Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

NCERT Solutions for Class 12 Physics In Hindi Chapter 5 Magnetism and Matter In Hindi Medium

ffImage
banner

NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism And Matter In Hindi Medium

Download the Class 12 Physics NCERT Solutions in Hindi medium and English medium as well offered by the leading e-learning platform Vedantu. If you are a student of Class 12, you have reached the right platform. The NCERT Solutions for Class 12 Physics in Hindi provided by us are designed in a simple, straightforward language, which are easy to memorise. You will also be able to download the PDF file for NCERT Solutions for Class 12 Physics  in Hindi from our website at absolutely free of cost.


NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT Textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.


Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Physics

Chapter Name:

Chapter 5 - Magnetism And Matter

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

Other Materials

  • Important Questions

  • Revision Notes



We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes.

Competitive Exams after 12th Science
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow

Access NCERT Solutions for Science (Physics) Chapter 5 – Magnetism and Matter

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

1. भू-चुम्बकत्व सम्बन्धी निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-


1.एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती है। उन तीन स्वतन्त्र राशियों के नाम लिखिए जो परम्परागत रूप से पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती हैं।

उत्तर:पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए उपयोग की जाने वाली तीन मात्राएँ निम्नलिखित हैं:

I.नाटी कोण या धनुष कोण $\delta$ (Angle of Dip or Angle of Magnetic Inclination)

II.गिरने का कोण $\theta$(Angle of Declination)

III.पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक BH (Horizontal Component of Earth’s Magnetic Field)


2.दक्षिण भारत में किसी स्थान पर नति कोण का मान लगभग $18^\circ$ है। ब्रिटेन में आप इससे अधिक नति कोण की अपेक्षा करेंगे या कम की?

उत्तर:हाँ, चूंकि ब्रिटेन दक्षिण भारत की तुलना में पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के अधिक निकट है; अत: यहाँ नति कोण अधिक होगा। वास्तव में ब्रिटेन में नति कोण लगभग $70^\circ$ है।


3.यदि आप ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में भू-चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का नक्शा बनाएँ तो ये रेखाएँ पृथ्वी के अन्दर जाएँगी या इससे बाहर आएँगी?

उत्तर:ऑस्ट्रेलिया पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित है। चूँकि चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव से निकलती हैं; अतः ये पृथ्वी से बाहर निकलती प्रतीत होंगी।


4.एक चुम्बकीय सुई जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, यदि भू-चुम्बकीय उत्तर या दक्षिण ध्रुव पर रखी हो तो यह किस दिशा में संकेत करेगी?

उत्तर:चूँकि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ध्रुवों पर लंबवत है; इसलिए ध्रुवों पर लटकी चुंबकीय सुई (जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र है) ऊर्ध्वाधर दिशा में इंगित करेगी।

यदि हम मान लें कि पृथ्वी के केन्द्र पर M यदि चुंबकीय क्षण का चुंबकीय द्विध्रुव रखा जाए, तो इस द्विध्रुव के केंद्र से पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव पर बिंदुओं की दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के बराबर होगी।

तटस्थ पर चुंबकीय क्षेत्र

$B= \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \cdot \dfrac{M}{{{r^3}}}\therefore M = \dfrac{{4\pi B{r^3}}}{{{\mu _0}}}$

प्रयोगों द्वारा पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र $B = 0.4G = 0.4 \times {10^{ - 4}}T$ तथा 

$r = {R_E} = 6.4 \times {10^6}m$

$\therefore M = \dfrac{{4\pi  \times 0.4 \times {{10}^{ - 4}} \times {{\left( {6.4 \times {{10}^6}} \right)}^3}}}{{4\pi  \times {{10}^{ - 7}}}} = 10.5 \times {10^{22}}A{m^2}$


5.यह माना जाता है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक चुम्बकीय द्विध्रुव के क्षेत्र जैसा है। जो पृथ्वी के केन्द्र पर रखा है और जिसका द्विध्रुव आघूर्ण $8{\text{ }} \times {10^{22}}{\text{J}}{{\text{T}}^{{\text{ - 1}}}}$ है। कोई ढंग सुझाइए जिससे इस संख्या के परिमाण की कोटि जाँची जा सके।

उत्तर:स्पष्ट है कि पृथ्वी के चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण का यह मान $8{\text{ }} \times {10^{22}}J{T^{ - 1}}$ के अत्यन्त निकट है। इस प्रकार पृथ्वी के चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण के परिमाण के क्रम की जाँच की जा सकती है।


6.भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि मुख्य N-S चुम्बकीय ध्रुवों के अतिरिक्त, पृथ्वी की सतह पर कई अन्य स्थानीय ध्रुव भी हैं, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यस्त हैं। ऐसा होना कैसे सम्भव है?

उत्तर: यद्यपि पृथ्वी का संपूर्ण चुंबकीय क्षेत्र एक चुंबकीय द्विध्रुव के कारण माना जाता है, स्थानीय रूप से चुंबकीय सामग्री के भंडार अन्य चुंबकीय ध्रुव बनाते हैं।


2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-


1.एक जगह से दूसरी जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय अन्तराल पर इसमें पर्याप्त परिवर्तन होते हैं?

उत्तर:हालांकि यह सच है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता है, चुंबकीय क्षेत्र में देखने योग्य परिवर्तन के लिए कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है। इसमें सैकड़ों साल भी लग सकते हैं।


2.पृथ्वी के क्रोड में लोहा है, यह ज्ञात है। फिर भी भूगर्भशास्त्री इसको पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का स्रोत नहीं मानते। क्यों?

उत्तर: यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पृथ्वी की कोर में पिघला हुआ लोहा होता है, लेकिन इसका तापमान लोहे के क्यूरी तापमान से बहुत अधिक होता है। इतने उच्च तापमान पर यह कोई चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं कर सकता (फेरो को चुम्बकित नहीं किया जा सकता)।


3.पृथ्वी के क्रोड के बाहरी चालक भाग में प्रवाहित होने वाली आवेश धाराएँ भू-चुम्बकीय क्षेत्र के लिए उत्तरदायी समझी जाती हैं। इन धाराओं को बनाए रखने वाली बैटरी (ऊर्जा स्रोत) क्या हो सकती है?

उत्तर:ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी के गर्भ में मौजूद रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन से प्राप्त ऊर्जा आवेश धाराओं की ऊर्जा का स्रोत है।


4.अपने 4-5 अरब वर्षों के इतिहास में पृथ्वी अपने चुम्बकीय-क्षेत्र की दिशा कई बार उलट चुकी होगी। भूगर्भशास्त्री, इतने सुदूर अतीत के पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र के बारे में कैसे जान पाते हैं?

उत्तर:प्रारंभ में, पृथ्वी के गर्भ में कई पिघली हुई चट्टानें थीं जो समय के साथ धीरे-धीरे जम गईं। इन चट्टानों में मौजूद लौहचुम्बकीय पदार्थ उस समय पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित हो गया था। इस प्रकार पृथ्वी का अतीत का चुंबकीय क्षेत्र इन चट्टानों में चुंबकत्व और द्रव्यमान-चुंबकीय पदार्थों के अनुकरण में दर्ज है। इन चट्टानों का भू-चुंबकीय अध्ययन उस समय पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का ज्ञान प्रदान करता है।


5.बहुत अधिक दूरियों पर ($30,000{\text{ km}}$ से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र अपनी द्विध्रुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौन-से कारक इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?

उत्तर: पृथ्वी के आयनमंडल में कई आवेशित कण मौजूद हैं, जिनकी गति से एक अलग चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की सतह से अधिक दूरी पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को विकृत कर देता है। आयनों के कारण चुंबकीय क्षेत्र सौर हवा पर निर्भर करता है।
(f) सूत्र $R = \dfrac{{mv}}{{qB}}$ से,


6.अन्तरातारकीय अन्तरिक्ष में ${10^{ - 12}}T$ की कोटि का बहुत ही क्षीण चुम्बकीय-क्षेत्र होता है। क्या इस क्षीण चुम्बकीय-क्षेत्र के भी कुछ प्रभावी परिणाम हो सकते हैं। समझाइए। टिप्पणी : प्रश्न $5.2$ का उद्देश्य मुख्यतः आपकी जिज्ञासा जगाना है। उपरोक्त कई प्रश्नों के उत्तर या तो काम चलाऊ हैं या अज्ञात हैं। जितना सम्भव हो सका, प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर पुस्तक के अन्त में दिए गए हैं। विस्तृत उत्तरों के लिए आपको भू-चुम्बकत्व पर कोई अच्छी पाठ्यपुस्तक देखनी होगी।

उत्तर- 

$R \propto \dfrac{1}{B}$

इससे स्पष्ट है कि एक अति दुर्बल चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण बहुत बड़े त्रिज्या के पथ का अनुसरण करता है, जो कम दूरी में लगभग सीधा रैखिक दिखाई देता है; इसलिए, छोटी दूरी के लिए, सूक्ष्म चुंबकीय क्षेत्र अप्रभावी प्रतीत होते हैं लेकिन बड़ी दूरी पर वे प्रभावी विक्षेपण उत्पन्न करते हैं।


7.एक छोटा छड़ चुम्बक जो एकसमान बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र $0.25{\text{ }}T$  के साथ $30^\circ$ का कोण बनाता है, पर $4.5{\text{ }} \times {10^{ - 2}}J$ का बल आघूर्ण लगता है। चुम्बक के चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण क्या है?

उत्तर: आघूर्ण, $\tau  = MBsin\theta $
चुम्बकीय आघूर्ण,

$M = \dfrac{\tau }{{Bsin\theta }} = \dfrac{{4.5 \times {{10}^{ - 2}}}}{{0.25 \times sin{{30}^ \circ }}} = \dfrac{{4.5 \times {{10}^{ - 2}}}}{{0.25 \times 0.5}} = 0.36Am{^2}$


8. चुम्बकीय-आघूर्ण $M{\text{ }} = {\text{ }}0.32{\text{ }}J{T^{ - 1}}$ वाला एक छोटा छड़ चुम्बक, $0.15{\text{ }}T$ के एकसमान बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र में रखा है। यदि यह छड़ क्षेत्र के तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो क्षेत्र के किस विन्यास में यह
(i) स्थायी सन्तुलन और

उत्तर: दिया गया है, चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $M{\text{ }} = {\text{ }}0.32{\text{ }}J{T^{ - 1}}$
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $B{\text{ }} = {\text{ }}0.15$$T$
(i) चुंबकीय क्षेत्र में छड़ चुंबक के स्थायी संतुलन के लिए $\vec M$  तथा $\vec B$  एक ही दिशा में होने चाहिए,
अर्थात् $\theta {\text{ }} = {\text{ }}0$ इस मामले में चुंबक की संभावित ऊर्जा
$U = \vec M.\vec B$
$= - MBcos\theta$ 

$\\= {\text{ }}--{\text{ }}0.32{\text{ }} \times {\text{ }}0.15{\text{ }} \times {\text{ }}cos{\text{ }}0 \\$

 $ = {\text{ }}--{\text{ }}0.32{\text{ }} \times {\text{ }}0.15{\text{ }} \times {\text{ }}1 \\ $ 

$ = {\text{ }}--{\text{ }}0.048{\text{J}} \\$

(ii) अस्थायी सन्तुलन में होगा? प्रत्येक स्थिति में चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा का मान बताइए।
उत्तर:चुंबकीय क्षेत्र में छड़ चुंबक के अस्थायी संतुलन के लिए $\vec M$ तथा $\vec B$परस्पर विपरीत दिशा में होने चाहिए, अर्थात् $\theta {\text{ }} = {\text{ }}180^\circ$
$U = \vec M.\vec B$
$= {\text{ }}--{\text{ }}MB{\text{ }}cos{\text{ }}\theta $

$\\  = {\text{ }}--{\text{ }}MB{\text{ }}cos{\text{ }}180$

$\\  = {\text{ }}--{\text{ }}0.32{\text{ }} \times {\text{ }}0.15{\text{ }} \times {\text{ }}\left( { - 1} \right)$

$\\  =  + 0.048{\text{J}} \\ $


9. एक परिनालिका में पास-पास लपेटे गए $800$ फेरे हैं तथा इसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $25{\text{ }} \times {10^{ - 4}}{{\text{m}}^{\text{2}}}$ है और इसमें $3.0{\text{ }}A$ धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए कि किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुम्बक की तरह व्यवहार करती है। इसके साथ जुड़ा हुआ चुम्बकीय-आघूर्ण कितना है?

 उत्तर: चुम्बकीय आघूर्ण $M{\text{ }} = {\text{ }}NiA$

$M{\text{ }} = {\text{ }}800{\text{ }} \times {\text{ }}3.0A$ $\times 2.5 \times {\text{ }}{10^{ - 4}}{{\text{m}}^{\text{2}}}$

$= {\text{ }}0.600A - m$
चूँकि जब परिनालिका को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो एक जोड़ी बल उस पर एक छड़ चुंबक की तरह कार्य करता है, इसलिए यह एक बार चुंबक की तरह व्यवहार करता है।


10. यदि प्रश्न $5$ में बताई गई परिनालिका ऊर्ध्वाधर दिशा के परितः घूमने के लिए स्वतन्त्र हो और इस पर क्षैतिज दिशा में एक $0.25{\text{ }}T$ का एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र लगाया जाए, तो इस परिनालिका पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण उस समय क्या होगा, जब इसकी अक्ष आरोपित क्षेत्र की दिशा से $30^\circ$ का कोण बना रही हो?

 उत्तर: बल-आघूर्ण  $\tau {\text{ }} = {\text{ }}MB{\text{ }}sin{\text{ }}\theta$

$\tau {\text{ }} = {\text{ }}\left( {0.600} \right)\left( {0.25} \right){\text{ }}\left( {sin{\text{ }}30^\circ } \right)$

$= {\text{ }}\left( {0.6{\text{ }} \times {\text{ }}0.25{\text{ }} \times 0.5} \right)$$N - m$
$= {\text{ }}7.5 \times {\text{ }}{10^{ - 2}}$$N - m$


11. एक छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय-आघूर्ण $15{\text{ J}}{{\text{T}}^{{\text{ - 1}}}}{\text{}}$ है, $0.22{\text{ }}T$ के एक एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र के अनुदिश रखा है।

(a) एक बाह्य बल आघूर्ण कितना कार्य करेगा यदि यह चुम्बक को चुम्बकीय-क्षेत्र के

(i) लम्बवत

उत्तर: दिया है, चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $M{\text{ }} = {\text{ }}1.5$$J{T^{ - 1}}$ 

चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता $B{\text{ }} = {\text{ }}0.22$$T$
${\theta _1} = {\text{ }}0$ 

(a) (i) चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र के लंबवत् लाने के लिए ${\theta _2} = {\text{ }}90^\circ$

अतः कृत कार्य $W = {\text{ }}MB{\text{ }}\left[ {cos{\text{ }}{\theta _1}--{\text{ }}cos{\text{ }}{\theta _2}} \right]$

$ \\= {\text{ }}1.5{\text{ }} \times 0.22{\text{ }} \times \left[ {cos{\text{ }}0{\text{ }}--{\text{ }}cos{\text{ }}90^\circ } \right]$

$\\  = {\text{ }}1.5{\text{ }} \times 0.22{\text{ }} \times {\text{ }}\left[ {1{\text{ }}--{\text{ }}0} \right] \\ $

$= {\text{ }}0.33$$J$ 


(ii) विपरीत दिशा में संरेखित करने के लिए घुमा दे।

उत्तर:चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र की विपरीत दिशा में लाने के लिए 

${\theta _2} = {\text{ }}180^\circ$ 

अतः कृत कार्य $W{\text{ }} = {\text{ }}MB{\text{ }}\left[ {cos{\text{ }}{\theta _1}--{\text{ }}cos{\text{ }}{\theta _2}} \right]$ 

$\\ = {\text{ }}1.5{\text{ }} \times 0.22{\text{ }} \times {\text{ }}\left[ {cos{\text{ }}0{\text{ }}--{\text{ }}cos{\text{ }}180^\circ } \right]$

$ \\ = {\text{ }}1.5{\text{ }} \times 0.22{\text{ }} \times \left[ {1{\text{ }}--{\text{ }}\left( { - 1} \right)} \right] \\$

$= {\text{ }}0.66$$J$


(b) स्थिति

(i) एवं 

उत्तर: जब  ${\theta _2} = {\text{ }}90^\circ$ तो चुंबक पर टोक़

$ t{\text{ }} = {\text{ }}MB{\text{ }}sin\theta$

$\\  = {\text{ }}1.5{\text{ }} \times 0.22{\text{ }} \times sin{\text{ }}90 $

$\\  = {\text{ }}1.5{\text{ }} \times 0.22 \times {\text{ }}1 \\ $

$= {\text{ }}0.33$$N - m$

(ii) में चुम्बक पर कितना बल आघूर्ण होता है।

उत्तर:  जब ${\theta _2} = {\text{ }}180^\circ$ तब चुम्बक पर बल-आघूर्ण
$\\t{\text{ }} = {\text{ }}MB{\text{ }}sin\theta $

$\\ = {\text{ }}1.5 \times {\text{ }}0.22{\text{ }} \times sin{\text{ }}180^\circ$

$\\  = {\text{ }}1.5{\text{ }} \times 0.22 \times {\text{ }}0 $

$\\  = {\text{ }}0\\$ 


12. एक परिनालिका जिसमें पास-पास $2000$ फेरे लपेटे गए हैं तथा जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.6{\text{ }} \times {10^{ - 4}}m$ है और जिसमें $4.0{\text{ }}A$ की धारा प्रवाहित हो रही है, इसके केन्द्र से इस प्रकार लटकाई गई है कि यह एक क्षैतिज तल में घूम सके।

(a) परिनालिका के चुम्बकीय-आघूर्ण का मान क्या है?

उत्तर: यहाँ $N{\text{ }} = {\text{ }}2000,{\text{ }}A{\text{ }} = {\text{ }}1.6{\text{ }} \times {10^{ - 4}}m,{\text{ }}i{\text{ }} = {\text{ }}4.0{\text{ }}A$
(a) परिनालिका का चुम्बकीय आघूर्ण, $M{\text{ }} = {\text{ }}NiA{\text{ }} = {\text{ }}2000 \times {\text{ }}4.0{\text{ }} \times 1.6{\text{ }} \times {10^{ - 4}} = {\text{ }}1.28A - m$ 

(b) परिनालिका पर लगने वाला बल एवं बल आघूर्ण क्या है, यदि इस पर, इसकी अक्ष से $30^\circ$ का कोण बनाता हुआ $7.5 \times {10^{ - 2}}T$ का एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय-क्षेत्र लगाया जाए?

उत्तर: एक समान चुंबकीय क्षेत्र में किसी धारावाही परिनालिका (या चुंबकीय द्विध्रुव) पर नेट बल हमेशा शून्य होगा।
परिनालिका पर बल-आघूर्ण, $\tau {\text{ }} = {\text{ }}MB{\text{ }}sin{\text{ }}\theta$

यहाँ $B{\text{ }} = {\text{ }}7.5{\text{ }} \times {10^{ - 2}}T,{\text{ }}\theta {\text{ }} = {\text{ }}30^\circ$
$\tau {\text{ }} = {\text{ }}1.28{\text{ }} \times 7.5{\text{ }} \times {10^{ - 2}} \times {\text{ }}sin{\text{ }}30^\circ {\text{ }} = {\text{ }}1.28 \times {\text{ }}7.5{\text{ }} \times {10^{ - 2}} \times 0.5{\text{ }} = {\text{ }}48{\text{ }} \times {10^{ - 2}}$$N - m$


13. एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें $16$ फेरे हैं, जिसकी त्रिज्या $10$ सेमी है और जिसमें $0.75{\text{ }}A$ धारा प्रवाहित हो रही है, इस प्रकार रखी है कि इसका तल, $5.0{\text{ }} \times {10^{ - 2}}T$ परिमाण वाले बाह्य क्षेत्र के लम्बवत है। कुंडली, चुम्बकीय-क्षेत्र के लम्बवत और इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चारों तरफ घूमने के लिए स्वतन्त्र है। यदि कुंडली को जरा-सा घुमाकर छोड़ दिया जाए तो यह अपनी स्थायी सन्तुलनावस्था के इधर-उधर $2.0{\text{ }}{s^{ - 1}}$ की आवृत्ति से दोलन करती है। कुंडली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण क्या है?

उत्तर: दिया गया है, कुण्डली की त्रिज्या $r{\text{ }} = {\text{ }}10$$cm = {\text{ }}0.1m$
कुण्डली में तार के फेरों की संख्या $N{\text{ }} = {\text{ }}16$
कुण्डली में प्रवाहित धारा $I{\text{ }} = {\text{ }}0.75$$A$
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $B{\text{ }} = {\text{ }}5.0{\text{ }} \times {10^{ - 2}}$$T$
कुंडल दोलन आवृत्ति $f{\text{ }} = {\text{ }}2.0$${s^{ - 1}}$
कुण्डली का जड़त्व आघूर्ण $K = ?$
यदि कुंडली के तल का क्षेत्रफल $A$ हो, तो

$A = \pi {r^2} = \pi {(0.1)^2} = 0.01\pi m{^2}$

अतः कुण्डली का चुम्बकीय आघूर्ण

$M = NiA = 0.75 \times 16 \times 0.01\pi  = 0.3768Am{^2}$

यदि कुण्डली का दोलन काल $T$ हो, तो $T = \dfrac{1}{f} = 2\pi \sqrt {\dfrac{K}{{MB}}} $
अथवा

$K = \dfrac{{MB}}{{4{\pi ^2}{f^2}}} = \dfrac{{3.768 \times 5.0 \times {{10}^{ - 3}}}}{{4 \times {{(3.14)}^2} \times {{(2)}^2}}} = 1.12 \times {10^{ - 4}}Km{^2}$


14. एक चुम्बकीय सुई चुम्बकीय याम्योत्तर के समान्तर एक ऊध्र्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है। इसका उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से $22^\circ$ के कोण पर नीचे की ओर झुका है। इसे स्थान पर चुम्बकीय-क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान $0.35{\text{ }}G$ है। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए।

उत्तर: हल-यहाँ नति कोण $\theta  = {22^ \circ }$ तथा $H = 0.35G$$= 0.35 \times {10^{ - 4}}N/A - m$ 

$H = {B_e}cos\theta  \Rightarrow {B_e} = H/cos\theta $

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण

$\therefore {B_e} = \dfrac{{0.35 \times \dfrac{{{{10}^{ - 4}}N}}{{Am}}}}{{\cos {{22}^ \circ }}} = \left( {\dfrac{{0.35 \times {{10}^{ - 4}}}}{{0.927}}} \right)$

$\therefore {B_e} = 0.38 \times {10^{ - 4}}N/Am = 0.38G$


15. दक्षिण अफ्रीका में किसी स्थान पर एक चुम्बकीय सुई भौगोलिक उत्तर से $12^\circ$ पश्चिम की ओर संकेत करती है। चुम्बकीय याम्योत्तर में संरेखित नति-वृत्त की चुम्बकीय सुई का उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से $60^\circ$ उत्तर की ओर संकेत करता है। पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का क्षैतिज अवयव मापने पर $0.16{\text{ }}G$ पाया जाता है। इस स्थान पर पृथ्वी के क्षेत्र का परिमाण और दिशा बताइए।


उत्तर: परिमाण से, दिक्पात कोण $\delta  = 12$

नति कोण $\theta  = {60^\circ }$

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक, $H = 0.16{\text{G}}$

यदि पृथ्वी का कुल चुंबकीय क्षेत्र ${B_e}$ हो, तो

$H = {B_e}\cos \theta $

$ \Rightarrow \quad {B_e} = \dfrac{H}{{\cos \theta }} = \dfrac{H}{{\cos {{60}^\circ }}} = \dfrac{{0.16}}{{0.5}}{\text{G}} = 0.32{\text{G}}$

इस प्रकार पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण $= 0.32{\text{G}}$ और इसकी दिशा भौगोलिक मेरिडियन है ${12^\circ }$ पश्चिम ऊध्वाधर तल में, क्षैतिज से ${60^\circ }$ का कोण ऊपर की ओर बनाती है।


16. किसी छोटे छड़ चुम्बक का चुम्बकीय-आघूर्ण $0.48{\text{ J}}{{\text{T}}^{{\text{ - 1}}}}{\text{}}$ है। चुम्बक के केन्द्र से $10{\text{ cm}}$ की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर इसके चुम्बकीय-क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिन्दु

(i) चुम्बक के अक्ष पर स्थित हो,

उत्तर: हल-यहाँ $M = 0.48$$N - m{T^{ - 1}}$, $r = 10$$cm = 0.10m$
अक्षीय स्थिति में,

$B = \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}\left( {\dfrac{{2M}}{{{r^3}}}} \right) = {10^{ - 7}}\left( {\dfrac{{2 \times 0.48}}{{10.10{)^5}}}} \right) = 0.96 \times {10^{ - 4}}T$(दिशा S से N की ओर )


(ii) चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर स्थित हो।

उत्तर: निरक्षीय स्थिति में,

$B = \dfrac{{{\mu _e}}}{{4\pi }}\left( {\dfrac{M}{{{r^3}}}} \right) = {10^{ - 7}} = \left[ {\dfrac{{0.48}}{{{{(0.10)}^3}}}} \right]T = 0.48 \times {10^{ - 4}}Tesla$

या $B = 0.48$ गॉस (चुंबक की धुरी के समानांतर दिशा) $N$ से $S$ की ओर)


17. क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुम्बक का अक्ष, चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। सन्तुलन बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर, इसके केन्द्र से $14$ सेमी दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र $0.36{\text{ }}G$ एवं नति कोण शून्य है। चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर इसके केन्द्र से उतनी ही दूर ($14$ सेमी) स्थित किसी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय-क्षेत्र क्या होगा ?

उत्तर-

दिया है, पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र $B{\text{ }} = {\text{ }}0.36G$$= {\text{ }}0.36 \times {10^{ - 4}}$$T$

$\theta {\text{ }} = {\text{ }}0$

चुम्बक की अक्ष पर उदासीन बिन्दु की दूरी $r{\text{ }} = {\text{ }}14$$cm = {\text{ }}0.14m$
यदि अक्षीय बिंदु पर चुंबक के कारण चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ${B_1}$ हो, तो

${B_1} = \left( {\dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}} \right)\dfrac{{2M}}{{{r^3}}}$

लेकिन उदासीन बिन्दु पर

$H = {B_1}$

अथवा

$\therefore $

$B\cos \theta  = {B_1}$

$B\cos \theta  = \left( {\dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}} \right)\dfrac{{2M}}{{{r^3}}}$

अथवा

$\therefore \quad M = \dfrac{{0.36 \times {{10}^{ - 4}} \times 1 \times {{(0.14)}^3}}}{{2 \times {{10}^{ - 7}}}}$

यदि चुम्बक से चुम्बक की विषुवतीय स्थिति में $r$ दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता ${B_2}$ हो, तो

${B_2} = \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \cdot \dfrac{M}{{{r^3}}}$

$= \dfrac{{{{10}^{ - 7}} \times 0.36 \times {{10}^{ - 4}} \times {{(0.14)}^3}}}{{2 \times {{10}^{ - 7}} \times {{(0.14)}^3}}}$

$= 0.18 \times {10^{ - 4}}$ T

$= 0.18G$ 

(पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में)

यदि इस बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र ${B^\prime }$ हो, तो

अथवा

$\overrightarrow {{{\mathbf{B}}^\prime }} {\text{ }} = \overrightarrow {\mathbf{B}} $ 

$\overrightarrow {\mathbf{B}} $ पृ्वी

${B^\prime } = {B_2} + B$

$= 0.18 + 0.36$

$= 0.54G$

( पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में )


18. यदि प्रश्न $13$ में वर्णित चुम्बक को $180^\circ$ से घुमा दिया जाए तो सन्तुलन बिन्दुओं की नई स्थिति क्या होगी?

उत्तर: चुम्बक को $180^\circ$ घूमने पर चुम्बक का उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर होगा, अतः अब चुम्बक के भूमध्य रेखा पर उदासीन बिंदु मिलेगा।
यदि उदासीन बिन्दु की चुम्बके से दूरी $r$  हो, तो
${B_1} = \left( {\dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}} \right)\dfrac{M}{{{r^3}}}$

उदासीन बिन्दु पर ${B_1} = H$
अथवा

${B_1} = Bcos\theta  = Bcos0Bcos0 = \left( {\dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}} \right)\dfrac{M}{{{r^3}}}$

अथवा

${r^3} = \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \cdot \dfrac{M}{B} = \dfrac{{{{10}^{ - 7}} \times 0.36 \times {{10}^{ - 4}} \times {{(0.14)}^3}}}{{2 \times {{10}^{ - 7}} \times 0.36 \times {{10}^{ - 4}}}} = \dfrac{{{{(0.14)}^3}}}{2}r = \dfrac{{0.14}}{{{{(2)}^{1/3}}}} = \dfrac{{0.14}}{{1.26}} = 0.111m$

अब अक्षीय स्थिति में उदासीन बिंदु नहीं मिलेगा।


19. एक छोटा छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय-आघूर्ण $5.25 \times {10^{ - 2}}J{T^{ - 1}}$ है, इस प्रकार रखा है कि इसका अक्ष पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के लम्बवत है। चुम्बक के केन्द्र से कितनी दूरी पर, परिणामी क्षेत्र पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा से $45^\circ$ का कोण बनाएगा, यदि हम

(a) अभिलम्ब समद्विभाजक पर देखें,

उत्तर: दिया है,
$m = 5.25 \times {10^{ - 2}}{\text{J}}{{\text{T}}^{{\text{ - 1}}}},Be = 0.42G = 0.42 \times {10^{ - 4}}{\text{T}}$

(a) मान लीजिए चुंबक के लम्ब समद्विभाजक पर चुंबकीय क्षेत्र है ${B_1}$ है

$\tan {45^\circ } = \dfrac{{{B_1}}}{{{B_e}}} \Rightarrow {B_1} = {B_e}$

लंबवत द्विभाजक पर

$\\{B_1} = \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}\dfrac{m}{{r_1^3}}$

$\\ \Rightarrow \quad \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}\dfrac{m}{{r_1^3}} = 0.42 \times {10^{ - 4}}{\text{T}}$

 $\\  r_1^3 = \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \cdot \dfrac{m}{{{B_1}}} $

$\\= \left( {{{10}^{ - 7}}} \right) \times \dfrac{{\left( {5.25 \times {{10}^{ - 2}}} \right)}}{{0.42 \times {{10}^{ - 4}}}} = \dfrac{{52.5}}{{0.42}} \times {10^{ - 6}}$

$\\ \Rightarrow {r_1} = {\left( {\dfrac{{52.5}}{{0.42}}} \right)^{1/3}} \times {10^{ - 2}}{\text{m}} = 5 \times {10^{ - 2}}{\text{m}} = 5{\text{cm}} \\$


(b) अक्ष पर देखें। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का परिमाण $0.42{\text{ }}G$ है। प्रयुक्त दूरियों की तुलना में चुम्बक की लम्बाई की उपेक्षा कर सकते हैं।

उत्तर- मान लीजिए चुंबक की अक्षीय स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र है B2 है

$tan{45^ \circ } = \dfrac{{{B_2}}}{{{B_e}}}{B_2} = {B_e}$

चुंबक की धुरी पर

${B_2} = \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}\dfrac{{2m}}{{r_2^3}}{B_e}$ 

$\\= \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}\dfrac{{2m}}{{r_2^3}}{r_2}{^3}$

$\\  = \dfrac{{{\mu _0}}}{{4\pi }}\dfrac{{2m}}{{{B_3}}}$

$\\  = \left( {{{10}^{ - 7}}} \right) \times \dfrac{{2 \times 5.25 \times {{10}^{ - 2}}}}{{0.42 \times {{10}^{ - 4}}}}{r_2} $

$\\  = {\left( {\dfrac{{2 \times 525}}{{0.42}}} \right)^{1/3}} \times {10^{ - 2}}m$

$\\  = 5 \times {(2)^{1/3}} \times {10^{ - 2}}m$

$\\  = 5 \times 1.26 \times {10^{ - 2}}m$

$ \\  = 6.3 \times {10^{ - 2}}m$

$\\  = 6.3cm\\ $


20.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1.ठण्डा करने पर किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ का नमूना अधिक चुम्बकन क्यों प्रदर्शित करता हैं? (एक ही चुम्बककारी क्षेत्र के लिए)

उत्तर-

ताप के घटने पर पदार्थ के परमाण्वीय चुम्बकों का ऊष्मीय विक्षोभ कम हो जाता है जिसके कारण इन चुम्बकों के बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र की दिशा में संरेखित होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।


2.अनुचुम्बकत्व के विपरीत, प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव लगभग नहीं होता। क्यों ?

उत्तर:प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु ऊष्मीय विक्षोभ के कारण, भले ही किसी भी स्थिति में हों, उनमें बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र के कारण, प्रेरित चुम्बकीय आघूर्ण सदैव ही बाह्य क्षेत्र के विपरीत दिशा में प्रेरित होता है। इस प्रकार प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का कोई प्रभाव नहीं होता।


3.यदि एक टोरॉइड में बिस्मथ का क्रोड लगाया जाए तो इसके अन्दर चुम्बकीय-क्षेत्र उस स्थिति की तुलना में (किंचित) कम होगा या (किंचित) ज्यादा होगा, जबकि क्रोड खाली हो?

उत्तर:चूँकि बिस्मथ एक प्रतिचुम्बकीय पदार्थ है; अतः चुम्बकीय-क्षेत्र अपेक्षाकृत कुछ कम हो जाएगा।


4.क्या किसी लौह चुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकशीलता चुम्बकीय-क्षेत्र पर निर्भर करती है? यदि हाँ, तो उच्च चुम्बकीय-क्षेत्रों के लिए इसका मान कम होगा या अधिक?

उत्तर:लौह चुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकशीलता बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र पर निर्भर करती है तथा तीव्र चुम्बकीय-क्षेत्र के लिए इसका मान कम होता है।


5.किसी लौह चुम्बक की सतह के प्रत्येक बिन्द पर चुम्बकीय-क्षेत्र रेखाएँ सदैव लम्बवत होती हैं (यह तथ्य उन स्थिरविद्युत क्षेत्र रेखाओं के सदृश है जो कि चालक की सतह के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत होती हैं। क्यों?


उत्तर: जब दो माध्यम किसी स्थान पर मिलते हैं जिनमें से एक के लिए $\mu {\text{ }} >  > {\text{ }}1$ हो तो इनके सीमा पृष्ठ पर क्षेत्र रेखाएँ लम्बवत् हो जाती हैं।


6.क्या किसी अनुचुम्बकीय नमूने का अधिकतम सम्भव चुम्बकन, लौह चुम्बक के चुम्बकन के परिमाण की कोटि का होगा?

हाँ, किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ का अधिकतम सम्भव चुम्बकत्व, लौह चुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन के परिमाण की कोटि को हो सकता है। परन्तु किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ को इस कोटि तक चुम्बकित करने के लिए अति उच्च चुम्बकीय-क्षेत्र की आवश्यकता होती है जिसे प्राप्त करना व्यवहार में सम्भव नहीं है।


21.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1.लौह चुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन वक्र की अनुत्क्रमणीयता, डोमेनों के आधार पर गुणात्मक दृष्टिकोण से समझाइए।

उत्तर: जब बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र को शून्य कर दिया जाता है तो भी लौह चुम्बकीय पदार्थ के डोमेन अपनी प्रारम्भिक स्थिति में नहीं लौट पाते अपितु उनमें कुछ चुम्बकन शेष रह जाता है। यही कारण है कि लौह चुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकन वक्र अनुत्क्रमणीय होता है।


2.नर्म लोहे के एक टुकड़े के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल, कार्बन-स्टील के टुकड़े के शैथिल्य लूप के क्षेत्रफल से कम होता है। यदि पदार्थ को बार-बार चुम्बकन चक्र से गुजारा जाए तो कौन-सा टुकड़ा अधिक ऊष्मा ऊर्जा का क्षय करेगा?

उत्तर: किसी पदार्थ के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल एक पूर्ण चुम्बकन चक्र में होने वाली ऊर्जा हानि को प्रदर्शित करता है। यह ऊर्जा हानि ही पदार्थ में ऊष्मा के रूप में उत्पन्न होती है। चूंकि कार्बन-स्टील के शैथिल्य लूप को क्षेत्रफल अधिक है; अतः इसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी अर्थात् कार्बन-स्टील का टुकड़ा अधिक ऊष्मा क्षय करेगा।


3.लौह चुम्बक जैसा शैथिल्य लूप प्रदर्शित करने वाली कोई प्रणाली स्मृति संग्रहण की युक्ति है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: किसी लौह-चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उस पर लगाए गए बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र के चक्रों की संख्या पर निर्भर करता है। इस प्रकार किसी लौह चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उस पर लगाए गए चुम्बकन चक्र की सूचना दे सकता है। इस प्रकार चुम्बकन चक्र की स्मृति, चुम्बकित पदार्थ के नमूने में एकत्र हो जाती है।


4.कैसेट के चुम्बकीय फीतों पर परत चढ़ाने के लिए या आधुनिक कम्प्यूटर में स्मृति संग्रहण के लिए, किस तरह के लौह चुम्बकीय पदार्थों का इस्तेमाल होता है?

उत्तर: इस कार्य के लिए सिरेमिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है।


5.किसी स्थान को चुम्बकीय-क्षेत्र से परिरक्षित करना है। कोई विधि सुझाइए।

उत्तर- किसी स्थान को चुम्बकीय-क्षेत्र से परिरक्षित करने के लिए उस स्थान को नर्म लोहे के रिंग से घेर देना चाहिए। इससे चुम्बकीय-क्षेत्र रेखाएँ, नर्म लोहे के रिंग से होकर गुजर जाती हैं तथा रिंग के भीतर प्रवेश नहीं कर पातीं।


22.एक लम्बे, सीधे, क्षैतिज केबल में $2.5{\text{ }}A$ धारा, $10^\circ$ दक्षिण-पश्चिम से $10^\circ$ उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर भौगोलिक याम्योत्तर के $10^\circ$ पश्चिम में है। यहाँ पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र $0.33{\text{ }}G$ एवं नति कोण शून्य है। उदासीन बिन्दुओं की रेखा निर्धारित कीजिए। (केबल की मोटाई की उपेक्षा कर सकते हैं।) (उदासीन बिन्दुओं पर, धारावाही केबल द्वारा चुम्बकीय-क्षेत्र, पृथ्वी के क्षैतिज घटक के चुम्बकीय-क्षेत्र के समान एवं विपरीत दिशा में होता है।)

उत्तर: प्रत्येक  गेंद का द्रव्यमान =$0.05{\text{kg}}$

प्रारंभिक वेग = प्रत्येक गेंद की प्रारंभिक गति का $6{\text{m}}/{\text{s}}$

परिमाण $= 0.3{\text{kgm}}/{\text{s}}$

टक्कर के बाद, गेंदें अपने वेग की परिमाण को बदले बिना गति की दिशाओं को बदल देती हैं। प्रत्येक गेंद की अंतिम गति, ${\text{Pi}} =  - 0.3{\text{kgm}}/$ $s$ आवेग प्रत्येक गेंद के लिए प्रदान की जाती है = सिस्टम की गति में परिवर्तन $= {\text{Pf}} - {\text{Pi}} =  - 0.3 - {\text{O}}.3 =  - 0.6{\text{kgm}}/{\text{s}}$

नकारात्मक संकेत इंगित करता है कि आवेगों को प्रदान किया गया गेंदें दिशा में विपरीत हैं।


23.किसी स्थान पर एक टेलीफोन केबल में चार लम्बे, सीधे, क्षैतिज तार हैं जिनमें से प्रत्येक में $1.0{\text{ }}A$ की धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र $0.39{\text{ }}G$ एवं नति कोण $35^\circ$ है। दिक्पात कोण लगभग शून्य है। केबल के $4.0{\text{ }}cm$ नीचे और $4.0{\text{ }}cm$ ऊपर परिणामी चुम्बकीय-क्षेत्रों के मान क्या होंगे?

उत्तर : बंदूक का द्रव्यमान, $M = 100{\text{kg}}$
खोल का द्रव्यमान, ${\text{m}} = $ खोल की $0.020{\text{kg}}$

थूथन गति, $v = 80{\text{m}}/{\text{s}}$

बंदूक की पुनः गति $= V$

बंदूक और खोल दोनों ही शुरू में आराम करते हैं। सिस्टम की प्रारंभिक

गति = एमवी - एमवी यहां, नकारात्मक संकेत दिखाई देता है क्योंकि

शेल और बंदूक की दिशाएं एक दूसरे के विपरीत हैं। गति के संरक्षण के

नियम के अनुसार: अंतिम गति = प्रारंभिक गति

$V = \dfrac{{mv}}{{\text{M}}}$

$= \dfrac{{0.020 \times 80}}{{100 \times 1000}}$

$= 0.016{\text{m}}/{\text{s}}$


24.एक चुम्बकीय सुई जो क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, $30$ फेरों एवं $12{\text{ }}cm$ त्रिज्या वाली एक कुंडली के केन्द्र पर रखी है। कुंडली एक ऊर्ध्वाधर तल में है और चुम्बकीय याम्योत्तर से $45^\circ$ का कोण बनाती है। जब कुंडली में $0.35{\text{ }}A$ धारा प्रवाहित होती है, चुम्बकीय सुई पश्चिम से पूर्व की ओर संकेत करती है।

(a) इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र के दौतिज अवयव का मान ज्ञात कीजिए।

(b) कुंडली में धारा की दिशा उलट दी जाती है और इसको अपनी ऊध्र्वाधर अक्ष पर वामावर्त दिशा में (ऊपर से देखने पर) $90^\circ$ के कोण पर घुमा दिया जाता है। चुम्बकीय सुई किस दिशा में ठहरेगी? इस स्थान पर चुम्बकीय दिक्पात शून्य लीजिए।

उत्तर: दी गई स्थिति को निम्न आकृति में दिखाया गया है।

The path of incidence of the ball AO and the deflection of the ball following the path OB


जहाँ, $AO = $ गेंद की घटना का पथ $OB = $ पथ के बाद गेंद का विक्षेपण

$\angle AOB = $ कोण के बीच की घटना और गेंद के विक्षेपित पथ के बीच $= {45^o}$

$\angle AOP = \angle BOP = {22.5^\circ } = \theta $

गेंद का प्रारंभिक और अंतिम वेग $= v$

क्षैतिज आरम्भिक वेग का घटक $= v\cos \theta {\text{RO}}$

आरसी के साथ आरओ वर्टिकल घटक आरम्भिक वेग का $= v\sin \theta {\text{PO}}$

अंतिम वेग का पीओ क्षैतिज घटक $= v\cos \theta OS$

अंतिम वेग का ओएस ऊर्ध्वाधर घटक के साथ $= v\sin \theta OP$

ऑपिन के साथ क्षैतिज वेगों के क्षैतिज घटकों में कोई परिवर्तन नहीं होता है। वेग के ऊध्वाधर घटक विपरीत दिशाओं में हैं। 

 गेंद पर लगाया आवेग = गेंद के रैखिक गति में परिवर्तन $= m\cos \theta  - ( - mv\cos \theta )$

$= 2{\text{mycos}}\theta $ गेंद का द्रव्यमान, ${\text{m}} = 0.15{\text{kg}}$ गेंद का वेग, ${\text{v}} = 54$

किमी / घंटा $= 15$ मीटर / सेकंड।

आवेग $= 2 \times 0.15 \times 15\cos {22.5^\circ } = 4.16{\text{kgm}}/{\text{s}}$

उत्तर 21: पत्थर का द्रव्यमान, मी $= 0.25{\text{kg}}$

सर्कल का त्रिज्या, आर $= 1.5{\text{m}}$

25.एक चुम्बकीय द्विध्रुव दो चुम्बकीय-क्षेत्रों के प्रभाव में है। ये क्षेत्र एक-दूसरे से $60^\circ$ का कोण बनाते हैं और उनमें से एक क्षेत्र का परिमाण $12{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 2}}T$ है। यदि द्विध्रुव स्थायी सन्तुलन में इस क्षेत्र से $15^\circ$ का कोण बनाए, तो दूसरे क्षेत्र का परिमाण क्या होगा ?

उत्तर : पत्थर का द्रव्यमान, मी $= 0.25{\text{kg}}$ सर्कल का त्रिज्या, आर $= 1.5{\text{m}}$

प्रति सेकंड क्रांति की संख्या,  $60 \times 3{\text{rps}}$ कोणीय वेग, $w = 2\pi {\text{n}}$ पत्थर के लिए सेंट्रिपेटल बल तनाव ${\text{T}}$ द्वारा प्रदान किया जाता है, स्ट्रिंग में, अथात, ${\text{T}} = {\text{F}}$ केन्द्राभिमुख

$= m{v^2} = mr{\omega ^2} = \operatorname{mr} {(2\pi n)^2}$

$= 0.25 \times 1.5 \times {(2 \times 3.14 \times 2/3)^2}$

$= 6,57{\text{N}}$

${{\text{T}}_{\max }} = 200{\text{N}}$

${\text{T}}{{\text{ }}_{{\text{max}}}}{\text{ }} = \dfrac{{{\text{mv}}_{\max }^2}}{{\text{r}}}$

${v_{\max }} = \dfrac{{{{\sqrt T }_{\max }} \times {\text{r}}}}{{\text{m}}}$

$= \dfrac{{\sqrt {200}  \times 1.5}}{{0.2}}$

$= \sqrt {1200} $

$= 34.64{\text{m}}/{\text{s}}$


26.एक समोर्जी $18{\text{ }}keV$ वाले इलेक्ट्रॉनों के किरण पुंज पर जो शुरू में क्षैतिज दिशा में गतिमान है, $0.04{\text{ }}G$ का एक क्षैतिज चुम्बकीय-क्षेत्र, जो किरण पुंज की प्रारम्भिक दिशा के लम्बवत है, लगाया गया है। आकलन कीजिए $30$ सेमी की क्षैतिज दूरी चलने में किरण पुंज कितनी दूरी ऊपर या नीचे विस्थापित होगा ? $\left( {{m_e} = {\text{ }}911{\text{ }}x{\text{ }}{{10}^{ - 31}}kg,{\text{ }}e{\text{ }} = {\text{ }}160{\text{ }}x{\text{ }}{{10}^{ - 19}}C} \right)$ ।
नोट: इस में आँकड़े इस प्रकार चुने गए हैं कि उत्तर से आपको यह अनुमान हो कि TV सेट में इलेक्ट्रॉन गन से पर्दे तक इलेक्ट्रॉन किरण पुंज की गति भू-चुम्बकीय-क्षेत्र से किस प्रकार प्रभावित होती है।

उत्तर: (b) जब स्ट्रिंग टूटती है, तो पत्थर उस पल में वेग की दिशा में गति करेगा। गति के पिहले नियम के अनुसार, वेग वेक्टर की दिशा उस तत्काल पर पत्थर के मार्ग के लिए स्पशरिखा है। इसलिए, पत्थर तात्कालिक रूप से टूटने से तात्कालिक रूप से उड़ जाएगा।


27.अनुचुम्बकीय लवण के एक नमूने में $2.0{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{24}}$ परमाणु द्विध्रुव हैं जिनमें से प्रत्येक का द्विध्रुव आघूर्ण $1.5{\text{ }} \times {10^{ - 23}}J{T^{ - 1}}$ है। इस नमूने को $0.64{\text{ }}T$ के एक एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र में रखा गया है और $4.2{\text{ }}K$ताप तक ठण्डा किया गया। इसमें $15\%$ चुम्बकीय संतृप्तता आ गई। यदि इस नमूने को $0.98{\text{ }}T$ के चुम्बकीय-क्षेत्र में $2.8{\text{ }}K$ ताप पर रखा हो तो इसका कुल द्विध्रुव आघूर्ण कितना होगा? (यह मान सकते हैं कि क्यूरी नियम लागू होता है।)

उत्तर 23: 

(a) एक गाड़ी खींचने के लिए, एक घोड़ा कुछ बल के साथ जमीन को पीछे करता है। बदले में जमीन घोड़े के पैरों पर एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया बल लगाती है। यह प्रतिक्रिया बल घोड़े को आगे बढ़ने का कारण बनता है। एक खाली इक्का ऐसी किसी भी प्रतिक्रिया बल से रहित है। इसलिए, घोड़ा गाड़ी को नहीं खींच सकता और खाली जगह पर नहीं चल सकता।

(b) जब एक तेज रफ्तार बस अचानक रुकती है, तो यात्री के शरीर का निचला हिस्सा, जो सीट के संपर्क में होता है, अचानक आराम करने के लिए आता है। हालाँकि, ऊपरी भाग गति में बना रहता है (गति के पहले नियम के अनुसार) । नतीजतन, यात्री का ऊपरी शरीर उस दिशा में आगे फेंक दिया जाता है जिस दिशा में बस चलती थी।

(c) लॉन घास काटने की मशीन को खींचते समय, कोण $9$ पर एक बल इस पर लगाया जाता है, जैसा कि निम्न आकृति में दिखाया गया है।


The force applied at an angle to the lawn mower to pull the machine


Components of applied force


इस लागू बल का ऊध्वाधर कॉर्नपॉइंट ऊपर की ओर कार्य करता है। यह घास काटने की मशीन के प्रभावी वजन को कम करता है। दूसरी ओर, लॉन घास काटने की मशीन को धक्का देते समय, कोण 9 पर एक बल लगाया जाता है, जैसा कि निम्न आकृति में दिखाया गया है।

स मामले में, लागू बल का ऊध्वाधर घटक घास काटने की मशीन के वजन की दिशा में कार्य करता है। यह घास काटने की मशीन के प्रभावी वजन को बढ़ाता है। चूंकि पहले मामले में लॉन घास काटने की मशीन का प्रभावी वजन कम है, इसलिए लॉन घास काटने की मशीन को खींचना आसान है

(d) न्यूटन के गति के दूसरे नियम के अनुसार, हमारे पास गति का समीकरण है:

$F = ma = \dfrac{{m\Delta v}}{{\Delta t}}$

जहां,

$F = $ क्रिकेटर द्वारा अनुभव किए गए बल को रोकना क्योंकि वह गेंद को पकड़ता है

${\text{m}} = $ गेंद का द्रव्यमान

$\Delta {\text{t}} = $ हाथ से गेंद के प्रभाव का समय यह समीकरण (i) से अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रभाव बल विपरीत आनुपातिक है प्रभाव समय, समीकरण (ii) से पता चलता है कि क्रिकेटर द्वारा अनुभव किया गया बल घटता है यदि प्रभाव का समय बढ़ता है और इसके विपरीत। एक कैच लेते समय, एक क्रिकेटर अपने हाथ को पीछे की ओर ले जाता है ताकि प्रभाव का समय (एट) बढ़े। यह रोक बल में कमी का परिणाम है, जिससे क्रिकेटर के हाथों को चोट लगने से बचाया जा सकता है।


28.एक रोलैंड रिंग की औसत त्रिज्या $15$ सेमी है और इसमें $800$ आपेक्षिक चुम्बकशीलता के लौह चुम्बकीय क्रोड पर $3500$ फेरे लिपटे हुए हैं। $1.2{\text{ }}A$ की चुम्बककारी धारा के कारण इसके क्रोड में कितना चुम्बकीय-क्षेत्र $\vec B$ होगा ?

उत्तर : $x - 2$ सेमी के बीच स्थित दो दीवारों के बीच एक बॉल रिबाउंडिंग; हर के बाद $2{\text{s}}$, गेंद दीवारों से $0.08 \times 10 - 2{\text{kg}}{\text{m}}/{\text{s}}$ का एक आवेग प्राप्त करती है। दिए गए ग्राफ से पता चलता है कि प्रत्येक $2{\text{s}}$ के बाद एक शरीर अपनी गति की दिशा बदलता है। शारीरिक रूप से, इस स्थिति को एक्स $= 0$ और एक्स $= 2$ सेमी की स्थिति के बीच स्थित दो स्थिर दीवारों के बीच बॉल रिबाउंडिंग और फ्रू के रूप में देखा जा सकता है। चूंकि प्रत्येक 2 s के बाद xt ग्राफ का ढलान

उलट जाता है, गेंद हर $2{\text{s}}$ के बाद एक दीवार से टकराती है। इसलिए, गेंद को हर 2 एस के बाद एक आवेग प्राप्त होता है। गेंद का द्रव्यमान, एम $= 0.04$ किग्रा

$U = \dfrac{{(2 - 0) \times {{10}^{ - 2}}}}{{(2 - 0)}}$

$= {10^{ - 2}}$

टकराव से पहले गेंद का वेग, टक्कर के बाद $u = {10^ \wedge } - 2$ मीटर $/$ गेंद का वेग, $v =  - {10^ \wedge } - 2{\text{m}}/{\text{s}}$ (यहां, नकारात्मक संकेत उठता है क्योंकि गेंद गति की अपनी दिशा को उलट देती है।) आवेग = गति में परिवर्तन

$= [{\text{mv}} - {\text{mu}}]$

$= [{\text{O}}.04({\text{v}} - {\text{u}})$

$= 0.04\left( { - {{10}^ \wedge } - 2 - {{10}^ \wedge } - 2} \right]$

$= 0.08 \times {10^ \wedge } - 2{\text{kg}}/{\text{s}}$


29. किसी इलेक्ट्रॉन के नैज चक्रणी कोणीय संवेग $\vec S$ एवं कक्षीय कोणीय संवेग $\vec 1$ के साथ जुड़े चुम्बकीय-आघूर्ण क्रमशः $\overrightarrow {{\mu _{\text{S}}}} $ और $\overrightarrow {{\mu _1}} $ हैं। क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर (और प्रयोगात्मक रूप से अत्यन्त परिशुद्धतापूर्वक पुष्ट) इनके मान क्रमशः निम्न प्रकार दिए जाते हैं-

${\mu _S} =  - \left( {\dfrac{e}{m}} \right)\vec S\quad {\text{ ??? }}{\mu _l} =  - \left( {\dfrac{e}{{2m}}} \right)\overrightarrow {\mathbf{l}}$

इनमें से कौन-सा व्यंजक चिरसम्मत सिद्धान्तों के आधार पर प्राप्त करने की आशा की जा सकती है? उस चिरसम्मत आधार पर प्राप्त होने वाले व्यंजक को व्यत्पन्न कीजिए।

हल— व्यंजक ${\vec \mu _l} =  - \left( {\dfrac{e}{{2m}}} \right)\vec 1$, चिरसम्मत सिद्धान्तों के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है। माना इलेक्ट्रॉन $r$ त्रिज्या की वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगा रहा है तथा इसका परिक्रमण काल $T$ है, तब परिक्रमण के कारण कक्षा में धारा .$i = \dfrac{e}{T}$

$\therefore $ परिक्रमण के कारण उत्पन्न चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण

${\mu _l} = iA = \left( {\dfrac{e}{T}} \right) \times \pi {r^2}$

जबकि कक्षा में घूमते इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग

.$l = mvr = m\left( {\dfrac{{2\pi r}}{T}} \right)r$

$= \dfrac{{2\pi m{r^2}}}{T}$

$\dfrac{{{\mu _l}}}{l} = \left( {\dfrac{e}{T} \times \pi {r^2}} \right) \times \dfrac{T}{{2\pi m{r^2}}} = \dfrac{e}{{2m}}$

${\mu _l} = \dfrac{e}{{2m}}l$

$\because $ इलेक्ट्रॉन का आवेश $e$ ऋणात्मक है; अत: $\overrightarrow {{\mu _1}} $ व $\vec l$ सदिशों की दिशाएँ परस्पर विपरीत होंगी। $\therefore $ सदिश रूप में लिखने पर,

$\overrightarrow {{\mu _l}}  =  - \left( {\dfrac{e}{{2m}}} \right)\overrightarrow {\text{l}} $


NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism And Matter In Hindi

Chapter-wise NCERT Solutions are provided everywhere on the internet with an aim to help the students to gain a comprehensive understanding. Class 12 Physics Chapter 5 solution Hindi medium is created by our in-house experts keeping the understanding ability of all types of candidates in mind. NCERT textbooks and solutions are built to give a strong foundation to every concept. These NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 in Hindi ensure a smooth understanding of all the concepts including the advanced concepts covered in the textbook.

NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 in Hindi medium PDF download are easily available on our official website (vedantu.com). Upon visiting the website, you have to register on the website with your phone number and email address. Then you will be able to download all the study materials of your preference in a click. You can also download the Class 12 Physics Magnetism And Matter solution Hindi medium from Vedantu app as well by following the similar procedures, but you have to download the app from Google play store before doing that. 

NCERT Solutions in Hindi medium have been created keeping those students in mind who are studying in a Hindi medium school. These NCERT Solutions for Class 12 Physics Magnetism And Matter in Hindi medium pdf download have innumerable benefits as these are created in simple and easy-to-understand language. The best feature of these solutions is a free download option. Students of Class 12 can download these solutions at any time as per their convenience for self-study purpose. 

These solutions are nothing but a compilation of all the answers to the questions of the textbook exercises. The answers/solutions are given in a stepwise format and very well researched by the subject matter experts who have relevant experience in this field. Relevant diagrams, graphs, illustrations are provided along with the answers wherever required. In nutshell, NCERT Solutions for Class 12 Physics in Hindi come really handy in exam preparation and quick revision as well prior to the final examinations.

WhatsApp Banner

FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Physics In Hindi Chapter 5 Magnetism and Matter In Hindi Medium

1. What key topics are covered in the NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 5, Magnetism and Matter?

The solutions cover all topics from the chapter as per the CBSE 2025-26 syllabus, providing step-by-step methods for problems involving:

  • The bar magnet as an equivalent solenoid.
  • Calculations of magnetic field intensity, torque, and potential energy of a magnetic dipole.
  • Earth's magnetic field elements (magnetic declination, dip, and horizontal component).
  • Magnetic properties of materials, including paramagnetism, diamagnetism, and ferromagnetism.
  • Solutions for all in-text and end-of-chapter exercise questions.

2. How are problems related to the torque on a bar magnet in a uniform magnetic field solved in the NCERT exercises?

To solve for the torque (τ) on a bar magnet, the standard formula τ = mBsinθ is used. The NCERT solutions provide a clear, step-by-step method:

  • First, identify the given values: magnetic moment (m), magnetic field strength (B), and the angle (θ) between the magnet's axis and the field.
  • Next, ensure all units are in the standard SI system before calculation.
  • Finally, substitute the values into the formula to find the magnitude of the torque. The direction of the torque always acts to align the magnet with the external magnetic field.

3. What are the three magnetic elements of the Earth required to solve NCERT problems?

To completely specify the Earth's magnetic field at a point and solve related problems, three quantities are essential:

  1. Magnetic Declination (α): The angle between the true geographic north and the magnetic north shown by a compass.
  2. Angle of Dip or Inclination (δ): The angle that the Earth's total magnetic field (B_e) makes with the horizontal direction.
  3. Horizontal Component of the Earth's Magnetic Field (B_H): The component of the total magnetic field that acts in the horizontal plane.

4. How do the NCERT Solutions explain the method for finding a neutral point for a bar magnet?

A neutral point is a location where the magnetic field from a bar magnet is equal in magnitude and opposite in direction to the Earth's horizontal magnetic field (B_H), causing the net magnetic field to be zero. The solutions demonstrate how to calculate the position of these points in two standard cases:

  • On the axial line: This occurs when the magnet's North pole points towards the geographic South.
  • On the equatorial line: This occurs when the magnet's North pole points towards the geographic North.

The correct formula for the magnet's field is set equal to B_H, and the equation is solved for the distance (r) from the magnet's centre.

5. Why is a bar magnet considered equivalent to a solenoid in many problems in this chapter?

A bar magnet is treated as an equivalent solenoid because their magnetic fields are remarkably similar, especially at points far from their centers. The NCERT solutions use this equivalence because a current-carrying solenoid produces a magnetic field with distinct north and south poles, behaving exactly like a bar magnet. The mathematical formula for the magnetic field on the axis of a solenoid can be shown to be identical to that of a bar magnet, which simplifies many theoretical derivations and problem-solving approaches in the chapter.

6. What is the significance of Gauss's Law in magnetism, and how does it impact the solutions in Chapter 5?

Gauss's Law in magnetism states that the net magnetic flux through any closed surface is always zero (∮B⋅dA = 0). Its core significance, highlighted throughout the chapter, is that it provides the reason for the non-existence of magnetic monopoles. Unlike electric charges, magnetic poles must always exist in pairs (a North and a South pole). This fundamental principle explains why magnetic field lines always form continuous closed loops, a concept essential for understanding the behaviour of magnets and electromagnets in the given problems.

7. When solving problems on Earth's magnetism, why is it crucial to use the horizontal component (B_H) and not the total field (B_e)?

It is crucial to use the horizontal component (B_H) because a freely suspended magnetic needle, like in a compass, is constrained to rotate in a horizontal plane. Therefore, it only aligns with the horizontal component of the Earth's magnetic field. Most NCERT problems involving neutral points or compass deflection are based on balancing an external magnetic field with B_H. Using the total field (B_e), which also has a vertical component, would give incorrect results for these horizontal interactions. The relationship B_H = B_e cos(δ), where δ is the angle of dip, is frequently used to find the correct component.

8. How do the NCERT solutions differentiate between solving problems for paramagnetic, diamagnetic, and ferromagnetic materials?

The solutions approach problems for these materials based on their unique responses to an external magnetic field:

  • Diamagnetic: These materials are weakly repelled. Their magnetic susceptibility (χ) is small and negative. Problems focus on this slight opposition to the field.
  • Paramagnetic: These materials are weakly attracted. Their susceptibility (χ) is small and positive, and it is inversely proportional to temperature (Curie's Law). Calculations often involve temperature-dependent effects.
  • Ferromagnetic: These materials are strongly attracted and can be permanently magnetised. Their susceptibility is large and positive. Problems frequently involve concepts unique to them, such as hysteresis, retentivity, and coercivity.

9. Do the Vedantu NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 cover all the exercise questions?

Yes, the NCERT Solutions for Magnetism and Matter provided by Vedantu contain detailed, step-by-step explanations for all questions from the NCERT textbook for the academic year 2025-26. This includes both the main exercises and any additional problems, ensuring you have a complete resource for CBSE board exam preparation.