CBSE Class 12 Hindi Antral Important Questions Chapter 3 - Aapna Malwa - Khau Ujaru Sabhyata Me - Free PDF Download
FAQs on CBSE Important Questions for 2024-25 Class 12 Hindi Antral Chapter 3 - Aapna Malwa - Khau Ujaru Sabhyata Me
1. CBSE 2025-26 परीक्षा के लिए 'अपना मालवा' पाठ से कौन-से 2-अंकीय प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
इस अध्याय से 2-अंकीय प्रश्नों में अक्सर मुख्य अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। कुछ अपेक्षित प्रश्न हैं:
- 'खाऊ-उजाड़ू सभ्यता' से लेखक का क्या तात्पर्य है? उत्तर में आपको बताना होगा कि यह आधुनिक औद्योगिक सभ्यता को संदर्भित करता है जो उपभोग पर आधारित है और प्रकृति को नष्ट करती है।
- मालवा में जल संरक्षण के लिए किन राजाओं ने योगदान दिया? यहाँ राजा विक्रमादित्य, भोज और मुंज का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है।
- 'पुरइन' किसे कहते हैं और यह किस बात का प्रतीक है? यह कमल-पत्र पर भोजन परोसने की परंपरा है, जो प्रकृति के साथ सामंजस्य का प्रतीक है।
2. 'अपना मालवा' पाठ के अनुसार, वातावरण के गर्म होने के क्या कारण हैं और मालवा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है?
पाठ के अनुसार, वातावरण के गर्म होने के मुख्य कारण हैं:
- उद्योगों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें।
- जंगलों की अंधाधुंध कटाई।
- आधुनिक जीवनशैली जो प्रकृति का अत्यधिक दोहन करती है।
इसका मालवा पर सीधा प्रभाव पड़ा है। लेखक बताते हैं कि इस वजह से मौसम का चक्र बिगड़ गया है और मालवा में अब पहले जैसी बारिश नहीं होती, जिससे वहाँ की जीवनशैली और कृषि प्रभावित हुई है।
3. लेखक आज के इंजीनियरों को जल प्रबंधन के संदर्भ में भ्रमित क्यों मानते हैं? उन्होंने इस भ्रम को कैसे दूर किया?
लेखक आज के इंजीनियरों को भ्रमित मानते हैं क्योंकि वे यह सोचते हैं कि जल प्रबंधन का ज्ञान उन्हें पश्चिमी देशों से मिला है और भारत के पास इस क्षेत्र में कोई प्राचीन ज्ञान नहीं था।
लेखक इस भ्रम को दूर करने के लिए प्राचीन भारतीय राजाओं का उदाहरण देते हैं। वे बताते हैं कि राजा विक्रमादित्य, भोज और मुंज जैसे शासकों ने अपने समय में ही तालाब, बावड़ियाँ और झीलें बनवाकर जल संरक्षण की उत्कृष्ट व्यवस्था की थी। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत के पास जल प्रबंधन का अपना पारंपरिक और सफल ज्ञान था।
4. मालवा में अत्यधिक बारिश होने पर जन-जीवन पर पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का वर्णन करें।
पाठ के अनुसार, मालवा में अत्यधिक बारिश के दोहरे प्रभाव पड़ते हैं:
- सकारात्मक प्रभाव: इससे जमीन का जल स्तर बढ़ता है, कुएँ और तालाब भर जाते हैं जो साल भर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। फसलों, विशेषकर सोयाबीन, के लिए यह लाभदायक होता है।
- नकारात्मक प्रभाव: ज़्यादा बारिश से फसलें गल जाती हैं। नदी-नाले उफान पर आ जाते हैं, जिससे बाढ़ का खतरा होता है। लोगों के घर पानी में डूब जाते हैं और यातायात बाधित हो जाता है, जिससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
5. 'अपना मालवा' पाठ से 5-अंकीय महत्वपूर्ण प्रश्नों (HOTS) का उत्तर लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
5-अंकीय प्रश्नों में पूरे अंक प्राप्त करने के लिए, छात्रों को सिर्फ तथ्यों को सूचीबद्ध करने के बजाय विश्लेषण पर ध्यान देना चाहिए।
- भूमिका: उत्तर की शुरुआत प्रश्न के मुख्य विषय को समझाते हुए करें।
- तर्कपूर्ण बिंदु: कम से कम 3-4 बिंदुओं में अपने तर्क को पाठ से उदाहरणों के साथ प्रस्तुत करें। जैसे, 'खाऊ-उजाड़ू सभ्यता' की आलोचना करते हुए पर्यावरण, संस्कृति और जीवनशैली पर इसके प्रभावों का विश्लेषण करें।
- लेखक का दृष्टिकोण: अपने उत्तर में यह स्पष्ट करें कि लेखक का दृष्टिकोण क्या है और वह ऐसा क्यों सोचते हैं।
- निष्कर्ष: अंत में, सभी बिंदुओं को सारांशित करते हुए एक प्रभावशाली निष्कर्ष लिखें जो पाठ के मूल संदेश को रेखांकित करता हो।
6. यह अध्याय CBSE पाठ्यक्रम के 'पर्यावरण संरक्षण' और 'सांस्कृतिक विरासत के महत्व' जैसे व्यापक विषयों से कैसे जुड़ता है?
यह अध्याय इन विषयों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दिखाता है कि कैसे आधुनिक औद्योगिक विकास (खाऊ-उजाड़ू सभ्यता) ने मालवा की पारंपरिक, पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली को नष्ट कर दिया है। पाठ यह सवाल उठाता है कि क्या विकास के लिए अपनी सांस्कृतिक जड़ों और प्राकृतिक संतुलन को खो देना उचित है। यह CBSE के उन लक्ष्यों को सीधे संबोधित करता है जो छात्रों को सतत विकास और अपनी विरासत का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
7. 'अपना मालवा' पाठ का अध्ययन करते समय छात्र कौन-सी आम वैचारिक गलती करते हैं?
एक आम गलती यह है कि छात्र इस पाठ को केवल पुराने और नए समय की एक साधारण तुलना के रूप में देखते हैं। जबकि, पाठ का गहरा उद्देश्य सिर्फ तुलना करना नहीं, बल्कि यह चेतावनी देना है कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम प्रकृति और अपनी संस्कृति से कितना दूर हो गए हैं। इसका मुख्य संदेश पारिस्थितिक संतुलन और पारंपरिक ज्ञान के सम्मान की वकालत करना है, जिसे अक्सर छात्र नजरअंदाज कर देते हैं।
8. लेखक औद्योगिक सभ्यता को 'उजाड़ की सभ्यता' क्यों कहते हैं? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
लेखक औद्योगिक सभ्यता को 'उजाड़ की सभ्यता' इसलिए कहते हैं क्योंकि यह विकास के नाम पर विनाश करती है। यह सभ्यता:
- प्राकृतिक संसाधनों का बेरहमी से उपभोग करती है।
- नदियों और पर्यावरण को प्रदूषित करती है।
- पारंपरिक ज्ञान और जीवन-शैलियों को नष्ट (उजाड़) कर देती है जो प्रकृति के साथ सामंजस्य में थीं।
संक्षेप में, यह सभ्यता हमें जो आराम देती है, उसकी कीमत हमारे पर्यावरण और संस्कृति को उजाड़ कर वसूलती है, इसीलिए लेखक ने यह शब्द प्रयोग किया है।

















