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NCERT Solutions For Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations in Hindi - 2025-26

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Step-by-Step Solutions For Class 12 Biology Chapter 13 In Hindi - Free PDF Download

In NCERT Solutions Class 12 Biology Chapter 13 In Hindi, you’ll learn about how different living things—like plants, animals, and even tiny microbes—live together and interact in their environment. This chapter explains important ideas such as populations, communities, and concepts like adaptation, survival, and more, all in simple language. If you’ve ever wondered how organisms survive in tough weather or why some plants grow only in certain places, you’ll find your answers here.


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Access NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 – जीव और समष्टियाँ

1. शीत निष्क्रियता (हाइबरनेशन) से उपरति (डायपाज) किस प्रकार भिन्न है? 

उत्तर: शीत निष्क्रियता (Hibernation) – यह इक्टोथर्मल या शीत निष्क्रिय जन्तुओं (cold-blooded animals), जैसे-एम्फिबियन्स तथा रेप्टाइल्स की शरद नींद (winter sleep) है, जिससे वे अपने आपको ठंड से बचाते हैं। इसके लिए वे निवास स्थान, जैसे-खोह, बिल, गहरी मिट्टी आदि में रहने के लिए चले जाते हैं। यहाँ शारीरिक क्रियाएँ अत्यधिक मन्द हो जाती हैं। कुछ चिड़ियाँ एवं भालू के द्वारा भी शीत निष्क्रियता सम्पन्न की जाती है। उपरति (Diapause) – यह निलंबित वृद्धि या विकास का समय है। प्रतिकूल परिस्थितियों में झीलों और तालाबों में प्राणिप्लवक की अनेक जातियाँ उपरति में आ जाती हैं जो निलंबित परिवर्तन की एक अवस्था है। 


2. अगर समुद्री मछली को अलवण जल (फ्रेश वाटर) की जल जीवशाला (एक्वेरियम) में रखा जाता है तो क्या वह मछली जीवित रह पाएगी? क्यों और क्यों नहीं? 

उत्तर: अगर समुद्री मछली को अलवण जल (freshwater) की जल-जीवशाला में रखा जाए तो वह परासरणीय समस्याओं के कारण जीवित नहीं रह पाएगी तथा मर जाएगी। तेज परासरण होने के कारण रक्त दाब तथा रक्त आयतन बढ़ जाता है जिससे मछली की मृत्यु हो जाती है। 


3. लक्षण प्ररूपी (फेनोटाइपिक) अनुकूलन की परिभाषा दीजिए। एक उदाहरण भी दीजिए। 

उत्तर: लक्षण प्ररूपी अनुकूलन जीवों का ऐसा विशेष गुण है जो संरचना और कार्य की विशेषताओं के द्वारा उन्हें वातावरण विशेष में रहने की क्षमता प्रदान करता है। मरुस्थल के छोटे जीव, जैसे-चूहा, सांप, केकड़ा दिन के समय बालू में बनाई गई सुरंग में रहते हैं तथा रात को जब तापक्रम कम हो जाता है तब ये भोजन की खोज में बिल से बाहर निकलते हैं। मरुस्थलीय अनुकूलन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण ऊँट है। इसके खुर की निचली सतह,चौड़ी और गद्देदार होती है। उसकी पीठ पर संचित भोजन के रूप में वसा एकत्रित रहती है जिसे हंप कहते हैं। भोजन नहीं मिलने पर इस वसा का उपयोग ऊँट ऊर्जा के लिए करता है। जल उपलब्ध होने पर यह एक बार में लगभग 50 लीटर जल पी लेता है जो शरीर के विभिन्न भागों में शीघ्र वितरित हो जाता है। उत्सर्जन द्वारा इसके शरीर से बहुत कम मात्रा में जल बाहर निकलता है। यह प्रायः सूखे मल का त्याग करता है। 


4. अधिकतर जीवधारी 45° सेंटीग्रेड से अधिक तापमान पर जीवित नहीं रह सकते। कुछ सूक्ष्मजीव (माइक्रोब) ऐसे आवास में जहाँ तापमान 100° सेंटीग्रेड से भी अधिक है, कैसे जीवित रहते हैं? 

उत्तर: सूक्ष्मजीवों में बहुत कम मात्रा में स्वतन्त्र जल रहता है। शरीर से जल निकालने से उच्च तापक्रम के विरुद्ध प्रतिरोध उत्पन्न होता है। सूक्ष्म जीवों की कोसा भित्ति में ताप सहन अणु तथा तापक्रम प्रतिरोधक एंजाइम्स भी पाए जाते हैं। 


5. उन गुणों को बताइए जो व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं। 

उत्तर: समष्टि (population) में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि (individual) में नहीं पाए जाते। जैसे व्यष्टि जन्म लेता है, इसकी मृत्यु होती है, लेकिन समष्टि की जन्मदर (natality) और मृत्युदर (mortality) होती है। समष्टि में इन दलों को क्रमशः प्रति व्यष्टि जन्मदर और मृत्युदर कहते हैं। जन्म और मृत्यु दर को समष्टि के सदस्यों के सम्बन्धों में संख्या में वृद्धि का ह्रास (increase or decrease) के रूप में प्रकट किया जाता है। जैसे- किसी तालाब में गत वर्ष जल लिली के 20 पौधे थे और इस वर्ष जनन द्वारा 8 नए पौधे और बन जाते हैं तो वर्तमान में समष्टि 28 हो जाती है तो हम जनन दर की गणना 8/20 = 0.4 संतति प्रति जल लिली की दर से करते हैं। अगर प्रयोगशाला समष्टि में 50 फल मक्खियों में से 5 व्यष्टि किसी विशेष अंतराल (जैसे- एक सप्ताह) में नष्ट हो जाती हैं तो इस अंतराल में समष्टि में मृत्यु दर 5/50 = 0.1 व्यष्टि प्रतिफल मक्खी प्रति सप्ताह कहलाएगी।

समष्टि की दूसरी विशेषता लिंग अनुपात अर्थात नर एवं मादा का अनुपात है। सामान्यतया समष्टि में यह अनुपात 50 : 50 होता है, लेकिन उनमें भिन्नता भी हो सकती है जैसे- समष्टि में 60 प्रतिशत मादा और 40 प्रतिशत नर हैं। निर्धारित समय में समष्टि भिन्न आयु वाले व्यष्टियों से मिलकर बनती है। यदि समष्टि के सदस्यों की आयु वितरण को आलेखित (plotted) किया जाए तो इससे बनने वाली संरचना आयु पिरैमिड (age pyramid) कहलाती है। पिरामिड का आकार समष्टि की स्थिति को प्रतिबिंबित करता है -

  • क्या यह बढ़ रहा है, 

  • स्थिर है या 

  • घट रहा है। 


Age structure


समष्टि का आकार आवास में उसकी स्थिति को स्पष्ट करता है। यह सजातीय, अंतरजातीय प्रतिस्पर्धा, पीड़कनाशी, वातावरणीय कारकों आदि से प्रभावित होता है। इसे तकनीकी भाषा में समष्टि घनत्व से स्पष्ट करते हैं। समष्टि घनत्व का आकलन विभिन्न प्रकार से किया जाता है। 

किसी जाति के लिए समष्टि घनत्व (आकार) निश्चित नहीं होता। यह समय-समय पर बदलता रहता है। इसका कारण भोजन की मात्रा, परिस्थितियों में अंतर, परभक्षण आदि होते हैं। समष्टि की वृद्धि चार कारकों पर निर्भर करती है जिनमें जन्मदर (natality) और आप्रवासन (immigration) समष्टि में वृद्धि करते हैं, जबकि मृत्यु दर (death rate-mortality) तथा उत्प्रवासन (emigration) इसे घटाते हैं। यदि आरंभिक समष्टि No है, Nt एक समय अन्तराल है तथा (I) बाद की समष्टि है तो 

Nt = No + (B + I) – (D + E) = No + B + 1 – D – E 

समीकरण से स्पष्ट है कि यदि जन्म लेने वाले ‘B’ संख्या + अप्रवासी ‘1’ की संख्या (B + I) मरने वालों की संख्या ‘D’ + उत्प्रवासी ‘E’ की संख्या से अधिक है तो समष्टि घनत्व बढ़ जाएगा अन्यथा घट जाएगा। 


Population


6. अगर चरघातांकी रूप से (एक्स्पोनेंशियल) बढ़ रही समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है तो समष्टि की वृद्धि की इन्ट्रिन्जिक दर (r) क्या है? 

उत्तर: चरघातांकी वृद्धि (Exponential growth) – किसी समष्टि की अबाधित वृद्धि उपलब्ध संसाधनों (आहार, स्थान आदि) पर निर्भर करती है। असीमित संसाधनों की उपलब्धता होने पर समष्टि में संख्या वृद्धि पूर्ण क्षमता से होती है। जैसा कि डार्विन ने प्राकृतिक वरण सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुए प्रेक्षित किया था, इसे चरघातांकी अथवा ज्यामितीय (exponential or geometric) वृद्धि कहते हैं। अगर N साइज की समष्टि में जन्मदर ‘b’ और मृत्युदर ‘d’ के रूप में निरूपित की जाए, तब इकाई समय अवधि ‘t’ में समष्टि की वृद्धि या कमी होगी – 

dN/dt = (b - d) X N

यदि (b - d) = r,

 तो, dN/dt = rN

‘r’ प्राकृतिक वृद्धि की इन्ट्रिन्जिक दर (intrinsic rate) कहलाती है। यह समष्टि वृद्धि पर जैविक या अजैविक कारकों के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण प्राचल (parameter) है। यदि समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है तो समष्टि की वृद्धि की इन्टिन्जिक दर 3r’ होगी। 


7. पादपों में शाकाहारिता (हार्बिवोरी) के विरुद्ध रक्षा करने की महत्वपूर्ण विधियां बताइए। 

उत्तर: महत्वपूर्ण विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. पत्ती की सतह पर मोटी क्यूटिकल का निर्माण। 

  2. पत्ती पर कांटों का निर्माण, जैसे- नागफनी। 

  3. काँटों के रूप में पत्तियों का रूपांतरण, जैसे-डुरांटा। 

  4. पत्तियों पर कटीले किनारों का निर्माण। 

  5. पत्तियों में तेज सिलिकेटेड किनारों का विकास। 

  6. बहुत से पादप ऐसे रसायन उत्पन्न और भण्डारित करते हैं जो खाए जाने पर शाकाहारियों को बीमार कर देते हैं। उनकी पाचन का संदमन करते हैं। उनके जनन को भंग कर देते हैं। यहाँ तक कि मार देते हैं, जैसे- कैलोट्रोपिस अत्यधिक विषैला पदार्थ ग्लाइकोसाइड उत्पन्न करता है। 


8. ऑर्किड पौधा, आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है। ऑर्किड और आम के पेड़ के बीच पारस्परिक क्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे? 

उत्तर: ऑर्किड पौधा तथा आम के पेड़ की शाखा सहभोजिता प्रदर्शित करता है। यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी जाति को न लाभ और न हानि होती है। आम की शाखा पर अधिपादप के रूप में उगने वाले ऑर्किड को लाभ होता है जबकि आम के पेड़ को उससे कोई लाभ नहीं होता। 


9. कीट पीड़कों (पेस्ट/इंसेक्ट) के प्रबन्ध के लिए जैव-नियंत्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धांत है? 

उत्तर: कृषि पीड़कनाशी के नियंत्रण में अपनाई गई जैव नियंत्रण विधियाँ परभक्षी की समष्टि नियम की योग्यता पर आधारित हैं। परभक्षी, स्पर्धा शिकार जातियों के बीच स्पर्धा की तीव्रता कम करके किसी समुदाय में जातियों की विविधता बनाए रखने में भी सहायता करता है। परभक्षी पीड़ित का शिकार करके उनकी संख्या को उनके वास स्थान में नियंत्रित रखते हैं। गैम्बूसिया मछली मच्छरों के लार्वा को खाती है और इस प्रकार कीटों की संख्या को नियंत्रित रखती है। 


10. निम्नलिखित के बीच अंतर कीजिए :

(क) शीत निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता (हाइबरनेशन एवं एस्टीवेशन) 

उत्तर: शीत निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता के बीच अन्तर :

सीतनिद्रा

पुष्पदल विन्यास

शीत ऋतु की स्थिति से बचने के लिए कुछ जीवों में घटी हुई गतिविधि की स्थिति हाइबरनेशन है।

ग्रीष्मकाल में गर्मी के कारण शुष्कता से बचने के लिए कुछ जीवों में घटी हुई गतिविधि की स्थिति को सौंदर्यीकरण कहा जाता है।

यह लंबी अवधि के लिए होता है।

यह काफी कम अवधि के लिए होता है।

ठंडे क्षेत्रों में बाधा डालने वाले भालू और गिलहरी ऐसे जानवरों के उदाहरण हैं जो पूरे सर्दियों में हाइबरनेट करते हैं।

मछलियाँ और घोंघे ऐसे जीवों के उदाहरण हैं जो पूरे ग्रीष्मकाल में सजीव होते हैं.


(ख) बाह्योष्मी और आंतरोष्मी (एक्सोथर्मिक एवं एंडोथर्मिक) 

उत्तर: बाह्योष्मी और आंतरोष्मी के बीच अन्तर :

एक्टोथर्म

एंडॉथर्म

एक्टोथर्म ठंडे खून वाले जानवर हैं। उनका तापमान उनके परिवेश के साथ भिन्न होता है।

एंडोथर्म गर्म रक्त वाले जानवर हैं। वे लगातार शरीर के तापमान को बनाए रखते हैं।

एक्टोथर्म में आमतौर पर एक विशेष शरीर द्रव्यमान पर एंडोथर्म की तुलना में कम चयापचय दर होती है।

एंडोथर्म में आमतौर पर एक विशेष शरीर द्रव्यमान पर एक्टोथर्म की तुलना में उच्च चयापचय दर होती है।

उदाहरण मछलियां हैं, उभयचर, और सरीसृप एक्टोथर्म जानवर हैं।

उदाहरण पक्षी हैं और स्तनधारी एंडोथर्मिक जानवर हैं।


11. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:

(क) मरुस्थलीय पादपों और प्राणियों का अनुकूलन, (2018) 

उत्तर: (क) (i) मरुस्थलीय पादपों के अनुकूलन इस प्रकार हैं – 

  1. इनकी जड़ें बहुत लम्बी, शाखित, मोटी एवं मिट्टी के नीचे अधिक गहराई तक जाती हैं। 

  2. इनके तने जल-संचय करने के लिए मांसल और मोटे होते हैं। 

  3. रन्ध्र स्टोमैटल गुफा में धंसे रहते हैं। 

  4. पत्तियाँ छोटी, शल्क पत्र या कांटों के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। 

  5. तना क्यूटिकिल युक्त तथा घने रोम से भरा होता है। 

(क) (ii) मरुस्थलीय प्राणियों के अनुकूलन इस प्रकार हैं – 

  1. मरुस्थल के छोटे जीव, जैसे- चूहा, सांप, केकड़ा दिन के समय बालू में बनाई गई सुरंग में रहते हैं तथा रात को बिल से बाहर निकलते हैं। 

  2. कुछ मरुस्थलीय जन्तु अपने शरीर के मेटाबोलिज्म से उत्पन्न जल का उपयोग करते हैं। उत्तरी अमेरिका के मरुस्थल में पाया जाने वाला कंगारू चूहा जल की आवश्यकता की पूर्ति अपनी आंतरिक वसा के ऑक्सीकरण से करता है। 

  3. जन्तु प्रायः सूखे मल का त्याग करता है। 

  4. फ्रीनोसोमा तथा मेलोच होरिडस में कांटेदार त्वचा पाई जाती है। 


(ख) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन :

उत्तर: जल की कमी के प्रति पादपों में अनुकूलन- ये मरुस्थलीय पादप कहलाते हैं। अतः: उनके अनुकूलन मरुस्थलीय पादपों के समान होता है। 


(ग) प्राणियों में व्यावहारिक (बिहेवियरल) अनुकूलन, 

उत्तर: प्राणियों में व्यावहारिक अनुकूलन इस प्रकार हैं – 

  1. शीत निष्क्रियता, 

  2. ग्रीष्म निष्क्रियता, 

  3. सामयिक सक्रियता, 

  4. प्रवास आदि। 


(घ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्व :

उत्तर: पादपों के लिए प्रकाश का महत्व इस प्रकार है – 

  1. ऊर्जा का स्रोत, 

  2. दीप्ति कालिक आवश्यकता, 

  3. वाष्पोत्सर्जन, 

  4. पुष्पन, 

  5. पादप गति, 

  6. पिगमेंटेशन, 

  7. वृद्धि कंद निर्माण आदि। 


(ङ) तापमान और जल की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन :-

उत्तर: (i)  तापमान में कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन इस प्रकार है – शीत निष्क्रियता, सामयिक सक्रियता, प्रवास आदि। 

(ii)  जल की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन इस प्रकार है – 

  1. सूखे मल का त्याग करना। 

  2. अपने शरीर के मेटाबोलिज्म से उत्पन्न जल का उपयोग करना। 

  3. सूखे वातावरण को सहने की क्षमता। 

  4. उत्तरी अमेरिका के मरुस्थल में पाया जाने वाला कंगारू, चूहा जल की आवश्यकता की पूर्ति अपने आन्तरिक वसा के ऑक्सीकरण से करता है। 


12. अजैविक (abiotic) पर्यावरणीय कारकों की सूची बनाइए। 

उत्तर: अजैवीय पर्यावरणीय कारक (Abiotic Environmental Factors) – विभिन्न अजैवीय कारकों को निम्नलिखित तीन समूहों में बांट सकते हैं – 

  1. जलवायवीय कारक (Climatic factors) – प्रकाश, ताप, वायु गति, वर्षा, वायुमंडलीय नमी तथा वायुमंडलीय गैसें। 

  2. मृदीय कारक (Edaphic factors) – खनिज पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, मृदा जल तथा मृदा वायु। 

  3. स्थलाकृतिक कारक (Topographic factors) – स्थान की ऊँचाई, भूमि का ढाल, पर्वत की दिशा आदि। 


13. निम्नलिखित का उदाहरण दीजिए:

  1. आतपोभिद् (हेलियोफाइट) 

  2. छायोदभिद (स्कियोफाइट) 

  3. सजीवप्रजक (विविपेरस) अंकुरण वाले पादप 

  4. आंतरोष्मी (एंडोथर्मिक) प्राणी 

  5. बाह्योष्मी (एक्सोथर्मिक) प्राणी 

  6. नितलस्थ (बेन्थिक) जोन का जीव। 

उत्तर: निम्नलिखित उदाहरण :

  1. आतपोभिद् (हेलियोफाइट)  - सूरजमुखी 

  2. छायोदभिद (स्कियोफाइट)  - फ्यूनेरिया 

  3. सजीवप्रजक (विविपेरस) अंकुरण वाले पादप  - राइजोफोरा 

  4. आंतरोष्मी (एंडोथर्मिक) प्राणी  - पक्षी तथा स्तनधारी 

  5. बाह्योष्मी (एक्सोथर्मिक) प्राणी  - एम्फिबियन्स तथा रेप्टाइल्स 

  6. नितलस्थ (बेन्थिक) जोन का जीव - जीवाणु, स्पंज, तारा मछली आदि। 


14. समष्टि (पॉपुलेशन) और समुदाय (कम्युनिटी) की परिभाषा दीजिए। 

उत्तर: निम्नलिखित परिभाषा :-

  1. समष्टि (Population) – किसी खास समय और क्षेत्र में एक ही प्रकार की स्पीशीज के व्यष्टियों या जीवों की कुल संख्या को समष्टि कहते हैं। 

  2. समुदाय (Community) – किसी विशिष्ट आवास-स्थान की जीव-समष्टियों का स्थानीय संघ समुदाय कहलाता है। 


15. निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए और प्रत्येक का एक-एक उदाहरण भी दीजिए – 

  1. सहभोजिता, 

  2. परजीविता, 

  3. छद्मावरण, 

  4. सहोपकारिता, (2018) 

  5. अंतरजातीय स्पर्धा। 

उत्तर:  निम्नलिखित की परिभाषा :

  1. सहभोजिता (Commensalism) – यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी जाति को न लाभ और न हानि होती है। उदाहरण-आम की शाखा पर उगने वाला ऑर्किड तथा व्हेल की पीठ पर रहने वाला बार्नेकल। 

  2. परजीविता (Parasitism) – दो जातियों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध जिसमें एक जाति को लाभ होता है जबकि दूसरी जाति को हानि, परजीविता कहलाती है। उदाहरण-मानव यकृत पर्णाभ (लिवर फ्लूक)। 

  3. छद्मावरण (Camouflage) – जीवों के द्वारा अपने आपको परभक्षी द्वारा आसानी से पहचान लिए जाने से बचने के लिए गुप्त रूप से रंगा होना, छद्मावरण कहलाता है। उदाहरण- कीट एवं मेंढक की कुछ जातियाँ। 

  4. सहोपकारिता (Mutualism) – दो जातियों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध जिसमें दोनों जातियों को लाभ होता है, सहोपकारिता कहलाती है। उदाहरण- शैवाल एवं कवक से मिलकर बना हुआ लाइकेन। 

  5. अन्तरजातीय स्पर्धा (Interspecies Competition) – जब निकट रूप से सम्बन्धित जातियाँ उपलब्ध संसाधनों (भोजन, आवास) के लिए स्पर्धा करती हैं जो सीमित हैं, अंतरजातीय स्पर्धा कहलाती है। उदाहरण-गैलापागोस द्वीप में बकरियों के आगमन से एबिंग डेन का विलुप्त होना। बार्नेकल वेलनेस के द्वारा बार्नेकल चौथे मैलस को भगाना। 


16. उपयुक्त आरेख की सहायता से लॉजिस्टिक (संभार तंत्र) समष्टि वृद्धि का वर्णन कीजिए। 

उत्तर: प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित साधन नहीं होते कि चरघातांकी वृद्धि होती रहे। इसी कारण सीमित संसाधनों के लिए व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है। आखिर में योग्यतम् व्यष्टि जीवित बना रहेगा और जनन करेगा। प्रकृति में दिए गए आवास के पास अधिकतम संभव संख्या के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं, इससे आगे और वृद्धि संभव नहीं है। उस आवास में उस जाति के लिए इस सीमा को प्रकृति की पोषण क्षमता (K) मान लेते हैं।


Logistics Population Growth


किसी आवास में सीमित संसाधनों के साथ वृद्धि कर रही समष्टि आरम्भ में पश्चता प्रावस्था (लैग फेस) दर्शाती है। उसके बाद त्वरण और मंदन और अंततः अनन्तस्पर्शी प्रावस्थाएँ आती हैं। समष्टि घनत्व पोषण क्षमता प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्हस्ट-पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि कहलाता है। इसे निम्न समीकरण के द्वारा निरूपित किया जाता है – 

dN/dt = rN(K-N/K)  जहाँ, 

N = समय t में समष्टि घनत्व, 

r = प्राकृतिक वृद्धि की दर, 

K = पोषण क्षमता। 


17. निम्नलिखित कथनों में परजीविता को कौन-सा कथन सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है? 

(क) एक जीव को लाभ होता है। 

(ख) दोनों जीवों को लाभ होता है। 

(ग) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित नहीं होता है। 

(घ) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित होता है। 

उत्तर:  निम्नलिखित कथनों में (घ) सही है :- 

           एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित होता है। 


18. समष्टि की कोई तीन महत्वपूर्ण विशेषताएं बताइए और व्याख्या कीजिए। 

उत्तर: समष्टि की तीन महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं – 

  1. समष्टि आकार और समष्टि घनत्व (population size and population density) 

  2. जन्मदर (birth rate), 

  3. मृत्यु दर (mortality rate) |

व्याख्या :- (i) समष्टि आकार और समष्टि घनत्व – किसी जाति के लिए समष्टि का आकार स्थैतिक प्रायता नहीं है। यह समय-समय पर बदलता रहता है जो विभिन्न कारकों, जैसे- आहार उपलब्धती, परभक्षण दाब और मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है। समष्टि घनत्व बढ़ रहा है। अथवा घट रहा है कारण कुछ भी हो, परन्तु दी गई अवधि के दौरान दिए गए आवास में समष्टि का घनत्व चार मूलभूत प्रक्रमों में घटता-बढ़ता है। इन चारों में से दो (जन्मदर और आप्रवासन) समष्टि घनत्व को बढ़ाते हैं और दो (मृत्यु दर और उत्प्रवासन) इसे घटाते हैं। 

अगर समय t में समष्टि घनत्व N है तो समय t + 1 में इसका घनत्व Nt + 1 = Nt + (B + I) – (D + E) होगा। उपरोक्त समीकरण में आप देख सकते हैं कि यदि जन्म लेने वालों की संख्या + आप्रवासियों की संख्या (B + I) मरने वालों की संख्या + उत्प्रवासियों की संख्या (D + E) से अधिक है तो समष्टि घनत्व बढ़ जाएगा, अन्यथा यह घट जाएगा। 

(ii) जन्मदर – यह साधारणत:  -  प्रतिवर्ष प्रति समष्टि के 1000 व्यक्ति प्रति जन्म की संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है। जन्मदर समष्टि आकार तथा समष्टि घनत्व को बढ़ाता है। 

(iii) मृत्युदर – यह जन्मदर के विपरीत है। यह साधारणतः प्रतिवर्ष प्रति समष्टि के 1000 व्यक्ति प्रति मृत्यु की संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है। 

मृतजात दर = (वर्ष में जारज मृतजात की संख्या x 1000)/(जीवित जात बालकों की संख्या)


NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations in Hindi

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FAQs on NCERT Solutions For Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations in Hindi - 2025-26

1. How should I use Vedantu's NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 to effectively prepare for the board exams?

To best utilise these solutions, you should first attempt to solve the NCERT textbook questions for 'Organisms and Populations' on your own. Afterwards, use our solutions to compare and verify your answers. Pay close attention to the step-by-step methodology, the inclusion of specific keywords, and the answer structure, all of which are designed as per the latest CBSE 2025-26 pattern to help you secure maximum marks.

2. What is the correct method for solving numerical problems on population growth rate as per the NCERT exercises?

When solving for population growth rate, it's crucial to first identify the growth model required. For exponential growth, use the formula dN/dt = rN. For logistic growth, the correct formula is dN/dt = rN((K-N)/K). Our NCERT solutions provide a clear, step-by-step breakdown for each numerical problem, showing how to correctly substitute values for births, deaths, carrying capacity (K), and intrinsic rate of increase (r).

3. How can I accurately draw and label age pyramid diagrams for expanding and stable populations as required in NCERT questions?

For a complete answer, follow this method:

  • Expanding Population: Draw a pyramid with a very broad base, representing a high percentage of pre-reproductive individuals, and a narrow top for post-reproductive individuals.
  • Stable Population: Draw a structure that is more bell-shaped, where the number of pre-reproductive and reproductive individuals is almost equal.

Always label the Y-axis with the three age groups (Pre-reproductive, Reproductive, Post-reproductive) and the X-axis with the population size or percentage.

4. When solving an NCERT question about population interactions, how do I correctly distinguish between parasitism and predation in my answer?

While both are (+/-) interactions, the key distinction in your answer should be the mechanism and outcome. For predation, state that the predator kills and consumes the prey instantly. For parasitism, explain that the parasite typically lives in or on the host, deriving nourishment over a longer period without immediately killing it. The host's fitness is reduced. Using specific examples provided in our NCERT solutions, like a tiger and deer for predation versus a human liver fluke for parasitism, will strengthen your answer.

5. Why is the logistic growth model considered a more accurate method for solving most NCERT problems than the exponential model?

The logistic growth model is more realistic and often the required method because it incorporates the concept of carrying capacity (K). This reflects that resources in any habitat are finite and cannot support unlimited population growth. While the exponential model shows hypothetical growth with unlimited resources, the logistic model provides a solution that accounts for environmental resistance, a key ecological principle emphasized in the CBSE curriculum.

6. The latest NCERT syllabus for 2025-26 lists 'Organisms and Populations' as Chapter 11, not 13. How are these solutions relevant?

You are correct; the NCERT syllabus has been rationalised, and 'Organisms and Populations' is now Chapter 11 in new textbooks. These solutions are maintained under Chapter 13 to assist students using older, widely circulated editions. Rest assured, the question-and-answer content is fully aligned with the topics and exercises prescribed in the current CBSE 2025-26 syllabus for this chapter, ensuring complete and accurate exam preparation.

7. How should I structure an answer explaining an organism's adaptations, for instance, a kangaroo rat, as per the CBSE pattern?

A well-structured answer should identify the type of adaptation and then explain its mechanism. For a kangaroo rat, you should mention:

  • It exhibits physiological adaptations to its desert habitat.
  • It conserves water by excreting highly concentrated urine.
  • It meets its water requirements through internal fat oxidation, where water is a by-product, a fact often highlighted in NCERT exercises.

This approach of classifying and then explaining is the standard method for scoring full marks.

8. In the Verhulst-Pearl Logistic Growth equation, what does the term ‘(K-N)/K’ actually represent and why is it essential to mention in an answer?

The term (K-N)/K in the logistic growth equation represents environmental resistance. It is the factor that slows population growth as it approaches the carrying capacity (K). Explaining this concept in your answer is crucial as it demonstrates a deeper understanding beyond simple formula application. It shows you recognize that as a population (N) grows, the pressure from limited resources increases, which in turn reduces the per capita rate of increase.