Kavita ke bahane, Baat sidhi thi par Class 12 Extra Questions and Answers Free PDF Download
FAQs on CBSE Important Questions for Class 12 Hindi Aroh Kavita ke bahane, Baat sidhi thi par - 2025-26
1. कक्षा 12 की कविताओं 'कविता के बहाने' और 'बात सीधी थी पर' से 2025-26 की बोर्ड परीक्षा के लिए कौन से प्रश्न सबसे महत्वपूर्ण हैं?
सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी परीक्षा 2025-26 के लिए, इन कविताओं से निम्नलिखित प्रकार के प्रश्न महत्वपूर्ण हैं:
- 'कविता के बहाने': कविता की तुलना चिड़िया, फूल, और बच्चे से क्यों और कैसे की गई है, इस पर आधारित प्रश्न।
- 'बात सीधी थी पर': भाषा की सहजता और जटिलता के बीच संबंध पर प्रश्न, विशेषकर 'बात की चूड़ी मर गई' जैसे मुहावरों का आशय।
- उच्च स्तरीय चिंतन कौशल (HOTS): वे प्रश्न जो पूछते हैं कि कवि ने बच्चे के खेल को कविता के लिए सबसे उपयुक्त उपमान क्यों माना।
- काव्य-सौंदर्य: कविताओं की भाषा, छंद, और अलंकार (शिल्प-सौंदर्य) पर आधारित प्रश्न।
- 5-अंकीय प्रश्न: दोनों कविताओं का मूल भाव या केंद्रीय संदेश लिखने वाले प्रश्न।
2. 'कविता के बहाने' कविता में कवि ने कविता और बच्चे के खेल में क्या समानता बताई है? यह तुलना क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है?
कवि कुंवर नारायण ने कविता और बच्चे के खेल में कई समानताएँ बताई हैं। जिस प्रकार बच्चे खेलते समय किसी भी तरह की सीमाやभेदभाव (जैसे अपना-पराया, घर की सीमा) नहीं मानते, उसी प्रकार कविता भी शब्दों का एक खेल है जो सीमाओं के बंधन से परे होती है। बच्चे की कल्पना असीम होती है, और कविता भी कल्पना की असीमित उड़ान है। यह तुलना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाती है कि कविता का स्वरूप बंधनमुक्त, रचनात्मक और सर्वव्यापी होता है, ठीक एक बच्चे के निश्छल खेल की तरह।
3. 'बात सीधी थी पर' कविता में 'बात की चूड़ी मर गई' और 'भाषा में बेकार घूमने लगी' से कवि का क्या तात्पर्य है? यह एक महत्वपूर्ण 5-अंकीय प्रश्न क्यों बनता है?
यह पंक्ति इस कविता का केंद्रीय भाव स्पष्ट करती है और एक महत्वपूर्ण वैचारिक प्रश्न है।
- 'बात की चूड़ी मर गई': इसका अर्थ है कि जब कवि ने अपनी सीधी-सरल बात को प्रभावशाली बनाने के लिए अनावश्यक रूप से जटिल भाषा का प्रयोग किया, तो उसका मूल प्रभाव और अर्थ ही नष्ट हो गया। जैसे ज़बरदस्ती करने पर कील की चूड़ी मर जाती है और वह कसने की क्षमता खो देती है।
- 'भाषा में बेकार घूमने लगी': इसका तात्पर्य है कि मूल अर्थ खोने के बाद बात सिर्फ शब्दों का एक प्रभावहीन समूह बनकर रह गई, जिसका कोई स्पष्ट मतलब नहीं था।
यह 5-अंकीय प्रश्न के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भाषा और संवेदना के जटिल संबंध को दर्शाता है, जो CBSE की मूल्यांकन अपेक्षाओं के अनुरूप है।
4. इन कविताओं से 3-अंकीय प्रश्नों का उत्तर लिखते समय छात्रों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
3-अंकीय प्रश्नों के लिए, छात्रों को सटीक और सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
- मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दें: उत्तर को सीधे प्रश्न के मुख्य बिंदु से शुरू करें।
- कविता से उद्धरण दें: अपने तर्क का समर्थन करने के लिए कविता की पंक्तियों का उल्लेख करें।
- स्पष्टता: अपनी बात को स्पष्ट और सरल भाषा में समझाएँ, अनावश्यक विस्तार से बचें।
- संरचना: उत्तर को 2-3 पैराग्राफ या 3-4 मुख्य बिंदुओं में विभाजित करें ताकि वह सुव्यवस्थित लगे।
उदाहरण के लिए, 'कविता और फूल में क्या अंतर है?' जैसे प्रश्न का उत्तर देते समय, दोनों की समानताओं (सुगंध, सुंदरता) और फिर मुख्य अंतर (फूल की नश्वरता बनाम कविता की अमरता) को स्पष्ट रूप से बताएँ।
5. 'बात सीधी थी पर' कविता के आधार पर भाषा की सहजता का क्या महत्व है? यह एक उच्च स्तरीय चिंतन कौशल (HOTS) प्रश्न क्यों है?
इस कविता के अनुसार, भाषा की सहजता का महत्व अपनी बात को उसके मूल अर्थ और संवेदना के साथ पाठक तक पहुँचाने में है। जब भाषा को अनावश्यक रूप से अलंकृत या जटिल बना दिया जाता है, तो वह अपने उद्देश्य से भटक जाती है और कथ्य प्रभावहीन हो जाता है। यह एक HOTS प्रश्न इसलिए है क्योंकि यह केवल कविता का सारांश नहीं पूछता, बल्कि छात्रों से भाषा के व्यावहारिक और दार्शनिक पहलू पर विचार करने की अपेक्षा करता है। यह विश्लेषण करने को कहता है कि कैसे 'क्या कहना है' (कथ्य) और 'कैसे कहना है' (माध्यम) एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
6. बोर्ड परीक्षा में इन कविताओं से 'काव्य-सौंदर्य' या 'शिल्प-सौंदर्य' पर आधारित प्रश्न का उत्तर कैसे लिखें?
काव्य-सौंदर्य पर आधारित प्रश्न के उत्तर में दो पहलुओं का उल्लेख करना आवश्यक है: भाव-सौंदर्य और शिल्प-सौंदर्य।
- भाव-सौंदर्य: इसमें दी गई पंक्तियों का मुख्य भाव या संदेश समझाएँ। बताएं कि कवि क्या कहना चाहता है और उसका क्या प्रभाव पड़ रहा है।
- शिल्प-सौंदर्य: इसमें कविता की बनावट और भाषा की विशेषताओं का उल्लेख करें। जैसे:
- भाषा: खड़ी बोली का सहज प्रयोग।
- अलंकार: अनुप्रास, मानवीकरण, उपमा आदि का उल्लेख करें (जैसे 'कविता के बहाने' में मानवीकरण)।
- छंद: मुक्त छंद का प्रयोग।
- शब्द-चयन: तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण।
- मुहावरे: 'बात की चूड़ी मर जाना', 'पेंच को खोलना' जैसे मुहावरों का सटीक प्रयोग।
7. इन कविताओं की तैयारी करते समय छात्र कौन सी सामान्य गलतियाँ करते हैं जिनसे बचना चाहिए?
छात्र अक्सर कुछ वैचारिक गलतियाँ करते हैं जिनसे उनके अंक कट सकते हैं:
- शाब्दिक अर्थ पर अटक जाना: कविता के प्रतीकों (जैसे फूल, चिड़िया) का केवल शाब्दिक अर्थ समझना, उनके गहरे दार्शनिक अर्थ को अनदेखा करना।
- दोनों कविताओं को मिला देना: 'कविता के बहाने' रचनात्मकता की असीमता पर है, जबकि 'बात सीधी थी पर' भाषा की जटिलता पर। दोनों के केंद्रीय संदेश को स्पष्ट रूप से अलग न समझ पाना एक बड़ी गलती है।
- भाषा की भूमिका को कम आंकना: 'बात सीधी थी पर' में सिर्फ कहानी याद रखना और भाषा के महत्व पर कवि के चिंतन को नजरअंदाज कर देना।
- कवि के दृष्टिकोण को न समझना: यह भूल जाना कि कवि कुंवर नारायण शहरी संवेदना के कवि हैं, जिसका प्रभाव उनकी भाषा और विषयों पर दिखता है।
इन वैचारिक pièges (conceptual traps) से बचकर छात्र बेहतर अंक प्राप्त कर सकते हैं।
8. कवि कुंवर नारायण का साहित्यिक परिचय 2025-26 की परीक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
कवि का परिचय जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनकी कविताओं के मर्म को समझने में मदद करता है। कुंवर नारायण (जन्म 1927, फैजाबाद) 'तीसरे सप्तक' के प्रमुख कवियों में से एक हैं और अपनी शहरी संवेदना और चिंतनपरक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उन्हें 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिले हैं। यह जानकारी न केवल 1-अंकीय प्रश्नों में काम आती है, बल्कि दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों में कवि के दृष्टिकोण को समझाने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है।

















