CBSE Class 12 Hindi Antral Important Questions Chapter 4 - Aapna Malwa - Khau Ujaru Sabhyata Me - Free PDF Download
FAQs on CBSE Important Questions for 2024-25 Class 12 Hindi Antral Chapter 4 - Aapna Malwa - Khau Ujaru Sabhyata Me
1. CBSE बोर्ड परीक्षा 2025-26 के लिए, 'अपना मालवा' पाठ से कौन-से मुख्य विषय महत्वपूर्ण हैं?
कक्षा 12 हिन्दी अन्तराल के अध्याय 4 'अपना मालवा' से परीक्षा के लिए निम्नलिखित विषय महत्वपूर्ण हैं:
- मालवा की पारंपरिक जीवनशैली और संस्कृति: यहाँ के मौसम, त्योहार और सामाजिक ताने-बाने का वर्णन।
- पर्यावरणीय बदलाव: औद्योगिकीकरण के कारण मालवा में वर्षा की कमी और मौसम चक्र में परिवर्तन।
- जल प्रबंधन: प्राचीन राजाओं (जैसे राजा भोज) के जल संरक्षण के तरीकों और आधुनिक इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण में विरोधाभास।
- 'खाऊ-उजाडू सभ्यता' की आलोचना: लेखक द्वारा आधुनिक उपभोक्तावादी और विनाशकारी सभ्यता पर की गई टिप्पणी।
इन विषयों से संबंधित प्रश्न 3 से 5 अंकों के लिए पूछे जा सकते हैं।
2. लेखक ने आधुनिक औद्योगिक सभ्यता को 'उजाड़ की सभ्यता' क्यों कहा है? इसके लिए वे किसे जिम्मेदार ठहराते हैं?
लेखक औद्योगिक सभ्यता को 'उजाड़ की सभ्यता' इसलिए कहते हैं क्योंकि यह विकास के नाम पर प्रकृति का अंधाधुंध शोषण करती है। यह सभ्यता नदियों को सुखा रही है, पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है और धरती के तापमान को बढ़ा रही है, जिससे जीवन का संतुलन बिगड़ रहा है। लेखक के अनुसार, इस सभ्यता का प्रसार यूरोप और अमेरिका से हुआ है, जिन्होंने अपने लाभ के लिए इसे पूरी दुनिया पर थोप दिया है।
3. पाठ के अनुसार, मालवा में अब पहले जैसी वर्षा क्यों नहीं होती है?
लेखक के अनुसार, मालवा में पहले जैसी बारिश न होने के मुख्य कारण आधुनिक 'खाऊ-उजाडू सभ्यता' के प्रभाव हैं। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- औद्योगिकीकरण: कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों ने वायुमंडल को गर्म कर दिया है, जिससे मौसम का चक्र बिगड़ गया है।
- वनों की कटाई: विकास और जनसंख्या वृद्धि के कारण पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से मानसून प्रभावित हुआ है।
- नदियों का प्रदूषण: नदियों में औद्योगिक कचरा डालने से उनका प्राकृतिक प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो गया है।
इन्हीं कारणों से मालवा की धरती अब पहले की तरह तर-बतर नहीं हो पाती।
4. लेखक आज के इंजीनियरों को जल प्रबंधन के विषय में 'भ्रमित' क्यों मानते हैं?
लेखक आज के इंजीनियरों को जल प्रबंधन के विषय में भ्रमित इसलिए मानते हैं क्योंकि वे यह सोचते हैं कि जल संरक्षण का ज्ञान उन्हें पश्चिम से मिला है और भारत के पुराने लोगों को इसका कोई ज्ञान नहीं था। वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि भारत में राजा विक्रमादित्य, भोज और मुंज जैसे शासकों ने सदियों पहले ही तालाब, बावड़ियाँ और झीलें बनवाकर जल संरक्षण की अद्भुत व्यवस्था स्थापित कर दी थी। इंजीनियरों का यह भ्रम उन्हें अपनी जड़ों और पारंपरिक ज्ञान से दूर करता है।
5. 'अपना मालवा - खाऊ उजाडू सभ्यता में' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। यह शीर्षक पाठ के मूल संदेश को कैसे दर्शाता है?
यह शीर्षक दो विरोधी दुनियाओं के टकराव को दर्शाता है। 'अपना मालवा' उस समृद्ध, आत्मनिर्भर और प्रकृति से जुड़ी पारंपरिक संस्कृति का प्रतीक है जो स्वावलंबी थी। वहीं, 'खाऊ उजाडू सभ्यता' आधुनिक उपभोक्तावादी, लालची और विनाशकारी औद्योगिक जीवनशैली का प्रतीक है। यह शीर्षक सीधे तौर पर पाठ के मूल संदेश को व्यक्त करता है कि कैसे बाहरी 'उजाड़ू सभ्यता' हमारे अपने 'मालवा' जैसी संस्कृतियों को निगल रही है और नष्ट कर रही है।
6. नर्मदा नदी पर बन रहे बाँध को देखकर लेखक के मन में क्या विचार आते हैं? वे उसे राक्षस क्यों कहते हैं?
ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर बन रहे सीमेंट और कंक्रीट के विशाल बाँध को देखकर लेखक को लगता है कि यह विकास नहीं, बल्कि विनाश का प्रतीक है। वे इसकी तुलना एक राक्षस से करते हैं क्योंकि यह बाँध नर्मदा नदी के सहज और प्राकृतिक प्रवाह को रोक रहा है, ठीक वैसे ही जैसे कोई राक्षस किसी की स्वतंत्रता को बाधित करता है। यह बाँध उन्हें आधुनिक सभ्यता के उस विनाशकारी रूप का प्रतीक लगता है जो प्रकृति पर विजय पाना चाहता है।
7. यह पाठ केवल पर्यावरण संकट पर ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक क्षरण पर भी एक टिप्पणी है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
यह कथन बिल्कुल सही है। 'अपना मालवा' पाठ केवल पर्यावरण की समस्याओं जैसे कम बारिश या प्रदूषण तक सीमित नहीं है। यह दिखाता है कि कैसे 'खाऊ-उजाडू सभ्यता' ने मालवा की संस्कृति को भी प्रभावित किया है:
- ज्ञान परंपरा का क्षरण: लोग अपने पूर्वजों के जल संरक्षण जैसे पारंपरिक ज्ञान को भूल गए हैं।
- जीवनशैली में बदलाव: प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने वाली जीवनशैली अब उपभोक्तावाद में बदल गई है।
- सामाजिक संबंधों में कमी: पहले त्योहार और प्रकृति मिलकर समाज को जोड़ते थे, जो अब आधुनिक जीवन में कमजोर पड़ गया है।
इस प्रकार, यह पाठ पर्यावरण के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक जड़ों के विनाश की भी कहानी कहता है।
8. मालवा की समृद्धि के लिए प्रसिद्ध प्राचीन शासकों ने जल संरक्षण में क्या महत्वपूर्ण योगदान दिया था?
मालवा के प्राचीन शासकों ने जल संरक्षण को बहुत महत्व दिया था। पाठ के अनुसार, राजा विक्रमादित्य, राजा भोज, और राजा मुंज जैसे शासकों ने यह सुनिश्चित किया कि वर्षा का पानी व्यर्थ न जाए। उन्होंने पूरे क्षेत्र में पानी को रोकने और संग्रहीत करने के लिए बड़े-बड़े तालाब, झीलें और बावड़ियाँ बनवाईं। उनकी दूरदर्शिता के कारण ही मालवा लंबे समय तक पानी के मामले में समृद्ध और आत्मनिर्भर बना रहा।

















