Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj (संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया: धनराज) Class 7 Important Questions: CBSE Hindi (Vasant) Chapter 14

ffImage
widget title icon
Latest Updates

Hindi (Vasant) Important Questions for Chapter 14 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया: धनराज Class 7 - FREE PDF Download

संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया: धनराज (Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj) from Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 is an insightful chapter that focuses on the life and challenges of Dhyan Chand, a celebrated hockey player. Through this chapter, students gain an understanding of the struggles and dedication required to achieve greatness, along with the personal sacrifices that shape one's character. Download the FREE PDF to access CBSE Class 7 Hindi Vasant Important Questions and ensure thorough preparation for every part of the CBSE Class 7 Hindi Syllabus.

toc-symbol
Table of Content
1. Hindi (Vasant) Important Questions for Chapter 14 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया: धनराज Class 7 - FREE PDF Download
2. Access Class 7 Hindi Chapter 14: Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj (संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया: धनराज) Important Questions
3. अति लघु उत्तरीय प्रश्न:                                                                             (1 अंक)
4. लघु उत्तरीय प्रश्न:                                                                                      (2 अंक)
5. लघु उत्तरीय प्रश्न:                                                                                      (3 अंक)
6. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:                                                                                      (5 अंक)
7. Important Topics of Class 7 Hindi (Vasant) Chapter 14 Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj
8. Points to Remember from Class 7 Hindi Chapter 14: Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj
9. Benefits of Important Questions for Class 7 Hindi Chapter 14: Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj
10. Conclusion
11. Related Study Materials for Class 7 Hindi Chapter 14
12. Chapter-wise Important Questions for Hindi (Vasant) Class 7 
13. Other Book-wise Links for CBSE Class 7 Hindi Questions
14. Important Study Material for Hindi Class 7
FAQs

Access Class 7 Hindi Chapter 14: Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj (संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया: धनराज) Important Questions

अति लघु उत्तरीय प्रश्न:                                                                             (1 अंक)

1. धनराज पिल्लै का साक्षात्कार किसने लिया था? 

उत्तर: विनीता पांडेय ने धनराज पिल्लै का साक्षात्कार लिया था।


2. धनराज सीनियर टीम में कब गए थे? 

उत्तर: सन् 1986 में धनराज सीनियर टीम में गए थे।


3. पिल्लै के बड़े भाई का क्या नाम था? 

उत्तर: धनराज पिल्लै का एक बड़ा भाई था जिसका नाम रमेश था। 


4. ओलंपिक 1998 में क्या हुआ? 

उत्तर: धनराज पिल्लै को ओलंपिक 1998 के लिए नेशनल कैंप ने नहीं बुलाया था। 


5. धनराज ने पहली बार कृतिम घास कहाँ देखा था? 

उत्तर: धनराज जब 1988 में नयी दिल्ली गए तो उन्होंने वहाँ राष्ट्रीय खेल मैदान में पहली बार कृतीम घास देखा।


लघु उत्तरीय प्रश्न:                                                                                      (2 अंक)

1. महाराष्ट्र सरकार ने धनराज को क्या तोहफा दिया था? 

उत्तर: महाराष्ट्र सरकार ने 1999 में धनराज को मुंबई के पवई में एक फ्लैट तोहफे के रूप में दिया था। महाराष्ट्र सरकार ने धनराज को इसलिए सम्मानित किया था क्योंकि धनराज ने अपनी सारी जमाकुंजी लगाकर महाराष्ट्र के पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीद था और धनराज ने देश को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया था। इसलिए महाराष्ट्र सरकार इतने बड़े खिलाड़ी को पुणे के एक छोटे फ्लैट में रहने नही दे सकती थी।


2. किससे मिलकर धनराज को खुद पर गर्व हुआ? 

उत्तर: धनराज जब भारत के राष्ट्रपति से मिले तो उन्हें बहुत गर्व महसूस हुआ क्योंकि राष्ट्रपति से मिलना किसी आम इंसान के बस की बात नहीं है। धनराज हॉकी के बड़े खिलाड़ी थे और भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी थे। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम को मेडल दिलवाया था और इसी कारण राष्ट्रपति ने उन्हें सम्मानित किया। धनराज के लिए वह क्षण बहुत ही गर्व का था।


3. धनराज पढ़ने में कैसे थे?

उत्तर: धनराज पढ़ने में कुछ ज्यादा अच्छे नहीं थे। वह बड़ी मुश्किल से परीक्षा में पास हो पाते थे। धनराज का मन हमेशा से खेल-कूद में था, वह पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते थे। उनका आकर्षन हॉकी में ज्यादा था। बचपन से ही वह स्कूली शिक्षा से दूर भागने की कोशिश करते थे। उनका मानना था कि खेल-कूद से मनुष्य स्वस्थ भी रहता है और खेल-कूद में नाम भी कर सकता है। 


4. धनराज के बचपन के बारे में बताओ।

उत्तर: धनराज एक बहुत गरीब परिवार से थे। धनराज के पिता नहीं थे और उनकी माँ अकेले धनराज के पालन-पोषण के लिए बहुत मेहनत से पैसे कमाती थी। धनराज इतने गरीब थे कि उनके पास हॉकी स्टिक खरीदने तक के पैसे नहीं थे। फिर भी उन्होंने कठिन परिश्रम करके हॉकी के क्षेत्र में अपना नाम कमाया और भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहते हुए में लेके आए।


5. धनराज ने अपने मेहनत से पहली बार जार कौन-सी खरीदी थी? 

उत्तर: अपनी मेहनत से धनराज ने सन् 2000 में फोर्ड आइकान खरीदा था। यह कार उन्होंने खुद के पैसों से खरीदी थी, किसी ने उन्हें यह तोहफे में नहीं दिया था। फोर्ड आइकान कार धनराज की ड्रीम कार थी। वह हमेशा से इस कार को खरीदना चाहते थे लेकिन वह एक गरीब परिवार से थे। इसलिए उन्हें यह कार खरीदने में बहुत समय लगा।


लघु उत्तरीय प्रश्न:                                                                                      (3 अंक)

1. धनराज को हॉकी स्टिक कहाँ से मिली थी? 

उत्तर: धनराज एक गरीब परिवार से थे इसलिए उनके पास खुद की हॉकी स्टिक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। धनराज के बड़े भाई रमेश भी एक हॉकी प्लयेर थे और हॉकी खेला करते थे। अपने बड़े भाई को देखकर ही धनराज ने भी हॉकी खेलना शुरू किया। जब रमेश को भारतीय कैंप में चयनित कर लिया गया तो उन्होंने अपनी उन्होंने अपनी हॉकी स्टिक अपने छोटे भाई धनराज को दे दी। उसी हॉकी स्टिक से धनराज ने अपना हॉकी का सुनहरा सफर शुरू किया।


2. अख़बार में क्या छपा था? 

उत्तर: धनराज एक गरीब परिवार से थे इसलिए उन्हें पैसों की अहमियत पता थी। वह अपने ऐशों-आराम के लिए फिजूल खरची नहीं करते थे। वह इतने बड़े हॉकी के खिलाड़ी होने के बावजुद भी ज़मीन से जुड़े हुए थे। वह हमेशा ही लोकल ट्रेनों से सफर किया करते थे। एक बार वह मुंबई में लोकल ट्रेन से सफर कर रहे थे तभी एक अख़बार वाले ने उन्हें देख लिया और उसने अपने अख़बार में यह खबर छाप दी कि “हॉकी का सितारा पिल्लै अभी भी मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर करते है।”


3. धनराज हॉकी को कैसे देखते है? 

उत्तर: धनराज बचपन से ही पढ़ने-लिखने में दिलचस्पी नहीं रखते थे । इसलिए वह पढ़ाई में बेहद बुरे थे और मुस्किल से परीक्षाओं में पास हो पाते थे। धनराज का मानना था कि यदि उन्होंने हॉकी खेलना शुरू नहीं किया होता तो उन्हें चपरासी की नौकरी भी नहीं मिलती। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह जानते थे कि वह पढ़ने-लिखने में अच्छे नहीं थे। वह हॉकी खेलने को अपने जीवन का सबसे शी निर्णय मानते थे।


4. कार के सम्बन्ध में धनराज ने क्या बताया? 

उत्तर: धनराज ने बताया कि इमप्लॉयर ने उन्हें उनकी पहली कार दी थी जो कि एक सेकेंड हैंड कार थी। उस कार था नाम अरर्मडा था। फिर धनराज ने कठिन परिश्रम से खुद की कमाई से अपनी पहली कार सन् 2000 में खरीदी थी, जो कि फोर्ड आइकान थी। उन्होंने यह भी बताया कि यह उनकी खुद की मेहनत से खरीदी हुई कार थी। यह कार उन्हें किसी से तोहफ़े के रूप में नहीं मिली थी। उन्होंने यह सब बातें अपने एक इंटरवयू में विनीता को बताई थी।


5. पिल्लै के व्यक्तिगत स्वभाव पर टिप्पणी करें। 

उत्तर: धनराज पिल्लै एक बहुत ही सरल और सुलझे हुए स्वभाव के व्यक्ति थे, उन्हें छल-कपट करना नहीं आता था। उनके मन में जो बातें होती थी वो ही उनकी जुबां पर भी होती थी। वह जो सोचते थे उस बोलने में हिचकते नहीं थे। भले ही सामने वाले व्यक्ति को उनकी बात बुरी लगे या अच्छी उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। उन्हें गुस्सा भी बहुत जल्दी आता था और वह अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाते थे। वह हर छोटी बातों पर भी चिड़ने वाले व्यक्तियों में से थे। सीधे-सरल शब्दों में हम उनके स्वभाव को तुनुकमिजाजी वाले स्वभाव का कहेंगे।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:                                                                                      (5 अंक)

1. पिल्लै तुनुकमिजाजी क्यों हो गए थे?

उत्तर:  धनराज ने अपने इंटरवयू में कहा था कि वह एक बहुत ही गरीब परिवार से थे तथा जब वह छोटे थे तो घर में कमाने वाली बस उनकी माँ ही थी इसलिए उन्होंने बचपन से ही बहुत तकलीफों का सामना किया है, जो शायद सभी ने नहीं की हो। वह बचपन से ही खुद को कमजोर और असुरक्षित समझते थे, शायद यही कारण था वह तुनुकमिजाजी स्वभाव के हो गए। उन्होंने यह भी कहा कि वह एक साधारण सोच वाले व्यक्ति हैं और उन्हें छल-कपट नहीं पता था। उन्हें गोल-गोल बातें करनी भी नहीं आती और ना ही उनके शौक है। वह सीधी बात करना पसंद करते हैं और अन्य लोगों से भी यही उम्मीद करते है कि वह भी उनसे सीधी बातें करें। उन्हें हमेशा से हर छोटी चीज के लिए भी सोचना पड़ा है और जीवन भर इतना परिश्रम करने की वजह से ही वह इतने चिड़चिड़े हो गए थे। उन्हें गुस्सा भी बहुत जल्दी आ जाता था और वह ये भी नहीं देखते थे कि उन्होंने किस पर गुस्सा किया है परन्तु उन्हें गुस्सा करने के तुरन्त बाद ही यह अहसास हो जाता था कि उन्होंने गलती की है और वह तुरन्त क्षमा मांग लेते थे।


2. धनराज अपने परिवार को क्या अहमियत देते हैं? 

उत्तर: धनराज अपने परिवार के बारे में कहते हैं कि वह उनके परिवार के अपनी माँ के सबसे ज्यादा करीब हैं क्योंकि आज वह को भी हैं अपनी माँ की वजह से ही हैं। यदि उनकी माँ ने कठिन परिश्रम करके पैसे नहीं कमाए होते तो वह कभी हॉकी नहीं खेल पाते। उनकी माँ ने गरीबी के बावजूद सभी को शिक्षा  दएन का पूरा प्रयास किया और सफल भी हुई। उन्होंने हम सभी को एक अच्छा व्यक्ति बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और हमें संस्कार दिये जो हम अभी अपने जीवन में उपयोग करते हैं। मैं कभी अपनी माँ से बात किए बिना सोता नहीं हूँ, चाहे में भारत में रही या विदेश में। मेरी माँ के जीवन को देखकर मुझे यह सीख मिली कि इंसान को हर परिस्थिति में रहना आना चाहिए। यदि आज मेरी माँ आराम के बारे में सोचती तो हम भाई-बहन कभी सफल नहीं हो पाते। उन्हें देखकर मुझे भी यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा मेहनत करनी चाहिए। धनराज द्वारा कही गई सभी बातें जानकर यही लगता है कि वह अपने परिवार को बहुत प्रेम करते हैं।


3. धनराज के हॉकी के सफर का संक्षिप्त वर्णन करें। 

उत्तर: धनराज ने हॉकी खेलने की शुरुआत अपने बड़े भाई को देखकर की थी। उनके बड़े भाई हॉकी के खिलाड़ी थे और उन्हें देखकर धनराज भी हॉकी की तरफ आकर्षित होते थे। उन्होंने भी अपने भाई के साथ घर पर ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया। जब धनराज के बड़े भाई का चयन भारतीय कैंप में हो गया तो धनराज के बड़े भाई रमेश ने धनराज को अपनी हॉकी स्टिक दे दी। धनराज जब 16 वर्ष के थे, तब उन्होंने अपना पहला हॉकी मैच खेला। वह मैच जूनियर हॉकी था जो कि सन् 1989 में उन्होंने खेला था। इसके बाद उन्हें सन् 1989 में आलविन एशिया कप के कैंप में चयनित कर लिया गया, यह कप ही उनकी सफलता की शुरुआत के रूप में साबित हुई। इसके बाद धनराज का हॉकी में सफर शुरू हुआ और वह ओलंपिकस में भारतीय हॉकी टीम के कैप्टन के रूप में चुने गए। धनराज ने बहुत नाम और इज्जत भी हासिल किया।


4. एस्ट्रो टर्फ पर धनराज विश्वास क्यों नहीं कर पा रहे थे?

उत्तर: एस्ट्रो टर्फ पर धनराज विश्वास नहीं कर पा रहे थे क्योंकि उन्होंने इससे पहले कभी भी कृतिम घस नहीं देखी थी। उन्होंने पहली बार कृतीम घास सन् 1988 में दिल्ली में देखा था। जब वह दिल्ली में राष्ट्रीय खेल में भाग लेने गए थे तो उनके साथ मौजूद सौम्या और जोक्विम कार्वाल्हो ने धनराज को कृत्रिम घास पर खेलने के फायदे बताएं। उन्होंने जब वहाँ पर कृतीम घास देखा और आश्चर्यचकित हो गए। उन्हें अपनी आंखो पर यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा भी कुछ सम्भव हो सकता है। उन्होंने जब कृतीम घास को छूकर देखा तब जाकर उन्हें विश्वास हुए की यह सच में हो सकता है। वह सोच रहे थे कि विज्ञान ने कितनी तरक्की कर ली है कि वह अब प्रकृति द्वारा उपजी घास को भी कृतीम बना सकता है। वह मन ही मन खुश भी हो रहे थे क्योंकि उन्हें प्राकृतिक घास से ज्यादा यह घास अच्छी लग रही थी।


5. धनराज को कब लगा की वो एक मशहूर चेहरा बन चुके हैं? 

उत्तर: पुराने समय में खेल में नाम करने के बाद भी खिलाड़ियों को ज्यादा पैसें नहीं मिलते थे भले ही वह कितने भी प्रसिद्ध हो। ऐसा ही धनराज के साथ भी हुआ था। वह प्रसिद्ध जरूर थे पर उन्हें भी बसों और लोकल ट्रेनों में ही सफर करना पड़ता था क्योंकि उनके पास ज्यादा पैसे नहीं होते थे कि वह कार खरीद सके और सफर कर सकें। ऐसे ही एक समय धनराज मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर कर रहे थे, तभी उन्हें एक पत्रकार ने पहचान लिया और वह उनसे प्रभावित हो गया कि धनराज इतने बड़े खिलाड़ी होकर भी ट्रेन में सफर कर रहें हैं। अगले दिन उस पत्रकार ने धनराज के ऊपर खबर छाप दिया और उस खबर में लिखा कि “हॉकी का सितारा पिल्लै अभी भी मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर करते है।” यह खबर जब धनराज ने देखी तो उन्हें यह लगा की अब उन्हें भी लोग एक मशहूर हॉकी खिलाड़ी के रूप में पहचानने लगे हैं और वह एक मशहूर व्यक्ति बन गए हैं।


Important Topics of Class 7 Hindi (Vasant) Chapter 14 Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj

Below are the important topics covered in Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj:


Important Topic 

Explanation

Dhyan Chand's Dedication to Hockey

The chapter highlights Dhyan Chand’s unwavering commitment to the sport, showing how his dedication was key to his success.

Challenges and Hardships Faced

It explores the various struggles Dhyan Chand endured, including physical and mental challenges, which tested his resilience.

Impact of Sacrifices on Personal Life

The chapter discusses how Dhyan Chand’s dedication to hockey required personal sacrifices, affecting his relationships and lifestyle.

Transformation Through Struggles

Dhyan Chand’s journey illustrates how overcoming hardships shaped his character and contributed to his greatness in sports.

The Importance of Perseverance and Discipline

The story conveys the values of persistence and discipline, which Dhyan Chand upheld, inspiring students to apply these principles in their lives.


Points to Remember from Class 7 Hindi Chapter 14: Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj

  • Dhyan Chand is celebrated as one of India’s greatest hockey players, known for his skill and dedication.

  • The chapter highlights the numerous challenges he faced, both on and off the field, which shaped his character.

  • His commitment to hockey required immense personal sacrifice, affecting his personal life and relationships.

  • Dhyan Chand’s resilience and discipline are emphasised, showing how these qualities contributed to his success.

  • His story teaches students the value of perseverance, hard work, and the strength gained through struggle.


Benefits of Important Questions for Class 7 Hindi Chapter 14: Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj

  • The Important Questions PDF helps students prepare for exams by covering key points of Dhyan Chand’s life and struggles in depth.

  • Practising these questions strengthens students’ understanding of Dhyan Chand’s dedication to hockey and the values he represents.

  • The free downloadable PDF provides flexible study options, allowing students to review key questions anytime.

  • With questions crafted by subject experts, students improve their answer-writing skills, making them feel more prepared for exams.

  • The PDF saves time by consolidating all essential questions, ensuring an effective and organised revision experience.


Conclusion

The Important Questions for Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj provide an insightful resource to explore the challenges and resilience of Dhyan Chand. Covering significant themes, this PDF aids in exam preparation, helping students connect with the values of hard work and determination. With free and flexible access, students can review key points efficiently, gaining confidence in their understanding of this inspiring chapter.


Related Study Materials for Class 7 Hindi Chapter 14

S. No

Important Study Material Links for Class 7 Hindi Chapter 14

1.

Class 7 Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj Notes

2.

Class 7 Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj Solutions


Chapter-wise Important Questions for Hindi (Vasant) Class 7 


Other Book-wise Links for CBSE Class 7 Hindi Questions

S. No

Class 7 Hindi Revision Questions - Book-wise Links

1.

Class 7 Hindi Important Questions Durva

2.

Class 7 Hindi Important Questions Mahabharat


Important Study Material for Hindi Class 7

S. No

Class 7 Hindi Study Resources 

1.

Class 7 Hindi Revision Notes

2.

Class 7 Hindi NCERT Solutions

3.

Class 7 Hindi Sample Papers

4.

Class 7 Hindi Worksheets

5.

Class 7 Hindi Important Questions

6.

Class 7 Hindi NCERT Books

FAQs on Sangharsh Ke Karan Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj (संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया: धनराज) Class 7 Important Questions: CBSE Hindi (Vasant) Chapter 14

1. What is the best strategy to prepare chapter 14 of class 7 Hindi Vasant?

Although students follow many different strategies but the best strategy suggested by experts of Vedantu is to first read chapter through NCERT book and then a student must go through Important questions for CBSE class 7th Hindi Vasant Chapter -14 - Sangharsh ke Karan main Tunukmizaj Ho Gaya: Dhanraj. This strategy will help to get the desired result.

2. What is the best time to go through  Important questions for CBSE class 7th Hindi Vasant Chapter -14 - Sangharsh ke Karan main Tunukmizaj Ho Gaya: Dhanraj?

Student must daily spare ten to twenty minutes to go through Important questions for CBSE class 7th Hindi Vasant Chapter -14 - Sangharsh ke Karan main Tunukmizaj Ho Gaya: Dhanraj and not just 10 days before exam. The best time is to read daily which will help in better understanding of the chapter. Your preparation will be enhanced by reading through Vedantu.com

3. Should we only read or do written practice?

Hindi is a subject which always needs written practice. After just reading a student can remember it for 2-3 days but after written practice there will be less chances of mistakes in punctuations, vocabulary and it will be remembered for a longer time. You can select questions from Vedantu.com and do written practice of the questions. So, writing is a necessary practice.

4. Do we need to study the details of the author of a chapter?

It is a quite necessary practice to go through details of the author first. The Important questions for CBSE class 7th Hindi Vasant Chapter -14 - Sangharsh ke Karan main Tunukmizaj Ho Gaya: Dhanraj consists of at least two questions from the details of the author. The question arises in the form of a character sketch of Dhanraj who lives a simple life and is a hockey player.

5. What is the central idea of the chapter?

This chapter usually shows the journey of struggle to always reach a height of success. Dhanraj who lived a life in poverty and didn't have money to get a hockey stick did a lot of struggle and then reached a height of success. You can study more about in detail on Vedantu.com Central idea of chapter constitute most important question of chapter.