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Class 7 Hindi Chapter 2 NCERT Solutions: Teen Budhimaan (Stepwise Answers)

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How to Write Stepwise Answers for Hindi Class 7 Chapter 2 Teen Budhimaan?

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How to Write Stepwise Answers for Hindi Class 7 Chapter 2 Teen Budhimaan?

पाठ से

मेरी समझ से


(क) लोककथा के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

प्रश्न 1.
लोककथा में पिता ने अपने बेटों से ‘धन संचय करने’ को कहा। उनकी इस बात का क्या अर्थ हो सकता है?

  • खेती-बारी करना और धन इकट्ठा करना

  • पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना

  • ऊँट का व्यापार करना

  • गाँव छोड़कर किसी नगर में जाकर बसना


उत्तर:
• पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना (★)


पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना (★)


प्रश्न 2.
तीनों भाइयों ने अपने ज्ञान और बुद्धि का उपयोग करके ऊँट के बारे में बहुत कुछ बता दिया। इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?

  • बुद्धि का प्रयोग करके ऊँट के बारे में सब-कुछ बताया जा सकता है।

  • समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है।

  • किसी व्यक्ति का ज्ञान, बुद्धि और धन ही सबसे बड़ी ताकत है।

  • ऊँट के बारे में जानने के लिए दूसरों पर भरोसा करना चाहिए।


उत्तर:

समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है। (★)


प्रश्न 3.
राजा ने भाइयों की बुद्धिमता पर विश्वास क्यों किया?

  • भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया।

  • राजा को ऊँट के स्वामी की बातों पर संदेह था ।

  • राजा ने स्वयं ऊँट और पेटी की जाँच कर ली थी।

  • भाइयों ने राजा को अपनी बात में उलझा लिया था ।


उत्तर:
• भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया। (★)


भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया। (★)


प्रश्न 4.
लोककथा के पात्रों और घटनाओं के आधार पर, राजा के निर्णय के पीछे कौन-सा मूल्य छिपा है ?

  • दोषी को कड़ा से कड़ा दंड देना हर समस्या का सबसे बड़ा समाधान है।

  • अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।

  • राजा की प्रत्येक बात और निर्णय को सदा सही माना जाना चाहिए।

  • ऊँट की चोरी के निर्णय के लिए सेवक की बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।


उत्तर:
• अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।


(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने भिन्न-भिन्न उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?


उत्तर:  पिता के कथन का अर्थ यह है कि पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास होना चाहिए, ताकि जीवन की किसी भी स्थिति का समझदारी से सामना किया जा सके।

तीनों भाइयों ने ऊँट को देखे बिना ही अपने ज्ञान और समझ का उपयोग करके उसके बारे में सही अनुमान लगाया। इससे पता चलता है कि किसी भी समस्या को हल करने के लिए ध्यानपूर्वक निरीक्षण और बुद्धि का प्रयोग अत्यंत आवश्यक होता है।

मेरी दृष्टि में राजा ने तीनों भाइयों पर इसलिए भरोसा किया क्योंकि उन्होंने अपने कथन को तर्क और उचित कारणों के साथ प्रस्तुत किया था। तर्क के माध्यम से ही किसी बात को प्रमाणित किया जा सकता है।

मेरे अनुसार राजा के निर्णय में यह संदेश निहित है कि बिना पूरी जाँच-पड़ताल किए किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए। जल्दबाजी में निर्णय लेने से निर्दोष व्यक्ति को भी दंड मिल सकता है। इसलिए उचित विवेक और जाँच के बाद ही निर्णय लेना चाहिए—यही राजा और प्रजा दोनों के हित में है।

(विद्यार्थी अपने मित्रों के साथ चर्चा कर बताएँगे कि उन्होंने अपना विकल्प क्यों चुना।)


पंक्तियों पर चर्चा


पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-

(क) “रुपये-पैसे के स्थान पर तुम्हारे पास पैनी दृष्टि होगी और सोने-चाँदी के स्थान पर तीव्र बुद्धि होगी। ऐसा धन संचित कर लेने पर तुम्हें कभी किसी प्रकार की कमी न रहेगी और तुम दूसरों की तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे।”

उत्तर: तुम रुपयों-पैसों पर नहीं, बल्कि बुद्धिमानी, समझदारी और सूझबूझ पर ध्यान दोगे। तुम्हारा ध्यान धन पर नहीं, बल्कि उस समझ पर होगा जो हर समस्या का समाधान खोज सकती है। इससे बड़ी संपत्ति और क्या हो सकती है?


(ख) “हर वस्तु और स्थिति को पूर्णतः समझने और जानने का प्रयास करो। कुछ भी तुम्हारी दृष्टि से न बच पाए।”


उत्तर: किसी भी वस्तु या परिस्थिति को पूरी तरह समझने, जानने और महसूस करने का प्रयास करो। ऐसी दृष्टि अपनाओ कि कोई भी बात तुम्हारी नज़र से न छूट पाए।


(ग) “हमने अपने परिवेश को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।”


उत्तर: हमने अपने आसपास के वातावरण और परिस्थितियों को ध्यानपूर्वक और गहराई से समझने का प्रयास किया है। बुद्धि का उपयोग करके हर बात का निष्कर्ष निकालने की यह प्रक्रिया काफी समय लेने वाली होती है।


हमने अपने आसपास के वातावरण और परिस्थितियों को ध्यानपूर्वक और गहराई से समझने का प्रयास किया है। बुद्धि का उपयोग करके हर बात का निष्कर्ष निकालने की यह प्रक्रिया काफी समय लेने वाली होती है।


मिलकर करें मिलान

• इस लोककथा में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे स्तंभ- 1 में दिए गए हैं। उनके भाव या अर्थ से मिलते-जुलते वाक्य स्तंभ -2 में दिए गए हैं। स्तंभ- 1 के वाक्यों को स्तंभ -2 के उपयुक्त वाक्यों से सुमेलित कीजिए-


सोपान 1

सोपान 2

1. कुछ समय पश्चात् पिता पहुँचे।

1. खोए पर सवार व्यक्ति ने तीनों भाइयों को अनुभव से देखा।

2. हम चाहे भी क्यों न लें, ऊँट नहीं मिलेगा।

2. थोड़े समय के बाद पिता का देखना हो गया।

3. दुकानदार ने तीनों भाइयों को रोष की दृष्टि से देखा।

3. लोग इतने अनुभव से थे कि उनके व्यवहार कारण करना चाहिए था।

4. बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम कुछ भी अपनी दृष्टि से नहीं देखते।

4. बचपन से ही हमें आदत हो गई है कि हम हर छोटी-बड़ी वस्तु पर ध्यान नहीं देते।

5. लोगों के आचरण का कोई ठीकाना न था।

5. हम चाहे क्यों भी हों, हमें बातें ढूँढने के लिए कुछ न कुछ मिल ही जाएगा।


उत्तर:


1. – 2
2. – 5
3. – 1
4. – 4
5. – 3


सोच-विचार के लिए


लोककथा को एक बार फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-


(क) तीनों भाइयों ने बिना ऊँट को देखे उसके विषय में कैसे बता दिया था ?


उत्तर: तीनों भाइयों ने ऊँट के बारे में बताने के लिए निम्न बिंदुओं का ध्यानपूर्वक अवलोकन, अनुमान और विश्लेषण किया—

  • धूल पर दिखाई देने वाले ऊँट के पैरों के निशानों से।

  • सड़क के केवल एक ओर घास चरने के आधार पर यह समझा कि ऊँट एक आँख से नहीं देख पा रहा था।

  • रास्ते में मिले बच्चे और महिला के पैरों के निशानों से।


(ख) आपके अनुसार इस लोककथा में सबसे अधिक महत्व किस बात को दिया गया है- तार्किक सोच, अवलोकन या सत्यवादिता? लोककथा के आधार पर समझाइए ।


उत्तर: इस लोककथा में अवलोकन की क्षमता और तार्किक सोच को सबसे अधिक महत्व दिया गया है।

(विद्यार्थी ऊपर दिए गए संकेतों के आधार पर इस प्रश्न का उत्तर स्वयं लिखेंगे।)


(ग) लोककथा में राजा ने पहले भाइयों पर संदेह किया लेकिन बाद में उन्हें निर्दोष माना। राजा की सोच क्यों बदल गई?


उत्तर: लोककथा में राजा ने शुरुआत में तीनों भाइयों पर संदेह किया, लेकिन बाद में उन्हें निर्दोष माना। उसकी सोच इसलिए बदली क्योंकि भाइयों ने शांत मन से अपने अवलोकन और तर्क प्रस्तुत किए। राजा उनकी बुद्धिमत्ता, सूझबूझ और गहरी निरीक्षण क्षमता से प्रभावित हुआ। उसे समझ आ गया कि वे चोर नहीं, बल्कि सत्यप्रिय और गहराई से सोचने वाले बुद्धिमान व्यक्ति हैं।


(घ) ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर तुरंत संदेह क्यों किया ? आपके विचार से उसे क्या करना चाहिए था जिससे उसे अपना ऊँट मिल जाता ?


उत्तर: ऊँट के मालिक ने भाइयों पर तुरंत संदेह किया क्योंकि वे बिना ऊँट को देखे ही उसके बारे में कई सही बातें बता रहे थे। जब किसी की कोई प्रिय वस्तु खो जाती है, तो वह घबराहट में पूरी स्थिति समझे बिना ही किसी पर भी जल्दी संदेह कर लेता है। यही गलती ऊँट के स्वामी ने भी की।


हमारी दृष्टि से उसे सीधे आरोप लगाने के बजाय शांत होकर भाइयों से पूछना चाहिए था कि वे ये सब कैसे जानते हैं—क्या उन्होंने ऊँट को देखा है, क्या वे उसकी मदद कर सकते हैं? यदि वह धैर्य और विश्वास के साथ बात करता, तो संभव है कि वे भाई तुरंत उसकी सहायता करते और उसका ऊँट भी जल्दी मिल जाता।

(विद्यार्थी इस संदर्भ में अपने विचार स्वयं लिखेंगे।)

(ङ) पिता ने बेटों को “ दूसरे प्रकार का धन” संचित करने की सलाह क्यों दी? इससे पिता के बारे में क्या-क्या पता चलता है?


उत्तर: पिता ने बेटों को ‘दूसरे प्रकार का धन’ — यानी बुद्धि, समझदारी, पैनी दृष्टि और व्यावहारिक ज्ञान — इकट्ठा करने की सलाह दी। उनका मानना था कि असली संपत्ति यही बुद्धिमानी है। यही वह धन है जिसे संचित करना आवश्यक है, क्योंकि इसकी सहायता से जीवन की हर परिस्थिति का समझदारी से सामना किया जा सकता है। इससे पिता के व्यक्तित्व के बारे में पता चलता है कि वे दूरदर्शी और विवेकशील व्यक्ति थे। वे जानते थे कि बुद्धि और सही निर्णय लेने की क्षमता ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूँजी है। उनका उद्देश्य अपने बेटों में सही सोच, तर्कपूर्ण निर्णय और समस्या समाधान की क्षमता विकसित करना था।

(विद्यार्थी अपनी समझ के अनुसार इस उत्तर के अन्य बिंदुओं पर भी प्रकाश डाल सकते हैं।)


(च) राजा ने भाइयों की परीक्षा लेने के लिए पेटी का उपयोग किया। इस परीक्षा से राजा के व्यक्तित्व और निर्णय शैली के बारे में क्या-क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?


उत्तर: राजा की परीक्षा लेने की शैली से यह समझा जा सकता है कि वह न्यायप्रिय, धैर्यवान और विवेकशील था। उसने बिना पूरा सच जाने तुरंत भाइयों को दंड नहीं दिया। आरोप सुनने के बाद उसने स्वयं जाँच-पड़ताल करने और सत्य की पुष्टि करने का निर्णय लिया। तीनों भाइयों की बुद्धिमानी और ईमानदारी को परखने की उसकी कोशिश उसके व्यावहारिक और विचारशील स्वभाव को दर्शाती है।


(छ) आप इस लोककथा के भाइयों की किस विशेषता को अपनाना चाहेंगे और क्यों ?


उत्तर: हम इस लोककथा के भाइयों की सूक्ष्म अवलोकन क्षमता और तार्किक सोच को अपनाना चाहेंगे, क्योंकि सूक्ष्म अवलोकन हमें यह समझने में मदद करता है कि बड़ी जानकारियाँ अक्सर छोटे-छोटे संकेतों में छिपी होती हैं—बस उन्हें ध्यान से देखना होता है। तार्किक सोच हमें भावनाओं में बहकर नहीं, बल्कि समझ-बूझ के साथ निर्णय लेना सिखाती है, जो किसी भी समस्या या परिस्थिति में बेहद उपयोगी होती है।


अनुमान और कल्पना से


अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-


(क) यदि राजा ने बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता तो इस लोककथा का क्या परिणाम होता?


उत्तर: यदि राजा ने बिना जाँच-पड़ताल के ही भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता, तो इस लोककथा का परिणाम अन्यायपूर्ण और नकारात्मक होता।


  • तीनों निर्दोष भाइयों को सज़ा मिल जाती, जो पूर्णतः अन्याय होता।

  • उनकी बुद्धिमानी और क्षमता का सम्मान नहीं हो पाता और उनकी योग्यता दबकर रह जाती।

  • राजा की छवि कमजोर पड़ जाती और उसकी न्यायप्रियता पर प्रश्न उठते।

  • कहानी की सीख बदल जाती और यह संदेश नहीं मिल पाता कि सच्चाई और बुद्धिमानी की अंततः जीत होती है।

  • सच बोलने वालों को दंड मिलता, जो समाज के लिए गलत और निराशाजनक संदेश होता।

(विद्यार्थी अपने अनुमान और कल्पना के आधार पर अन्य संभावित परिणामों पर भी चर्चा कर सकते हैं।)


(ख) यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान न लगाया होता तो लोककथा का अंत किस प्रकार होता? अपने विचार व्यक्त करें।


उत्तर: यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान नहीं लगाया होता, तो लोककथा का अंत इस प्रकार हो सकता था—

  • लोगों को उनकी बुद्धिमानी पर संदेह हो जाता।

  • राजा उन्हें दोषी मान सकता था।

  • उन्हें कठोर दंड भी मिल सकता था।

(विद्यार्थी अपने अनुमान के आधार पर अन्य संभावित परिणाम भी लिख सकते हैं।)


(ग) लोककथा में यदि तीनों भाई ऊँट को खोजने जाते तो उन्हें कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था?


उत्तर: यदि लोककथा में तीनों भाई ऊँट को खोजने निकलते, तो उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था, जैसे—

  • रास्ते की समस्या: रेत पर बने ऊँट के पैरों के निशान जल्दी मिट सकते थे, इसलिए यह पता लगाना कठिन होता कि ऊँट किस दिशा में गया है।

  • रास्ता भटकने की संभावना: ऊँट शायद बिना किसी दिशा-ज्ञान के चला गया होगा। ऐसे में भाई भी उसकी तलाश में भटक सकते थे।

  • निशानों की पहचान में कठिनाई: रास्ते में अन्य ऊँट भी गुजरते होंगे। अनेक पैरों के निशानों में से अपने खोजे जाने वाले ऊँट के निशान पहचानना कठिन होता।


(घ) यदि राजा के स्थान पर आप होते तो भाइयों की परीक्षा लेने के लिए किस प्रकार के सवाल या गतिविधियाँ करते? अपनी कल्पना साझा करें।


उत्तर: विद्यार्थी स्वयं को राजा की भूमिका में रखकर, भाइयों की परीक्षा लेने के लिए अपने प्रश्न या गतिविधियाँ तैयार करेंगे।


विद्यार्थी स्वयं को राजा की भूमिका में रखकर, भाइयों की परीक्षा लेने के लिए अपने प्रश्न या गतिविधियाँ तैयार करेंगे।


शब्द से जुड़े शब्द

• नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘बुद्धि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-


नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘बुद्धि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-


उत्तर:


नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘बुद्धि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-


लोककथा को सुनाना


लोककथा के लिखित रूप में आने से पहले कहानियों का प्रचलन मौखिक रूप में ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता था। इसमें कहानी सुनने-सुनाने और याद रखने की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। कहानी कहने या सुनाने वाला इस तरह से कहानी सुनाता था कि सुनने वालों को रोचक लगे। इसमें कहानी सुनने वालों को आनंद तो आता ही था, कथा उन्हें याद भी हो जाती थी।

अब आप अपने समूह के साथ मिलकर इस लोककथा को रोचक ढंग से सुनाइए। लोककथा को प्रभावशाली और रोचक रूप में सुनाने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं जो लोककथा को और भी आकर्षक बना सकते हैं—

कथा सुनाना

  • स्वर में उतार-चढ़ाव— लोककथा सुनाते समय स्वर में या आवाज में उतार-चढ़ाव से उत्साह और रहस्य का निर्माण करें। जब लोककथा में कोई रोमांचक या रहस्यमय पल हो तो स्वर धीमा या तीव्र कर सकते हैं।

  • भावनाओं की अभिव्यक्ति भावनाओं को प्रकट करने के लिए स्वर का सही चयन करें, जैसे— खुशी, दुख, आश्चर्य आदि को स्वर के माध्यम से दर्शाएँ।

  • लोककथा के पात्रों के लिए अलग-अलग स्वर— जब लोककथा में अलग-अलग पात्र हों तो हर पात्र के लिए अलग स्वर (ऊँचा, नीचा, तेज, धीमा आदि) का उपयोग किया जा सकता है ताकि उन्हें पहचाना जा सके।

  • हाथों और शरीर का उपयोग — जब आप लोककथा में किसी घटना का वर्णन करें तब शारीरिक मुद्राओं और चेहरे के भावों का उपयोग किया जा सकता है।

  • हास्य का प्रयोग— जब कोई हास्यपूर्ण या आनंददायक दृश्य हो तो चेहरे की मुसकान और हँसी के साथ उसे प्रस्तुत करें।
    विवरणात्मक भाषा का उपयोग — लोककथा में वर्णित स्थानों और पात्रों को इस प्रकार प्रस्तुत करें कि श्रोता उनकी छवि अपने मन में बना सकें।

  • रोचक मोड़ — एक-दो बार लोककथा के रोमांचक मोड़ों पर थोड़ी देर के लिए रुकें या श्रोताओं में उत्सुकता होने दें, जैसे— “क्या आप जानना चाहते हैं कि आगे क्या हुआ?”

  • संवादों को स्पष्ट और प्रासंगिक बनाना – पात्रों के संवाद इस तरह से प्रस्तुत करें कि वे मौलिक लगें।


उत्तर:


विद्यार्थी पृष्ठ संख्या 24 पर दिए गए सुझावों को पढ़कर इस लोककथा को रोचक और प्रभावी ढंग से सुना सकते हैं।


कारक


नीचे दिए गए वाक्य को ध्यान से पढ़िए-

“भाइयों जवाब दिया।”
यह वाक्य कुछ अटपटा लग रहा है न? अब नीचे दिए गए वाक्य को पढ़िए—
“भाइयों ने जवाब दिया।”
इन दोनों वाक्यों में अंतर समझ में आया? बिलकुल सही पहचाना आपने! दूसरे वाक्य में ‘ने’ शब्द ‘भाइयों’ और ‘जवाब दिया’ के बीच संबंध को जोड़ रहा है। संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त होने वाले शब्दों के ऐसे रूपों को कारक या परसर्ग कहते हैं। कारक शब्दों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं—

उत्तर:

(विद्यार्थी पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 24–25 को ध्यानपूर्वक पढ़कर ‘कारक’ का विषय समझें।)


दे

को

पर

से

के लिए

का

में

के विषय

की

के

हो

मेरे



नीचे दिए गए वाक्यों में कारक लिखकर इन्हें पूरा कीजिए-


  1. “ हमने तो तुम्हारे ऊँट …….. देखा तक नहीं”, भाइयों ……. परेशान होते हुए कहा।

  2. “मैं अपने रेवड़ों …… पहाड़ों …… लिये जा रहा था, उसने कहा, और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे …….. साथ एक बड़े-से ऊँट …….. मेरे पीछे-पीछे आ रही थी।”

  3. राजा ………. उसी समय अपने मंत्री …… बुलाया और उसके कान ……. कुछ फुसफुसाया ।

  4. यह सुनकर राजा …… पेटी …… पास लाने …… आदेश दिया। सेवकों …… तुरंत आदेश पूरा किया।


उत्तर:

  1. को, ने

  2. को, पर, के, पर

  3. ने, को, में

  4. ने, को, का, ने, से, के


सूचनापत्र


• कल्पना कीजिए कि आप इस लोककथा के वह घुड़सवार हैं जिसका ऊँट खो गया है। आप अपने ऊँट को खोजने के लिए एक सूचना कागज पर लिखकर पूरे शहर में जगह-जगह चिपकाना चाहते हैं। अपनी कल्पना और लोककथा में दी गई जानकारी के आधार पर एक सूचनापत्र लिखिए।


उत्तर:


सूचनापत्र

 विषय : ऊँट खो जाने के संबंध में
दिनांक : ……… (आमजन के लिए)

मैं एक व्यापारी हूँ और मेरा ऊँट रास्ते में कहीं खो गया है। यह ऊँट मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि उस पर मेरी पत्नी और मेरा बेटा भी सवार थे। ऊँट की पहचान निम्नलिखित है—

  • वह एक आँख से दिखाई नहीं देता।

  • उस पर एक महिला और एक बच्चा सवार हैं।

यदि किसी ने ऐसे ऊँट को देखा हो या उसके बारे में कोई जानकारी हो, तो कृपया तुरंत मुझसे संपर्क करें।
सूचना देने वाले को उचित इनाम दिया जाएगा।

घुड़सवार
दरबारी चौक


पाठ से आगे


आपकी बात


प्रश्न 1.
लोककथा में तीन भाइयों की पैनी दृष्टि की बात कही गई है। क्या आपने कभी अपनी पैनी दृष्टि का प्रयोग किसी समस्या को हल करने के लिए किया है? उस समस्या और आपके द्वारा दिए गए हल के विषय में लिखिए।

उत्तर:

हाँ, मैंने भी एक बार अपनी पैनी दृष्टि का उपयोग करके एक समस्या का समाधान किया था। हमारे विद्यालय में विज्ञान प्रदर्शनी आयोजित हुई थी, और हमारी टीम ने सोलर पावर का एक मॉडल बनाया था। अचानक सौर पैनल ने काम करना बंद कर दिया, जबकि बाकी सभी हिस्से ठीक थे। कुछ साथियों ने सोचा कि बैटरी खराब है, और कुछ का कहना था कि पूरा सिस्टम बदलना पड़ेगा।

मैंने शांत होकर पूरे मॉडल को ध्यान से जाँचा, विशेष रूप से पैनल से जुड़े तारों को। तभी मुझे पता चला कि एक पतला तार ठीक से जुड़ा नहीं था—वह ढीला था और पहली नज़र में स्पष्ट नहीं दिखाई दे रहा था। मैंने उस तार को सही तरीके से जोड़ दिया, और मॉडल तुरंत फिर से काम करने लगा। इस तरह, छोटी-सी चीज़ को ध्यानपूर्वक देखकर मैंने समस्या हल कर ली।

(विद्यार्थी इसी प्रकार अपना कोई अनुभव साझा कर सकते हैं।)


प्रश्न 2.

लोककथा में बताया गया है कि भाइयों ने “बचपन से हर वस्तु पर ध्यान देने की आदत डाली ।” यदि आपने ऐसा किया है तो आपको अपने जीवन में इसके क्या-क्या लाभ मिलते हैं?


उत्तर: लोककथा के तीनों भाइयों की तरह, मैंने भी बचपन से ही यह प्रयास किया है कि हर वस्तु, घटना और व्यक्ति को ध्यान से देखूँ, समझूँ और महसूस करूँ। धीरे-धीरे यह मेरी आदत बन गई। इस आदत ने मुझे जीवन में कई तरह से लाभ पहुँचाए हैं, जैसे—


  • समस्याओं को जल्दी समझ पाना।

  • पढ़ाई में विषयों को बेहतर ढंग से समझना।

  • दूसरों की भावनाओं को महसूस कर पाना।

  • अपनी गलतियों से जल्दी सीख लेना।

(विद्यार्थी इसी तरह अपना कोई अनुभव भी साझा कर सकते हैं।)


प्रश्न 3.

लोककथा में भाइयों को यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयाँ आईं, जैसे- भूख, थकान और पैरों में छाले । आप अपने दैनिक जीवन में किन-किन कठिनाइयों का सामना करते हैं? लिखिए।


उत्तर: अपने दैनिक जीवन में हमें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे—

  • समय की कमी होना।

  • परीक्षा के समय तनाव महसूस करना।

  • आत्मसंयम में कमी रह जाना।

  • किसी विषय या प्रश्न को समझने में दिक्कत होना।

(विद्यार्थी अपने अनुभव के आधार पर अन्य बातें भी लिख सकते हैं।)


प्रश्न 4.

भाइयों ने बिना देखे कि ऊँट के बारे में सही-सही बातें बताईं। क्या आपको लगता है कि अनुभव और समझ से देखे बिना भी सही निर्णय लिया जा सकता है? क्या आपने भी कभी ऐसा किया है?


उत्तर: यदि हमारे पास अनुभव, समझ और गहराई से सोचने की क्षमता हो, तो हम बिना सीधे देखे भी सही निर्णय ले सकते हैं।

मैंने भी ऐसी स्थिति का अनुभव किया है। एक बार हमारी कक्षा में सामूहिक परियोजना का काम चल रहा था। हमारे समूह का एक सदस्य लगातार योगदान नहीं दे पा रहा था। कुछ विद्यार्थियों ने उसे आलसी और कमजोर तक कह दिया। लेकिन मैंने कारण जानने का निर्णय किया और उससे शांत होकर बात की। तब पता चला कि उसकी माँ गंभीर रूप से बीमार थीं, और इसी कारण वह मानसिक रूप से परेशान था और किसी भी काम में मन नहीं लगा पा रहा था।

मैंने उसके बारे में बिना पूछे कोई निर्णय नहीं लिया। उसके व्यवहार और छोटी-छोटी बातों को देखकर मैंने अनुमान लगाया, और वह अनुमान सही निकला। अनुभव, सूझ-बूझ और गहरी समझ हमें सच्चाई तक पहुँचने में मदद करती है।

(विद्यार्थी अपने अनुभव साझा करते हुए उत्तर लिख सकते हैं।)


प्रश्न 5.

जब ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर शंका की तो भाइयों ने बिना गुस्सा किए शांति से उत्तर दिया। क्या आपको लगता है कि कभी किसी को संदेह होने पर हमें भी शांत रहकर उत्तर देना चाहिए? क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है? ऐसे में आपने क्या किया? – मुझे लगता है कि जब कोई हम पर संदेह करता है, तो हमें गुस्से या झगड़े से जवाब देने की बजाय शांत और समझदारी से उत्तर देना चाहिए । जब हम धैर्य से जवाब देते हैं तो सामने वाला खुद भी सोचने पर मजबूर होता है तथा हमें समझता है।


उत्तर: मैंने भी ऐसी एक स्थिति का सामना किया है। एक बार विद्यालय में मेरी कॉपी किसी अन्य विद्यार्थी की कॉपी से मिलती-जुलती लग रही थी। कुछ लोगों को लगा कि मैंने नकल की है, जबकि मैंनें सारा कार्य स्वयं मेहनत से लिखा था। शुरुआत में मुझे बहुत बुरा लगा और गुस्सा भी आया।

लेकिन मैंने स्वयं को शांत रखा और अध्यापक से विनम्रता से कहा कि वे चाहें तो मेरे पुराने नोट्स देख सकते हैं या मुझसे कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं — मैं हर प्रश्न का उत्तर दे दूँगा। जब उन्होंने मुझसे प्रश्न पूछे, तो उन्हें समझ आ गया कि मैंनें नकल नहीं की है। बाद में उन्होंने कहा कि सच बोलने का सबसे बड़ा प्रमाण यह था कि मैं पूरी स्थिति में शांत रहा।

(विद्यार्थी अपने अनुभव साझा करें।)


प्रश्न 6.

राजा ने भाइयों की बुद्धिमानी देखकर बहुत आश्चर्य व्यक्त किया। क्या आपको कभी किसी की सोच, समझ या किसी विशेष कौशल को देखकर आश्चर्य हुआ है? क्या आपने कभी किसी से कुछ ऐसा सीखा है जो आपके लिए बिलकुल नया और चौंकाने वाला हो ?


उत्तर: विद्यार्थी अपने अनुभव स्वयं साझा करेंगे।


प्रश्न 7.

लोककथा में पिता ने अपने बेटों को यह सलाह दी कि वे समझ और ज्ञान जमा करें। क्या आपको कभी किसी बड़े व्यक्ति से ऐसी कोई सलाह मिली है जो आपके जीवन में उपयोगी रही हो? क्या आप भी अपने अनुभव से किसी को ऐसी सलाह देंगे?


उत्तर: हाँ, मुझे भी एक बार दादाजी से ऐसी सलाह मिली थी जो आज तक मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित होती है। एक बार मैंने भाषण-प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। मैं बार-बार अपना भाषण याद करता, लेकिन हर बार कुछ न कुछ भूल जाता था।

धीरे-धीरे मैं इतना निराश हो गया कि मुझे लगा कि मैं मंच पर बोल ही नहीं पाऊँगा। तभी दादाजी ने मुझे समझाया कि हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरी कोशिश करो और चीज़ों को समझकर याद करो, क्योंकि हर कोशिश एक अनुभव देती है और अनुभव ही असली ज्ञान है।

उनकी यह बात मेरे मन को छू गई। उस दिन के बाद से जब भी मैं किसी कठिनाई में होता हूँ, तो खुद से यही पूछता हूँ—क्या मैंने पूरी कोशिश की है?

हाँ, मैं भी अपने अनुभव के आधार पर अपने छोटे भाई को ऐसी ही सलाह देना चाहूँगा ताकि वह भी मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर सके।

(विद्यार्थी अपने अनुभव साझा करें।)


प्रश्न 8.

भाइयों में अपने ऊपर लगे आरोपों के होते हुए भी सदा सच्चाई का साथ दिया। क्या आपको लगता है कि सदा सच बोलना महत्वपूर्ण है, भले ही स्थिति कठिन क्यों न हो? क्या आपको किसी समय ऐसा लगा है कि आपकी सच्चाई ने आपको समस्याओं से बाहर निकाला हो ?


उत्तर: हाँ, मेरा मानना है कि हर स्थिति में सच बोलना सबसे ज़रूरी होता है। परिस्थितियाँ भले ही कठिन क्यों न हों, सत्य हमेशा सही राह दिखाता है। सच कभी-कभी तुरंत फायदा नहीं देता, लेकिन आगे चलकर वह सम्मान और भरोसा अवश्य दिलाता है।


ध्यान से देखना – सुनना – अनुभव करना


“बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम किसी वस्तु को अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। हमने वस्तुओं को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।”

इस लोककथा में तीनों भाई आसपास की प्रत्येक घटना, वस्तु आदि को ध्यान से देखते, सुनते, सूँघते और अनुभव करते हैं अर्थात् अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का पूरा उपयोग करते हैं। ज्ञानेंद्रियाँ पाँच होती हैं— आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा । आँख से देखकर, कान से सुनकर, नाक से सूँघकर, जीभ से चखकर और त्वचा से स्पर्श करके हम किसी वस्तु के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं। आइए, अब एक खेल खेलते हैं जिसमें आपको अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का उपयोग करने के अवसर मिलेंगे।

(क) ‘हाँ’ या ‘नहीं’ प्रश्न – उत्तर खेल

चरण-


बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम किसी वस्तु को अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। हमने वस्तुओं को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।”


  1. एक विद्यार्थी कक्षा से बाहर जाकर दिखाई देने वाली किसी एक वस्तु या स्थान का नाम चुनेगा। कक्षा के भीतर से भी कोई नाम चुना जा सकता है।

  2. विद्यार्थी वापस कक्षा में आएगा और उस नाम को एक कागज पर लिख लेगा। लेकिन ध्यान रहे, वह कागज पर लिखे नाम को किसी को न दिखाए।

  3. अन्य विद्यार्थी बारी-बारी से उस वस्तु का नाम पता करने के लिए प्रश्न पूछेंगे।

  4. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर केवल ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में दिया जाएगा।
    उदाहरण के लिए—

    • क्या इस वस्तु का उपयोग कक्षा में होता है?

    • क्या यह खाने-पीने की चीज है?

    • क्या यह लकड़ी से बनी है?

    • क्या यह बिजली से चलती है?

  5. सभी विद्यार्थी अधिकतम 20 प्रश्न ही पूछ सकते हैं। इसलिए उन्हें सोच-समझकर प्रश्न पूछने होंगे ताकि वे उस वस्तु का नाम पता कर सकें।

  6. यदि 20 प्रश्नों के अंदर विद्यार्थी वस्तु का सही अनुमान लगा लेते हैं तो वे जीत जाएँगे।

  7. अब दूसरे विद्यार्थी को बाहर भेजकर गतिविधि दोहराएँगे।

  8. गतिविधि के अंत में सभी मिलकर इस खेल से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में चर्चा करें।


उत्तर: विद्यार्थी पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 26–27 पर दिए गए निर्देशों के अनुसार यह कार्य कक्षा में स्वयं पूरा करेंगे।


(ख) गतिविधि— ‘स्पर्श, गंध और स्वाद से पहचानना’


  1. एक थैले या डिब्बे में (सावधानीपूर्वक एवं सुरक्षित) विभिन्न वस्तुएँ (जैसे— फल, फूल, मसाले, खिलौने, कपड़े, किताब, गुड़ आदि) रखें।

  2. विद्यार्थियों को आँखों पर पट्टी बाँधकर केवल स्पर्श, गंध या स्वाद का उपयोग करके वस्तु की पहचान करनी होगी और उसका नाम बताना होगा।

  3. बारी-बारी से प्रत्येक विद्यार्थी को बुलाकर उसकी आँखों पर पट्टी बाँधे।

  4. उसे डिब्बे से एक वस्तु दी जाए। विद्यार्थी उसे छूकर, सूँघकर, चखकर पहचानने का प्रयास करेंगे।

  5. सही पहचान करने के बाद विद्यार्थी बताएँगे कि उन्होंने उस वस्तु को कैसे पहचाना।

  6. एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग वस्तुओं को पहचानने का अवसर मिलेगा।

  7. अंत में सभी वस्तुओं को कक्षा में दिखाएँ और उनके बारे में चर्चा करें कि किस वस्तु को पहचानना आसान या कठिन लगा।


उत्तर: विद्यार्थी पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 27 पर दिए गए नियमों के अनुसार यह गतिविधि कक्षा में स्वयं पूरी करेंगे।


आज की पहेली


आपने पढ़ा कि तीनों बुद्धिमान भाई किस प्रकार अपने अवलोकन से वे बातें भी जान जाते थे जो अन्य लोग नहीं जान पाते। अब आपके सामने कुछ पहेलियाँ प्रस्तुत हैं जहाँ आपको कुछ संकेत दिए जाएँगे । संकेतों के आधार पर आपको उत्तर खोजने हैं-


आपने पढ़ा कि तीनों बुद्धिमान भाई किस प्रकार अपने अवलोकन से वे बातें भी जान जाते थे जो अन्य लोग नहीं जान पाते। अब आपके सामने कुछ पहेलियाँ प्रस्तुत हैं जहाँ आपको कुछ संकेत दिए जाएँगे । संकेतों के आधार पर आपको उत्तर खोजने हैं-


प्रश्न 1.
कौन है यह प्राणी?

  1. इसकी लंबी पूँछ होती है जो पेड़ों की शाखाओं के चारों ओर लिपटी रहती है।

  2. इसका मुख्य आहार कीट और छोटे जीव होते हैं जिन्हें यह चुपके से पकड़ता है।

  3. यह प्राणी अपने परिवेश में घुल-मिल जाता है और अपनी रंगत को बदल सकता है।

  4. इसके पास तेज आँखें होती हैं जो चारों दिशाओं में देख सकती हैं।


उत्तर:
गिरगिट


प्रश्न 2.
रंगीन डिब्बे

एक मेज पर चार रंगीन डिब्बे बराबर-बराबर रखे हैं- लाल, हरा, नीला और पीला । बताइए पीले डिब्बे के बराबर में कौन-सा डिब्बा है? यदि –

  1. लाल डिब्बा नीले डिब्बे के पास है।

  2. हरा डिब्बा पीले डिब्बे के पास नहीं है।

  3. पीला डिब्बा लाल डिब्बे के पास नहीं है।

  4. हरा डिब्बा लाल डिब्बे के पास है।


उत्तर:
नीला


तीन बुद्धिमान: NCERT Solutions Class 7 Hindi Chapter 2 (2025-26)

इस अध्याय में तीन बुद्धिमान भाइयों की कहानी है, जो अपनी पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि से कठिन सवालों का हल निकालते हैं। NCERT Solutions Class 7 Hindi Chapter 2 Teen Budhimaan से छात्रों को तार्किक सोच विकसित करने में मदद मिलती है।


इस पाठ के अभ्यास प्रश्नों को हल करके छात्र NCERT Solutions 2025-26 के अनुरूप अपनी समझ बढ़ा सकते हैं। परीक्षाओं में बेहतर परिणाम पाने के लिए, सभी उत्तरों को ध्यान से पढ़ें और कथानकों से सीखें।


विड्याथियों को सलाह है कि Teen Budhimaan NCERT Solutions की मदद से कहानी के मुख्य संदेशों का अभ्यास करें। इससे न सिर्फ परीक्षा में अंक बढ़ेंगे बल्कि तर्कशक्ति और अवलोकन क्षमता भी मजबूत होगी।


FAQs on Class 7 Hindi Chapter 2 NCERT Solutions: Teen Budhimaan (Stepwise Answers)

1. What are NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 Teen Budhimaan?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 Teen Budhimaan provide stepwise answers and explanations for all textbook exercises, helping students understand and score well in exams.

- Covers all textbook and back exercise questions
- Includes detailed, syllabus-aligned answers
- Useful for CBSE 2025–26 exam preparation
- Designed for full-mark performance and easy revision
- Available in PDF format for offline study

2. How can I write stepwise NCERT answers to score full marks in CBSE Hindi exams?

To score full marks, present your answers with clear steps, explanations, and proper structure, as outlined in NCERT Solutions.

- Start with an introduction/small definition (if required)
- List each answer point step-wise or bullet-wise
- Use keywords and chapter concepts from Teen Budhimaan
- Add examples or references from the story
- Write neatly, following CBSE marking scheme guidelines

3. Which questions are important from Chapter 2 Teen Budhimaan for school exams?

The most important questions include both long and short answer types from the back exercises of Chapter 2, along with main definitions and examples.

- Definitions or character sketches
- Central theme or message of Teen Budhimaan
- Short notes on key events or lessons from the story
- Questions focusing on moral values and character decisions
- Extract-based questions from the chapter
Refer to the chapter-wise solutions and important questions provided to cover likely exam topics.

4. How do I structure long answers in Class 7 Hindi for better marks?

Write long answers with an introduction, clear main points in organized paragraphs or bullets, and a concise conclusion.

- Begin with a brief introduction (context or theme)
- Address each part of the question stepwise
- Use headings for clarity, if allowed
- Support with examples from Teen Budhimaan
- Summarize with a neat conclusion
- Use correct grammar and vocabulary

5. Are diagrams or definitions mandatory in Hindi Chapter 2 answers?

Definitions are essential whenever asked, as CBSE often allots marks for correct terminology; diagrams are rarely required in Hindi but must be neat if included.

- Write definitions in your own words
- Follow any instructions about diagrams (if applicable)
- Label diagrams/maps clearly if required
- Focus on clean presentation and accuracy

6. Where can I download the NCERT Solutions PDF for Class 7 Hindi Chapter 2?

You can download the free PDF of NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2, Teen Budhimaan, from trusted educational platforms.

- Click the download button provided on the solution page
- Save the PDF for offline practice and exam revision
- Ensure the PDF is up-to-date with the 2025–26 syllabus

7. What is the summary and moral lesson of the story 'Teen Budhimaan'?

'Teen Budhimaan' teaches the practical application of intelligence and the importance of common sense in solving life’s challenges.

- Depicts three wise characters using their wit
- Demonstrates teamwork and quick thinking
- Emphasizes that practical knowledge is as important as bookish knowledge

8. How can stepwise written answers help boost marks in Hindi exams?

Stepwise written answers help match the CBSE marking scheme, making it easier for examiners to award marks for each point covered.

- Ensures no step or key concept is missed
- Makes answers more readable and organized
- Increases the chance of gaining full or partial marks

9. Are NCERT Solutions enough for Class 7 Hindi exam preparation?

NCERT Solutions are highly effective for Class 7 Hindi preparation as they cover all exercise questions as per the CBSE syllabus.

- Include step-by-step solutions matching exam marking
- Help develop strong answer writing skills
- For best results, supplement with revision notes and sample papers

10. What are some common mistakes students should avoid in Hindi Chapter 2 answers?

Students should avoid missing keywords, incomplete steps, and poor handwriting in their answers.

- Always include all required points
- Use correct grammar and vocabulary
- Avoid writing out of syllabus or irrelevant content
- Present answers clearly and neatly

11. Do examiners award partial marks for correct steps even if the final answer is wrong?

Yes, in CBSE pattern exams, marks are often awarded for correctly written steps or partial answers, even if the final response is not fully accurate.

- Use stepwise presentation to maximize marks
- Attempt every part of the question to earn partial credit

12. How can I make revision faster for Chapter 2 Teen Budhimaan?

For quick revision, follow a planner and use flash notes summarizing key events and character traits from the chapter.

- Review stepwise NCERT answers
- Make a list of important definitions and examples
- Solve past year and sample questions for practice