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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 7 - Kavitavali (Uttarakhand Se)

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NCERT Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 Poem Kavitawali (uttarakhand se): Complete Resource for Laxman Murcha Aur Ram ka Bilap

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Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Hindi

Subject Part:

Hindi Part 4 - Aroh

Chapter Name:

Chapter 7 - Kavitavali (Uttarakhand Se)

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

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  • Important Questions

  • Revision Notes

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Practice and Master the Concepts of कवितावली (उत्तर कांड से) 2 - लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप with NCERT Solutions Exercises for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8

1. कवितावली में उद्धृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है।

उत्तर: कवितावली में उद्धृत छंदों से यह स्पष्ट होता है कि गोस्वामी तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमताओं की अच्छी समझ है। तुलसीदास जी ने अपने छंदों में समकालीन समाज की स्थिति का यथार्थवादी चित्रण किया है। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के बारे में बताते हुए कहा है कि विभिन्न वर्गों के पास कई तरह का काम होता है, जो करके, वे लोग अपना पेट पालते हैं। तुलसीदास जी यहां तक कहते हैं कि लोग अपनी भूख को संतुष्ट करने के लिए उचित एवं अनुचित दोनों ही कार्य करते हैं। उनके अनुसार उस दौर में अधिक गरीबी और बेरोजगारी थी। गरीबी के कारण लोग अपने बच्चों को  बेचने के लिए भी मजबूर थे। बेरोजगारी ऐसी थी कि लोगों को भिक्षा भी नहीं मिलती थी। दुर्बलता के दानवों द्वारा कहर ढाला गया था।


2. पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही करता सकता है - तुलसी का यह काव्य-सत्य, क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।

उत्तर: मनुष्य का जन्म, कर्म, कर्म फल, सब ईश्वर के अधीन है। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं पेट के आग को बुझाने का कार्य सिर्फ भगवान (राम)  द्वारा किया जा सकता है। अर्थात, तुलसीदास जी कहते हैं कि पेट की आग केवल भगवान की भक्ति से ही बुझ सकती है। यदि मनुष्य भगवान की भक्ति में लीन हो जाए तो भगवान उसकी पेट की आग बुझाने में सक्षम रहते हैं। ईश्वर से फल प्राप्त करने के लिए दोनों के बीच संतुलन होना बहुत ही आवश्यक है। कड़ी मेहनत के साथ-साथ पेट की शांति के लिए भगवान का कृपा होना भी बहुत जरूरी होता है।


3. तुलसी ने यह कहने की जरूरत क्यों समझी? 

“ धूत कहौ, अवधूत कहौ, राजपूती कहौ, जोलहा कहौ कोउ, 

काहू की बेटीसो बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार न सोउ।”

इस सवैया में काहू के बेटा सो बेटी ना ब्याहब कहते, तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आता? 

उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी के युग में, जाति से संबंधित नियम बहुत ही सख्त थे। समकालीन समाज ने भी अपनी जाति और जाति के संबंध में सवाल उठाए थे। तुलसीदास जी भक्त कवि थे और सांसारिक संबंधों में उनकी कोई विशेष रूचि नहीं थी। इस कवितावली में वे  ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि अगर मैं अपने देश के बारे में बात करूँगा तो सामाजिक संदर्भ में उसका मतलब अलग होगा। क्योंकि शादी के बाद लड़की को अपनी जाति छोड़कर पति के जाति को अपनाना पड़ता है। दूसरी बात यह है कि यदि तुलसीदास जी अपनी बेटी की शादी ना करने का फैसला करते तो समाज में यह बात निंदा एवं गलतफहमी के रूप में देखी जाती। तीसरी बात यह है कि यदि वे अपनी बेटी की शादी दूसरी जाति में करते तो सामाजिक संघर्ष उत्पन्न हो जाता।


4. “धूत कहौ… …. .. … ” वाले छंद में ऊपर से सरल व नीरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी  की भीतरी असलियत, एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहां तक सहमत है? 

उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी के स्वाभिमान पर किसी को संदेह नहीं है। उन्होंने इस कविता में अपना स्वाभिमान व्यक्त किया है। वे एक सच्चे भक्त हैं और अपने प्रभु के प्रति पूर्णतया समर्पित है। उन्होंने कभी भी अपने स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने हमेशा एक ही इशारे से राम की पूजा की। यह कविता, भक्त ह्रदय की भक्ति की गहराई और गहनता में, भक्ति का जीवंत चित्रण है। तुलसीदास जी का, जो राम भक्ति में लगे हैं, समाज के कटाक्ष पर कोई प्रभाव नहीं है। वह किसी पर निर्भर नहीं है। वे अपना जीवन भीख मांग कर जीते हैं और मस्जिद में सोते हैं। वह बाहर से सीधे एवं कोमल है परंतु उनके मन में स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा है।


5. व्याख्या करें;-

क: मम हित लागी जतिहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता ।

जो जनतेऊँ बन बंधु बिछोहु। पितु बचन मनतेऊँ नहि ओहु।

उत्तर: मूर्छित लक्ष्मण का सिर अपनी गोद में रख कर, श्रीराम विलाप करते हुए उनसे कहते हैं, “ हे लक्ष्मण! तुम तो बहुत त्यागी हो। क्या तुम्हें मेरी व्याकुलता उठने को नहीं कहती? तुमने केवल मेरे हित के लिए माता-पिता और जीवन के सारे सुखों का त्याग कर दिया और मेरे साथ वनवास को आ गए।  वन में रहते हुए तुमने धूप, गर्मी, बरसात, ठंड, सब कुछ सहन किया। यदि मुझे पहले ज्ञात होता कि  वन में मैं अपने भाई से बिछड़ जाऊंगा, तो मैं पिता की बात नहीं मानता और तुम्हें अपने साथ वन को नहीं लाता।”


ख: जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हिना।

अस मम जिवन बंधु बिनु तोहि। जौ जड़ दैव जिआवै मोही।। 

उत्तर: मूर्छित लक्ष्मण के सामने, राम विलाप करते हुए कहते हैं, “ हे लक्ष्मण! तुम्हारे बिना मेरी  दशा ऐसी दयनीय हो गई है जैसे पंख बिना पक्षी,  मणि बिना सर्प  और सुड़ बिना हाथी की हो जाती है। मैं तो पूरी तरह असहाय और और असक्षम हो गया हूँ। यदि भाग्य ने मुझे तुम्हारे बिना जीवित रखा तो मेरा जीवन इसी प्रकार शक्तिहीन रहेगा।” यहां से राम के कहने का तात्पर्य यह है कि लक्ष्मण के बगैर श्री राम कुछ नहीं कर सकते। उनके तेज और पराक्रम के पीछे लक्ष्मण की ही शक्ति होती है। अपने भाई के बिना श्री राम असहाय हो जाएंगे।


ग:   माँग कै खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु न दैबको दोऊ।। 

उत्तर: इन दोहे के द्वारा तुलसीदास जी ने समाज से अपनी तटस्था के बारे में कहा है। उन्होंने अपने स्वाभिमान रक्षा का भी संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि समाज के बेबुनियाद बातों से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह किसी पर आश्रित नहीं है। वे केवल राम भक्ति में लीन रहते हैं। संसार से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। इन दोहे में उन्होंने कहा है कि वह भिक्षा मांग कर अपना पेट पाल लेते हैं और रात मस्जिद में काट लेते हैं। उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं है।


घ:  ऊँचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।। 

उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने काल की आर्थिक दशा का यथार्थ परक चित्रण किया है। उस दौर में लोग पेट भरने के लिए कोई भी कार्य कर लेते थे। लोगों का काम सिर्फ पेट भरना, पेट की आग बुझाना था। पेट की आग बुझाने के लिए यह नहीं देखते थे कि वह काम उचित है कि अनुचित। उन्हें कर्म की प्रवृत्ति और तरीके की कोई परवाह नहीं थी। लोग अपने पेट को शांत करने के लिए, अपने संतानों तक को बेच देते थे। अर्थात पेट भरने के लिए लोग कोई भी काम कर लेते थे।


6. भ्रातृ शोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: लक्ष्मण को बेहोश पड़ा देख, राम का विलाप एक दिव्य लीला की तुलना में एक सामान्य व्यक्ति का प्रलाप, ज्यादा प्रतीत होता है। लक्ष्मण मूर्छित के समय श्री राम के द्वारा कई ऐसी बातें कही गई है जो केवल एक आम व्यक्ति ही कहता है। जैसे कि श्रीराम ने कहा है कि यदि उन्हें पहले पता रहता कि वह वन में अपने भाई से बिछड़ जाएंगे तो वे अपने भाई को कभी वन नहीं लाते। ऐसी कई अन्य बातें  राम ने कही है जो कि आम आदमी के जैसी प्रतीत होती है। राम ये भी कहते हैं कि जब वे अयोध्या वापस जाएंगे तो अपनी माता को लक्ष्मण के बारे में क्या बताएंगे। श्री राम ने अपने प्रिय भ्राता पर इतना शोक व्यक्त किया है जितना कोई साधारण व्यक्ति भी नहीं कर सकता। श्री राम की अशोक दशा बिल्कुल एक मनुष्य की तरह ही थी। वास्तव में, यह विलाप राम की संकीर्णता से अधिक मानवीय अनुभूति है।


7. शोक ग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का  अवीरभाव क्यों कहा गया है? 

उत्तर: लक्ष्मण को ठीक करने के लिए संजीवनी बूटी लाना बहुत ही आवश्यक था। संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान को भेजा गया था। ज्यों-ज्यों हनुमान को संजीवनी बूटी लाने में देरी हो रही थी, त्यों-त्यों राम की नाराजगी से वानर सेना शोकाकुल एवं चिंतित हो रही थी। इसी बीच हनुमान संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ लेकर पहुंचे। वैद्य सुषेण ने संजीवनी बूटी ढूंढ कर दवा तैयार किया और लक्ष्मण को पिला दिया। दवा पीने के पश्चात लक्ष्मण ठीक हो गए और यह देखकर राम का शोक समाप्त हो गया। राम अपने भाई को देख कर बहुत प्रसन्न हो गए। लक्ष्मण को जीवित देखकर पूरी वानर सेना में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। इस तरह, हनुमान लक्ष्मण के लिए जड़ी बूटियों का पहाड़ उठाकर, शोक के बीच वीर रस का प्रचार कर रहे हैं।


8. जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाइ गँवाई।। 

बरु अपजस सहतेउँ जग माही।। नारि हानि बिसेष छति नाही।। 

भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप- वचन मे स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है? 

उत्तर: लक्ष्मण के शोक में डूबे राम कहते हैं कि जब अयोध्या जाएंगे तो सब उनसे क्या कहेंगे। वे कहते हैं कि अयोध्या के लोग कहेंगे कि राम ने नारी के कारण अपने प्रिय भाई को गवा दिया। अयोध्या के लोग यही कहेंगे कि भाई गवाना बहुत ही बड़ा क्षति है परंतु यदि स्त्री को गवाता तो वह ज्यादा बढ़ा क्षति नहीं होता। यदि एक स्त्री जाति तो दूसरी अवश्य आ जाती। परंतु भाई दूसरा नहीं आता है। राम जी का यह कथन भारत में स्त्रियों का वर्णन नहीं करता। श्री राम कहते हैं कि स्त्री होने का अभ्यस्त वह सह लेते परंतु भाई खोने का दुख वो नहीं सह पाते। आज के युग में नारी का पुरुष के समान अधिकार नहीं है। नारी को केवल उपभोग  की वस्तु समझा जाता है। उसे निर्बल एवं असहाय समझकर, उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई जाती है।


9. कालिदास के रघुवंश महाकाव्य में पत्नी इंदुमती के मृत्यु शोक पर आज तथा निराला की सरोज स्मृति में पुत्री सरोज मृत्यु शोक पर पिता के करुण उद्गार निकले हैं। उनसे भ्रातृ शोक में डूबे राम कि इस विलाप की तुलना करें।

उत्तर: “ सरोज स्मृति” में महाकवि निराला ने  अपनी पुत्री की मृत्यु पर जो शोक व्यक्त किए थे, वे एक असहाय पिता के उद्गार थे जो अपनी पुत्री की आकस्मिक मृत्यु के कारण उपजे थे। जबकि कालिदास के महाकाव्य “रघुवंश”  मे अज के उद्गार अपनी पत्नी के शोक में निकले हैं  जो उनके उच्च प्रेम की छाप छोड़ता है। किंतु निराला के सामने जवान पुत्री की मृत्यु अनायास आ खड़ी हुई थी। वही भाई के शोक में राम का विलाप भी निराला की तुलना में कम है। लक्ष्मण केवल मूर्छित हुए थे परंतु निराला की बेटी तो मर ही चुकी थी। लक्ष्मण के जीने की आस अभी शेष थी। सरोज की मृत्यु के लिए, निराला की कमजोर आर्थिक दशा जिम्मेदार थी। वे अपनी पुत्री की देखभाल नहीं कर पाए थे। अतः उनका दुख बहुत ही विकट था जबकि श्री राम के साथ ऐसा नहीं था।


10. “पेट ही पचत, बचत बेटा बेटकी”, तुलसी के ही युग का नहीं बल्कि आज के युग का भी सत्य है। भुखमरी में किसानों की आत्महत्या और संतानों को भी बेच डालने की हृदय विदारक घटनाएं घटती रहती है। वर्तमान परिस्थितियों और तुलसी के युग की तुलना करें।

उत्तर: तुलसीदास के युग में लोगों की हालत इतनी खराब थी कि वह अपने पेट भरने के लिए अपने संतानों तक को बेच देते थे। आज के युग में भी ऐसी घटनाएं होती ही रहती है। अत्यधिक गरीब और पिछड़े हुए क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं होती ही रहती है। भुखमरी के कारण किसान खुद की भी हत्या कर लेते हैं और कई लोग तो आज भी अपने सन्तानो को बेच देते है। अनैतिकता दोनों युगो में सामान दिखाई देती है।


11. तुलसी के युग के बेकारी के क्या कारण हो सकते हैं? आज की बेकारी की समस्याओं के कारणों के साथ उसे मिलाकर परिचर्चा करें। 

उत्तर: बेकारी एक ऐसी समस्या है जो अभी भी समाप्त नहीं हुई है। बेकारी की समस्या तुलसीदास के युग के साथ-साथ आज के युग में भी देखी जा रही है। बेकारी वही है परंतु कारण बदल सकते हैं। जैसे कि तुलसीदास के युग में बेकारी के अलग कारण थे और अब बेकारी के अलग कारण हैं। तुलसीदास के युग में बड़े एवं धनवान लोग, गरीब लोगों की हक छीन लिया करते थे। इससे क्या होता था कि अमीर और अमीर होते थे और गरीब और गरीब होते जाते थे। अमीरों द्वारा पिछड़े वर्गों को शोषण का शिकार होना पड़ता था। अमीर लोग गरीबों की मदद नहीं करते थे और जिसके कारण उन्हें बेरोजगारी हाथ लगती थी। इस युग में देखा जाए तो अभी भी बेरोजगारी पूर्ण तरह से हटी नहीं है। इस युग में बेरोजगारी के अलग कारण हैं। जैसे कि शिक्षित ना होना। आज के युग में शिक्षित होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति शिक्षित है वह किसी भी तरह से अपने पेट की आग बुझाने के लिए कमा सकता है परंतु जो अशिक्षित है उन्हें बेरोजगारी ही हाथ लगती है।


12. यहाँ कवि तुलसी के दोहा, चौपाई, सोरठा, कवित सवैया- ये पाँच छंद प्रयुक्त हैं। इसी प्रकार तुलसी साहित्य में  छंद तथा काव्य रूप आए हैं। ऐसे छंदों एवं काव्य रूपों की सूची बनाएं।

उत्तर: तुलसी साहित्य में अन्य छंद एवं काव्य रूप आए हैं जो निम्नलिखित है।

छंद - बरवै,छप्पय और हरिगीतिकाI 

काव्य रूप - रामचरितमानस - प्रबंध काव्य

विनय पत्रिका - मुक्तक काव्य

गीतावली एवं कृष्णावली - गेय पद शैली। 


Kavitavali (Uttar-Kand se) Laxman Murcha Aur Ram ka Bilap

Poetry and Abstract:

A. Kavitavali (from Uttarakhand)

Pratipada-Kavitta: The poet has said that the basis of all the good and bad Leela- prapancham of the world is the stark and profound reality of the 'stomach fire', which they see in the grace-water of Rama- form Ghanshyam. His devotion is to extinguish the fire of the stomach, that is, to solve the real crises of life, as well as to give life-external spiritual liberation.


Sarva-Kavitta: The poet has described the stomach fire as the greatest. Humans do all the work to extinguish this fire, whether it is for trade, farming, job, dancing, stealing, detective, service, singing, hunting, roaming in the forests. This stomach fire is more significant than the sea of ​​Barwanal. Now only Ram Rupi Ghanshyam can extinguish this fire.


First Savaiya: The poet portrays the condition of famine. At this time, the farmer cannot do farming, the beggar does not get alms, the businessman cannot do business, and those who want a job do not get a job. He prays to Rama that now you can destroy this impoverished Ravana.


Second Savaiya: The poet has given a lively depiction of the self-confidence of the devotee in the depth and intensity. They say that whether someone calls me sly, Avadhoot or Jogi, someone says Rajput or weaver, but I am not going to marry my son to someone's daughter and spoil someone's caste. I am entirely devoted to Lord Rama.


B. Laxman-Mustache and Rama's Mourning

This excerpt is taken from the Ramacharitmanas of Lanka when Lakshmana becomes disoriented by the use of Shakti-arrows. This episode completely humanizes the divine Rama, making the reader directly connected to poetry. Hanuman's arrival with Sanjeevani in this dense mourning environment sees the poet as the rise of Veer Ras among Karun Rasa.

Abstract- There was an outcry in Rama's army after Laxman's displeasure in war. On the advice of Sushen Vaidya, Hanuman started to bring Sanjeevani Booti from the Himalayas. Rama became extremely distraught after midnight. He started mourning that you could never see me sad.

When Ravana got this news, he got upset and raised Kumbhakaran. Ravana told all the things from the demise of Sita to the war and the death of great heroes.

There are six conceptual questions asked by the poet Shri Tulsi das Ji at the end of the poem.


NCERT Hindi Aroh-2 Solutions Textbook for Class 12

NCERT Class 12 book Hindi Aroh-2 comprises poems and prose. As prescribed by CBSE board latest syllabus for Aroh-2, 18 chapters for the poem as well as prose sections are as follows:


Poem Section:

  • Chapter 1 - Aatmaparichay Solutions

  • Chapter 2 - Patang Solutions

  • Chapter 3 - Kavita Ke Bahane Solutions

  • Chapter 4 - Camere Me Band Apahij Solutions

  • Chapter 5 - Usha Solutions

  • Chapter 6 - Badal Rag Solutions

  • Chapter 7 - Kavitavali (Uttarakhand Se) Solutions

  • Chapter 8 - Ruwaiya Gajal Solutions

  • Chapter 9 - Poem Chota Mera Khet Solutions


Prose Section:

  • Chapter 10 - Bhaktin Solutions

  • Chapter 11 - Bazar Darshan Solutions

  • Chapter 12 - Kaale Megha Paani De Solutions

  • Chapter 13 - Pahelwan Ki Dholak Solutions

  • Chapter 14 - Shiris Ke Phool Solutions

  • Chapter 15 - Meri Kalpana Ka Adarsh Samaj Solutions


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Chapter 7 - Kavitavali (Uttarakhand Se) Notes

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Chapter 7 - Kavitavali (Uttarakhand Se) Important Questions


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Conclusion

Vedantu's NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 provide comprehensive and reliable assistance to students studying this particular chapter. The solutions are carefully crafted, covering all the important topics and concepts in a concise and clear manner. They offer in-depth explanations, examples, and exercises that aid in better understanding and retention of the subject matter. Vedantu's solutions also align with the latest NCERT guidelines, ensuring accuracy and relevance. By using these solutions, students can enhance their knowledge, improve their comprehension skills, and prepare effectively for exams. Overall, Vedantu's NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 are a valuable resource for students seeking to excel in their studies.

FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 7 - Kavitavali (Uttarakhand Se)

1. Who composed the poem Kavitavali (Uttar Kand se) – Laxman Murcha aur Ram ka Bilap, Aroh Chapter 7?

The poem Kavitavali (Uttar Kand Se) - Laxman Murtha aur Ram ka Bilap Aaroh Chapter 7 is composed by Shri Goswami Tulsidas. This has eight conceptual questions. In this, it has been described that the stomach fire that is hunger is the greatest. Whatever the human does or works first to fill his stomach. Nothing is greater than your hunger. Hunger will make you do anything. This is a true fact which is well justified in the chapter.

2. Explain the condition of famine as mentioned in the First Savaiya, Aroh Chapter 7.

In the first Savaiya, the poet has very clearly portrayed the condition of the famine. At this time nothing is possible. For example, a farmer cannot do farming, a beggar will not get any alms and the job seekers cannot get any job. In this condition, there is no chance to do anything. He prayed to Rama that now he can destroy the distressed Ravana. You can refer to NCERT Solutions of Vedantu for more details of this.

3. What is the meaning of Veer Ras and Karuna Ras?

This is from Ramacharita Manasa where Laxmana is perplexed by Shakti arrows. The arrival of Hanuman with Sanjeevani Booti changes the mourning atmosphere. Here the poet thus sees veer ras from Karun Ras. These will be very clearly understood with the NCERT solutions available free of cost where the explanations are in detail. This is very interesting to read. We all have heard these stories several times. Reading will make it more interesting.

4. Describe the second Savaiya of Chapter 7 of Class 12 Hindi (Aroh).

In this, the poet has described the self-confidence of the devotees which is so deep. This also has explained that let anyone say anything but he will not destroy someone's caste by marrying his son to someone’s daughter. He would be happy to be a devotee of Rama only. This will help students develop the skills in the literature and also the vocabulary which is very important to have a proper focus on the language.

5. Describe Pratipada kavitta according to Chapter 7 of Class 12 Hindi (Aroh).

The good and bad in this world is a star and the reality is the stomach fire. This devotion is to solve the problems of real-life crises and also to give spiritual liberation. These are very interesting and cannot be memorized and learnt. It becomes very important to understand exactly the meanings and also the concepts. This will help in formatting the answers well. You can refer to the Vedantu website or app for chapter details and easy explanations.