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Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 - Jujh

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CBSE Class 12 Hindi Vitan Important Questions Chapter 2 - Jujh - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 - Jujh prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

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Study Important Questions for class 12 Hindi पाठ २ - जूझ

अति लघु उत्तरीय प्रश्न: (1 अंक)

1. नायास तथा बालिस्टर का शब्दार्थ लिखिए।

उत्तर: नायास - अनुत्तीर्ण 

बालिस्टर - बैरिस्टर, वकील

2. लेखक का मन कहाँ जाने को तड़पता था?

उत्तर: लेखक का मन पाठशाला जाने को तड़पता था।

3. गाँव में सबसे पहले किसका कोल्हु शुरू हुआ था।

उत्तर: गाँव में सबसे पहले लेखक के पिता का कोल्हु शुरू हुआ था।

4. मास्टर लेखक को क्या कहकर पुकारते थे?

उत्तर: मास्टर लेखक को ‘आनंदा’ कहकर पुकारते थे।

5. लेखक के कक्षा में मराठी कौन पढ़ाता था?

उत्तर: लेखक की कक्षा में मराठी न. व. सौंदगेलकर मास्टर पढ़ाता था।

लघु उत्तरीय प्रश्न: (2 अंक)

1. किसके कहने पर लेखक के पिता ने लेखक को पाठशाला पढ़ने भेजा?

उत्तर: दत्ता जी राव सरकार की सलाह पर लेखक के पिता ने लेखक को पाठशाला पढ़ने भेजा।

2. किस के डर से पाठशाला के बच्चे घर से पढ़ कर आने लगे और क्यों?

उत्तर: मंत्री मास्टर के भय से बच्चे पाठशाला घर से पढ़ कर आया लगे। क्योंकि कोई लड़का जब शैतानी करता था तब मास्टर जी उसको दंडित करते थे।

3. कविताएँ लिखने के बाद लेखक किसे अपनी कविता सुनाते थे?

उत्तर: कविताओं को लिखने के बाद लेखक न. व. सौंदलेकर मास्टर को खुद की रची हुई कविताएँ सुनाते थे।

4. लेखक को ऐसा क्यों लगता था कि उसे कक्षा में मोनिट्री मिलनी चाहिए, वसंत पाटिल को नहीं?

उत्तर: वसंत पाटिल नामक लड़के को कक्षा के मॉनिटर का पद दिया गया था। वह लेखक से छोटा था, और लेखक उससे पहले कक्षा पांचवी में शामिल हुआ था। इसी कारण से लेखक को लगता था कि उसे कक्षा का मॉनिटर बनाया जाना चाहिए था।

5. कक्षा में किसके साथ लेखक की अच्छी मित्रता हो गई?

उत्तर: वसंत पाटिल नाम के लड़के से लेखक्त की कक्षा में अच्छी मित्रता हो गई। दोनों एकसाथ पढ़ते थे और दोनों गणित में अच्छे हो गए थे।

लघु उत्तरीय प्रश्न: (3 अंक)

1. लेखक के मन में क्या विचार चल रहा था?

उत्तर: 'जन्मभर खेत में कार्य करने के बावजूद भी उसके हाथ कुछ नहीं लगेगा। जो बाबा के वक्त में था, वह दादा के वक्त में नहीं रहा होगा। यह खेती हमें खाई में ढकेल रही है। पढ़ जाऊँगा तो अच्छी नौकरी मिल जाएगी, चार पैसे हाथ में रहेंगे, विठोबा अन्ना की तरह कोई धंधा कारोबार कर सकूँगा। ‘लेखक के मन में उपरोक्त विचार चल रहे थे।

2. लेखक को कविता लिखने के लिए किसने प्रेरित किया तथा लेखक ने कविता लिखना कैसे सिखा?

उत्तर: लेखक को सौंदगेलकर मास्टर जी ने कविता लिखने के लिए प्रेरणा प्रदान की। उनके संपर्क में आकर पहले लेखक ने कविता का उच्चारण सिखा फिर धीरे धीरे कविता को अलग स्वरूप में गाना भी शुरू किया। पहले वह कविता लिखने की कोशिश में तुकबंदी करते थे और परिणामस्वरूप कुछ वक्त के बाद वह खुद अच्छे कवि बन गए।

3. लेखक के दादा सबसे पहले कोलहू क्यों शुरू किया करते थे?

उत्तर: लेखक के दादा का मानना था कि जल्दी कोल्हू शुरू करने से गुड़ कि अच्छी कीमत मिलती है। जब सभी तरफ गुड़ बनने लगता था, तो गुड़ के दामों में गिरावट आ जाती थी। इसी कारण से लेखक के दादा सबसे पहले कोल्हू शुरू किया करते थे।

4. कविताएँ गाना शुरू करने पर लेखक को अब कौन सी बात अब नहीं खटकती थी?

उत्तर: खेती का काम करते हुए लेखक को अधिकतर अकेलापन खटकता था। परंतु जब लेखक ने कविताएँ गाने शुरु किए खेती का कार्य करते वक्त तब उन्हें अकेलापन नहीं खटकता था।

5. लेखक कहाँ-कहाँ कविताएँ लिखते थे?

उत्तर: लेखक अपनी कविता लिखने के लिए अपने खिसा में कागज़ व पेंसिल रखने लगे। जब कभी कागज़ नहीं होते थे उस वक्त वह भैंस कि पीठ पर लकड़ी से रेखा खींचकर लिखते थे अथवा पत्थर कि शिला पर कंकड़ से उकेर देते थे और जब याद हो जाता था तो मिटा दिया करते थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न: (5 अंक)

1. लेखक कि चारित्रिक विशेषता बताइए।

उत्तर: इस कहानी को पढ़ने के बाद, कहानी ‘जूझ’ के लेखक के बारे में यह कहा जा सकता है कि उसका चरित्र एक साहसी व्यक्ति का है। उसका जन्म एक गाँव के किसान परिवार में हुआ था। उसकी सोच व मान्यता अच्छी प्रकार पढ़ाई-लिखाई करने की है। मगर उनके पिता शिक्षा के महत्व को नहीं समझते। उनके पिता को लगता है कि केवल खेती के कार्य से ही हमें रोजी-रोटी मिलेगी। अंतः लेखक का सर्वप्रथम अपने पिता से थोड़ा संघर्ष होता है और वह स्वयं के लिए शिक्षा के द्वार खोलता है। द्वार खुलते ही वह उसका पूर्ण रूप से लाभ उठाता है। उसके संघर्ष और एकाग्रता के कारण ही उसे शीघ्र ही लाभ की प्राप्ति होती है। वह अपने चरित्र की खूबसूरती के कारण ही अपने पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर स्वयं के लिए लड़ता है और सफल हो कर दिखाता है।

2. लेखक को कब ज्ञान हुआ कि वह कविता लिख सकता है?

उत्तर: लेखक ने देखा कि मास्टर सौंदगेलकर ने अपने घर के बाहर लगी बेलों पर कविता लिखी थी। उस वक्त लेखक को यह ज्ञात हुआ कि वह भी अपने आसपास की वस्तुओं पर कविता लिख सकता है। सौंदगेलकर ने लेखक को कविता लिखने के लिए प्रेरणा दी। सौंदगेलकर उसकी पाठशाला के मराठी भाषा के अध्यापक थे और खुद एक अच्छे कवि थे और अच्छे चरित्र के व्यक्ति थे। उनके करीब आकर लेखक ने सर्वप्रथम कविता का उच्चारण करना सीखा और बाद में उसे अलग-अलग तरीके से गाना भी शुरू किया। पहले वह कविता लिखने के लिए तुकबंदी करते थे और परिणामस्वरूप स्वयं एक अच्छे कवि बन गए। सौंदगेलकर ने उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने लेखक को बहुत से कवियों के बारे में बताया। कवियों के बारे में जानकर उनके अंदर का आत्मविश्वास जाग गया और वह भी एक अच्छे कवि बन गए।

3. श्री सौंदगेलकर जी के सानिध्य में आकर लेखक के जीवन में क्या परिवर्तन आए?

उत्तर: श्री सौंदगेलकर जी के सानिध्य मैं आकर लेखक को कविताओं में रुचि आने लगी। यह रूचि मंद गति से लगाव में परिवर्तित हो गई। जिस अकेलेपन के कारण लेखक पहले चिंतित रहते थे, अब उन्हें वह अच्छा लगने लगा। अब वह अकेलेपन में कविताएँ पढ़ने लगे क्योंकि इससे उनका मन भी लगा रहता था और वक्त भी गुजर जाता था। कभी वे अभिनय भी करते थे। इस प्रकार वे आजादी की अनुभूति करते थे। इस कार्य से मिलने वाली सफलता से भी वे बहुत प्रसन्न रहते थे। पहले उन्हें यही अकेलापन बहुत खलता था, परंतु अब उन्हें कविताओं के प्रेम ने पूर्ण रूप से बदल कर रख दिया।

4. पढ़ाई लिखाई के संबंध में लेखक, लेखक के पिता और दत्ता राव जी में से किस के विचार उचित थे? टिप्पणी करें।

उत्तर: पाठ के अनुसार देखें तो, लेखक और दत्ता राव जी के विचार पढ़ाई लिखाई के संबंध में उचित थे। उनका यह कहना था कि पढ़ाई लिखाई जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण है। पढ़ाई लिखाई से मनुष्य को रोज़ी-रोटी कमाने की साधन तो उपलब्ध होते ही हैं साथ ही साथ एक बेहतर ज़िंदगी का रास्ता भी खुल जाता है। मानव की सोचने की शक्ति को बढ़ाने में पढ़ाई लिखाई बहुत ही महत्व रखती है। परंतु लेखक के पिता का रवैया बहुत ही अलग था क्योंकि उनका मानना था की खेती से ही रोजी रोटी का अच्छे से निर्वाह होता है। परंतु लेखक पढ़ाई लिखाई कर एक अच्छी जगह नौकरी करना चाहता था। उनके पिता ने हमेशा से गाँव में ही निवास किया है इसी कारणवश उनकी सोच अधिक विकसित नहीं हो पाई। शिक्षा का महत्व सर्वत्र है, और बिना इसके सही और गलत का भेद कर पाना बहुत मुश्किल है अथवा नामुमकिन है। यह बात लेखक और दत्ता राव भी मानते थे, अंतः हम यह मान सकते हैं की पढ़ाई लिखाई के प्रति लेखक और दत्ता राव जी का रवैया बिल्कुल सही था।


5. श्री सौंदगेलकर जी के अध्यापन की खूबियों को लिखें, जिसने लेखक के मन में कविता के प्रति रुचि जगाई?

उत्तर: श्री सौंदगेलकर जी के अध्यापन कि खूबियां निम्नलिखित हैं:-

  • वह विषय को अत्यधिक रुचिकर तरह से पढ़ाते थे।

  • उनके प्रभावशाली तरह का कविता पाठन, लेखक को प्रोत्साहित और प्रभावित करता था।

  • उनकी मधुर आवाज उनके कविता पाठन में एक अलग ही तरंग जगा देती थी।

  • वे छात्रों को उनकी पसंदीदा कविताएँ ही याद करवाते थे।

  • उनकी स्वयं द्वारा रचित कविताएँ भी बहुत आकर्षक थी।

  • उनकी यह सभी खूबियाँ उन्हें एक अच्छे अध्यापक के रूप में दर्शाती हैं। एकता और क्षमता पर आधारित हो।


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FAQs on Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 - Jujh

1. 'जूझ' पाठ के अनुसार, लेखक आनंदा का मन पाठशाला जाने के लिए क्यों तड़पता था?

लेखक आनंदा का मन पाठशाला जाने के लिए तड़पता था क्योंकि वह पढ़ाई के महत्व को समझता था। उसे लगता था कि खेती-बाड़ी में जीवन भर काम करने के बाद भी कुछ हासिल नहीं होगा। वह पढ़ाई करके नौकरी पाना चाहता था और अपने जीवन स्तर को सुधारना चाहता था। स्कूल जाना उसके लिए गरीबी और पिछड़ेपन के चक्र से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता था।

2. 'जूझ' कहानी में दत्ता जी राव की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के लिए यह प्रसंग क्यों महत्वपूर्ण है?

दत्ता जी राव 'जूझ' कहानी में एक महत्वपूर्ण और सहायक चरित्र हैं। उन्होंने लेखक की पढ़ाई के प्रति लगन को पहचाना और उसके पिता को बुलाकर उसे स्कूल भेजने के लिए राजी किया। उनकी भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे कहानी में एक निर्णायक मोड़ लाते हैं। उनके हस्तक्षेप के बिना, लेखक का स्कूल जाना संभव नहीं हो पाता। यह प्रसंग छात्रों को सिखाता है कि सही मार्गदर्शन और सामाजिक सहयोग किसी व्यक्ति के जीवन की दिशा बदल सकता है।

3. लेखक के पिता कोल्हू का काम सबसे पहले क्यों शुरू कर देते थे? इससे उनके किस स्वभाव का पता चलता है?

लेखक के पिता कोल्हू का काम सबसे पहले इसलिए शुरू कर देते थे क्योंकि उनका मानना था कि सबसे पहले गुड़ बाजार में ले जाने पर उसकी अच्छी कीमत मिलती है। जब बाजार में गुड़ की आवक बढ़ जाती थी, तो दाम गिर जाते थे। यह घटना उनके लालची और स्वार्थी स्वभाव को दर्शाती है, जहाँ वे तात्कालिक लाभ के लिए अपने बेटे की पढ़ाई जैसी महत्वपूर्ण चीज को भी नजरअंदाज कर देते हैं।

4. 'जूझ' कहानी के नायक आनंदा के चरित्र की वे कौन-सी विशेषताएँ हैं जो छात्रों को प्रेरित कर सकती हैं?

'जूझ' कहानी के नायक आनंदा के चरित्र में कई प्रेरक विशेषताएँ हैं, जो छात्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं:

  • संघर्षशीलता: विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उसने पढ़ाई के लिए संघर्ष किया।
  • अध्ययन के प्रति लगन: वह पढ़ाई को अपने भविष्य के लिए आवश्यक मानता था।
  • रचनात्मकता: उसने अपनी काव्य प्रतिभा को पहचाना और उसे भैंस की पीठ पर या पत्थर पर लिखकर विकसित किया।
  • आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प: उसने अपने पिता और सामाजिक बाधाओं का सामना करने का साहस दिखाया।

5. मराठी अध्यापक न. व. सौंदगेलकर ने लेखक के जीवन को किस प्रकार एक नई दिशा दी?

मराठी अध्यापक सौंदगेलकर ने लेखक के जीवन को पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने न केवल लेखक को कविता लिखने और गाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि कविता के छंद, लय, और अलंकारों का ज्ञान भी दिया। उनके सानिध्य में रहकर लेखक का अकेलापन दूर हो गया और उसे पढ़ाई में भी अधिक आनंद आने लगा। सौंदगेलकर ने लेखक के अंदर छिपे कवि को बाहर निकाला और उसे आत्मविश्वास से भर दिया।

6. सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी परीक्षा 2025-26 के लिए 'जूझ' पाठ से कौन-से दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक) अपेक्षित हैं?

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2025-26 के लिए 'जूझ' पाठ से निम्नलिखित प्रकार के 5-अंकीय प्रश्न महत्वपूर्ण हो सकते हैं:

  • 'जूझ' शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
  • लेखक के चरित्र-चित्रण और उसकी संघर्ष-गाथा का वर्णन कीजिए।
  • पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और उसके पिता के विचारों की तुलना करते हुए अपना मत प्रस्तुत कीजिए।
  • श्री सौंदगेलकर के अध्यापन की उन विशेषताओं का उल्लेख करें जिन्होंने लेखक के कवि बनने में मदद की।

7. 'जूझ' शीर्षक कहानी के मूल संदेश से किस प्रकार संबंधित है? विश्लेषण कीजिए।

'जूझ' शीर्षक कहानी के मूल संदेश का सटीक प्रतिनिधित्व करता है। 'जूझ' का अर्थ है संघर्ष (Struggle)। यह कहानी लेखक आनंदा के बहुस्तरीय संघर्ष को दर्शाती है - अपने पिता की सोच के विरुद्ध संघर्ष, खेती के कठिन काम के साथ पढ़ाई का संघर्ष, और स्कूल में नए माहौल में खुद को ढालने का संघर्ष। यह शीर्षक बताता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और निरंतर संघर्ष से किसी भी कठिन लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

8. यदि दत्ता जी राव लेखक की सहायता न करते तो कहानी का अंत क्या हो सकता था? इससे कहानी के उद्देश्य पर क्या प्रभाव पड़ता?

यदि दत्ता जी राव लेखक की सहायता न करते, तो संभवतः लेखक कभी स्कूल नहीं जा पाता और जीवन भर एक किसान बनकर रह जाता। उसकी काव्य-प्रतिभा कभी उजागर नहीं होती। कहानी का अंत निराशाजनक होता और यह संदेश नहीं दे पाती कि शिक्षा और दृढ़ संकल्प से व्यक्ति अपनी परिस्थितियों को बदल सकता है। इससे कहानी का मुख्य उद्देश्य, जो संघर्ष के बाद मिलने वाली सफलता को दिखाना है, अधूरा रह जाता।

9. लेखक और उनके पिता के बीच शिक्षा को लेकर जो वैचारिक मतभेद थे, वे तत्कालीन समाज की किन दो अलग-अलग विचारधाराओं को दर्शाते हैं?

लेखक और उनके पिता के बीच शिक्षा को लेकर मतभेद समाज की दो पीढ़ियों की भिन्न विचारधाराओं को दर्शाते हैं।

  • पिता की विचारधारा: यह परंपरावादी और कृषि-आधारित सोच का प्रतीक है, जहाँ पढ़ाई को समय की बर्बादी और खेती को ही आय का एकमात्र साधन माना जाता है।
  • लेखक की विचारधारा: यह आधुनिक और प्रगतिशील सोच का प्रतीक है, जहाँ शिक्षा को गरीबी से मुक्ति और बेहतर भविष्य के निर्माण का एक शक्तिशाली उपकरण माना जाता है।