Ateet Me Dabe Panv Class 12 Extra Questions and Answers Free PDF Download
FAQs on CBSE Important Questions for Class 12 Hindi Vitan Ateet Me Dabe Panv - 2025-26
1. 'अतीत में दबे पाँव' पाठ के अनुसार मोहनजोदड़ो में स्थित महाकुंड की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
मोहनजोदड़ो में स्थित महाकुंड सिंधु घाटी सभ्यता की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- आकार: यह कुंड लगभग 40 फुट लंबा, 25 फुट चौड़ा और 7 फुट गहरा था।
- निर्माण: इसके निर्माण में पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया था और पानी के रिसाव को रोकने के लिए दीवारों पर चारकोल और बिटुमिन का लेप था।
- डिज़ाइन: कुंड के दोनों सिरों पर सतह तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई थीं और इसके तीन तरफ साधुओं के कक्ष बने हुए थे।
- जल व्यवस्था: कुंड में पानी भरने के लिए एक अलग कुआँ था और गंदे पानी की निकासी के लिए एक अलग नाली की व्यवस्था थी। यह कुंड संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग होता था।
2. सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन की कौन-सी बातें आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं?
सिंधु घाटी सभ्यता का नगर नियोजन अत्यंत विकसित था और उसकी कई विशेषताएँ आज के आधुनिक शहरों के लिए भी प्रेरणादायक हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं:
- ग्रिड पैटर्न: सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं, जिससे शहर व्यवस्थित खंडों में बँटा हुआ था।
- उत्कृष्ट जल प्रबंधन: लगभग हर घर में अपना स्नानागार और कुआँ होता था। घरों का गंदा पानी ढकी हुई नालियों के माध्यम से मुख्य नाले में जाता था, जो स्वच्छता के प्रति उनकी जागरूकता को दर्शाता है।
- सार्वजनिक और निजी स्थानों का विभाजन: शहर को प्रशासनिक और आवासीय क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से विभाजित किया गया था, जो एक संगठित समाज का प्रमाण है।
3. 'अतीत में दबे पाँव' पाठ के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता को 'जल-संस्कृति' क्यों कहा जा सकता है?
लेखक ओम थानवी ने सिंधु घाटी सभ्यता को 'जल-संस्कृति' कहा है क्योंकि पानी उनके जीवन के हर पहलू में मौजूद था। इसके प्रमुख कारण हैं:
- नदी का सान्निध्य: यह पूरी सभ्यता सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई।
- सार्वजनिक कुंड: मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार सामूहिक स्नान और अनुष्ठानों के महत्व को दर्शाता है।
- कुओं की बहुतायत: अकेले मोहनजोदड़ो में 700 से अधिक कुएँ थे, जो पानी की सुलभता सुनिश्चित करते थे।
- बेजोड़ जल-निकासी: उनकी उन्नत और ढकी हुई जल-निकासी प्रणाली स्वच्छता और जल प्रबंधन में उनकी महारत को दिखाती है।
4. सिंधु घाटी सभ्यता में राजसत्ता या धर्मसत्ता के स्पष्ट प्रमाण क्यों नहीं मिलते? यह क्या दर्शाता है?
सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में भव्य राजमहल, मंदिर या राजाओं की समाधियाँ नहीं मिली हैं। हथियारों के भी प्रमाण न के बराबर हैं। इसके बजाय, वहाँ सुनियोजित नगर, आम लोगों के घर, खिलौने और कलाकृतियाँ मिली हैं। यह दर्शाता है कि यह सभ्यता बल-शासित न होकर समाज-पोषित थी। यहाँ शक्ति का प्रदर्शन करने की बजाय अनुशासन और आपसी समझ से शासन चलाया जाता था, जो एक अत्यंत विकसित और संगठित नागरिक समाज का संकेत है।
5. लेखक के इस कथन का क्या आशय है कि “सिंधु सभ्यता इतिहास नहीं, बल्कि इतिहास के पार झाँकना है”?
यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विचार है। लेखक का यह कहने का आशय है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के खंडहर केवल ऐतिहासिक तथ्य या निर्जीव वस्तुएँ नहीं हैं। जब हम उन गलियों में घूमते हैं या उन टूटी-फूटी सीढ़ियों पर खड़े होते हैं, तो हम 5000 साल पुराने समय की धड़कन को महसूस कर सकते हैं। यह सभ्यता अपनी नगर योजना, स्वच्छता और कला में इतनी उन्नत थी कि वह आज भी हमें हैरान करती है। इसलिए, इसे केवल पढ़ना या जानना इतिहास है, लेकिन इसकी भव्यता और जीवंतता को महसूस करना इतिहास के पार झाँकना है।
6. CBSE बोर्ड परीक्षा 2025-26 के लिए 'अतीत में दबे पाँव' से कौन-से विषय विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं?
CBSE बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से, 'अतीत में दबे पाँव' पाठ से निम्नलिखित विषयों पर आधारित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं:
- नगर नियोजन: मोहनजोदड़ो की सड़कों, घरों और ग्रिड-योजना की विशेषताएँ। (3-5 अंक)
- जल प्रबंधन: महाकुंड, कुएँ और जल-निकासी प्रणाली का वर्णन। (2-3 अंक)
- सामाजिक व्यवस्था: राजसत्ता के अभाव और एक अनुशासित समाज होने के प्रमाण। (3 अंक)
- कला और शिल्प: खुदाई में मिली मूर्तियाँ, मुहरें, और अन्य कलाकृतियों का महत्व। (2 अंक)
- लेखक का दृष्टिकोण: सभ्यता को 'जल-संस्कृति' कहना या 'इतिहास के पार झाँकना' जैसे कथनों का आशय। (HOTS प्रश्न, 5 अंक)
7. सिंधु घाटी सभ्यता में कला और सुघड़ता का क्या महत्व था? पाठ के आधार पर उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
सिंधु घाटी सभ्यता में कला और सुघड़ता का बहुत अधिक महत्व था। यह केवल एक उपयोगितावादी सभ्यता नहीं थी, बल्कि सौंदर्यबोध से परिपूर्ण थी। इसके प्रमाण हैं:
- वास्तुकला: नगरों का सुनियोजित ढाँचा अपने आप में एक कला है।
- मूर्तियाँ और मुहरें: खुदाई में मिली नर्तकी की मूर्ति, याजक-नरेश की प्रतिमा और जानवरों की छवियों वाली मुहरें उनकी उत्कृष्ट मूर्तिकला और कारीगरी को दर्शाती हैं।
- मिट्टी के बर्तन: उन पर की गई चित्रकारी उनके कलात्मक रुझान का प्रमाण है।
- आभूषण: मिले हुए मनकों के हार और अन्य आभूषणों से पता चलता है कि वे सौंदर्य के प्रति सजग थे।
यह सब दिखाता है कि वहाँ तकनीक-सिद्ध होने के साथ-साथ कला-सिद्ध समाज भी था।
8. लेखक ने मोहनजोदड़ो और हड़प्पा को 'दुनिया के सबसे पुराने नियोजित शहर' क्यों कहा है?
लेखक ने मोहनजोदड़ो और हड़प्पा को दुनिया के सबसे पुराने नियोजित शहर कहा है क्योंकि इनकी बसावट किसी आकस्मिक विकास का परिणाम नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी योजना पर आधारित थी। इसके प्रमाण हैं:
- शहर को बसाने से पहले सड़कों और नालियों का नक्शा तैयार किया गया था।
- सभी सड़कें सीधी थीं और एक दूसरे को काटती थीं, जिससे पूरा शहर एक ग्रिड जैसा दिखता था।
- पानी की आपूर्ति और गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था पूरे शहर के लिए एक समान और सुनियोजित थी।
- यह नियोजन आज के आधुनिक शहरों की सेक्टर-आधारित योजना से मिलता-जुलता है, जो 5000 साल पहले एक असाधारण उपलब्धि थी।























