Jujh Class 12 extra questions and answers Free PDF Download
FAQs on CBSE Important Questions for Class 12 Hindi Vitan Jujh - 2025-26
1. 'जूझ' पाठ के अनुसार, लेखक आनंदा का मन पाठशाला जाने के लिए क्यों तड़पता था?
लेखक आनंदा का मन पाठशाला जाने के लिए तड़पता था क्योंकि वह पढ़ाई के महत्व को समझता था। उसे लगता था कि खेती-बाड़ी में जीवन भर काम करने के बाद भी कुछ हासिल नहीं होगा। वह पढ़ाई करके नौकरी पाना चाहता था और अपने जीवन स्तर को सुधारना चाहता था। स्कूल जाना उसके लिए गरीबी और पिछड़ेपन के चक्र से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता था।
2. 'जूझ' कहानी में दत्ता जी राव की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के लिए यह प्रसंग क्यों महत्वपूर्ण है?
दत्ता जी राव 'जूझ' कहानी में एक महत्वपूर्ण और सहायक चरित्र हैं। उन्होंने लेखक की पढ़ाई के प्रति लगन को पहचाना और उसके पिता को बुलाकर उसे स्कूल भेजने के लिए राजी किया। उनकी भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे कहानी में एक निर्णायक मोड़ लाते हैं। उनके हस्तक्षेप के बिना, लेखक का स्कूल जाना संभव नहीं हो पाता। यह प्रसंग छात्रों को सिखाता है कि सही मार्गदर्शन और सामाजिक सहयोग किसी व्यक्ति के जीवन की दिशा बदल सकता है।
3. लेखक के पिता कोल्हू का काम सबसे पहले क्यों शुरू कर देते थे? इससे उनके किस स्वभाव का पता चलता है?
लेखक के पिता कोल्हू का काम सबसे पहले इसलिए शुरू कर देते थे क्योंकि उनका मानना था कि सबसे पहले गुड़ बाजार में ले जाने पर उसकी अच्छी कीमत मिलती है। जब बाजार में गुड़ की आवक बढ़ जाती थी, तो दाम गिर जाते थे। यह घटना उनके लालची और स्वार्थी स्वभाव को दर्शाती है, जहाँ वे तात्कालिक लाभ के लिए अपने बेटे की पढ़ाई जैसी महत्वपूर्ण चीज को भी नजरअंदाज कर देते हैं।
4. 'जूझ' कहानी के नायक आनंदा के चरित्र की वे कौन-सी विशेषताएँ हैं जो छात्रों को प्रेरित कर सकती हैं?
'जूझ' कहानी के नायक आनंदा के चरित्र में कई प्रेरक विशेषताएँ हैं, जो छात्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं:
- संघर्षशीलता: विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उसने पढ़ाई के लिए संघर्ष किया।
- अध्ययन के प्रति लगन: वह पढ़ाई को अपने भविष्य के लिए आवश्यक मानता था।
- रचनात्मकता: उसने अपनी काव्य प्रतिभा को पहचाना और उसे भैंस की पीठ पर या पत्थर पर लिखकर विकसित किया।
- आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प: उसने अपने पिता और सामाजिक बाधाओं का सामना करने का साहस दिखाया।
5. मराठी अध्यापक न. व. सौंदगेलकर ने लेखक के जीवन को किस प्रकार एक नई दिशा दी?
मराठी अध्यापक सौंदगेलकर ने लेखक के जीवन को पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने न केवल लेखक को कविता लिखने और गाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि कविता के छंद, लय, और अलंकारों का ज्ञान भी दिया। उनके सानिध्य में रहकर लेखक का अकेलापन दूर हो गया और उसे पढ़ाई में भी अधिक आनंद आने लगा। सौंदगेलकर ने लेखक के अंदर छिपे कवि को बाहर निकाला और उसे आत्मविश्वास से भर दिया।
6. सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी परीक्षा 2025-26 के लिए 'जूझ' पाठ से कौन-से दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक) अपेक्षित हैं?
सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2025-26 के लिए 'जूझ' पाठ से निम्नलिखित प्रकार के 5-अंकीय प्रश्न महत्वपूर्ण हो सकते हैं:
- 'जूझ' शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
- लेखक के चरित्र-चित्रण और उसकी संघर्ष-गाथा का वर्णन कीजिए।
- पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और उसके पिता के विचारों की तुलना करते हुए अपना मत प्रस्तुत कीजिए।
- श्री सौंदगेलकर के अध्यापन की उन विशेषताओं का उल्लेख करें जिन्होंने लेखक के कवि बनने में मदद की।
7. 'जूझ' शीर्षक कहानी के मूल संदेश से किस प्रकार संबंधित है? विश्लेषण कीजिए।
'जूझ' शीर्षक कहानी के मूल संदेश का सटीक प्रतिनिधित्व करता है। 'जूझ' का अर्थ है संघर्ष (Struggle)। यह कहानी लेखक आनंदा के बहुस्तरीय संघर्ष को दर्शाती है - अपने पिता की सोच के विरुद्ध संघर्ष, खेती के कठिन काम के साथ पढ़ाई का संघर्ष, और स्कूल में नए माहौल में खुद को ढालने का संघर्ष। यह शीर्षक बताता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और निरंतर संघर्ष से किसी भी कठिन लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
8. यदि दत्ता जी राव लेखक की सहायता न करते तो कहानी का अंत क्या हो सकता था? इससे कहानी के उद्देश्य पर क्या प्रभाव पड़ता?
यदि दत्ता जी राव लेखक की सहायता न करते, तो संभवतः लेखक कभी स्कूल नहीं जा पाता और जीवन भर एक किसान बनकर रह जाता। उसकी काव्य-प्रतिभा कभी उजागर नहीं होती। कहानी का अंत निराशाजनक होता और यह संदेश नहीं दे पाती कि शिक्षा और दृढ़ संकल्प से व्यक्ति अपनी परिस्थितियों को बदल सकता है। इससे कहानी का मुख्य उद्देश्य, जो संघर्ष के बाद मिलने वाली सफलता को दिखाना है, अधूरा रह जाता।
9. लेखक और उनके पिता के बीच शिक्षा को लेकर जो वैचारिक मतभेद थे, वे तत्कालीन समाज की किन दो अलग-अलग विचारधाराओं को दर्शाते हैं?
लेखक और उनके पिता के बीच शिक्षा को लेकर मतभेद समाज की दो पीढ़ियों की भिन्न विचारधाराओं को दर्शाते हैं।
- पिता की विचारधारा: यह परंपरावादी और कृषि-आधारित सोच का प्रतीक है, जहाँ पढ़ाई को समय की बर्बादी और खेती को ही आय का एकमात्र साधन माना जाता है।
- लेखक की विचारधारा: यह आधुनिक और प्रगतिशील सोच का प्रतीक है, जहाँ शिक्षा को गरीबी से मुक्ति और बेहतर भविष्य के निर्माण का एक शक्तिशाली उपकरण माना जाता है।

















