Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

CBSE Important Questions for 2024-25 Class 12 Hindi Antral Chapter 4 - Aapna Malwa - Khau Ujaru Sabhyata Me

ffImage
banner

CBSE Class 12 Hindi Antral Important Questions Chapter 4 - Aapna Malwa - Khau Ujaru Sabhyata Me - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 12 Hindi Antral Chapter 4 - Aapna Malwa - Khau Ujaru Sabhyata Me prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

More Free Study Material for Aapna Malwa- Khau Ujaru Sabhyata Me
icons
Ncert solutions
599.4k views 13k downloads

Study Important Questions Class 12 Hindi Chapter 4 – अपना मालवा – खाऊ उजाडू सभ्यता में

Access Chapter-wise Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Antral 

Check out the below-given links to practise chapter-wise solved important questions for Class 12 Hindi Antral for CBSE term examinations 2024-25. The solutions can be downloaded for free and studied offline as well. 

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

1. मालवा क्या है?

उत्तर: मालवा एक प्रदेश का नाम है। जिसका वर्णन लेखक ने पाठ में किया हैं।


2. लेखक औद्योगिक सभ्यता को क्या कहते है?

उत्तर:लेखक औद्योगिक सभ्यता को उजाड़ की  सभ्यता कहते है


3. भारत में उजाड़ (औद्योगिक) सभ्यता किसके कारण आई?

उत्तर:लेखक बताते है की भारत की उजाड़ (औद्योगिक) सभ्यता यूरोप और अमेरिका के कारण आई।


4. सबसे पहले उद्योग की स्थापना कहाँ हुई?

उत्तर: सबसे पहले उद्योग की स्थापना अमेरिका और यूरोप में हुई।


5. बिना चीनी के चाय कौन पिलाता है?

उत्तर: बिना चीनी के चाय नगर स्टेशन पर मीणा जी पिलाते थे।


लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

1. लेखक ने अपना मालवा अध्याय में क्या वर्णन किया है?

उत्तर:लेखक ने अपना मालवा अध्याय में मालवा के लोगों का सामान्य जीवन, वहाँ की प्राकृतिक घटनाओं और उनका जन जीवन पर प्रभाव, मौसम, नदियां आदि का वर्णन किया है। लेखक ने मालवा की संस्कृति का वर्णन भी अपना मालवा अध्याय में किया है।


2. कुछ राजाओं के नाम लिखों जिन्होंने जल संरक्षण में अपना योगदान दिया?

उत्तर: राजा विक्रमादित्य, राजा भोज, राजा मुंज ने जल संरक्षण के लिए अनेक प्रयास किए। जिससे मुश्किल समय में पानी की आपूर्ति हो सके। इन्होंने जल संरक्षण में अपना अहम योगदान दिया।


3. पुरइन किसे कहते है?

उत्तर:हिंदू धर्म के अनुसार हिंदू धर्म में भोजन कमल पत्रों पर परोसा जाता है। इन्हीं कमल पत्रों को पुरइन कहता है। प्राचीन समय में भी खाना पत्रों पर ही परोसा जाता था। आज भी बहुत सी जगहों पर ऐसा होता है।


4. भारत की नदियां गंदी क्यों है?

उत्तर:भारत की नदियां खासतौर पर भारतीय लोगो के अंधविश्वास के कारण गंदी है। क्योंकि लोग पूजा की सामग्री को नदियों में बहा देते है। शव को भी वे नदियों में बहा देते है। कुछ ऐसे लोग जो अपने देश को साफ करना अपना कर्तव्य नहीं समझते वे कूड़ा, प्लास्टिक की वस्तु भी नदियों में बहा देते है। इन सभी कारणों के कारण भारत की नदियां गंदी हैं।


5. वायुमंडल पर कार्बन डाइऑक्साइड का क्या प्रभाव पड़ रहा है?

उत्तर:वायुमंडल पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस का प्रभाव पड़ता है। इस गैस की अधिकता के कारण धरती का तापमान बढ़ जाता है। जिस कारण प्राकृतिक घटनाएं घटित होती हैं जो जन जीवन को अधिक प्रभावित करती है। यह वायुमंडल के संतुलन को बिगड़ देती है।


लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)

1. ओंकारेश्वर में नर्मदा पर बनते बांध को देखकर लेखक को क्या ख्याल आता है?

उत्तर:ओंकारेश्वर में नर्मदा पर बनते बांध को देखकर लेखक को नर्मदा नदी पर बन रहे बांध को देखकर ख्याल आता है, यह बांध सीमेंट और कंक्रीट से बन रहा है। वह अधिक ऊंचा है इसलिए किसी राक्षस के समान लग रहा है। जो नर्मदा नदी की गति में अवरोध उत्पन्न कर रहा है


2. वातावरण के गर्म होने का क्या कारण है?

उत्तर: वातावरण के अधिक गर्म होने का कारण लेखक ने कार्बन डाइऑक्साइड , वनों की कटाई, हानिकारक अन्य गैसों का उत्सर्जन, उद्योगों का हानिकारक धुआं आदि कारण माने है। जिसके कारण वायुमंडल का संतुलन बिगड़ जाता है। यह प्रकृति घटनाओं का कारण बनता है। जिसका सीधा सीधा प्रभाव जन जीवन पर पड़ता है।


3. यूरोप और अमेरिका की उद्योग की सभ्यता में क्या योगदान है?

उत्तर:यूरोप और अमेरिका की उद्योग की सभ्यता में महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि उद्योग की स्थापना सबसे पहले इन्हीं दोनों देशों में हुई थी। इन्होंने उद्योगों के विस्तार को बढ़ावा दिया। उन्होंने इस सभ्यता को पूरी तरह से अपना लिया था। ये दोनो देश अपनी इस सभ्यता के साथ कोई भी समझौता नहीं करना चाहते थे। अत: यूरोप और अमेरिका की उद्योग की सभ्यता में योगदान दिया हैं।


4. लेखक के अनुसार वातावरण के गर्म होने के प्रभावों को लिखों।

उत्तर:लेखक के अनुसार वातावरण के गर्म होने के अनेक प्रभाव हैं। मौसम चक्र में बदलाव होना, मालवा जैसे प्रदेश में बारिश का कम होना, ग्लेशियर का बार बार पिघलना, ठंडे प्रदेशों में बर्फ की जगह पानी का गिरना आदि लेखक के अनुसार वातावरण के गर्म होने के प्रभाव हैं। ये सभी कारक सामान्य जन जीवन को अधिक प्रभावित करते है। उनकी जीवन शैली में भी बदलाव लाते है।


5. लेखक ने नवरात्रि की पहली सुबह का कैसा वर्णन किया है?

उत्तर:लेखक ने नवरात्रि की पहली सुबह का वर्णन करते हुए कहा है की नवरात्र की सुबह थी। मालवा में घट स्थापना की तैयारी थी। गोबर से घर आंगन लिपने और रंगोली बनाने की तैयारी हो रही थी। लड़कियों और औरतों के सजने की तैयारियां चल रही थी। लेकिन ऐसा लग रहा था की आसमान से पानी गिरकर ही रहेगा। लेखक कहता है की ऐसा नहीं था की नवरात्र में पहले पानी गिरते नहीं देखा। लेकिन यह मानसून के जाने का समय था और अब लग रहा था की अबकी बार तो यह जमे रहने की धौंस दे रहा है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

1.जनजीवन पर बारिश का क्या बुरा प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: जनजीवन पर बारिश के निम्न बुरे प्रभाव पड़ते हैं।

1)अधिक बारिश होने के कारण किसानों की फसल खराब हो जाती हैं।

2)अधिक बारिश होने के कारण बाढ़ आने का डर होता है।

3)बारिश होने के कारण लोगों को अपने आवाद का भी खतरा रहता हैं।

4)बारिश के कारण सभी जगह पानी भर जाता है जिसके कारण लोगों के आने जाने में परेशानी होती हैं।

5)कई बार लोगों के घर भी उनसे छीन जाते हैं।

इस प्रकार अनेक कारणों के द्वारा जनजीवन पर बारिश का बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण उन्हें नुकसान सहना पड़ता है।


2. लेखक ऐसा क्यों कहते हैं की मालवा में अब पहले जैसी बारिश नहीं होती हैं?

उत्तर:मालवा में अब पहले जैसी बारिश नहीं होती लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि मनुष्य ने प्रकृति में बहुत से बदलाव किए है जिसका सारा प्रभाव मौसम चक्र पर पड़ा है। उद्योगों की हानिकारक गैसों का वायुमंडल में मिलने के कारण भी मौसम प्रभावित होता हैं। ऐसी अनेक परिस्थितियां है जिनके कारण वायुमंडल पेभावित होता है और मालवा में बारिश पहले जितनी नहीं होती है। यदि सामने बारिश भी होती है तो लोगों को लगता है की पहले से ज्यादा बारिश हुई है। इसलिए लेखक कहता है की मालवा में पहले जैसी बारिश नहीं होती है।


3. लेखक आज के इंजीनियरों को भ्रमित क्यों मानते है?

उत्तर:लेखक आज के इंजीनियरों को भ्रमित मानता हैं क्योंकि उन्हें लगता है की हमें पानी संरक्षण की योजना पश्चिमी सभ्यता से प्राप्त हुई है। पानी के प्रबंध के बारे में पहले के लोग ज्यादा नहीं जानते थे, उन्हे इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी। लेकिन ऐसा नहीं था पहले के जमाने में राजा महाराजा बहुत ही अच्छे से जानते थे की पानी का संरक्षण किस प्रकार करना है। इसका ज्ञान उन्हें पश्चिमी सभ्यता के पहले ही था। लेकिन इसके बारे में आज के  इंजीनियर नहीं जानते हैं इसलिए लेखक ने उनको भ्रमित कहा है।


4. लेखक आज के इंजीनियरों का भ्रम कैसे दूर करते हैं?

उत्तर:जब आज के इंजीनियर ये कहते हैं की जल प्रबंध के बारे में जानकारी उन्हें पश्चिमी सभ्यता से हुई है। इसके पहले उन्हें इसके इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। यह आज के इंजीनियरों का भ्रम है। इसे दूर करते हुए लेखक पहले के जमाने के राजाओं जैसे विक्रमादित्य, भोज, मूंज आदि का उदहारण देते हुए बताते हैं की इन सभी राजाओं ने जल संरंक्षण की विधि को अपनाया था। उसके संरक्षण के लिए इन्होंने नदियां, झीलें, तालाबों आदि का निर्माण करवाया था। इस प्रकार लेखक आज के इंजीनियरों का भ्रम दूर करते हैं।


5. जनजीवन पर बारिश का क्या अच्छा प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: जनजीवन पर बारिश के अच्छे प्रभाव निम्नलिखत पड़ते हैं–

1)बारिश के कारण जिस फसल को अधिक पानी की जरूरत है उसकी उपजता अधिक होती हैं।

2)सूखे स्थानों पर बारिश वहाँ के लोगों के लिए एक नया जीवन लेकर आती है।

3)आने वाले समय में सिंचाई के लिए पानी संरक्षित होता है।

4) बाढ़ के कारण नदियों से उपजाऊ मिट्टी बहकर खेतों में आ जाती है जिसके कारण किसानों को लाभ होता है।

5) बारिश के कारण लोगों के पैसों की बचता होती है और साथ ही साथ बिजली में भी क्यूंकि फसल में बारिश का पानी चला जाता है।

इस प्रकार बारिश का पानी जनजीवन के लिए लाभदायक साबित होता है। जिससे उनको अधिक मदद मिलती है।


Related NCERT Important Questions for Other Subjects


Related NCERT Important Questions for Other Classes

FAQs on CBSE Important Questions for 2024-25 Class 12 Hindi Antral Chapter 4 - Aapna Malwa - Khau Ujaru Sabhyata Me

1. CBSE बोर्ड परीक्षा 2025-26 के लिए, 'अपना मालवा' पाठ से कौन-से मुख्य विषय महत्वपूर्ण हैं?

कक्षा 12 हिन्दी अन्तराल के अध्याय 4 'अपना मालवा' से परीक्षा के लिए निम्नलिखित विषय महत्वपूर्ण हैं:

  • मालवा की पारंपरिक जीवनशैली और संस्कृति: यहाँ के मौसम, त्योहार और सामाजिक ताने-बाने का वर्णन।
  • पर्यावरणीय बदलाव: औद्योगिकीकरण के कारण मालवा में वर्षा की कमी और मौसम चक्र में परिवर्तन।
  • जल प्रबंधन: प्राचीन राजाओं (जैसे राजा भोज) के जल संरक्षण के तरीकों और आधुनिक इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण में विरोधाभास।
  • 'खाऊ-उजाडू सभ्यता' की आलोचना: लेखक द्वारा आधुनिक उपभोक्तावादी और विनाशकारी सभ्यता पर की गई टिप्पणी।

इन विषयों से संबंधित प्रश्न 3 से 5 अंकों के लिए पूछे जा सकते हैं।

2. लेखक ने आधुनिक औद्योगिक सभ्यता को 'उजाड़ की सभ्यता' क्यों कहा है? इसके लिए वे किसे जिम्मेदार ठहराते हैं?

लेखक औद्योगिक सभ्यता को 'उजाड़ की सभ्यता' इसलिए कहते हैं क्योंकि यह विकास के नाम पर प्रकृति का अंधाधुंध शोषण करती है। यह सभ्यता नदियों को सुखा रही है, पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है और धरती के तापमान को बढ़ा रही है, जिससे जीवन का संतुलन बिगड़ रहा है। लेखक के अनुसार, इस सभ्यता का प्रसार यूरोप और अमेरिका से हुआ है, जिन्होंने अपने लाभ के लिए इसे पूरी दुनिया पर थोप दिया है।

3. पाठ के अनुसार, मालवा में अब पहले जैसी वर्षा क्यों नहीं होती है?

लेखक के अनुसार, मालवा में पहले जैसी बारिश न होने के मुख्य कारण आधुनिक 'खाऊ-उजाडू सभ्यता' के प्रभाव हैं। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • औद्योगिकीकरण: कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों ने वायुमंडल को गर्म कर दिया है, जिससे मौसम का चक्र बिगड़ गया है।
  • वनों की कटाई: विकास और जनसंख्या वृद्धि के कारण पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से मानसून प्रभावित हुआ है।
  • नदियों का प्रदूषण: नदियों में औद्योगिक कचरा डालने से उनका प्राकृतिक प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो गया है।

इन्हीं कारणों से मालवा की धरती अब पहले की तरह तर-बतर नहीं हो पाती।

4. लेखक आज के इंजीनियरों को जल प्रबंधन के विषय में 'भ्रमित' क्यों मानते हैं?

लेखक आज के इंजीनियरों को जल प्रबंधन के विषय में भ्रमित इसलिए मानते हैं क्योंकि वे यह सोचते हैं कि जल संरक्षण का ज्ञान उन्हें पश्चिम से मिला है और भारत के पुराने लोगों को इसका कोई ज्ञान नहीं था। वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि भारत में राजा विक्रमादित्य, भोज और मुंज जैसे शासकों ने सदियों पहले ही तालाब, बावड़ियाँ और झीलें बनवाकर जल संरक्षण की अद्भुत व्यवस्था स्थापित कर दी थी। इंजीनियरों का यह भ्रम उन्हें अपनी जड़ों और पारंपरिक ज्ञान से दूर करता है।

5. 'अपना मालवा - खाऊ उजाडू सभ्यता में' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। यह शीर्षक पाठ के मूल संदेश को कैसे दर्शाता है?

यह शीर्षक दो विरोधी दुनियाओं के टकराव को दर्शाता है। 'अपना मालवा' उस समृद्ध, आत्मनिर्भर और प्रकृति से जुड़ी पारंपरिक संस्कृति का प्रतीक है जो स्वावलंबी थी। वहीं, 'खाऊ उजाडू सभ्यता' आधुनिक उपभोक्तावादी, लालची और विनाशकारी औद्योगिक जीवनशैली का प्रतीक है। यह शीर्षक सीधे तौर पर पाठ के मूल संदेश को व्यक्त करता है कि कैसे बाहरी 'उजाड़ू सभ्यता' हमारे अपने 'मालवा' जैसी संस्कृतियों को निगल रही है और नष्ट कर रही है।

6. नर्मदा नदी पर बन रहे बाँध को देखकर लेखक के मन में क्या विचार आते हैं? वे उसे राक्षस क्यों कहते हैं?

ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर बन रहे सीमेंट और कंक्रीट के विशाल बाँध को देखकर लेखक को लगता है कि यह विकास नहीं, बल्कि विनाश का प्रतीक है। वे इसकी तुलना एक राक्षस से करते हैं क्योंकि यह बाँध नर्मदा नदी के सहज और प्राकृतिक प्रवाह को रोक रहा है, ठीक वैसे ही जैसे कोई राक्षस किसी की स्वतंत्रता को बाधित करता है। यह बाँध उन्हें आधुनिक सभ्यता के उस विनाशकारी रूप का प्रतीक लगता है जो प्रकृति पर विजय पाना चाहता है।

7. यह पाठ केवल पर्यावरण संकट पर ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक क्षरण पर भी एक टिप्पणी है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।

यह कथन बिल्कुल सही है। 'अपना मालवा' पाठ केवल पर्यावरण की समस्याओं जैसे कम बारिश या प्रदूषण तक सीमित नहीं है। यह दिखाता है कि कैसे 'खाऊ-उजाडू सभ्यता' ने मालवा की संस्कृति को भी प्रभावित किया है:

  • ज्ञान परंपरा का क्षरण: लोग अपने पूर्वजों के जल संरक्षण जैसे पारंपरिक ज्ञान को भूल गए हैं।
  • जीवनशैली में बदलाव: प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने वाली जीवनशैली अब उपभोक्तावाद में बदल गई है।
  • सामाजिक संबंधों में कमी: पहले त्योहार और प्रकृति मिलकर समाज को जोड़ते थे, जो अब आधुनिक जीवन में कमजोर पड़ गया है।

इस प्रकार, यह पाठ पर्यावरण के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक जड़ों के विनाश की भी कहानी कहता है।

8. मालवा की समृद्धि के लिए प्रसिद्ध प्राचीन शासकों ने जल संरक्षण में क्या महत्वपूर्ण योगदान दिया था?

मालवा के प्राचीन शासकों ने जल संरक्षण को बहुत महत्व दिया था। पाठ के अनुसार, राजा विक्रमादित्य, राजा भोज, और राजा मुंज जैसे शासकों ने यह सुनिश्चित किया कि वर्षा का पानी व्यर्थ न जाए। उन्होंने पूरे क्षेत्र में पानी को रोकने और संग्रहीत करने के लिए बड़े-बड़े तालाब, झीलें और बावड़ियाँ बनवाईं। उनकी दूरदर्शिता के कारण ही मालवा लंबे समय तक पानी के मामले में समृद्ध और आत्मनिर्भर बना रहा।