Class 7 Hindi Dadi Maa Worksheets
FAQs on Class 7 Hindi Dadi Maa Worksheets
1. 'दादी माँ' पाठ के आधार पर दादी माँ के स्वभाव और चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं जो परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं?
दादी माँ के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ, जो CBSE 2025-26 परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, इस प्रकार हैं:
- स्नेह और देखभाल: वह लेखक से बहुत प्यार करती थीं और उनकी बीमारी में दिन-रात उनकी सेवा करती थीं।
- पारंपरिक ज्ञान: उन्हें गाँवों में उपयोग होने वाली पचासों किस्म की घरेलू दवाओं के नाम याद थे, जो उनके गहरे अनुभव को दर्शाता है।
- धार्मिक प्रवृत्ति: वह हमेशा पूजा-पाठ में लगी रहती थीं और ईश्वर में उनकी गहरी आस्था थी।
- कठोर अनुशासन और कोमल हृदय: रामी की चाची को पैसे के लिए डाँटने के बावजूद, उन्होंने उसकी बेटी की शादी में आर्थिक मदद की, जो दिखाता है कि वह बाहर से कठोर पर अंदर से दयालु थीं।
- संकटमोचक और त्यागमयी: दादाजी की मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर उन्होंने अपने कंगन बेचकर परिवार को संकट से उबारा, जो उनके त्याग को दर्शाता है।
2. लेखक के बीमार पड़ने पर दादी माँ उनकी देखभाल कैसे करती थीं? इससे उनके प्रति कैसा लगाव प्रकट होता है?
जब लेखक बीमार पड़ते थे, तो दादी माँ उनकी देखभाल पूरी लगन से करती थीं। वह दिन में कई बार उनके माथे और पेट को छूकर बुखार का अनुमान लगाती थीं। वह उन्हें दालचीनी और मेथी के दानों का लेप लगाती थीं और उनकी बीमारी दूर करने के लिए विशेष प्रकार की खिचड़ी बनवाती थीं। इन सभी कार्यों से लेखक के प्रति दादी माँ का गहरा लगाव, चिंता और निस्वार्थ प्रेम प्रकट होता है। यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जो उनके वात्सल्यपूर्ण स्वभाव को दर्शाता है।
3. दादाजी की मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति क्यों खराब हो गई थी और दादी माँ ने इस संकट को कैसे संभाला?
दादाजी की मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति इसलिए खराब हो गई क्योंकि लेखक के पिताजी ने दादाजी के श्राद्ध में बहुत अधिक धन खर्च कर दिया था। इसके अलावा, कुछ मुँह में राम बगल में छुरी वाले दोस्तों ने भी उधार के नाम पर धोखा दिया था। इस मुश्किल परिस्थिति में, दादी माँ ने धैर्य नहीं खोया। उन्होंने दादाजी द्वारा दिए गए सोने के कंगन, जो उनकी आखिरी निशानी थी, संदूक से निकालकर पिताजी को दिए ताकि वे कर्ज चुका सकें। इस तरह उन्होंने अपने त्याग से परिवार को संकट से बाहर निकाला।
4. रामी की चाची वाली घटना से दादी माँ के स्वभाव के कौन-से विरोधाभासी पहलू उजागर होते हैं? विस्तार से समझाइए।
रामी की चाची वाली घटना दादी माँ के स्वभाव के दो विपरीत पहलुओं को एक साथ दर्शाती है।
- कठोर और अनुशासनप्रिय पहलू: जब रामी की चाची उधार लिए पैसे वापस नहीं कर पा रही थी, तो दादी माँ ने उसे बुरी तरह डाँटा। यह दर्शाता है कि वह हिसाब-किताब और वचन की पक्की थीं।
- दयालु और कोमल हृदय पहलू: बाद में जब उन्हें पता चला कि रामी की चाची की बेटी की शादी है और उसके पास पैसे नहीं हैं, तो उन्होंने न केवल उसका पिछला कर्ज माफ कर दिया, बल्कि उसे अतिरिक्त पैसे भी दिए।
यह घटना दिखाती है कि दादी माँ बाहर से कठोर और अनुशासनप्रिय दिखते हुए भी अंदर से अत्यंत दयालु और भावुक थीं।
5. लेखक ने अपनी दादी माँ को “शापभ्रष्ट देवी-सी” क्यों कहा है? इस कथन का क्या आशय है?
लेखक द्वारा दादी माँ को “शापभ्रष्ट देवी-सी” कहना एक बहुत गहरा कथन है। इसका आशय यह है कि दादी माँ में देवी जैसे गुण थे—जैसे स्नेह, करुणा, त्याग और सबकी रक्षा करना। लेकिन, उन्होंने जीवन में बहुत दुःख और कष्ट झेले, मानो किसी देवी को श्राप देकर धरती पर दुःख भोगने के लिए भेज दिया गया हो। वह अपने गुणों से तो देवी थीं, पर उनकी परिस्थितियाँ किसी शापित व्यक्ति जैसी थीं। यह कथन उनके पवित्र और महान चरित्र के साथ-साथ उनके द्वारा सहे गए दुःखों को भी प्रकट करता है।
6. 'दादी माँ' कहानी हमें क्या संदेश देती है? यह पाठ छात्रों में किन जीवन मूल्यों को विकसित करने में सहायक है?
'दादी माँ' कहानी मुख्य रूप से यह संदेश देती है कि हमें अपने परिवार के बड़ों का सम्मान करना चाहिए और उनके अनुभवों से सीखना चाहिए। यह पाठ छात्रों में निम्नलिखित महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों को विकसित करता है:
- पारिवारिक बंधन का महत्व: कहानी बताती है कि परिवार ही हर सुख-दुःख में हमारा सहारा होता है।
- त्याग और निस्वार्थ प्रेम: दादी माँ के चरित्र से हम सीखते हैं कि कैसे अपने परिवार के लिए बिना किसी स्वार्थ के त्याग किया जाता है।
- कठिन परिस्थितियों में धैर्य: दादी माँ ने आर्थिक संकट के समय भी धैर्य नहीं खोया, जो एक महत्वपूर्ण सीख है।
- मानवीय संवेदनाएँ: दूसरों के दुःख को समझना और उनकी मदद करना, जैसा दादी माँ ने रामी की चाची के साथ किया।

















