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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2: (तुलसीदास-राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद) Ram-Lakshman-Parshuram Samvad (Kshitij)

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NCERT Solutions for Hindi Class 10 Chapter 2 - FREE PDF Download

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad by Tulsidas provides students with a deep understanding of the legendary interaction between the revered characters Ram, Lakshman, and Parshuram. Chapter 2 highlights the stark contrast between Ram's humility and Lakshman's boldness, alongside Parshuram's fiery temper. This section of the epic showcases how wisdom and courage can diffuse tense situations while depicting the rich cultural heritage of ancient India.

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Table of Content
1. NCERT Solutions for Hindi Class 10 Chapter 2 - FREE PDF Download
2. Glance on Class 10 Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad (Kshitij) 
3. Access NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad
4. Learnings of NCERT Solutions for Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad 
5. Important Study Material Links for Hindi Class 10 Chapter 2 
6. Conclusion 
7. Chapter-wise NCERT Solutions Class 10 Hindi - (Kshitij) 
8. NCERT Class 10 Hindi Other Books Solutions
9. Related Important Study Material Links for Class 10 Hindi 
FAQs


Our solutions for Class 10 Hindi Kshitij NCERT Solutions break the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 10 Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 10 Chapter 2.


Glance on Class 10 Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad (Kshitij) 

  1. Ram uses humility and respect to calm Parshuram’s anger and bring peace to the situation.

  2. Lakshman’s boldness and fearless speech show his undeterred spirit in the face of Parshuram’s wrath.

  3. Chapter 2 highlights the differences in character between Ram’s gentle nature and Lakshman’s fiery courage.

  4. Parshuram’s intense reaction to the breaking of Shiva’s bow is a key point in the narrative.

  5. Ram’s approach teaches how wisdom and diplomacy can calm even the fiercest tempers.

Access NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad

1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?

उत्तर: परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण जी ने धनुष टूट जाने को लेकर निम्न तर्क दिए –

  • श्री राम ने धनुष को नया और बेहद मजबूत समझ कर सिर्फ धनुष को छुआ भर था लेकिन धनुष बहुत पुराना व कमजोर होने के कारण टूट गया। 

  • इस धनुष को तोड़ते समय श्री राम ने किसी भी प्रकार की लाभ-हानि के बारे में नहीं सोचा था। 

  • धनुष काफ़ी पुराना था, इसलिए राम भैया के छूने मात्र से ही यह टूट गया।

  • श्री राम ने ऐसे धनुष अपने बचपन में कई तोड़े है जिसके कारण उन्होंने यह धनुष इतनी आसानी से तोड़ दिय। 


2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: परशुराम के क्रोध करने पर राम ने बहुत ही शांत बुद्धि से काम लिया। उन्होंने बहुत ही नम्रता से वचनों का सहारा लेकर परशुराम के क्रोध को शांत किया। परशुराम बहुत क्रोध में थे जिसके कारण उन्होंने खुद को उनका सेवक बताया व उनसे निवेदन किया कि वह उनको किसी भी प्रकार की आज्ञा दे। उनकी भाषा बेहद सत्कार वाली थी, वह जानते थे कि परशुराम बहुत क्रोधित हैं जिसके कारण उन्होने अपनी मीठी वाणी से वातावरण में कोमलता बनाए रखी। परशुराम की तरह लक्ष्मण भी क्रोधित व्यवहार के माने जाते हैं, निडरता उनके स्वभाम में कूट-कूट के भरी हुई है। लक्ष्मण परशुराम जी के पास अपने वचनो का सहारा ले कर अपनी बात बहुत अच्छी तरह उनके सामने प्रस्तुत करते हैं और वह इस बात की परवाह भी नहीं करते की परशुराम उनसे क्रोधित हो सकते हैं। वह परशुराम के क्रोध को न्याय के मिक़बले नहीं मानते इसलिए वह परशुराम के न्याय के विरोध में खड़े हो जाते हैं।  यहाँ राम बहुत ही शांत स्वभाव, बुद्धिमानी, धैर्यवान, मृदुभाषी व्यक्ति है दूसरी और लक्ष्मण निडर, साहसी, क्रोधी व अन्याय विरोध स्वभाव के मने जाते है 


3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए। 

उत्तर: लक्ष्मण – यह धनुष तो श्रीराम के छूते ही टूट गया । इसमें रघुपतिजी का कोई दोष नहीं है। इसीलिए हे मुनि ! आप बिना कारण के ही क्रोधित हो रहे हैं।

परशुराम जी – (परशुराम जी अपने फरसे की ओर देखकर बोले)  हे बालक  !! क्या तुम मेरे स्वभाव के बारे में नहीं जानते हो ।


4. परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए

बाल ब्रह्मचारी अति कोही बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही॥

भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ।।

सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा॥

मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।

गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर ॥

उत्तर: परशुरामजी ने अपने विषय में सभा में कहा कि वो बाल ब्रह्मचारी हैं और बेहद क्रोधी स्वभाव के भी हैं। उन्होंने कई बार इस धरती से क्षत्रियो का नाश कर के सारी भूमि ब्राह्मणों को दान में दे दी थी। वह मानते हैं कि उन्हें भगवान् शिव जी का वरदान प्राप्त है। इसीलिए हे लक्ष्मण ! तुम मेरे इस फरसे को गौर से देखोऔर अपने माता पिता की असहनीय पीड़ा की चिंता करो क्योंकि उनके फरसे की गर्जना सुनकर गर्भवती स्त्रियों का गर्भ भी गिर जाता है।


5. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं ?

उत्तर: राम लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता में लक्ष्मण जी ने वीर योद्धा की कई विशेषताएं बताई हैं।

  1.  वीर योद्धा शांत, विनम्र, और साहसी हृदय के होते हैं. वह अपनी वीरता का बखान अपने आप नहीं करते अन्यथा उनकी वीरता खुद उनके गुणों का बखान करती है। 

  2. दुनिया खुद-ब-खुद उनका गुणगान करने लगती है।

  3. वो किसी चीज से ज़रूरत से ज्यादा मोह नहीं रखते और बात-बात पर क्रोध नहीं करते हैं। 

  4. वीर सदैव दूसरों का आदर व सम्मान करते हैं।

  5. वीर कभी भी अपनी वीरता पर अभिमान नहीं करते हैं।


6. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर: व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने के लिए साहस व् शक्ति की आवश्यकता होती है। लेकिन अगर व्यक्ति के अंदर साहस और शक्ति के साथ-साथ विनम्रता भी हो तो वह व्यक्ति कभी किसी परिस्थिति में हार नहीं मानेगा और हारेगा भी नहीं।  विनम्रता हमें दुसरो का आदर-सम्मान करना सिखाती है।  प्रभु श्री राम जी इसका जीता जगता उदहारण है। राम लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता के आधार पर देखें, तो लक्ष्मण जी साहसी और शक्तिशाली तो थे, लेकिन उनमें विनम्रता का अभाव था, वहीं श्री राम साहसी व शक्तिशाली होने के साथ ही विनम्र भी थे। इसीलिए उन्होंने धैर्य के साथ परशुराम जी को अपनी बात समझाई और क्षमा मांगी, जिससे बात ज्यादा नहीं बिगड़ी और परशुराम जी शांत हो गए।


7. भाव स्पष्ट कीजिए

(क)बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥

 पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन पूँकि पहारू।

(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।।

देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।

(ग) गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।

अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ।।

उत्तर: (क) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥

 पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन पूँकि पहारू।

 प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गयी है। उक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया है।

भावार्थ- भाव यह है की लक्ष्मण जी मुस्कुराते हुए मधुर वाणी से परशुराम पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं की हे मुनि आप अपने अभिमान के वश में हैं। मैं इस पुरे संसार का एक मात्र योद्धा हूँ किन्तु आप मुझे बार-बार अपना फरसा दिखा कर डरने की कोशिश कर रहे हैं। आपको देख ऐसा लगता है की न जाने आप ऐसा कौनसा पहाड़ अपनी एक फूंक से ही उड़ाने जा रहे है अर्थात जैसे की एक ही फूंक में आप एक पहाड़ को नहीं हिला सकते उसी प्रकार आप मुझे एक बच्चा न समझे। मैं बच्चो की तरह आपके फरसे से डरने वालो में से नहीं हूँ ।

(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।।

देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गयी है उक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया है। 

भावार्थ- भाव यह है की लक्ष्मण जी वीरता और साहस का परिचय देते हुए कहते हैं कि हम भी कोई ऐसे ही नहीं है जो कुछ भी देख कर डर जाएँ और मैंने फरसे और धनुष-बाण को अच्छी तरह से देख लिया है इसलिए मैं ये सब आप से अभिमान सहित ही बोल रहा हूँ अर्थात हम कोई एक कोमल फूल नहीं है जो हाथ लगाने भर से मुरझा जाएँ। हम एक बालक जरूर हैं लेकिन फरसे और धनुष-बाण भी बहुत देखे हैं इसलिए हमें नादान बालक न समझे। 

(ग) गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।

अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ।।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गयी है। उक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले गए वचनों को सुनकर विश्वामित्र मन-ही-मन परशुराम जी की बुद्धि और समझ पर तरस खाते हैं। 

भावार्थ- भाव यह है की विश्वामित्र अपने हृदय में मुस्कुराते हुए परशुराम की बुद्धि पर तरस खाते हुए मन-ही-मन में कहते हैं कि परशुराम जी को चारों ओर हरा-ही-हरा दिखाई दे रहा है तभी वह दशरथ पुत्रो को (राम व् लक्ष्मण) साधारण क्षत्रिय बालकों की तरह ही मान रहे हैं जिन्हे वह गन्ने की खांड समझ रहे हैं। वह तो लोहे से बानी तलवार निकले वह यह नहीं जानते की वह जिसे गन्ने की खांड समझ रहे हैं, वह चाहे तो इन्हे अपने फरसे से फ़ौरन काट डालेंगे। इस समय परशुराम की स्थिति  सावन के अंधे की भांति हो गयी है जिसे चारो ओर हरा-ही-हरा दिखाई पड़ रहा है अर्थात इनकी समझ क्रोध व् अन्धकार से घिरी हुई है।  


8. पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर: तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस अवधि भाषा में लिखी गयी है। यह काव्यांश रामचारितमानस के बालकाण्ड से लिया गया है इसमें अवधि भाषा का बहुत ही शुद्ध उपयोग देखने को मिलता है। तुलसीदास ने इसमें दोहे, छंद, व् चोपाई का बेहद ही अद्भुत प्रकार से प्रयोग किया है जिसके कारण काव्य के सौन्दर्य तथा आनंद में वृद्धि आई है। तुलसीदास ने इसमें अलंकारों का प्रयोग कर इसे और भी सूंदर बना दिया है इसकी भाषा में अनुप्रास अलंकार, रूपक अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार व् पुनरुक्ति अलंकार की अधिकता पाई जाती है।  

अलंकार – तुलसी अलंकार प्रिय कवि हैं। उनके काव्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक जैसे अलंकारों की छटा देखते ही बनती है; जैसे

अनुप्रास – बालकु बोलि बधौं नहिं तोही।

उपमा – कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।

रूपक – भानुवंश राकेश कलंकू। निपट निरंकुश अबुध अशंकू।।

उत्प्रेक्षा – तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।।

वक्रोक्ति – अहो मुनीसु महाभट मानी।

यमक – अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहु न बूझ, अबूझ

पुनरुक्ति प्रकाश – पुनि-पुनि मोह देखाव कुठारू।

इस तरह तुलसी की भाषा भावों की तरह भाषा की दृष्टि से भी उत्तम है।


9. इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं-

तुलसीदास द्वारा रचित परशुराम - लक्ष्मण संवाद मूल रूप से व्यंगय काव्य है उदाहरण के लिए - 

(क) बहु धनुही तोरी लरिकाईं। कबहुँ न असि रिस किन्हि गोसाईँ॥

येहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू॥

(क) लक्ष्मण जी परशुराम जी से धनुष क तोड़ने का व्यंगय करते हुए कहते है की हमने अपने बचपन में ऐसे कई धनुषों की तोडा है तब तो अपने हम पर कभी क्रोध व्यक्त नहीं किया।  

(ख) मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।

गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर॥

(ख) परशुराम जी क्रोध में लक्ष्मण से कहते है की अरे राजा के बालक! तू अपने माता-पिता को सोच कर वश मत कर मेरा फरसा बड़ा ही भयानक है यह गर्भ में जीने वाले बच्चो को भी मार सकता है।  

(ग) गाधिसू नु कह हृदय हसी मुनिहि हरियरे सूझ।

अयमय खांड न ऊखमय अजहुँ न बुझ अबूझ।।  

(ग) यहां विश्वामित्र जी परशुराम की बुद्धि पर मन-ही-मन कहते है की परशुराम जी राम, लक्षमण को साधारण बालक समझ रहे है उनको तो चारो ओर से हरा-ही-हरा सूझ रहा है जो लोहे की तलवार को गन्ने की खांड से तोल रहे है इस समय परशुराम की स्थिति सावन के अंधे जैसी हो चुकी है।  


10. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचानकर लिखिए

(क) बालकु बोलि बधौं नहि तोही।

(ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।

(ग) तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। ।

बार बार मोहि लागि बोलावा ॥

(घ) लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।

बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु॥

उत्तर: (क) अनुप्रास अलंकार –  ‘ब’ वर्ण का बार बार प्रयोग हुआ है।

(ख) अनुप्रास अलंकार – उक्त पंक्ति में ‘क’ वर्ण का बार-बार प्रयोग हुआ है।

उपमा अलंकार – कोटि कुलिस सम बचनु में उपमा अलंकार भी है। 

(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार – ‘काल हाँक जनु लावा’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है क्योंकि यहां जनु उत्प्रेक्षा का वाचक शब्द है।

पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार  – ‘बार-बार’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है क्योंकि एक ही शब्द को दो बार लिखा है 

(घ) उपमा अलंकार - 

  • उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु में उपमा अलंकार है।

  • जल सम बचन में भी उपमा अलंकार है क्योंकि यहां एक से दूसरे की समानता बताई है।

  • रुपक अलंकार – रघुकुलभानु में रुपक अलंकार है, यहाँ श्री राम के गुणों की समानता सूर्य से की गई है।


Learnings of NCERT Solutions for Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad 

  1. Power of Humility: Students learn that humility and calmness can be powerful tools to resolve conflicts.

  2. Courage in Adversity: Lakshman’s boldness teaches the importance of standing up for what is right, even in the face of great opposition.

  3. Respect for Elders: The chapter emphasises the cultural value of respecting elders, as shown by Ram’s behaviour.

  4. Balancing Strength and Diplomacy: Students understand the importance of balancing strength with diplomatic reasoning.

  5. Moral Lessons from Epics: The chapter offers a glimpse into the rich moral lessons that ancient epics like Ramcharitmanas provide.


Important Study Material Links for Hindi Class 10 Chapter 2 

S. No

Important Study Material Links for Chapter 2

1.

Class 10 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad Questions

2.

Class 10 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad Notes


Conclusion 

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2, Ram-Lakshman-Parshuram Samvad by Tulsidas, gives students a clearer understanding of the moral lessons in the epic. Through the dynamic interaction between Ram, Lakshman, and Parshuram, the solutions simplify the key aspects of humility, courage, and wisdom. These solutions help students gain a deeper insight into the cultural and ethical teachings of Tulsidas' writing, making them better prepared for their exams.


Chapter-wise NCERT Solutions Class 10 Hindi - (Kshitij) 

After familiarising yourself with the Class 10 Hindi Chapter 2 Question Answers, you can access comprehensive NCERT Solutions from all Hindi Class 10 Kshitij textbook chapters.



NCERT Class 10 Hindi Other Books Solutions


Related Important Study Material Links for Class 10 Hindi 

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FAQs on NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2: (तुलसीदास-राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद) Ram-Lakshman-Parshuram Samvad (Kshitij)

1. What is the main theme of NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad?

The main theme is the contrast between humility and courage, shown through Ram and Lakshman’s interaction with Parshuram.

2. How does Ram's behaviour in Chapter 2 reflect his personality?

Ram’s calm and respectful behaviour reflects his humility and wisdom in resolving conflicts peacefully.

3. What lesson does Lakshman’s boldness teach from Class 10 Hindi Chapter 2?

Lakshman’s boldness teaches the importance of courage and standing up for righteousness, even in difficult situations.

4. Why is Parshuram angry in NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2?

Parshuram is angry because Ram has broken the bow of Lord Shiva, which he considers an act of disrespect.

5. How do NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 explain the role of respect in resolving conflict?

The solutions highlight how Ram’s respectful behaviour toward Parshuram helps diffuse a potentially violent situation.

6. What does Chapter 2 of Class 10 teach about the balance of strength and diplomacy?

The chapter teaches that while strength is important, diplomacy and wisdom are essential in resolving conflicts peacefully.

7. How does Ram handle Parshuram's anger in Class 10 Hindi Chapter 2?

Ram handles Parshuram's anger with humility and calmness, using respectful speech to calm him down.

8. What cultural values are emphasised in Class 10 Hindi Chapter 2 Ram-Lakshman-Parshuram Samvad?

The chapter emphasises respect for elders, humility, and courage as important cultural values.

9. How do NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 help in exam preparation?

The solutions provide detailed explanations of the chapter’s key themes and messages, helping students prepare effectively for exams.

10. Why is Lakshman’s response to Parshuram significant in NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2?

Lakshman’s response is significant because it shows his fearless nature, contrasting with Ram’s calm diplomacy.