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CBSE Class 12 Hindi Chapter 3 - Ateet Me Dabe Panv- Free PDF Download

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CBSE Class 12 Hindi Important Questions Chapter 3 - Ateet Me Dabe Panv - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 12 Hindi Chapter 3 - Ateet Me Dabe Panv prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

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Study Important Questions Class 12 Hindi Chapter-3 अतीत में दबे पाँव

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

1. कमोवेश, अराजकता तथा प्रतिमान का शब्दार्थ बताइये।

उत्तर: 

  • कमोवेश -: थोड़ा-बहुत

  • अराजकता -: अव्यवस्था

  • प्रतिमान -: परछाई


2. सिंधु घाटी सभ्यता में मिला महाकुण्ड का आकार क्या था?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता में मिले महाकुण्ड का आकर लगभग चालीस फ़ीट लंबा तथा पचीस फ़ीट चौड़ा है था।


3. सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषता क्या थी?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी, यहां किसी विशेष धर्म को ज्यादा अहमियत नहीं दी गयी।


4. सिंधु घाटी सभ्यता किस प्रकार शासित थी?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता सूझ-बूझ तथा समझ द्वारा शासित थी। यहाँ पर शक्ति शासन नहीं था।


5. सिंधु घाटी सभ्यता में किसका प्रदर्शन देखने को नहीं मिलता है?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता में राजशाही ताकतों तथा राजशाही सत्ता का प्रदर्शन देखने को नहीं मिलता है।


लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

6. सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में कौन-कौन सी चीज़े मिली हैं?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में खिलौने, मिट्टी के बर्तन, छोटी मूर्तियां, नाव आदि मिले है।


7. लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को जल-सभ्यता क्यों कहा हैं?

उत्तर: लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को जल-सभ्यता इसीलिए कहा है क्योंकि मोहनजोदड़ो के पास से निकलकर बहती हुई सिंधु नदी, स्नानागार, शहरों में बेजोड़ जल निकास तथा कुँए की व्यवस्था सिंधु घाटी सभ्यता में थी।


8. लेखक के अनुसार टूटे-फूटे खंडहर क्या होते हैं?

उत्तर: लेख़क के अनुसार टूटे-फूटे खंडहर सभ्यता तथा संस्कृति के इतिहास तो होते ही है बल्कि धड़कती जिंदगियों के कुछ लम्हों का भी प्रतीक हैं।


9. सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में मिली लिपि कैसी है?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता में चित्रलिपि मिली है। इस लिपियों को कोई भी अभी तक पड़ व समझ नहीं पाया है। इस लिपि का ज्ञान अभी तक लोगों से छिपा है।


10. सिंधु घाटी सभ्यता में बहुत सारे अवशेष सही स्थिति में क्यों मिले?

उत्तर: वहाँ की वातावरण, मजबूत निर्माण तथा जलवायु के कारण बहुत सारे अवशेष सही अवस्था मे पाए गए है।


लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)

11. सिंधु घाटी सभ्यता में किस चीज़ का महत्व ज्यादा था?

उतर: सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे अधिक महत्व कला का था। नगर निर्माण एवं वास्तुकला से अलावा मूर्तिकला, पत्थरों को तराशना तथा उन पर चित्रकारी करना भी वहाँ के लोगों को आता था।


12. सिंधु घाटी सभ्यता में पीने के पानी की व्यवस्था कैसी थी?

उत्तर: पीने के पानी की व्यवस्था सिंधु घाटी सभ्यता में बहुत सुलभ थी। शहर में जगह-जगह पर कुँए बनाए गए थे जो कि पक्की ईटों से बनाये जाते थे।


13. सिंधु घाटी सभ्यता में जल निकासी कैसी थी?

उत्तर: यहाँ पर जल निकासी की व्यस्था एकदम उत्कृष्ट थी। प्रत्येक घर मे स्नानागार बने थे। जिसके घर से जितना भी गंदा पानी निकलता वह पानी छोटी नालियों के द्वारा बड़े नाले में चला जाता था तथा वहाँ की अधिकांश नालियां ढकी हुई थी।


14. लेखक ने  सिंधु घाटी सभ्यता की किस कथन ने दुनियां की छत कहा है?

उत्तर: लेखक ने निम्न कथन में सिंधु घाटी सभ्यता को दुनियां की छत कहा है -:

यह तो सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियां अब आपको कहीं नहीं ले जाएगी, वे आकाश की तरह अधूरी रह जाती है। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर यह अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनियां की छत पर है, वहाँ से आप इतिहास को नहीं बल्कि उसके पर झांक रहे हैं।


15. सिंधु घाटी सभ्यता किस प्रकार की सभ्यता थी?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता मिले अवशेषों से हमे यह पता चलता है कि यह सभ्यता एक सम्पन्न सभ्यता थी। यहाँ पर वास्तुकला, जल निकासी की व्यवस्था, पानी की व्यवस्था, मूर्तिकला, सामाजिक व्यवस्था तथा नगर निर्माण में उत्कृष्ट था। यह सभ्यता एक बहुत ही विकसित तथा उन्नत सभ्यता थी।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

16. सिंधु घाटी की सभ्यता मानव सभ्यताओं में सबसे विकसित क्यों मानी जाती हैं?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता समस्त मानव सभ्यताओं में सबसे विकसित निम्न कारणों से मानी जाती है -

  • इसका प्रथम उद्देश्य सामाजिक विकास तथा सामाजिक व्यवस्था को बनाना था।

  • इसमे मुहरों, वास्तुकला में एकरूपता, जल निकासी की उत्कृष्ट व्यवस्था, पानी की व्यवस्था, नगर निर्माण की व्यवस्था आदि बहुत अच्छे तरीके से की गई थी।

  • यहाँ पर सफाई तथा सामाजिक व्यावस्था में भी अनुशासन देखने को मिलता है।

  • यहाँ जो कुछ भी खुदाई के दौरान मिला है उससे यही निष्कर्ष निकलता है कि यह सभ्यता उस समय की सबसे उन्नतीपुर्ण तथा विकसित सभय्ता थी।


17. सिंधु घाटी सभ्यता में किसके प्रमाण नहीं मिलते हैं?

उत्तर: इस सभय्ता में राजशाही शासन के प्रमाण नहीं मिले हैं। इसकी खुदाई में खिलौने, छोटी मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन तथा नावों के अलावा कोई भी ऐसा प्रमाण नहीं मिला जिससे यह कहा जा सके कि यह पर राजशाही सत्ता थी। इसके अलावा यहा आम-आदमी के जीवन यापन के लिए सब कुछ है तथा सारी व्यवस्था भी है परंतु ऐसा कुछ नहीं है जिससे राजनीतिक व्यवस्था के होने का प्रमाण मिले।


18. सिंधु घाटी सभ्यता का नगर नियोजन क्या दर्शाता है?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता का नगर नियोजन यह दर्शाता है कि यह सभ्यता किसी राजा के शासन की बजाय लोगों की समझ द्वारा शासित थी। यहाँ की नगर नियोजन प्रणाली तथा नगर व्यवस्था एक बहुत ही उन्नत सभ्यता का प्रतीक है। इस सभ्यता को लोगों की जरूरतों तथा उनके हितों के हिसाब से बहुत ही सलीके से बनाया गया था। यहाँ पर खाद्य भंडारण, जल निकासी, पीने के पानी की व्यवस्था, वास्तुकला, सामाजिक व्यवस्था में एकरूपता देखने को मिलती है जिससे इस सभ्यता के विकसित होने का प्रमाण मिलता है।


19. लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को इतिहास नहीं अपितु उसके पार की सभ्यता क्यों कहा हैं?

उत्तर: लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को इतिहास नहीं अपितु उसके पार की सभ्यता कहा है क्योंकि यह सभ्यता हमारी आज की दैनिक सभ्यता के मुकाबले कहीं अधिक उन्न्त थी। इस सभ्यता को लोगों के हितों के लिये बनाया गया था। इस सभ्यता से हम उनके विकास को देख सकते हैं। इसकी खुदाई में मिली टूटी-फूटी सीढ़ियों से हम इतनी उत्क्रष्ट सभ्यता के दर्शन कर सकते है जो कि बहुत ही अनुशासित सभ्यता थी। उस समय यह सभ्यता सबसे आधुनिक सभ्यता रही होगी। इस सभ्यता से मिले अवशेषों से हम उस समय की वास्तुकला, नगर निर्माण व्यवस्था, जल निकास व्यवस्था आदि को सीख सकते है। यह हमारे लिए अनमोल है। लेखक ने इसे दुनियां की छत कहकर संबोधित किया है। इसका आशय यह है कि हजारों साल पहले भी हम कितने अभिक विकसित थे यह कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।


20. लेखक सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों को देखकर क्या अनुभूति करते हैं?

उत्तर: लेखक सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों को देखकर यह अनुभूति करते हैं की जैसे वह उसी सभ्यता में जा पहुँचे हो। वहाँ के खण्डर उस समय की स्थिति का परिचय दे रहे थे। आज भी हम लोग वहां पर किसी खण्डर के सहारे खड़े हो सकते है वे इतने मजबूत है। वहाँ की सड़कों पर खड़े होकर बैलगाड़ियों की आवाज को महसूस कर सकते है। ऐसे ही धातु की वस्तुएँ, मिट्टी के बर्तन, खिलौने तथा नगर नियोजन की व्यवस्था को देखकर मानो ऐसा लगता है कि ये अब भी जीवित है। ये सारे दस्तावेज इतिहास के साथ-साथ बीते हुए समय को भी हूबहू प्रस्तुत करते है।


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FAQs on CBSE Class 12 Hindi Chapter 3 - Ateet Me Dabe Panv- Free PDF Download

1. 'अतीत में दबे पाँव' पाठ के अनुसार मोहनजोदड़ो में स्थित महाकुंड की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?

मोहनजोदड़ो में स्थित महाकुंड सिंधु घाटी सभ्यता की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • आकार: यह कुंड लगभग 40 फुट लंबा, 25 फुट चौड़ा और 7 फुट गहरा था।
  • निर्माण: इसके निर्माण में पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया था और पानी के रिसाव को रोकने के लिए दीवारों पर चारकोल और बिटुमिन का लेप था।
  • डिज़ाइन: कुंड के दोनों सिरों पर सतह तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई थीं और इसके तीन तरफ साधुओं के कक्ष बने हुए थे।
  • जल व्यवस्था: कुंड में पानी भरने के लिए एक अलग कुआँ था और गंदे पानी की निकासी के लिए एक अलग नाली की व्यवस्था थी। यह कुंड संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग होता था।

2. सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन की कौन-सी बातें आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं?

सिंधु घाटी सभ्यता का नगर नियोजन अत्यंत विकसित था और उसकी कई विशेषताएँ आज के आधुनिक शहरों के लिए भी प्रेरणादायक हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं:

  • ग्रिड पैटर्न: सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं, जिससे शहर व्यवस्थित खंडों में बँटा हुआ था।
  • उत्कृष्ट जल प्रबंधन: लगभग हर घर में अपना स्नानागार और कुआँ होता था। घरों का गंदा पानी ढकी हुई नालियों के माध्यम से मुख्य नाले में जाता था, जो स्वच्छता के प्रति उनकी जागरूकता को दर्शाता है।
  • सार्वजनिक और निजी स्थानों का विभाजन: शहर को प्रशासनिक और आवासीय क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से विभाजित किया गया था, जो एक संगठित समाज का प्रमाण है।

3. 'अतीत में दबे पाँव' पाठ के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता को 'जल-संस्कृति' क्यों कहा जा सकता है?

लेखक ओम थानवी ने सिंधु घाटी सभ्यता को 'जल-संस्कृति' कहा है क्योंकि पानी उनके जीवन के हर पहलू में मौजूद था। इसके प्रमुख कारण हैं:

  • नदी का सान्निध्य: यह पूरी सभ्यता सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई।
  • सार्वजनिक कुंड: मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार सामूहिक स्नान और अनुष्ठानों के महत्व को दर्शाता है।
  • कुओं की बहुतायत: अकेले मोहनजोदड़ो में 700 से अधिक कुएँ थे, जो पानी की सुलभता सुनिश्चित करते थे।
  • बेजोड़ जल-निकासी: उनकी उन्नत और ढकी हुई जल-निकासी प्रणाली स्वच्छता और जल प्रबंधन में उनकी महारत को दिखाती है।

4. सिंधु घाटी सभ्यता में राजसत्ता या धर्मसत्ता के स्पष्ट प्रमाण क्यों नहीं मिलते? यह क्या दर्शाता है?

सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में भव्य राजमहल, मंदिर या राजाओं की समाधियाँ नहीं मिली हैं। हथियारों के भी प्रमाण न के बराबर हैं। इसके बजाय, वहाँ सुनियोजित नगर, आम लोगों के घर, खिलौने और कलाकृतियाँ मिली हैं। यह दर्शाता है कि यह सभ्यता बल-शासित न होकर समाज-पोषित थी। यहाँ शक्ति का प्रदर्शन करने की बजाय अनुशासन और आपसी समझ से शासन चलाया जाता था, जो एक अत्यंत विकसित और संगठित नागरिक समाज का संकेत है।

5. लेखक के इस कथन का क्या आशय है कि “सिंधु सभ्यता इतिहास नहीं, बल्कि इतिहास के पार झाँकना है”?

यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विचार है। लेखक का यह कहने का आशय है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के खंडहर केवल ऐतिहासिक तथ्य या निर्जीव वस्तुएँ नहीं हैं। जब हम उन गलियों में घूमते हैं या उन टूटी-फूटी सीढ़ियों पर खड़े होते हैं, तो हम 5000 साल पुराने समय की धड़कन को महसूस कर सकते हैं। यह सभ्यता अपनी नगर योजना, स्वच्छता और कला में इतनी उन्नत थी कि वह आज भी हमें हैरान करती है। इसलिए, इसे केवल पढ़ना या जानना इतिहास है, लेकिन इसकी भव्यता और जीवंतता को महसूस करना इतिहास के पार झाँकना है।

6. CBSE बोर्ड परीक्षा 2025-26 के लिए 'अतीत में दबे पाँव' से कौन-से विषय विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं?

CBSE बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से, 'अतीत में दबे पाँव' पाठ से निम्नलिखित विषयों पर आधारित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं:

  • नगर नियोजन: मोहनजोदड़ो की सड़कों, घरों और ग्रिड-योजना की विशेषताएँ। (3-5 अंक)
  • जल प्रबंधन: महाकुंड, कुएँ और जल-निकासी प्रणाली का वर्णन। (2-3 अंक)
  • सामाजिक व्यवस्था: राजसत्ता के अभाव और एक अनुशासित समाज होने के प्रमाण। (3 अंक)
  • कला और शिल्प: खुदाई में मिली मूर्तियाँ, मुहरें, और अन्य कलाकृतियों का महत्व। (2 अंक)
  • लेखक का दृष्टिकोण: सभ्यता को 'जल-संस्कृति' कहना या 'इतिहास के पार झाँकना' जैसे कथनों का आशय। (HOTS प्रश्न, 5 अंक)

7. सिंधु घाटी सभ्यता में कला और सुघड़ता का क्या महत्व था? पाठ के आधार पर उदाहरण सहित स्पष्ट करें।

सिंधु घाटी सभ्यता में कला और सुघड़ता का बहुत अधिक महत्व था। यह केवल एक उपयोगितावादी सभ्यता नहीं थी, बल्कि सौंदर्यबोध से परिपूर्ण थी। इसके प्रमाण हैं:

  • वास्तुकला: नगरों का सुनियोजित ढाँचा अपने आप में एक कला है।
  • मूर्तियाँ और मुहरें: खुदाई में मिली नर्तकी की मूर्ति, याजक-नरेश की प्रतिमा और जानवरों की छवियों वाली मुहरें उनकी उत्कृष्ट मूर्तिकला और कारीगरी को दर्शाती हैं।
  • मिट्टी के बर्तन: उन पर की गई चित्रकारी उनके कलात्मक रुझान का प्रमाण है।
  • आभूषण: मिले हुए मनकों के हार और अन्य आभूषणों से पता चलता है कि वे सौंदर्य के प्रति सजग थे।

यह सब दिखाता है कि वहाँ तकनीक-सिद्ध होने के साथ-साथ कला-सिद्ध समाज भी था।

8. लेखक ने मोहनजोदड़ो और हड़प्पा को 'दुनिया के सबसे पुराने नियोजित शहर' क्यों कहा है?

लेखक ने मोहनजोदड़ो और हड़प्पा को दुनिया के सबसे पुराने नियोजित शहर कहा है क्योंकि इनकी बसावट किसी आकस्मिक विकास का परिणाम नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी योजना पर आधारित थी। इसके प्रमाण हैं:

  • शहर को बसाने से पहले सड़कों और नालियों का नक्शा तैयार किया गया था।
  • सभी सड़कें सीधी थीं और एक दूसरे को काटती थीं, जिससे पूरा शहर एक ग्रिड जैसा दिखता था।
  • पानी की आपूर्ति और गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था पूरे शहर के लिए एक समान और सुनियोजित थी।
  • यह नियोजन आज के आधुनिक शहरों की सेक्टर-आधारित योजना से मिलता-जुलता है, जो 5000 साल पहले एक असाधारण उपलब्धि थी।