Bazar Darshan Class 12 Extra Questions and Answers Free PDF Download
FAQs on CBSE Important Questions for Class 12 Hindi Aroh Bazar Darshan - 2025-26
1. कक्षा 12 हिंदी आरोह के अध्याय 'बाजार दर्शन' से बोर्ड परीक्षा 2025-26 के लिए कौन-से लघु उत्तरीय प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
'बाजार दर्शन' अध्याय से 2 या 3 अंकों के लिए निम्नलिखित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं:
- 'बाजार का जादू' क्या है और यह कैसे काम करता है?
- लेखक के अनुसार बाजार जाते समय मन खाली और मन भरा होने का क्या अर्थ है?
- भगत जी का चरित्र हमें उपभोक्तावाद के बारे में क्या महत्वपूर्ण शिक्षा देता है?
- 'परचेजिंग पावर' से लेखक का क्या तात्पर्य है और वे इसे व्यंग्य क्यों मानते हैं?
2. 'बाजार दर्शन' पाठ के लेखक कौन हैं और उनका मुख्य संदेश क्या है?
'बाजार दर्शन' पाठ के लेखक प्रसिद्ध साहित्यकार श्री जैनेन्द्र कुमार हैं। इस पाठ के माध्यम से वे यह महत्वपूर्ण संदेश देते हैं कि बाजार का उपयोग केवल आवश्यकतानुसार ही करना चाहिए। अनावश्यक खरीदारी और 'परचेजिंग पावर' के दिखावे से बचना चाहिए, क्योंकि यह बाजार के सामाजिक उद्देश्य को नष्ट कर देता है।
3. 'बाजार दर्शन' के आधार पर भगत जी के चरित्र की उन विशेषताओं का उल्लेख करें जो उन्हें एक आदर्श ग्राहक बनाती हैं?
भगत जी का चरित्र एक आदर्श ग्राहक का उदाहरण है, जिसकी महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं:
- आत्म-नियंत्रण: वे बाजार की चकाचौंध से प्रभावित नहीं होते।
- स्पष्ट लक्ष्य: उन्हें पता होता है कि उन्हें क्या खरीदना है - सिर्फ जीरा और काला नमक।
- संतोष: वे अपनी आवश्यकताओं को समझते हैं और अनावश्यक वस्तुओं के प्रति कोई आकर्षण महसूस नहीं करते।
- बाजार का सही उपयोग: वे बाजार को उसकी सार्थकता प्रदान करते हैं, शोषण का माध्यम नहीं बनने देते।
4. लेखक जैनेन्द्र कुमार ने 'बाजारूपन' से क्या तात्पर्य बताया है? यह बोर्ड परीक्षा के लिए एक अपेक्षित प्रश्न क्यों है?
लेखक के अनुसार, 'बाजारूपन' का अर्थ है बाजार का वह नकारात्मक रूप जहाँ दिखावा, छल-कपट और शोषण प्रमुख हो जाता है। यह तब होता है जब ग्राहक अपनी 'परचेजिंग पावर' के घमंड में अनावश्यक चीजें खरीदते हैं और विक्रेता भी अधिक लाभ के लिए उन्हें उकसाते हैं। यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है क्योंकि यह अध्याय के केंद्रीय विचार को दर्शाता है कि कैसे उपभोक्तावाद बाजार की वास्तविक उपयोगिता को समाप्त कर देता है।
5. 'बाजार दर्शन' पाठ में लेखक ने अर्थशास्त्र और अनीतिशास्त्र में क्या अंतर बताया है?
लेखक के अनुसार, सच्चा अर्थशास्त्र आवश्यकताओं की पूर्ति को बढ़ावा देता है और सामाजिक कल्याण का समर्थन करता है। इसके विपरीत, जब बाजार में कपट, शोषण और केवल लाभ कमाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, तो वह अर्थशास्त्र अनीतिशास्त्र बन जाता है। यह भेद इस अध्याय का एक महत्वपूर्ण दार्शनिक पहलू है, जिसे समझने पर उच्च अंक मिल सकते हैं।
6. CBSE बोर्ड परीक्षा 2025-26 के लिए 'बाजार दर्शन' से किस प्रकार के मूल्यपरक (HOTS) प्रश्न पूछे जा सकते हैं?
'बाजार दर्शन' से उच्च स्तरीय चिंतन कौशल (HOTS) वाले प्रश्न पूछे जा सकते हैं, जैसे:
- "बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता; वह सिर्फ ग्राहक की क्रय शक्ति को देखता है।" इस कथन के आधार पर बाजार की सकारात्मक और नकारात्मक भूमिका की विवेचना करें।
- क्या आप मानते हैं कि आज का ऑनलाइन शॉपिंग का दौर 'बाजार दर्शन' में वर्णित 'बाजार के जादू' का ही एक आधुनिक रूप है? तर्क सहित उत्तर दें।
7. लेखक के अनुसार बाजार को सार्थकता कौन लोग देते हैं और कैसे?
लेखक के अनुसार, बाजार को सार्थकता वे लोग देते हैं जो अपनी आवश्यकताओं को स्पष्ट रूप से जानते हैं और केवल उन्हीं चीजों को खरीदते हैं जिनकी उन्हें सच में जरूरत है। भगत जी जैसे ग्राहक, जो बाजार के आकर्षण में नहीं फँसते और केवल अपनी जरूरत का सामान (जैसे जीरा) खरीदते हैं, वे ही बाजार के सही उद्देश्य को पूरा करते हैं। ऐसे ग्राहक बाजार में सद्भाव और आवश्यकता-पूर्ति को बढ़ावा देते हैं।
8. 'मन खाली हो' और 'मन बंद हो' में क्या अंतर है? 'बाजार दर्शन' के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण वैचारिक प्रश्न क्यों है?
यह एक सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण अंतर है। 'मन खाली हो' का अर्थ है जब व्यक्ति को अपनी जरूरतों का ठीक-ठीक पता न हो और वह निर्णयहीन अवस्था में बाजार जाए। ऐसा व्यक्ति बाजार के जादू का शिकार हो जाता है। वहीं, 'मन बंद हो' का अर्थ है सभी इच्छाओं को समाप्त कर लेना, जो कि संभव नहीं है और यह शून्यता की ओर ले जाता है। लेखक सलाह देते हैं कि मन बंद नहीं, बल्कि भरा हुआ (लक्ष्य-केंद्रित) होना चाहिए। यह प्रश्न छात्रों की वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए महत्वपूर्ण है।

















