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Class 7 Hindi Chapter 4 NCERT Solutions: Paani Re Paani (Stepwise Answers)

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How to Write Stepwise Answers for NCERT Class 7 Hindi Chapter 4

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How to Write Stepwise Answers for NCERT Class 7 Hindi Chapter 4

पाठ से


मेरी समझ से


(क) निम्नलिखित प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।


प्रश्न 1.    
हमारा भूजल भंडार निम्नलिखित में से किससे समृद्ध होता है?           


  • नल सूख जाने से ।

  • पानी बरसने से।

  • तालाब और झीलों से।   

  • बाढ़ आने से ।


उत्तर:

  • पानी बरसने से।

  • तालाब और झीलों से।


प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन – सी बात जल चक्र से संबंधित है?

  • वर्षा जल का संग्रह करना ।                   

  • समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना ।    

  • नदियों का समुद्र में जाकर मिलना ।

  • बरसात में चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देना ।


उत्तर:

  • समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना । (★)

  • नदियों का समुद्र में जाकर मिलना ।


प्रश्न 3.
“इस बड़ी गलती की सजा अब हम सबको मिल रही है।” यहाँ किस गलती की ओर संकेत किया गया है?  

  • जल – चक्र की अवधारणा को न समझना ।

  • आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग करना ।

  • तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना ।

  • भूजल भंडारण के विषय में विचार न करना ।


उत्तर:

  • तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना । (*)

  • भूजल भंडारण के विषय में विचार न करना। (*)


(ख) अब अपने मित्रों के साथ संवाद कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?


उत्तर: पाठ में भूजल भंडार को बढ़ाने में वर्षा, तालाब और झीलों को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए मैंने ये विकल्प चुने हैं।        

इस प्रश्न के लिए मेरे द्वारा चुने गए दोनों विकल्प तर्कसंगत हैं, क्योंकि ये प्राकृतिक जल–चक्र की प्रक्रिया से सीधे जुड़े हुए हैं।      


मैंने दोनों विकल्प इसलिए चुने क्योंकि पाठ में ‘बड़ी गलती’ के रूप में तालाबों को कचरे से भरकर नष्ट कर देना बताया गया है। यह हमारी दूरदृष्टि की कमी को दर्शाता है। साथ ही, हम भूजल को संरक्षित करने और जल–संचयन की पारंपरिक प्रणाली को बनाए रखने में असफल रहे, जिसके कारण यह समस्या और गंभीर हो गई।

(विद्यार्थी अपने मित्रों के साथ चर्चा करके बताएँगे कि उन्होंने अपने विकल्प क्यों चुने।)


मिलकर करें मिलान


• पाठ में से कुछ शब्द समूह या संदर्भ चुनकर स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके अर्थ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए-


स्तंभ 1

स्तंभ 2

1. वर्षा जल संचयन

1. ज़मीन के नीचे छिपा जल भंडार

2. जल स्रोत

2. वर्षा के जल को प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से (मानवीय प्रयासों से) धरती में संचित करना

3. जल-चक्र

3. जल की अनवरत कमी होना

4. भूजल

4. समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर पानी में बदलना और वर्षा के द्वारा पुनः समुद्र में मिल जाना


उत्तर:
1. – 2
2. – 3
3. – 4
4. – 1


पंक्तियों पर चर्चा


इस पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और अपने सहपाठियों से चर्चा कीजिए ।

  • “पानी आता भी है तो बेवक्त।”

  • “देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं।”

  • “कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है। “

  • ‘अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’


उत्तर:

1. “पानी आता भी है तो बेवक्त।”

कारण—

  • पानी की आपूर्ति नियमित न होना

  • पाइपलाइन में रिसाव

  • पंपिंग स्टेशन की तकनीकी समस्याएँ

  • जल-संचयन और जल-वितरण में असमानता

समाधान—

  • पाइपलाइनों की समय पर मरम्मत

  • पंपिंग स्टेशन का बेहतर रखरखाव

  • जल-संचयन और जल-वितरण में संतुलन बनाना

2. “देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं।”

कारण—

  • बारिश की कमी

  • जल संसाधनों का अभाव

  • बढ़ती जनसंख्या

  • पानी की बरबादी

  • ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण

समाधान—

  • वर्षा जल-संचयन को बढ़ावा

  • प्रभावी जल-प्रबंधन

  • जल-प्रदूषण पर नियंत्रण

  • अधिक पेड़-पौधे लगाना और उनका संरक्षण

3. “कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है।”

कारण—

  • जल भराव

  • जल-निकासी की उचित व्यवस्था का अभाव

  • कमजोर बुनियादी ढाँचा

  • अतिक्रमण

समाधान—

  • बेहतर जल-निकासी प्रणाली

  • बुनियादी ढाँचे में सुधार

  • जल-संचयन को प्रोत्साहन

  • अतिक्रमण पर रोक

4. “अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”

कारण—

  • ग्लोबल वार्मिंग में लगातार वृद्धि

  • पेड़ों और वनस्पतियों का नष्ट होना

  • जल-संरक्षण की अनदेखी

समाधान—

  • प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग

  • वनस्पति और पर्यावरण संरक्षण

  • पारंपरिक जल-संरक्षण तकनीकों को अपनाना


सोच-विचार के लिए


लेख को एक बार पुनः पढ़िए और निम्नलिखित के विषय में पता लगाकर लिखिए-


लेख को एक बार पुनः पढ़िए और निम्नलिखित के विषय में पता लगाकर लिखिए-


(क) पाठ में धरती को एक बहुत बड़ी गुल्लक क्यों कहा गया है?


उत्तर: पानी रे पानी’ पाठ में धरती को एक बड़ी गुल्लक इसलिए कहा गया है क्योंकि वह पानी को अपने भीतर संचित करती है। जैसे हम गुल्लक में पैसे जमा करते हैं, उसी तरह पानी धरती में इकट्ठा होता है और बाद में विभिन्न जरूरतों के लिए उपयोग में आता है।


(ख) जल-चक्र की प्रक्रिया कैसे पूरी होती है ?  


उत्तर: जल-चक्र एक प्राकृतिक और लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पृथ्वी पर पानी विभिन्न रूपों में घूमता रहता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत सूर्य की गर्मी से होती है। सूर्य के ताप के कारण समुद्र, नदी, झील और अन्य जल स्रोतों का पानी भाप बनकर ऊपर उठता है, जिसे वाष्पीकरण (Evaporation) कहते हैं। इसी तरह पेड़-पौधे भी अपनी पत्तियों से जल को भाप के रूप में छोड़ते हैं, इस प्रक्रिया को संवहन (Transpiration) कहा जाता है।

 

जब जल-वाष्प ऊँचाई पर पहुँचती है, तो ठंडी हवा के संपर्क में आने पर वह ठंडी होकर बादलों में बदल जाती है। इस प्रक्रिया को संघनन (Condensation) कहा जाता है। बादलों में जल की मात्रा अधिक होने पर पानी वर्षा, हिम या ओलों के रूप में पृथ्वी पर वापस गिरता है, जिसे वर्षा (Precipitation) कहते हैं।

गिरा हुआ जल पुनः नदियों, झीलों, समुद्रों और भूजल में एकत्र होता है। फिर सूर्य की गर्मी के कारण यह जल दोबारा वाष्पित होकर ऊपर उठता है और जल-चक्र निरंतर चलता रहता है। यह प्रक्रिया पृथ्वी पर पानी की निरंतर उपलब्धता बनाए रखती है और जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।


(ग) यदि सारी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ तो क्या होगा?   


उत्तर: यदि सभी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ, तो इसके परिणाम अत्यंत गंभीर होंगे। संभावित प्रभाव इस प्रकार हैं—

1. पानी की भारी कमी      

सबसे बड़ा असर पीने योग्य पानी की कमी के रूप में दिखाई देगा। लोगों को रोज़मर्रा की आवश्यकताओं के लिए पानी जुटाना भी कठिन हो जाएगा।

2. कृषि पर गहरा प्रभाव

सिंचाई के लिए पानी न मिलने से फसलें नष्ट होंगी और खाद्य-सुरक्षा संकट में पड़ जाएगी।

3. जलवायु परिवर्तन तेज़ होना

जल स्रोतों के समाप्त होने से तापमान बढ़ेगा और मौसम की अनियमितता और अधिक बढ़ जाएगी।

4. जैव विविधता को खतरा

नदियों और झीलों के सूखने से अनेक जलीय और स्थलीय जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। कई प्रजातियाँ विलुप्त भी हो सकती हैं।

5. आर्थिक गतिविधियों पर असर

मत्स्य पालन, जल विद्युत परियोजनाएँ, पर्यटन जैसे कई उद्योग बुरी तरह प्रभावित होंगे, जिससे आर्थिक नुकसान बढ़ेगा।

6. मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव

पानी की कमी से जलजनित बीमारियाँ बढ़ेंगी, पोषण की कमी होगी और स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकता है।


(घ) पाठ में पानी को रुपयों से भी कई गुना मूल्यवान क्यों बताया गया है ?


उत्तर: पानी की महत्ता इस प्रकार समझी जा सकती है—


1. जीवन के लिए अनिवार्य
पानी मनुष्य की सबसे पहली आवश्यकता है। इसके बिना जीवित रहना असंभव है, जबकि रुपये की ज़रूरत इसके बाद आती है।


2. स्वास्थ्य के लिए आवश्यक
स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्वच्छ पानी आवश्यक है। स्वस्थ रहने के लिए सिर्फ़ धन पर्याप्त नहीं होता।


3. अपरिहार्य साधन
पानी जीवन, कृषि, जीव-जंतुओं और पर्यावरण—सबके लिए अनिवार्य है। रुपये का उपयोग कई स्थितियों में वैकल्पिक हो सकता है, पर पानी के बिना कुछ भी संभव नहीं।


शीर्षक


(क) इस पाठ का शीर्षक ‘पानी रे पानी’ दिया गया है। पाठ का यह नाम क्यों दिया गया होगा? अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करके लिखिए। अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।

उत्तर: इस शीर्षक के पीछे प्रमुख कारण—


1. पानी की महत्ता को दर्शाता है
पूरे पाठ में पानी की आवश्यकता, उसके महत्व और उसकी कमी से होने वाले असर की चर्चा की गई है, जिसे यह शीर्षक सटीक रूप से प्रकट करता है।

2. भावनात्मक प्रभाव  
‘पानी रे पानी’ शीर्षक में एक भावनात्मक स्पर्श है, जो पाठक को पानी की कीमत समझने और उसके संरक्षण की ओर प्रेरित करता है।

3. सरल और सहज शीर्षक
यह शीर्षक सरल, समझने में आसान और तुरंत ध्यान आकर्षित करने वाला है, जिससे पाठक को पाठ का मुख्य विषय आसानी से समझ में आ जाता है।


यह शीर्षक सरल, समझने में आसान और तुरंत ध्यान आकर्षित करने वाला है, जिससे पाठक को पाठ का मुख्य विषय आसानी से समझ में आ जाता है।


(ख) आप इस पाठ को क्या नाम देना चाहेंगे? इसका कारण लिखिए।


उत्तर: ‘पानी रे पानी’ का एक और शीर्षक ‘पानी की महत्ता’ या ‘जीवन में पानी का महत्व’ रखा जा सकता है। यह शीर्षक पाठ के मूल विचार को स्पष्ट रूप से सामने लाता है और पाठक को इसके उद्देश्य को समझने में मदद करता है।

इस शीर्षक को देने के कारण—

1. स्पष्टता
यह शीर्षक पाठ के प्रमुख विषय — पानी की आवश्यकता और महत्ता — को सीधे व्यक्त करता है।

2. प्रासंगिकता
यह शीर्षक पाठ की सामग्री से पूरी तरह जुड़ा हुआ है और पाठ का उद्देश्य तुरंत स्पष्ट कर देता है।

3. सरलता
शीर्षक सरल, सहज और समझने में आसान है, जिससे पाठक आसानी से आकर्षित होता है।


शब्दों की बात


बात पर बल देना


  • “हमारी यह धरती भी इसी तरह की एक गुल्लक है। “

  • “हमारी यह धरती इसी तरह की एक गुल्लक है।’


(क) इन दोनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए। दूसरे वाक्य में कौन-सा शब्द हटा दिया गया है? उस शब्द को हटा देने से वाक्य के अर्थ में क्या अंतर आया है, पहचान कर लिखिए।

उत्तर:

हटाया गया शब्द ‘भी’ है, जिसका अर्थ ‘सहित’ या ‘अतिरिक्त’ होता है। ‘भी’ एक निपात है, जो वाक्य के अर्थ को बल देता है। जिस स्थान पर इसका प्रयोग किया गया था, वहाँ यह ‘धरती’ शब्द पर जोर देता है। इसी कारण, इस शब्द के उपयोग या हटाने से दोनों वाक्यों के प्रभाव में अंतर दिखाई देता है।


(ख) पाठ में ऐसे ही कुछ और शब्द भी आए हैं जो अपनी उपस्थिति से वाक्य में विशेष प्रभाव उत्पन्न करते हैं। पाठ को फिर से पढ़िए और इस तरह के शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए ।


उत्तर: • एक सुंदर-सा चित्र भी दिया गया है।
• चित्र में कुछ तीर भी दर्शाए गए हैं।
• यह तो जल-चक्र की पुस्तक में बताई गई जानकारी हुई।
• अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

(विद्यार्थी इसी प्रकार के अन्य वाक्य पाठ से स्वयं खोजकर लिखने का प्रयास करें।)


समानार्थी शब्द


• नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के स्थान पर समान अर्थ देने वाले उपयुक्त शब्द लिखिए। इस कार्य के लिए आप बादल में से शब्द चुन सकते हैं।


नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के स्थान पर समान अर्थ देने वाले उपयुक्त शब्द लिखिए। इस कार्य के लिए आप बादल में से शब्द चुन सकते हैं।


(क) सूरज की किरणें पड़ते ही फूल खिल उठे।

(ख) समुद्र का पानी भाप बनकर ऊपर जाता है।

(ग) अचानक बादल गरजने लगा।

(घ) जल-चक्र में हवा की भी बहुत बड़ी भूमिका है।


उत्तर:

(क) सूर्य – भास्कर, दिवाकर, दिनकर

(ख) वाष्प – नीर

(ग) मेघ – जलद, वारिद, समीर

(घ) वायु – पवन


उपसर्ग

(उपसर्ग को समझने के लिए विद्यार्थी पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 48 देखें।)

“देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं।”

उपर्युक्त वाक्य में रेखांकित शब्द में ‘अ’ ने ‘काल’ शब्द में जुड़कर एक नया अर्थ दिया है। काल का अर्थ है— समय, मृत्यु। जबकि अकाल का अर्थ है— कुसमय, सूखा। कुछ शब्दांश किसी शब्द के आंरभ में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या कोई विशेषता उत्पन्न कर देते हैं और इस प्रकार नए शब्दों का निर्माण करते हैं। इस तरह के शब्दांश ‘उपसर्ग’ कहलाते हैं।

आइए, कुछ और उपसर्गों की पहचान करते हैं—


आइए, कुछ और उपसर्गों की पहचान करते हैं—


 अब आप भी उपसर्ग के प्रयोग से नए शब्द बनाकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए-


अब आप भी उपसर्ग के प्रयोग से नए शब्द बनाकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए-


उत्तर:


अब आप भी उपसर्ग के प्रयोग से नए शब्द बनाकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए-


पाठ से आगे


आपकी बात


(क) धरती की गुल्लक में जलराशि की कमी न हो इसके लिए आप क्या-क्या प्रयास कर सकते हैं, अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करके लिखिए।


उत्तर:

धरती की ‘गुल्लक’ में जलराशि की कमी न हो, इसके लिए हम कई महत्वपूर्ण प्रयास कर सकते हैं:

1. जल-संचयन

वर्षा जल को इकट्ठा करके हम भूजल स्तर बढ़ा सकते हैं। इससे पानी की कमी कम होती है और भविष्य के लिए जल सुरक्षित रहता है।

2. जल की बचत

पानी का सोच-समझकर उपयोग करना जरूरी है—जैसे शॉवर की बजाय बाल्टी से नहाना, नलों को खुला न छोड़ना और पानी की अनावश्यक बर्बादी रोकना।

3. वृक्षारोपण

पेड़ लगाने से जल-चक्र संतुलित रहता है, मिट्टी में नमी बढ़ती है और जलराशि का संरक्षण होता है।

4. जल-प्रदूषण पर नियंत्रण

जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाकर हम उपलब्ध जल को सुरक्षित रख सकते हैं और उसे उपयोग योग्य बना सकते हैं।

5. जन-जागरूकता

लोगों को जल-संचयन, जल-संरक्षण और जल की महत्ता के बारे में जागरूक करना भी अत्यंत आवश्यक है।


(ख) इस पाठ में एक छोटे से खंड में जल चक्र की प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है। उस खंड की पहचान करें और जल चक्र को चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करें।


उत्तर: विद्यार्थी यह कार्य स्वयं पूरा करेंगे।


(ग) अपने द्वारा बनाए गए जल चक्र के चित्र का विवरण प्रस्तुत कीजिए ।


उत्तर: विद्यार्थी यह कार्य स्वयं पूरा करेंगे।




सृजन


(क) कल्पना कीजिए कि किसी दिन आपके घर में पानी नहीं आया। आपको विद्यालय जाना है। आपके घर के समीप ही एक सार्वजनिक नल है । आप बालटी आदि लेकर वहाँ पहुँचते हैं और ठीक उसी समय आपके पड़ोसी भी पानी लेने पहुँच जाते हैं। आप दोनों ही अपनी-अपनी बालटी पहले भरना चाहते हैं। ऐसी परिस्थिति में आपस में किसी प्रकार का विवाद (तू-तू-मैं-मैं) न हो, यह ध्यान में रखते हुए पाँच संदेश वाक्य (स्लोगन) तैयार कीजिए ।


उत्तर: पानी सबके लिए है, इसलिए इसे सभी में बराबर बाँटना चाहिए — हम सब एक साथ हैं।
• हमारा पानी, सबका सम्मान — पानी की कद्र करें और दूसरों तक भी पहुँचाएँ।
• प्यास बुझाना मानवता का धर्म है — अपने पड़ोसी की प्यास भी शांत करें।
• पड़ोसियों की मदद कर पानी बाँटें, इससे प्रेम और सहयोग बढ़ता है।
• पानी की हर बूँद कीमती है, और पड़ोसी के लिए भी उतनी ही ज़रूरी।


(ख) “सूरज, समुद्र, बादल, हवा, धरती, फिर बरसात की बूँदें और फिर बहती हुई एक नदी और उसके किनारे बरसा तुम्हारा, हमारा घर, गाँव या शहर । ”

इस वाक्य को पढ़कर आपके सामने कोई एक चित्र उभय आया होगा, उस चित्र को बनाकर उसमें रंग भरिए ।


उत्तर: विद्यार्थी स्वयं चित्र तैयार करके उसमें रंग भरेंगे।


पानी रे पानी


नीचे हम सबकी दिनचर्या से जुड़ी कुछ गतिविधियों के चित्र हैं। उन चित्रों पर बातचीत कीजिए जो धर पानी के संकट को कम करने में सहायक हैं और उन चित्रों पर भी बात करें जो पानी की गुल्लक को जल्दी ही खाली कर रहे हैं।  


नीचे हम सबकी दिनचर्या से जुड़ी कुछ गतिविधियों के चित्र हैं। उन चित्रों पर बातचीत कीजिए जो धर पानी के संकट को कम करने में सहायक हैं और उन चित्रों पर भी बात करें जो पानी की गुल्लक को जल्दी ही खाली कर रहे हैं।


• (प्रश्न पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 50 पर देखें ।)


उत्तर:


विद्यार्थी स्वयं करें।


सबका पानी


• ‘सभी को अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी कैसे मिले’ इस विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन करें। परिचर्चा के मुख्य बिंदुओं को आधार बनाते हुए रिपोर्ट तैयार करें।


उत्तर: विषय : सभी को आवश्यक मात्रा में पानी कैसे उपलब्ध हो
स्थान : सर्वोदय विद्यालय, सभा कक्ष
तिथि : 23 अप्रैल, 20xx


परिचय :

पानी मानव जीवन की सबसे आवश्यक जरूरतों में से एक है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या, शहरी विस्तार और जल संसाधनों के असंतुलित उपयोग के कारण पानी का संकट लगातार बढ़ रहा है। इसी गंभीर समस्या पर सोच-विचार करने और समाधान तलाशने के उद्देश्य से हमारे विद्यालय में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।

परिचर्चा के मुख्य बिंदु

1. जल संरक्षण के उपाय

  • वर्षा जल संचयन को अपनाना

  • घरेलू जल का पुनः उपयोग

  • नलों से होने वाली पानी की बर्बादी रोकना

2. समान जल वितरण

  • सभी क्षेत्रों में बराबर जल आपूर्ति सुनिश्चित करना

  • सरकारी योजनाओं का सही ढंग से लागू होना

  • जल वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाना

3. जन-जागरूकता अभियान

  • “जल ही जीवन है” जैसे अभियानों को प्रोत्साहित करना

  • लोगों में कम पानी में अधिक काम करने की आदत विकसित करना

  • स्कूलों और पंचायतों में ‘जल बचाओ’ कार्यक्रम आयोजित करना

4. तकनीकी उपाय

  • ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक सिंचाई प्रणालियों का उपयोग

  • पानी की मात्रा और गुणवत्ता की जाँच के लिए सेंसर लगाना

5. सामुदायिक भागीदारी और नीति निर्माण

  • गाँव और शहरों में जल प्रबंधन समितियाँ बनाना

  • जल संबंधी नियमों और कानूनों का कड़ाई से पालन कराना

निष्कर्ष

परिचर्चा में सभी छात्र और अध्यापक इस बात पर सहमत थे कि अगर हम पानी की महत्ता को समझें और सावधानीपूर्वक उसका उपयोग करें, तो हर व्यक्ति को उसकी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त जल उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए सरकार, समाज और हर नागरिक को मिलकर कार्य करना आवश्यक है।

सुझाव

  • हर घर में वर्षा जल संचयन प्रणाली अनिवार्य की जाए।

  • स्कूलों के पाठ्यक्रम में जल संरक्षण से संबंधित विशेष अध्याय शामिल हों।

  • प्रत्येक मोहल्ले में जल संरक्षण के लिए जागरूकता शिविर लगाए जाएँ।

रिपोर्ट प्रस्तुतकर्ता

संतोष शर्मा
सर्वोदय विद्यालय
23 अप्रैल, 20xx


दैनिक कार्यों में पानी


(क) क्या आपने कभी यह जानने का प्रयास किया है कि आपके घर में एक दिन में औसतन कितना पानी खर्च होता है? अपने घर में पानी के उपयोग से जुड़ी एक तालिका बनाइए। इस तालिका के आधार पर पता लगाइए-

  • घर के कार्यों में एक दिन में लगभग कितना पानी खर्च होता है? (बालटी, घड़े या किसी अन्य बर्तन को मापक बना सकते हैं)

  • आपके माँ और पिता या घर के अन्य सदस्य पानी बचाने के लिए क्या-क्या उपाय करते हैं?


(ख) क्या आपको अपनी आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध हो जाता है? यदि हाँ, तो कैसे? यदि नहीं, तो क्यों?

(ग) आपके घर में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पानी का संचयन कैसे और किन पात्रों में किया जाता है?


• (प्रश्न पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ संख्या – 51 पर देखें।)


उत्तर: विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन के अनुभवों के आधार पर यह कार्य स्वयं पूरा करेंगे।


जन सुविधा के रूप में जल


नीचे दिए गए चित्रों को ध्यान से देखिए —   


नीचे दिए गए चित्रों को ध्यान से देखिए —


इन चित्रों के आधार पर जल आपूर्ति की स्थिति के बारे में अपने साथियों से चर्चा कीजिए और उसका विवरण लिखिए |

• (प्रश्न पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ संख्या – 51 पर देखें।)


उत्तर: विद्यार्थी अपने साथियों से चर्चा करके अपने क्षेत्र की जल आपूर्ति की स्थिति का विवरण स्वयं लिखेंगे।


बिना पानी सब सून


(क) पाठ में भूजल स्तर के कम होने के कुछ कारण बताए गए हैं, जैसे- तालाबों में कचरा फेंककर भरना आदि। भूजल स्तर कम होने के और क्या-क्या कारण हो सकते हैं? पता लगाइए और कक्षा में प्रस्तुत कीजिए ।
(इसके लिए आप अपने सहपाठियों, शिक्षकों और घर के सदस्यों की सहायता भी ले सकते हैं ।)

उत्तर:

तालाबों में कचरा भरने के अलावा भी कई कारण हैं जिनसे भूजल स्तर कम होता है और जल-संकट बढ़ता है, जैसे—


  • अत्यधिक जल दोहन: खेती, उद्योग और घरेलू उपयोग में आवश्यकता से अधिक पानी निकालना।

  • वर्षा जल का ज़मीन में न समा पाना: अधिक पक्की सतहों के कारण बारिश का पानी धरती के भीतर नहीं जा पाता।

  • पेड़ों की कटाई: पेड़-पौधे जल को जमीन में पहुँचाने में मदद करते हैं, इसलिए इनके कटने से जल संरक्षण घट जाता है।

  • तालाबों और कुओँ का नष्ट होना: परंपरागत जल स्रोतों को बंद या भर देने से पानी का प्राकृतिक संचयन रुक जाता है।

  • जनसंख्या वृद्धि: अधिक जनसंख्या अधिक पानी की माँग पैदा करती है, जिसके कारण भूजल का अत्यधिक दोहन होता है।

(ख) भूजल स्तर की कमी से हमें आजकल किन कठिनाइयों का समाना करना पड़ता है?


उत्तर: यहाँ आपके पूरे उत्तर का स्पष्ट, सरल और सुव्यवस्थित पुनर्लेखन प्रस्तुत है—अर्थ वही रखते हुए भाषा को अधिक प्रभावी बनाया गया है:

भूजल स्तर कम होने से होने वाली कठिनाइयाँ—


  • पानी की कमी: पीने, नहाने और भोजन बनाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता।

  • कृषि पर असर: सिंचाई के अभाव में फसलें सूख जाती हैं और खेती बुरी तरह प्रभावित होती है।

  • हैंडपंप और बोरवेल सूखना: ग्रामीण क्षेत्रों में यह सबसे बड़ी समस्या बन जाती है, क्योंकि ऐसे साधन काम करना बंद कर देते हैं।

  • पानी के खर्च में वृद्धि: लोगों को टैंकर या बोतलबंद पानी खरीदना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।

  • पानी को लेकर विवाद: एक ही जल स्रोत पर कई लोगों की निर्भरता बढ़ने से आपसी झगड़े और तनाव पैदा हो जाते हैं।


(ग) आपके विद्यालय, गाँव या शहर के स्थानीय प्रशासन द्वारा भूजल स्तर बढ़ाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे है, पता लगाकर लिखिए।


उत्तर: स्थानीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास—


  • जल संरक्षण अभियान: ‘जल शक्ति अभियान’ और ‘जल बचाओ’ जैसी योजनाओं के माध्यम से पानी बचाने की पहल।

  • वर्षा जल संचयन: घरों, स्कूलों और सरकारी भवनों में वर्षा जल संग्रहण को अनिवार्य बनाया जा रहा है।

  • तालाबों व झीलों का पुनर्जीवन: पुराने जल स्रोतों की सफाई कर उन्हें फिर से उपयोग योग्य बनाया जा रहा है।

  • जन-जागरूकता कार्यक्रम: लोगों को पानी के महत्व और संरक्षण के बारे में जागरूक करना।

  • पेड़ लगाने की पहल: वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर जल संरक्षण में सहायता मिलती है।

यह भी जानें


वर्षा जल संग्रहण


वर्षा के जल को एकत्र करना और उसका भंडारण करके बाद में प्रयोग करना जल की उपलब्धता में वृद्धि करने का एक उपाय है। इस उपाय द्वारा वर्षा का जल एकत्र करने को ‘वर्षा जल संग्रहण’ कहते हैं। वर्षा जल संग्रहण का मूल उद्देश्य यही है कि “जल जहाँ गिरे वहीं एकत्र कीजिए।” वर्षा जल संग्रहण की एक 


तकनीक इस प्रकार है—

छत के ऊपर वर्षा जल संग्रहण

इस प्रणाली में भवनों की छत पर एकत्रित वर्षा जल को पाइप द्वारा भंडारण टंकी में पहुँचाया जाता है। इस जल में छत पर उपस्थित मिट्टी के कण मिल जाते हैं। अत: इसका उपयोग करने से पहले इसे स्वच्छ करना आवश्यक होता है।

(‘वर्षा-जल संग्रहण’ से संबंधित अंश पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या- 52 पर देखें।)


 अपने घर या विद्यालय के आस-पास, मुहल्ले या गाँव में पता लगाइए कि वर्षा जल संग्रहण की कोई विधि अपनाई जा रही है या नहीं? यदि हाँ, तो कौन-सी विधि है? उसके विषय में लिखिए। यदि नहीं, तो अपने शिक्षक या परिजनों की सहायता से इस विषय में समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए ।


उत्तर:

सेवा में,
संपादक महोदय/महोदया
दैनिक भास्कर,
दिल्ली

विषय : वर्षा जल संचयन की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करने हेतु।

महोदय/महोदया,

सविनय निवेदन है कि हमारे क्षेत्र चंदन विहार में वर्षा जल संचयन की कोई व्यवस्था नहीं है। वर्षा का अधिकांश पानी नालों के माध्यम से बेकार बह जाता है, जिसके कारण यहाँ के लोगों को जल-संकट का सामना करना पड़ता है। यह सर्वविदित है कि वर्षा जल संचयन जल संसाधनों के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण और प्रभावी उपाय है।

आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप अपने प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से वर्षा जल संचयन के महत्व को उजागर करें और क्षेत्रवासियों को इस दिशा में जागरूक करें। यदि प्रशासन की ओर से अभी तक कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया है, तो कृपया इस मामले में ध्यान आकर्षित करते हुए आवश्यक पहल करने में सहयोग प्रदान करें।

हमारा विश्वास है कि समय रहते जल संचयन की उपयुक्त विधियाँ अपनाई जाएँ, तो भविष्य में जल-संकट को काफी हद तक कम किया जा सकता है तथा पर्यावरण को भी लाभ होगा।

इस महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान देने और सहयोग प्रदान करने के लिए हम आपके आभारी रहेंगे।

धन्यवाद।

भवदीय,
क० ख० ग०   


आज की पहेली


• जल के प्राकृतिक स्रोत हैं- वर्षा, नदी, झील और तालाब। दिए गए वर्ग में जल और इन प्राकृतिक स्रोतों के समानार्थी शब्द ढूँढ़िए और लिखिए ।


जल के प्राकृतिक स्रोत हैं- वर्षा, नदी, झील और तालाब। दिए गए वर्ग में जल और इन प्राकृतिक स्रोतों के समानार्थी शब्द ढूँढ़िए और लिखिए ।


उत्तर: 


जल के प्राकृतिक स्रोत हैं- वर्षा, नदी, झील और तालाब। दिए गए वर्ग में जल और इन प्राकृतिक स्रोतों के समानार्थी शब्द ढूँढ़िए और लिखिए ।


  • वर्षा – बारिश, मेह

  • नदी – प्रवाहिनी, तटिनी, तरंगिणी

  • झील /तालाबा – जलाशय, सर, ताल, सरोवर

  • जल – नीर, अंबु, वारि, सलिल


खोजबीन के लिए


• पानी से संबंधित गीत या कविताओं का संकलन कीजिए और इनमें से कुछ को अपनी कक्षा में प्रस्तुत कीजिए | इसके लिए आप अपने परिजनों एवं शिक्षक अथवा पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।

उत्तर:


विद्यार्थी यह कार्य स्वयं पूरा करेंगे।


झरोखे से


आपने तालाबों और नदियों से रिसकर धरती रूपी गुल्लक में जमा होने वाले पानी के संबंध में यह रोचक लेख पढ़ा। अब आप तालाबों के बनने के इतिहास के विषय में अनुपम मिश्र के एक लेख ‘पाल के किनारे रखा इतिहास’ का अंश पढ़िए ।


पाल के किनारे रखा इतिहास


“अच्छे-अच्छे काम करते जाना”, राजा ने कूड़न किसान से कहा था।

कूड़न, बुढ़ान, सरमन और कौंराई थे चार भाई। चारों सुबह जल्दी उठकर अपने खेत पर काम करने जाते। दोपहर को कूड़न की बेटी आती, पोटली में खाना लेकर।

एक दिन घर से खेत जाते समय बेटी को एक नुकीले पत्थर से ठोकर लग गई। उसे बहुत गुस्सा आया। उसने अपनी दराँती से उस पत्थर को उखाड़ने की कोशिश की। पर लो, उसकी दराँती तो पत्थर पर पड़ते ही लोहे से सोने में बदल गई। और फिर बदलती जाती हैं इस लम्बे किस्से की घटनाएँ बड़ी तेजी से । पत्थर उठाकर लड़की भागी-भागी खेत पर आती है। अपने पिता और चाचाओं को सब कुछ एक साँस में बता देती है। चारों भाइयों की साँस भी अटक जाती है। जल्दी-जल्दी सब घर लौटते हैं। उन्हें मालूम पड़ चुका है कि उनके हाथ में कोई साधारण पत्थर नहीं है, पारस है। वे लोहे की जिस चीज को छूते हैं, वह सोना बनकर उनकी आँखों में चमक भर देती है।


पर आँखों की यह चमक ज्यादा देर तक नहीं टिक पाती। कूड़न को लगता है कि देर-सबेर राजा तक यह बात पहुँच ही जाएगी और तब पारस छिन जाएगा। तो क्या यह ज्यादा अच्छा नहीं होगा कि वे खुद जाकर राजा को सब कुछ बता दे।

किस्सा आगे बढ़ता है। फिर जो कुछ घटता है, वह लोहे को नहीं बल्कि समाज को पारस से छुआने का किस्सा बन जाता है।

राजा न पारस लेता है, न सोना। सब कुछ कूड़न को वापस देते हुए कहता है, “जाओ इससे अच्छे-अच्छे काम करते जाना, तालाब बनाते जाना।”

यह कहानी सच्ची है, ऐतिहासिक है— नहीं मालूम। पर देश के मध्य भाग में एक बहुत बड़े हिस्से में यह इतिहास को अँगूठा दिखाती हुई लोगों के मन में रमी हुई है। यहीं के पाटन नामक क्षेत्र में चार बहुत बड़े तालाब पर आँखों की यह चमक ज्यादा देर तक नहीं टिक पाती। कूड़न को लगता है कि देर-सबेर राजा तक यह बात पहुँच ही जाएगी और तब पारस छिन जाएगा। तो क्या यह ज्यादा अच्छा नहीं होगा कि वे खुद जाकर राजा को सब कुछ बता दे।

किस्सा आगे बढ़ता है। फिर जो कुछ घटता है, वह लोहे को नहीं बल्कि समाज को पारस से छुआने का किस्सा बन जाता है।

राजा न पारस लेता है, न सोना। सब कुछ कूड़न को वापस देते हुए कहता है, “जाओ इससे अच्छे-अच्छे काम करते जाना, तालाब बनाते जाना।”


यह कहानी सच्ची है, ऐतिहासिक है— नहीं मालूम। पर देश के मध्य भाग में एक बहुत बड़े हिस्से में यह इतिहास को अँगूठा दिखाती हुई लोगों के मन में रमी हुई है। यहीं के पाटन नामक क्षेत्र में चार बहुत बड़े तालाब आज भी मिलते हैं और इस कहानी को इतिहास की कसौटी पर कसने वालों को लजाते हैं— चारों तालाब इन्हीं चारों भाइयों के नाम पर हैं। बूढ़ा सागर है, मझगवाँ में सरमन सागर है, कुआँग्राम में कौंराई सागर है तथा कुंडम गांव में कुंडम सागर। सन 1907 में गजेटियर के माध्यम से इस देश का इतिहास लिखने के लिए घूम रहे एक अंग्रेज ने भी इस इलाके में कई लोगों से यह किस्सा सुना था और फिर देखा-परखा था इन चार बड़े तालाबों को।


तब भी सरमन सागर इतना बड़ा था कि उसके किनारे पर तीन बड़े-बड़े गाँव बसे थे और तीनों गाँव इस तालाब को अपने-अपने नामों से बाँट लेते थे। पर वह विशाल ताल तीनों गाँवों को जोड़ता था और सरमन सागर की तरह स्मरण किया जाता था। इतिहास ने सरमन, बुढ़ान, कौंराई और कूड़न को याद नहीं रखा लेकिन इन लोगों ने तालाब बनाए और इतिहास को उनके किनारे पर रख दिया था।


तब भी सरमन सागर इतना बड़ा था कि उसके किनारे पर तीन बड़े-बड़े गाँव बसे थे और तीनों गाँव इस तालाब को अपने-अपने नामों से बाँट लेते थे। पर वह विशाल ताल तीनों गाँवों को जोड़ता था और सरमन सागर की तरह स्मरण किया जाता था। इतिहास ने सरमन, बुढ़ान, कौंराई और कूड़न को याद नहीं रखा लेकिन इन लोगों ने तालाब बनाए और इतिहास को उनके किनारे पर रख दिया था।


देश के मध्य भाग में, ठीक हृदय में धड़काने वाला यह किस्सा उत्तर – दक्षिण, पूरब-पश्चिम – चारों तरफ किसी न किसी रूप में फैला हुआ मिल सकता है और इसी के साथ मिलते हैं सैंकड़ों, हजारों तालाब | इनकी कोई ठीक गिनती नहीं है। इन अनगिनत तालाबों को गिनने वाले नहीं, इन्हें तो बनाने वाले लोग आते रहे और तालाब बनते रहे।


किसी तालाब को राजा ने बनाया तो किसी को रानी ने, किसी को किसी साधारण गृहस्थ ने तो किसी को किसी असाधारण साधु-संत ने – जिस किसी ने भी तालाब बनाया, वह महाराज या महात्मा ही कहलाया। एक कृतज्ञ समाज तालाब बनाने वालों को अमर बनाता था और लोग भी तालाब बनाकर समाज के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते थे।


• (इससे संबंधित अंश पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या-53-54 पर देखें।)


उत्तर: विद्यार्थी ‘पाल के किनारे रखा इतिहास’ पाठ को स्वयं पढ़ेंगे।


साझी समझ


• ‘पानी रे पानी’ और ‘पाल के किनारे रखा इतिहास’ में आपको कौन-कौन सी बातें समान लगीं? उनके विषय में अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए ।

उत्तर: ‘पानी रे पानी’ और ‘पाल के किनारे रखा इतिहास’—दोनों में पाई जाने वाली समानताएँ इस प्रकार हैं—

  • दोनों पाठों में पानी के विभिन्न स्रोतों की महत्ता को रेखांकित किया गया है।

  • दोनों में पानी को जीवन का आधार और जीवनधारा के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

  • दोनों ही पाठ पानी के साथ मानवीय भावनाओं और जुड़ाव को दर्शाते हैं।

(सहपाठियों के साथ चर्चा करके इन बिंदुओं को और अच्छी तरह समझें।)


पानी रे पानी अध्याय के मुख्य बिंदु

कक्षा 7 हिंदी के पानी रे पानी अध्याय में जल-चक्र, वर्षा जल संग्रहण और भूजल संरक्षण को प्रमुख रूप से समझाया गया है। इस अध्याय की एनसीईआरटी समाधान 2025-26 विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी में बेहद मदद करते हैं।


समय पर NCERT Solutions Chapter 4 Paani Re Paani का अभ्यास करने से जल की महत्ता, प्रकृति की संचय-प्रवृत्ति, और समाज में जल वितरण संबंधी समस्याएँ स्पष्ट होती हैं। इन प्रश्न उत्तरों के ज़रिए आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।


अपनी समझ मजबूत करें और कक्षा 7 हिंदी पानी रे पानी के हर खंड पर ध्यान दें। सारणी, मिलान, शब्दार्थ और अर्थग्रहण पर विशेष जोर दें, ताकि आप परीक्षा में आत्मविश्वास से उतरें।

FAQs on Class 7 Hindi Chapter 4 NCERT Solutions: Paani Re Paani (Stepwise Answers)

1. What are the NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4: Paani Re Paani?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4: Paani Re Paani provide stepwise answers to all intext and back exercise questions, as prescribed in the latest CBSE syllabus (2025–26).

These solutions include:

  • Detailed explanations for each question
  • Important definitions and diagrams
  • Exam-focused keywords and structure
  • PDF download option for offline study

2. How can I score full marks in Class 7 Hindi Chapter 4 using stepwise NCERT Solutions?

Scoring full marks in Class 7 Hindi Chapter 4 is easier when you use stepwise NCERT Solutions and follow the CBSE marking scheme.

Tips include:

  • Write each step clearly as shown in solutions
  • Highlight main points and definitions
  • Use bullet points or paragraphs as required
  • Include diagrams or labelled maps if the question asks
  • Revise using quick notes and flashcards

3. Are diagrams or definitions necessary in NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4?

Including diagrams and definitions in your answers is highly recommended for Class 7 Hindi Chapter 4.

Benefits include:

  • Easy marks for neat labelling and clarity
  • Shows conceptual understanding to examiners
  • Improves recall during revision

4. Which questions from Paani Re Paani are most likely to appear in school exams?

The most likely exam questions from Paani Re Paani in Class 7 Hindi include:

  • Main themes of the poem/chapter
  • Key definitions and examples from the text
  • Long-answer questions about the importance of water
  • Diagram or map labelling if referenced in exercises

Practice all back exercise and intext questions for best results.

5. Where can I download the PDF of Class 7 Hindi Chapter 4 NCERT Solutions?

You can download the free PDF of NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 – Paani Re Paani from trusted educational platforms. The PDF includes:

  • All exercise-wise solutions
  • Highlighted important points
  • Exam-oriented structure
Always check for the latest 2025–26 syllabus version before downloading.

6. How should I structure long answers in NCERT Solutions Chapter 4 Paani Re Paani?

Structure your long answers in Class 7 Hindi Chapter 4 by following these steps:

  • Start with an introduction (context or main idea)
  • Present key points in separate paragraphs or bullets
  • Include definitions, examples, or diagrams if needed
  • Conclude with a summary or significance
This matches the CBSE marking scheme and maximizes your marks.

7. Are NCERT Solutions enough to prepare for CBSE Class 7 Hindi Chapter 4 exams?

For most students, NCERT Solutions are enough to cover all exam-relevant questions for Class 7 Hindi Chapter 4.

However, for extra confidence:

  • Solve previous year questions
  • Attempt sample papers
  • Revise with quick notes and diagrams

8. How do I revise Class 7 Hindi Chapter 4 quickly before exams?

Revise Class 7 Hindi Chapter 4 quickly by:

  • Reading key definitions and summaries
  • Memorizing important diagrams
  • Practicing intext and back exercises
  • Solving MCQs and sample papers
  • Using a 1-day or 3-day revision planner for efficiency

9. Do examiners give partial marks for correct steps even if my final answer is incomplete?

Yes, for Class 7 Hindi Chapter 4, CBSE examiners often give partial marks for correct steps or reasoning, even if the final answer is incorrect.

To maximize marks:

  • Write all steps clearly
  • Highlight keywords and important concepts
  • Attempt every part of the question

10. What are the important topics to focus on in NCERT Solutions Chapter 4 Paani Re Paani?

Focus on these important topics in Class 7 Hindi Chapter 4:

  • The main theme of Paani Re Paani
  • Definitions related to water and its importance
  • Summary of the chapter and key messages
  • Sample diagram/map questions (if any)
Review the entire chapter using detailed NCERT Solutions to cover all exam patterns.

11. How can I learn diagram/map labelling for Hindi Chapter 4: Paani Re Paani?

For Hindi Chapter 4, you can master diagrams and maps by:

  • Practicing with labelled examples in the solutions
  • Following neatness and CBSE conventions
  • Revising common labels and points marked in exercises
This ensures clarity and helps you get full marks in related questions.

12. Can I refer to textbook page numbers during revision for Class 7 Hindi Chapter 4?

Yes, referring to textbook page numbers during revision is useful for quick location of key answers, diagrams, and intext questions in Hindi Chapter 4. This adds efficiency to your last-minute preparation.