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Sudama Charit (सुदामा चरित) Class 8 Important Questions: CBSE Hindi (Vasant) Chapter 8

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Hindi (Vasant) Important Questions for Chapter 8 सुदामा चरित (नरोत्तमदास) Class 8 - PDF Download

Vedantu has provided Important Questions for Hindi Vasant Chapter 8, 'सुदामा चरित'. This poem narrates the touching story of Sudama's poverty and his reunion with his childhood friend Lord Krishna, highlighting Krishna's compassion and the transformation of Sudama's life. Download the FREE PDF to access CBSE Class 8 Hindi Vasant Important Questions so that every section of the CBSE Class 8 Hindi Syllabus is completely covered.

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Get Class 8 Hindi Chapter 8: Sudama Charit (सुदामा चरित) Important Questions

1. सुदामा की दीन-हीन स्थिति और भगवान कृष्ण से मिलने की प्रेरणा का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।  

सुदामा एक अत्यंत गरीब ब्राह्मण थे, जिनका जीवन कठिनाई और संघर्ष से भरा था। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उनके पास पहनने के लिए ढंग के वस्त्र नहीं थे। उनकी धोती फटी हुई थी और पैर नंगे थे। उनके पास खाने के लिए भी पर्याप्त भोजन नहीं था, और उनका परिवार भूख से जूझ रहा था।  

सुदामा की पत्नी ने उनकी दयनीय स्थिति देखकर उन्हें उनके बचपन के मित्र भगवान कृष्ण के पास जाने का सुझाव दिया। कृष्ण, जो द्वारका के सम्राट थे, सुदामा के घनिष्ठ मित्र थे। पहले तो सुदामा इस विचार से हिचकिचाए क्योंकि उनकी गरीबी और कृष्ण के राजसी वैभव के बीच बहुत बड़ा अंतर था। लेकिन पत्नी के बार-बार आग्रह करने और अपने परिवार की स्थिति के बारे में सोचकर, उन्होंने संकोच के साथ कृष्ण से मिलने का निर्णय लिया। उन्होंने पत्नी द्वारा दिए गए चावल की पोटली को अपने साथ लिया, जो उनकी श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक था।  

यह कहानी न केवल सुदामा की गरीबी को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सच्चे मित्रता और आत्मीयता के लिए भौतिक स्थितियां मायने नहीं रखतीं।  


2. भगवान कृष्ण ने सुदामा की दीन दशा देखकर क्या प्रतिक्रिया दी, और इससे उनका व्यक्तित्व कैसे उजागर होता है?  

सुदामा जब द्वारका पहुंचे, तो उनकी दशा इतनी दीन-हीन थी कि द्वारपालों ने उन्हें पहचानने में असमर्थता जताई। लेकिन भगवान कृष्ण, जो अपने मित्र के प्रति अत्यंत प्रेम और करुणा रखते थे, ने उन्हें द्वार पर ही पहचान लिया। जैसे ही उन्होंने सुदामा को देखा, वे दौड़ते हुए आए और उन्हें गले लगा लिया।  

भगवान कृष्ण ने सुदामा को राजसी महल में आमंत्रित किया, जहां उन्होंने अपने मित्र को अत्यंत आदर और सम्मान दिया। उन्होंने सुदामा के चरण धोए और उनके प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रदर्शन किया। कृष्ण ने न केवल सुदामा को आरामदायक स्थान पर बैठाया, बल्कि उनकी दीनता पर कोई टिप्पणी किए बिना उनके साथ बचपन की यादें साझा कीं।  

यह घटना भगवान कृष्ण के करुणा और सच्ची मित्रता के आदर्श को दर्शाती है। यह दिखाती है कि वे केवल एक राजा नहीं थे, बल्कि एक सच्चे मित्र और दयालु व्यक्ति थे, जो अपने मित्र की गरीबी और अवस्था को भुलाकर केवल प्रेम और स्नेह पर ध्यान देते हैं।  


3. सुदामा ने भगवान कृष्ण से सहायता क्यों नहीं मांगी, और यह उनके चरित्र का कौन सा पहलू दर्शाता है?  

सुदामा एक अत्यंत स्वाभिमानी और संतोषी व्यक्ति थे। उन्होंने द्वारका जाने का निर्णय केवल अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने और बचपन की यादों को ताजा करने के लिए किया था। भले ही उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब थी, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी गरीबी को लेकर किसी से शिकायत नहीं की।  

जब सुदामा भगवान कृष्ण से मिले, तो वे उनकी मित्रता और प्रेम में इतने भावुक हो गए कि अपनी कठिनाइयों के बारे में कुछ भी कहने में असमर्थ रहे। उन्होंने अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चावल की पोटली भी कृष्ण से छिपाने का प्रयास किया, क्योंकि वे अपनी गरीबी को लेकर संकोच महसूस कर रहे थे।  

यह सुदामा के स्वाभिमान और संतोषी स्वभाव को दर्शाता है। उनका यह गुण सिखाता है कि भले ही परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, मनुष्य को अपने आत्मसम्मान और धैर्य को बनाए रखना चाहिए।  


4. सुदामा और भगवान कृष्ण की मित्रता का महत्व और उनकी कहानी से मिलने वाली शिक्षा पर प्रकाश डालिए।  

सुदामा और भगवान कृष्ण की मित्रता सच्चे और निस्वार्थ संबंधों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उनकी मित्रता ने यह साबित किया कि सच्चा प्रेम और संबंध भौतिक सुख-सुविधाओं या सामाजिक स्थिति पर आधारित नहीं होते।

कृष्ण, जो द्वारका के सम्राट थे, ने सुदामा की गरीबी को नजरअंदाज करते हुए उन्हें अत्यधिक सम्मान और स्नेह दिया। उन्होंने अपने मित्र की स्थिति को समझा और उनकी सहायता की। दूसरी ओर, सुदामा ने अपनी गरीबी के बावजूद कृष्ण के प्रति संकोच और श्रद्धा बनाए रखी।  

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि सच्ची मित्रता में दया, करुणा, और आत्मीयता होनी चाहिए। यह हमें सिखाती है कि सच्चे मित्र जीवन की किसी भी परिस्थिति में एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं।  


5. "चावल की पोटली" का प्रतीकात्मक महत्व क्या है? इस प्रसंग को विस्तार से समझाइए। 

सुदामा की पत्नी ने उन्हें कृष्ण से भेंट के लिए घर में बचा हुआ थोड़ा-सा चावल दिया था। यह चावल की पोटली उनके प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक थी।  

जब सुदामा कृष्ण के पास पहुंचे, तो वे इस पोटली को छिपाने का प्रयास करते रहे क्योंकि वे इसे अपनी गरीबी का प्रतीक मान रहे थे। लेकिन कृष्ण ने प्रेमपूर्वक इस पोटली को उनसे लेकर खाया और इसे उनके मित्रता के स्नेह का प्रतीक माना।  

इस प्रसंग का गहरा प्रतीकात्मक महत्व है। यह दिखाता है कि सच्चा उपहार वह नहीं होता जो महंगा हो, बल्कि वह होता है जिसमें सच्चे प्रेम और भावनाएं शामिल हों। चावल की पोटली यह संदेश देती है कि मित्रता और प्रेम में भौतिक वस्तुओं का कोई मूल्य नहीं होता।  


6. "पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए" का विस्तारपूर्वक व्याख्या करें।  

यह पंक्ति भगवान कृष्ण की अपने मित्र सुदामा के प्रति गहरी करुणा और स्नेह को दर्शाती है। जब सुदामा द्वारका पहुंचे, तो कृष्ण ने अपने मित्र का स्वागत अत्यंत प्रेम और श्रद्धा से किया।  

कृष्ण ने अपने मित्र के चरण धोने के लिए पानी मंगवाया, लेकिन वे इतने भावुक हो गए कि पानी का उपयोग करने के बजाय अपने आंसुओं से ही उनके चरण धोए। यह उनकी मित्रता और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है।  

यह पंक्ति सिखाती है कि सच्चा प्रेम और श्रद्धा हर प्रकार की औपचारिकता से ऊपर होता है। यह घटना दर्शाती है कि भगवान कृष्ण का मित्रता के प्रति समर्पण अद्वितीय था।  


7. सुदामा चरित में गरीबी और समृद्धि का विरोधाभास कैसे दर्शाया गया है? 

सुदामा चरित में सुदामा की गरीबी और भगवान कृष्ण की समृद्धि का सुंदर विरोधाभास देखने को मिलता है। सुदामा की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय थी कि उनके पास पहनने के लिए उचित कपड़े भी नहीं थे। दूसरी ओर, भगवान कृष्ण द्वारका के सम्राट थे, जिनका जीवन राजसी वैभव से भरा हुआ था।  

इसके बावजूद, इन दोनों की मित्रता भौतिक स्थिति से प्रभावित नहीं हुई। कृष्ण ने अपनी समृद्धि के बावजूद सुदामा के प्रति प्रेम और सम्मान में कमी नहीं आने दी। उन्होंने सुदामा की सहायता की, लेकिन इसे कभी दिखावा नहीं बनाया।  

यह विरोधाभास यह सिखाता है कि सच्चा संबंध और प्रेम बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करता। यह कहानी हमें यह भी समझाती है कि सच्चा वैभव धन में नहीं, बल्कि स्नेह और करुणा में है।


8. भगवान कृष्ण ने सुदामा के घर की गरीबी को कैसे दूर किया, और यह उनके ईश्वरीय स्वरूप को कैसे उजागर करता है?  

सुदामा ने भगवान कृष्ण से अपनी गरीबी के बारे में कुछ भी नहीं कहा, लेकिन भगवान कृष्ण उनके मन की स्थिति को पहले से ही समझ गए थे। जब सुदामा अपने घर लौटे, तो उन्होंने पाया कि उनका झोपड़ी जैसा घर एक भव्य राजमहल में बदल चुका था। उनके परिवार को अन्न, वस्त्र और अन्य सभी सुविधाएं मिल चुकी थीं।  

भगवान कृष्ण ने बिना किसी औपचारिक चर्चा या मांगे हुए सुदामा की सभी समस्याओं का समाधान कर दिया। यह उनकी ईश्वरीय करुणा और सर्वज्ञता को दर्शाता है। यह घटना यह भी बताती है कि भगवान अपने भक्तों की आवश्यकताओं को बिना कहे समझते हैं और उनका समाधान करते हैं।  


9. सुदामा और भगवान कृष्ण के मिलन में बचपन की यादों का क्या महत्व है? 

सुदामा और भगवान कृष्ण का मिलन उनके बचपन की यादों से भरा हुआ था। जब सुदामा द्वारका पहुंचे, तो कृष्ण ने उनके साथ बचपन के दिनों को याद किया। उन्होंने बचपन की घटनाओं का जिक्र करते हुए सुदामा को छेड़ा, जैसे चावल चुराने की घटना।  

यह प्रसंग दिखाता है कि मित्रता समय और परिस्थितियों के बंधन से मुक्त होती है। भले ही सुदामा एक गरीब ब्राह्मण थे और कृष्ण द्वारका के सम्राट, उनके बचपन की यादें उनकी मित्रता के गहरे संबंध को प्रकट करती हैं।  


10. "करुना करिकै करुनानिधि रोए" इस पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए। 

इस पंक्ति में भगवान कृष्ण के करुणामय स्वभाव को व्यक्त किया गया है। जब कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा की दीन दशा देखी, तो उनका हृदय करुणा से भर गया। वे अपने आंसुओं को रोक नहीं सके और रो पड़े।  

यह घटना दिखाती है कि भगवान अपने भक्तों की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानते हैं। कृष्ण का यह स्वभाव उन्हें केवल एक मित्र ही नहीं, बल्कि करुणा के सागर और सच्चे प्रेम के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है।  


11. सुदामा चरित में मित्रता के निस्वार्थ भाव को कैसे व्यक्त किया गया है?

सुदामा चरित में मित्रता को निस्वार्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है। सुदामा, जो अत्यंत गरीब थे, केवल अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने के लिए द्वारका गए। उन्होंने कोई अपेक्षा नहीं रखी और अपनी गरीबी को छिपाने का प्रयास किया।  

दूसरी ओर, भगवान कृष्ण ने उनकी दीनता को नजरअंदाज कर उन्हें गले लगाया, आदर दिया, और उनकी सहायता की। उनकी मित्रता निस्वार्थ प्रेम और सच्चे संबंधों का आदर्श उदाहरण है।  


12. सुदामा चरित का समाज को क्या संदेश है? 

सुदामा चरित समाज को सच्चे प्रेम, करुणा, और समानता का संदेश देता है। यह दिखाता है कि मित्रता और स्नेह भौतिक स्थिति या सामाजिक वर्ग पर निर्भर नहीं करते।  

भगवान कृष्ण और सुदामा की कहानी यह सिखाती है कि सच्ची मित्रता में स्वार्थ या भेदभाव की जगह नहीं होनी चाहिए। यह कहानी हमें यह भी प्रेरित करती है कि हमें दूसरों की मदद बिना किसी अपेक्षा के करनी चाहिए।  


13. भगवान कृष्ण ने चावल की पोटली छीनने के प्रसंग में सुदामा को कैसे छेड़ा?  

भगवान कृष्ण ने सुदामा से उनकी चावल की पोटली छीनते हुए मुस्कुराकर कहा, “तुम बचपन से ही चोरी में निपुण हो। अब भी तुमने इसे छिपाने का प्रयास किया।”  

इस प्रसंग में कृष्ण का मित्रता का सहज भाव और सुदामा के प्रति उनका स्नेह झलकता है। यह घटना दर्शाती है कि सच्ची मित्रता में हंसी-मजाक और बचपन की यादें जीवंत रहती हैं।  


14. "के जुरतो नहिं कोदो सवाँ, प्रभु के परताप तें दाख न भावत" का संदर्भ और व्याख्या कीजिए।  

इस पंक्ति में सुदामा के जीवन के बदलाव को दर्शाया गया है। पहले उनके पास कोदो और सवाँ जैसा मोटा अनाज जुटाना भी मुश्किल था। लेकिन भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से उनके घर में राजसी वैभव आ गया।  

यह पंक्ति भगवान के परोपकार और भक्तों की सहायता के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है। यह सिखाती है कि ईश्वर की कृपा से असंभव भी संभव हो सकता है।  


15. सुदामा चरित में गरीबी और आत्म-सम्मान का कौन-सा पाठ मिलता है?  

सुदामा चरित में यह स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि गरीबी के बावजूद आत्म-सम्मान और संतोष बनाए रखना महत्वपूर्ण है। सुदामा ने अपनी निर्धनता को भगवान कृष्ण के सामने प्रकट नहीं किया।  

उनका स्वाभिमान हमें सिखाता है कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, हमें अपनी गरिमा और धैर्य बनाए रखना चाहिए। यह कहानी यह भी सिखाती है कि सच्ची मित्रता और प्रेम भौतिक चीजों से ऊपर होते हैं।  


16. "धरती कठोर पै रात करै, कहँ कोमल सेज पै नींद न आवत" का भावार्थ समझाइए।  

इस पंक्ति में सुदामा के जीवन की कठिनाईयों और भगवान कृष्ण के दिए वैभव का विरोधाभास है। पहले सुदामा कठोर भूमि पर सोते थे, लेकिन अब उन्हें नरम बिस्तर पर नींद नहीं आती।  

यह दिखाता है कि गरीबी और संघर्ष के आदी व्यक्ति के लिए अचानक आई समृद्धि को अपनाना आसान नहीं होता। यह ईश्वर की कृपा और भक्त की सरलता का सुंदर चित्रण है।  


17. "सुदामा चरित" में कृष्ण के करुणामय और विनम्र स्वभाव का वर्णन कीजिए।  

भगवान कृष्ण ने सुदामा को पहचानकर न केवल उन्हें गले लगाया, बल्कि उनकी दीनता को नजरअंदाज करते हुए उन्हें अपने मित्र के रूप में सम्मान दिया। उन्होंने सुदामा के चरण धोए और उनके प्रति गहरा स्नेह दिखाया।  

यह प्रसंग भगवान कृष्ण के करुणामय और विनम्र स्वभाव को उजागर करता है। यह दर्शाता है कि वे भौतिक स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं करते और अपने भक्तों के प्रति सदा करुणा रखते हैं।  


18. सुदामा और कृष्ण की मित्रता के क्या नैतिक मूल्य हैं?  

सुदामा और कृष्ण की मित्रता में निम्न नैतिक मूल्य स्पष्ट होते हैं:  

1. निस्वार्थ प्रेम: उनकी मित्रता में किसी प्रकार का स्वार्थ नहीं था।  

2. समानता: कृष्ण ने सुदामा की गरीबी को महत्व नहीं दिया।  

3. करुणा: कृष्ण ने सुदामा की सहायता कर उनके जीवन को बदल दिया।  

4. धैर्य और संतोष: सुदामा ने कठिन परिस्थितियों में भी संतोष और धैर्य बनाए रखा।  


19. सुदामा की गरीबी को देखकर भगवान कृष्ण ने क्या प्रबंध किए?  

सुदामा की गरीबी देखकर भगवान कृष्ण ने उनके जीवन को राजसी वैभव में बदल दिया। सुदामा के घर को राजमहल में बदल दिया गया, और उनके परिवार को हर प्रकार की सुविधा दी गई।  

यह घटना भगवान कृष्ण की सर्वज्ञता और अपने भक्तों के प्रति उनके प्रेम और करुणा को दिखाती है।  


20. सुदामा चरित में "ईश्वर कृपा" का क्या महत्व है?  

सुदामा चरित में यह दिखाया गया है कि जब भक्त सच्चे भाव से भगवान को स्मरण करता है, तो ईश्वर उसकी हर आवश्यकता को पूरा करते हैं। सुदामा ने अपनी कठिनाईयों के बावजूद भगवान कृष्ण पर विश्वास बनाए रखा, और भगवान ने उनकी हर समस्या का समाधान किया।  

यह कहानी यह सिखाती है कि ईश्वर की कृपा से जीवन के हर कष्ट का समाधान हो सकता है। भक्त को केवल सच्चे हृदय से भगवान का स्मरण करना चाहिए।  


Points to Remember from Class 8 Hindi Vasant Chapter 8: Sudama Charit

  1. Sudama lived in extreme poverty, with torn clothes, bare feet, and insufficient food for his family.

  2. Despite his hardships, Sudama refrained from directly asking Lord Krishna for help, showcasing his dignity.

  3. Krishna welcomed Sudama with immense love and respect, disregarding his poverty.

  4. The pouch of rice brought by Sudama symbolises his deep love and devotion for Krishna.

  5. Krishna’s heartfelt reaction to Sudama’s condition, including washing his feet with tears, highlighted their deep bond.

  6. The poem contrasts Sudama’s extreme poverty with Krishna’s royal opulence, yet their friendship remains unaffected.

  7. Without Sudama asking, Krishna transformed his home and life into one of abundance and prosperity.

  8. The poem emphasises that true friendship transcends material wealth and social status.

  9. Krishna’s ability to understand Sudama’s unspoken plight reflects his divine omniscience and kindness.

  10. The poem teaches that love, compassion, and equality are greater than worldly possessions or power.


Benefits of Important Questions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 8: Sudama Charit

  • Important questions help students concentrate on key topics, ensuring they don't waste time on less relevant material.

  • Answering these questions deepens comprehension of the subject, as they often address critical concepts and themes.

  • Practising important questions prepares students for exams by familiarising them with the types of questions likely to be asked.

  • By focusing on essential questions, students can allocate their time more effectively during study sessions.

  • Knowing and answering important questions boosts self-confidence, reducing anxiety before exams.

  • These questions often require detailed answers, encouraging students to explore and understand the subject thoroughly.


Conclusion

The poem Sudama Charit beautifully depicts the timeless bond of friendship between Sudama and Krishna, showcasing how true love and devotion transcend material wealth. It inspires us to value relationships based on compassion, humility, and selfless affection. To help you understand this chapter better and learn the concepts, a FREE PDF of all the important questions has been provided by Vedantu. 


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FAQs on Sudama Charit (सुदामा चरित) Class 8 Important Questions: CBSE Hindi (Vasant) Chapter 8

1. Why did Sudama visit Krishna in Dwarka?

सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने द्वारका गए, ताकि वे अपने परिवार की कठिन परिस्थितियों में मदद मांग सकें।  

2. What was Sudama’s gift to Krishna?  

सुदामा ने भगवान कृष्ण को चावल की एक पोटली भेंट स्वरूप दी, जो उनके सच्चे प्रेम और भक्ति का प्रतीक थी।  

3. How did Krishna recognise Sudama at the palace gates?  

भगवान कृष्ण ने द्वार पर ही सुदामा को उनके दीन-हीन वेशभूषा के बावजूद पहचान लिया क्योंकि उनकी मित्रता गहरी और आत्मीय थी।  

4. What was Krishna’s reaction to Sudama’s condition?  

सुदामा की स्थिति देखकर भगवान कृष्ण भावुक हो गए, उनके चरण धोए और उनकी सहायता करने का निश्चय किया।  

5. Why didn’t Sudama ask Krishna for help directly? 

सुदामा स्वाभिमानी व्यक्ति थे और उन्होंने अपनी गरीबी के बारे में बात करना उचित नहीं समझा, क्योंकि वे केवल कृष्ण से मिलने गए थे।  

6. What does the rice pouch symbolise in the story? 

चावल की पोटली सुदामा की भक्ति, श्रद्धा और निस्वार्थ प्रेम का प्रतीक है, जिसे उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति अर्पित किया। 

7. How did Krishna transform Sudama’s life? 

भगवान कृष्ण ने बिना कहे ही सुदामा के घर को राजमहल में बदल दिया और उनके परिवार को सुख-समृद्धि प्रदान की। 

8. What lesson does this poem teach about friendship? 

यह कविता सिखाती है कि सच्ची मित्रता भौतिक स्थिति पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह निस्वार्थ प्रेम और करुणा पर आधारित होती है। 

9. How does Krishna’s treatment of Sudama reflect his divine nature? 

भगवान कृष्ण का सुदामा के प्रति प्रेम, करुणा, और उनकी समस्याओं को बिना बताए समझना उनके ईश्वरीय स्वरूप को दर्शाता है। 

10. What is the moral of the story?  

इस कहानी का नैतिक संदेश है कि सच्ची भक्ति और मित्रता के सामने भौतिक सुख-सुविधाओं का कोई महत्व नहीं है।