्य बनाए रखना।
वाक्य: जल्दबाजी में काम बिगड़ जाते हैं, इसलिए शांत होकर काम करना चाहिए।

पहले आत्मा, फिर परमात्मा – कहावत
अर्थ: पहले अपना ध्यान रखना चाहिए, तभी दूसरों की मदद कर सकते हैं।
वाक्य: मैं पहले अपना काम पूरा कर लूँगी, फिर तुम्हारी मदद करूँगी—पहले आत्मा, फिर परमात्मा।

धुन सवार होना – मुहावरा
अर्थ: किसी बात पर अड़ जाना।
वाक्य: रोहित के मन में नई कार खरीदने की धुन सवार हो गई है, वह लेकर ही मानेगा।

अपनी हाँकना – मुहावरा
अर्थ: केवल अपनी ही बात कहना।
वाक्य: तुम हमेशा अपनी ही हाँकते रहते हो, कभी दूसरों की भी सुन लिया करो।

सिर फटना – मुहावरा
अर्थ: मानसिक तनाव होना।
वाक्य: घर की अव्यवस्था देखकर मेरा सिर फटने लगा।


बात पर बल देना

बात पर बल देना


“वह तो कहो, मैं भी ढूँढ़कर ही रहा ।”
उपर्युक्त वाक्य से रेखांकित शब्द ‘ही’ हटाकर पढ़िए-
“वह तो कहो, मैं भी ढूँढ़कर रहा”

(क) दो-दो के जोड़े में चर्चा कीजिए कि वाक्य में ‘ही’ के प्रयोग से किस बात को बल मिल रहा था और ‘ही’ हटा देने से क्या कमी आई ?


उत्तर :
वाक्य में ‘ही’ लगाने से उसी बात पर ज़ोर पड़ता है। जैसे –
“मैं भी ढूँढ़कर ही रहा।”
यहाँ ‘ही’ यह दिखाता है कि वक्ता ने कितनी जिद और लगन के साथ ढूँढ़ने का काम किया। ‘ही’ हटाने पर वाक्य साधारण सूचना जैसा लगता है और जोर कम हो जाता है।


(ख) नीचे लिखे वाक्यों में ऐसे स्थान पर ‘ही’ का प्रयोग कीजिए कि वे सामने लिखा अर्थ देने लगे-


(ख) नीचे लिखे वाक्यों में ऐसे स्थान पर ‘ही’ का प्रयोग कीजिए कि वे सामने लिखा अर्थ देने लगे-


दिए गए अर्थ के अनुसार ‘ही’ जोड़कर:

  1. विश्वनाथ के अतिथि ही यहाँ रुकेंगे और किसी के अतिथि नहीं।

  2. विश्वनाथ के अतिथि ही यहाँ रुकेंगे, यहाँ के अलावा और कहीं नहीं।

  3. विश्वनाथ के अतिथि ही यहाँ रुकेंगे, यह तय हो चुका है।

• “तुम नहाने तो जाओ।”,
उपर्युक्त वाक्य में ‘तो’ का स्थान बदलकर अर्थ में आए परिवर्तन पर ध्यान दें-
” तुम तो नहाने जाओ।”
“तुम नहाने जाओ तो ।”
‘ही’ और ‘तो’ के ऐसे और प्रयोग करके वाक्य बनाइए।

तुम नहाने तो जाओ

‘ही’ के प्रयोग –

  • मैं तुमसे ही बात कर रहा हूँ, किसी और से नहीं।

  • रमेश ने वही बात कही जो सही थी, उसने सच ही कहा।

  • अब तुम यहाँ से चले ही जाओ, देर हो रही है।

‘तो’ के प्रयोग –

  • मैं तो आज ज़रूर फिल्म देखने जाऊँगा।

  • बच्चे तो शरारती होते ही हैं, उन्हें प्यार से संभालना पड़ता है।

  • गीता तो घूमने की बात सुनते ही तैयार हो जाती है।

पाठ से आगे – आपकी बात

(क) “ रेवती – ये लोग कौन हैं ? जान-पहचान के तो मालूम नहीं पड़ते।

उत्तर :
हाँ, मेरे साथ भी ऐसी स्थिति आई है जब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कौन–सा निर्णय सही होगा। अक्सर दुविधा तब पैदा होती है जब हमारे सामने दो विकल्प हों और दोनों के अपने–अपने फायदे–नुकसान हों।
एक बार पापा का तबादला दूसरे शहर हो गया। माँ और छोटी बहन उनके साथ जाने की तैयारी कर रहे थे। मैं सोच रहा था कि क्या अपने पुराने स्कूल और दोस्तों को छोड़ दूँ या मौसी के घर रहकर पढ़ाई जारी रखूँ। शुरू में लगा कि मौसी के पास रहना ठीक रहेगा, लेकिन जैसे–जैसे जाने का समय करीब आया, माता–पिता से दूर रहने का डर और उदासी बढ़ने लगी। दो–तीन दिन तक मैं निर्णय नहीं ले पाया। अंत में मैंने निश्चय किया कि मैं भी पापा–माँ के साथ ही नए शहर चला जाऊँगा।


(ख) एकांकी से ऐसा लगता है कि नन्हेमल और बाबूलाल सगे संबंधी ही नहीं, अच्छे मित्र भी हैं। आपके अच्छे मित्र कौन-कौन हैं? वे आपको क्यों प्रिय हैं ?


उत्तर :
मेरे सबसे अच्छे मित्र का नाम राहुल है, वह मेरे पड़ोस में रहता है। बहुत से दोस्त स्कूल और कॉलोनी में हैं, लेकिन राहुल मुझे सबसे ज्यादा करीब लगता है, क्योंकि वह हमेशा मेरे साथ खड़ा रहता है।
जब मैं गलती करता हूँ तो वह प्यार से समझाता भी है, होमवर्क में मदद करता है और समय पर काम खत्म करने के लिए प्रेरित करता है। मैं उदास होऊँ तो वह मज़ाक और बातें करके मुझे हँसा देता है, इसीलिए वह मुझे बहुत प्रिय है।


(ग) आप अपने किसी संबंधी या मित्र के घर जाने से पहले क्या – क्या तैयारी करते हैं?


उत्तर :
जब हम किसी रिश्तेदार या मित्र के घर जाते हैं, तो सबसे पहले उन्हें फोन या संदेश से बता देते हैं कि हम किस दिन और लगभग किस समय पहुँचेंगे, ताकि उन्हें अचानक असुविधा न हो।
अक्सर हम उनके लिए फल, मिठाई या कोई छोटा–सा उपहार भी साथ ले जाते हैं। इस तरह बताकर जाने से वे भी हमारे स्वागत की तैयारी कर लेते हैं और मिलने का समय दोनों के लिए सहज रहता है।


(घ) विश्वनाथ के पड़ोसी उनका किसी प्रकार से भी सहयोग नहीं करते हैं। आप अपने पड़ोसियों का किस प्रकार से सहयोग करते हैं?


उत्तर :
हम अपने पड़ोसियों के साथ हमेशा सौहार्द और अपनापन बनाए रखने की कोशिश करते हैं। वे हमारे सुख–दुख में शामिल होते हैं और हम भी जरूरत पड़ने पर उनका साथ देते हैं।
कभी घर में कोई चीज़ अचानक कम पड़ जाए तो हम एक–दूसरे से ले–दे लेते हैं। माँ–पापा बाहर जाएँ तो हम पड़ोसी अंकल–आंटी के घर सुरक्षित रहते हैं। त्योहारों पर मिलकर शुभकामनाएँ देते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और एक–दूसरे का ख्याल रखते हैं। इस तरह पड़ोसी हमारे लिए परिवार जैसे बन जाते हैं।


(ङ) नन्हेमल और बाबूलाल का व्यवहार सामान्य अतिथियों जैसा नहीं है। आपके अनुसार सामान्य अतिथियों का व्यवहार कैसा होना चाहिए?

उत्तर :
नन्हेमल और बाबूलाल का व्यवहार एक साधारण, शिष्ट अतिथि जैसा नहीं था। वे बिना ठीक से पता किए किसी अजनबी के घर मेहमान बनकर टिकने लगे, जबकि उन्हें यह भी नहीं मालूम था कि वे सही व्यक्ति के घर आए हैं या नहीं। घर की तंगी और असुविधा देखकर भी वे खुद को मेज़बान पर थोपते रहे।
एक अच्छे अतिथि को हमेशा मेज़बान की परिस्थिति और सुविधा का ख्याल रखना चाहिए। जहाँ जगह की तंगी हो या आर्थिक दिक्कत दिखे, वहाँ मेहमान को हल्का–फुल्का और सहयोगी बनकर रहना चाहिए, बोझ बनकर नहीं।


सावधानी और सुरक्षा

(क) विश्वनाथ ने नन्हेमल और बाबूलाल से उनका परिचय नहीं पूछा और उन्हें घर के भीतर ले आए। यदि आप उनके स्थान पर होते तो क्या करते ?


उत्तर :
अगर मैं विश्वनाथ की जगह होता, तो किसी भी अनजान व्यक्ति को सीधे घर के अंदर नहीं आने देता। आज के समय में सुरक्षा बहुत ज़रूरी है। पहले दरवाज़े पर ही उनसे नाम, आने का कारण, किसके यहाँ जाना है और किसने भेजा है – ये सब पूछ लेता। जब तक पूरी पहचान और भरोसा न हो जाए, तब तक उन्हें बैठक या दरवाज़े पर ही रोकता, और उचित लगे तभी भीतर बुलाता।


(ख) आपके माता-पिता या अभिभावक की अनुपस्थिति में यदि कोई अपरिचित व्यक्ति आए तो आप क्या-क्या सावधानियाँ बरतेंगे ?


उत्तर :
अगर माता–पिता घर पर न हों और कोई अपरिचित व्यक्ति आ जाए तो सबसे पहले मैं दरवाज़ा पूरी तरह नहीं खोलूँगा। नम्रता से उनसे बात करूँगा और कहूँगा कि मम्मी–पापा अभी घर पर नहीं हैं, आप बाद में आकर उनसे मिलें।
मैं उन्हें अंदर आने की अनुमति नहीं दूँगा, चाहे सामने वाला कुछ भी कहे या नाराज़ हो। उसके जाने के बाद माता–पिता को उनकी जानकारी ज़रूर दूँगा, ताकि वे आगे उस व्यक्ति के बारे में फैसला कर सकें।


सृजन

सृजन


(क) आपने यह एकांकी पढ़ी। इस एकांकी में एक कहानी कही गई है। उस कहानी को अपने शब्दों में लिखिए । (जैसे- एक दिन मेरे घर में मेहमान आ गए…)

उत्तर :
एक दिन विश्वनाथ के घर दो ऐसे मेहमान आ जाते हैं जिन्हें वह पहचानता भी नहीं। वे बिना स्पष्ट परिचय दिए सीधे उसके घर में घुस आते हैं।
विश्वनाथ और उसकी पत्नी रेवती दोनों समझ नहीं पाते कि ये कौन हैं। विश्वनाथ बार–बार पूछता है, पर दोनों टालमटोल करते रहते हैं – कभी किसी कविराज का नाम लेते हैं, कभी वैद्य का। इस बीच वे स्नान, भोजन और आराम की बातें करने लगते हैं।
गरमी बहुत है, घर छोटा और बंद है, ऊपर से रेवती की तबीयत भी ठीक नहीं। फिर भी अतिथि–भाव के कारण दोनों पति–पत्नी उनकी सेवा में लगे रहते हैं। भोजन की बात उठते ही रेवती सिरदर्द का बहाना बनाकर बाहर से खाना मँगाने का सुझाव ठुकरा देती है।
आखिरकार बातचीत से पता चलता है कि नन्हेमल और बाबूलाल गलत पते पर आ गए हैं; उन्हें किसी और गली में रहने वाले वैद्य के घर जाना था। वे शर्मिंदा होकर माफी माँगते हैं और वहाँ से चले जाते हैं।

दोनों के चले जाने के बाद विश्वनाथ और रेवती राहत महसूस ही करते हैं कि तभी रेवती का भाई मेहमान बनकर पहुँच जाता है। अभी तक सिरदर्द की शिकायत करने वाली रेवती भाई को देखकर एकदम चहक उठती है, मिठाई और खाने की तैयारी करने लगती है। यह देखकर विश्वनाथ को भी मजाक में अपनी पत्नी के बदलते व्यवहार पर आश्चर्य होता है।


गरमी के प्रकोप |
प्रश्न- “तमाम शरीर मारे गरमी के उबल उठा है।”
एकांकी में भीषण गरमी का वर्णन किया गया है। आप गरमी के प्रकोप से बचने के लिए क्या-क्या सावधानी बरतेंगे? पाँच-पाँच के समूह में चर्चा करें। मुख्य बिंदुओं को चार्ट पेपर पर लिखकर बुलेटिन बोर्ड पर लगाएँ और इन्हें व्यवहार में लाएँ ।

उत्तर :
गरमी से बचने के लिए हम ये सावधानियाँ रख सकते हैं –

  • दिन भर में पर्याप्त मात्रा में साफ पानी पीना।

  • तेज धूप में बिना जरूरत के बाहर न निकलना, अगर निकलें तो सिर ढककर, छाता या टोपी लगाकर जाना।

  • हल्के, सूती और ढीले कपड़े पहनना।

  • नियमित रूप से नहाना ताकि शरीर को ठंडक मिले।

  • नींबू पानी, शर्बत या ओआरएस जैसे तरल पदार्थों का सेवन करना।

तार से संदेश

तार से संदेश


प्रश्न- ” क्या मेरा तार नहीं मिला?”

उत्तर : रेवती के भाई ने अपने आने की जानकारी तार के माध्यम से भेजी थी। पहले तार एक ऐसा साधन था जिससे बहुत जल्दी किसी को संदेश पहुँचाया जा सकता था, लेकिन अब इसका उपयोग बंद हो चुका है।

टेलीग्राफ:

किसी भौतिक वस्तु के विनिमय के बिना ही संदेश को दूर तक संप्रेषित करना टेलीग्राफी कहलाता है। विद्युत धारा की सहायता से, पूर्व निर्धारित संकेतों द्वारा, संवाद एवं समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजनेवाला तथा प्राप्त करने वाला यंत्र तारयंत्र (टेलीग्राफ) कहलाता है। वर्तमान में यह प्रौद्योगिकी अप्रचलित हो गई है।


(क) तार भेजने के आधार पर अनुमान लगाएँ कि यह एकांकी लगभग कितने वर्ष पहले लिखी गई होगी?

उत्तर :
1850 में शुरू होकर 1902 तक तार भेजने का प्रचलन रहा, इसलिए यह एकांकी संभवतः इन्हीं वर्षों के दौरान लिखी गई होगी।


(ख) आजकल संदेश भेजने के कौन-कौन से साधन सुलभ हैं?


उत्तर :
आजकल संदेश ईमेल, व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, फेसबुक, ट्विटर, एसएमएस और वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग जैसे माध्यमों से भेजे जाते हैं।

(ग) आप किसी को संदेश भेजने के लिए किस माध्यम का सर्वाधिक उपयोग करते हैं?
उत्तर :
हम आजकल अधिकतर संदेश व्हाट्सऐप और ईमेल के माध्यम से ही भेजते हैं।

(घ) अपने किसी प्रिय व्यक्ति को एक पत्र लिखकर भारतीय डाक द्वारा भेजिए ।

उत्तर:

छात्र स्वयं करें।


नाप–तौल और मुद्राएँ

नाप–तौल और मुद्राएँ

“जबकि नत्थामल के यहाँ साढ़े नौ आने गज बिक रही थी ।”

उपर्युक्त पंक्ति के रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए । रेखांकित शब्द ‘साढ़े नौ’, ‘आने’, ‘ग़ज’ में ‘साढ़े नौ’ भारतीय भाषा में अंतरराष्ट्रीय अंक (9.5) को दर्शा रहा है तो वहीं ‘आने’ शब्द भारतीय मुद्रा और ‘गज’ शब्द लंबाई नापने का मापक है।

(क) पता लगाइए कि एक रुपये में कितने आने होते हैं?

उत्तर :
पुराने समय में भारतीय मुद्रा–प्रणाली के अनुसार एक रुपये में 16 आने होते थे।


(ख) चार आने में कितने पैसे होते हैं?

उत्तर :
चार आने, एक रुपये के चौथाई हिस्से के बराबर होते थे, यानी 25 पैसे


(ग) आपके आस-पास गज शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया जाता है? पता लगाइए और लिखिए।

उत्तर :
हमारे आस–पास ‘गज’ का उपयोग ज़्यादातर कपड़ा नापने या जमीन की माप के संदर्भ में होता है। दुकानों में कपड़े की लम्बाई गज में बताई जाती है और कई स्थानों पर प्लॉट या ज़मीन का क्षेत्रफल भी वर्ग गज में मापा जाता है।

(घ) बताइए कि एक गज में कितनी फीट होती हैं ?

उत्तर :
माप की दृष्टि से एक गज = 3 फ़ीट मानी जाती है।


झरोखे से

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन सादगी भरा था, परंतु वे अपने आतिथ्य के लिए जाने जाते थे। उनके घर में कोई अतिथि आ जाए तो वे उसके सत्कार के लिए जी-जान से जुट जाते थे। महादेवी वर्मा की पुस्तक पथ के साथी से निराला के आतिथ्य भाव का एक छोटा सा अंश पढ़िए-

…….ऐसे अवसरों की कमी नहीं जब वे अकस्मात पहुँच कर कहने लगे…… “मेरे इक्के पर कुछ लकड़ियाँ, थोड़ा घी आदि रखवा दो। अतिथि आए हैं, घर में सामान नहीं है।”

उनके अतिथि यहाँ भोजन करने आ जावें, सुनकर उनकी दृष्टि में बालकों जैसा विस्मय छलक आता है। जो अपना घर समझकर आए हैं, उनसे यह कैसे कहा जाए कि उन्हें भोजन के लिए दूसरे घर जाना होगा।

भोजन बनाने से लेकर जूठे बर्तन माँजने तक का काम वे अपने अतिथि देवता के लिए सहर्ष करते हैं। तैंतीस कोटि देवताओं के देश में इस वर्ग के देवताओं की संख्या कम नहीं, पर आधुनिक युग ने उनकी पूजा विधि में बहुत कुछ सुधार कर लिया है। अब अतिथि-पूजा के अवसर वैसे कम ही आते हैं और यदि आ भी पड़े तो देवता के और अभिषेक, शृंगार आदि संस्कार बेयरा, नौकर आदि ही संपन्न करा देते हैं। पुजारी गृहपति को तो भोग लगाने की मेज पर उपस्थित रहने भर का कर्तव्य सँभालना पड़ता है। कुछ देवता इस कर्तव्य से भी उसे मुक्ति दे देते हैं।

ऐसे युग में आतिथ्य की दृष्टि से निराला जी में वही पुरातन संस्कार है जो इस देश के ग्रामीण किसान में मिलता है।

उनके भाव की अतल गहराई और अबाध वेग भी आधुनिक सभ्यता के छिछले और बँधे भाव-व्यापार से भिन्न हैं।

साझी समझ

प्रश्न- भारत में ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा रही है। आपके घर जब अतिथि आते हैं तो आप उनका अभिवादन कैसे करते हैं, अपनी भाषा में बताइए और अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए कि अतिथियों को आप अपने राज्य, क्षेत्र का कौन-सा पारंपरिक व्यंजन खिलाना चाहते हैं।

उत्तर :
हमारे यहाँ जब भी कोई अतिथि आता है तो सबसे पहले हम मुस्कुराकर और हाथ जोड़कर उसका स्वागत करते हैं। उन्हें बैठने के लिए आराम से जगह देते हैं और पानी या ठंडा पेय परोसते हैं।
यदि समय हो तो चाय, नाश्ता या भोजन की व्यवस्था करते हैं और अपनी तरफ से पूरा सम्मान दिखाते हैं। जाते समय उन्हें फिर आने का निमंत्रण देकर विदा किया जाता है, ताकि उन्हें अपनापन महसूस हो।


खोजबीन के लिए

प्रश्न- एक एकांकी में ‘आने’, ‘गज’ और ‘तार’ शब्द आए हैं। इनके विषय में विस्तार से जानकारी इकट्ठी कीजिए। इसके लिए आप अपने अभिभावक, अध्यापक, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।

उत्तर :

मुख्य बातें (पुनर्लेखन):

आना:

  • मुद्रा की एक पुरानी इकाई।

  • मूल्य: 1 रुपये का 1/16 हिस्सा।

  • विभाजन: 4 पैसे या 12 पाई के बराबर।

  • दशमलव प्रणाली में इसका मूल्य लगभग 6¼ पैसे होता है।

  • उपयोग: ब्रिटिश शासनकाल में प्रचलित मुद्रा इकाई।

गज:

  • भूमि नापने की पारंपरिक इकाई, विशेष रूप से उत्तरी भारत (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि) में प्रचलित।

  • माप: 1 गज = 9 वर्ग फुट।

  • उपयोग: भूमि और संपत्ति के क्षेत्रफल की गणना के लिए।

  • अन्य नाम: वर्ग गज।

  • ऐतिहासिक रूप से यह इकाई मुगल काल से उपयोग में है।

  • आकार: एक वर्ग गज का आकार 3 फुट × 3 फुट होता है।

तार (टेलीग्राम):

  • संदेश भेजने का एक पुराना माध्यम, जिसे टेलीग्राम कहा जाता था।

  • यह विद्युत संकेतों की मदद से संदेश को दूर तक भेजने वाली तेज सेवा थी।

  • 19वीं और 20वीं सदी में अत्यधिक लोकप्रिय, परंतु आज इसका उपयोग लगभग समाप्त हो चुका है।


NCERT Solutions Class 8 Hindi Malhar Chapter 8 Nae Mehamaan (2025-26)

कक्षा 8 हिंदी माल्हार के ‘नए मेहमान’ अध्याय में आतिथ्य, पारिवारिक रिश्तों और सामाजिक व्यवहार की सुंदर झलक मिलती है। यह अध्याय छात्रों में सहानुभूति और सहयोग की भावना विकसित करने में सहायक है।


इस अध्याय के गौरवपूर्ण संवाद एवं गहन भावनात्मक दृश्य परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं। NCERT Solutions Class 8 Hindi Malhar Chapter 8 Nae Mehamaan की तैयारी में, संवाद के आशय और चरित्र चित्रण समझना जरूरी है।


अध्याय के प्रश्न-उत्तर नियमित अभ्यास से छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ता है। हर महत्वपूर्ण घटना और संवाद की व्याख्या करें—यह अध्ययन रणनीति आपको उच्च अंक दिलाने में मदद करेगी।


FAQs on NCERT Solutions For Class 8 Hindi Malhar Chapter 8 Nae Mehamaan - 2025-26

1. What is included in the NCERT Solutions for Class 8 Hindi Malhar Chapter 8 Nae Mehamaan?

The NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 – Nae Mehamaan, provided by Vedantu, feature detailed, stepwise answers to all intext and back exercise questions. These solutions are exam-oriented, compliant with the latest CBSE syllabus (2025–26), and help you clarify tough concepts, prepare for exams, and build confidence for revision sessions.

2. How can I write stepwise NCERT answers for Class 8 Hindi Malhar Chapter 8 to score full marks?

To score full marks using NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8, you should present your answers in a structured, step-by-step manner:

  1. Read the question carefully and underline key terms.
  2. Begin with a brief introduction based on the chapter's context.
  3. Address each part of the question in separate points.
  4. Use chapter-relevant keywords and phrases from the NCERT syllabus.
  5. Conclude with a summary or personal insight when required.

This approach aligns your answers with CBSE marking expectations and maximizes your marks in Hindi Malhar Chapter 8 exams.

3. Which questions from NCERT Solutions Class 8 Hindi Malhar Chapter 8 Nae Mehamaan are important for CBSE exams?

Several questions from NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 are frequently highlighted in CBSE exams. Key focus areas include:

  • Intext exercise questions testing understanding of the main events.
  • Definition-based questions on chapter concepts and terms.
  • Back exercise long-answer questions where explanations in your own words are expected.
  • Application-based questions connecting chapter learnings to real-life situations.

Prioritize long and short answer questions, key definitions, and those marked as 'VVI' or 'Important' during your Vedantu revision sessions.

4. Do I need to include diagrams or definitions in answers for Class 8 Hindi Chapter 8 NCERT Solutions?

While most NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 do not require diagrams, clear definitions are often essential for full marks. Diagrams may be helpful if the question demands a visual explanation, such as a scene or event map. Definitions of important terms from the chapter should be concise and in your own words. Always review the question’s specific requirements in the Vedantu solutions.

5. How should long answers in NCERT Solutions Class 8 Hindi Chapter 8 be structured to meet CBSE marking scheme?

Start long answers in NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 with a strong introduction. Follow these tips:

  • Frame answers in logical paragraphs with clearly marked points.
  • Use keywords from the chapter (e.g., main events, characters).
  • Support statements with examples or references from the NCERT text.
  • Keep the answer concise and relevant to the question.
  • Conclude with a summary sentence that echoes the introduction.

6. Where can I download the free PDF of NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 Nae Mehamaan?

You can access and download the complete NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 Nae Mehamaan as a free PDF from Vedantu. This enables you to study offline and refer to stepwise answers, revision notes, and marking scheme-aligned solutions at your convenience.

7. Are NCERT Solutions enough for Class 8 Hindi exams or should I practice extra questions?

Relying solely on NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 covers the syllabus and exam patterns mandated by CBSE, but for top scores, supplement your preparation with exemplar questions, revision notes, and practice tests available on Vedantu. This combination deepens your understanding and readiness for every exam format.

8. How does Vedantu ensure the reliability and accuracy of Class 8 Hindi Chapter 8 NCERT Solutions?

Vedantu’s NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 are reviewed by experienced CBSE teachers and subject experts. Each solution is mapped to the latest NCERT and CBSE guidelines, ensuring factual correctness and full alignment for the 2025–26 academic year. All answers are double-checked to make your Hindi exam preparation trustworthy and effective.

9. What are common mistakes students make when using NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8?

Some frequent errors while using NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 include:

  • Copying answers word-for-word without understanding.
  • Missing key points required by CBSE marking scheme.
  • Ignoring definitions or examples requested in the question.
  • Overlooking revision of important topics marked as ‘need to remember.’
  • Not practicing answer presentation in clean handwriting.

10. How can I create a revision plan using NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 Nae Mehamaan?

To revise NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 efficiently, set up a quick planner:

  • 1-day: Review all key definitions, important long answers, and attempt at least one Vedantu mock test.
  • 3-day: Go through exercise-wise solutions, practice writing short and long answers from memory.
  • 7-day: Combine in-depth chapter revision with timed practice of exam-style questions for consolidation.

11. How do examiners award partial marks in Hindi Chapter 8 if my steps are right but the final answer is incomplete?

In NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8, CBSE examiners generally grant partial marks for correct steps or relevant points, even if the final answer is incomplete or contains minor errors. This is why following stepwise solutions on Vedantu and practicing structured writing is beneficial for maximizing scores.

12. Can referring to textbook page numbers while studying NCERT Solutions Class 8 Hindi Chapter 8 help in revision?

Referring to textbook page numbers when revising NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 is useful for quickly locating context, examples, or diagrams. Vedantu solutions often align with textbook sections, ensuring your revision remains organized and exam-ready.