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NCERT Solutions for Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 5 Rahim Ke Dohe (रहीम के दोहे)

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NCERT Solutions for Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 5 Rahim Ke Dohe (अब्दुर्रहीम खानखाना) - FREE PDF Download

NCERT Solutions for CBSE Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 5 'Rahim Ke Dohe' written by  Abdurrahim Khan-i-Khana, provides an in-depth understanding of Rahim’s timeless couplets. This chapter from the CBSE Class 6 Hindi Syllabus introduces students to the wisdom and values embedded in Rahim's poetry. Each doha reflects life lessons, encouraging students to think deeply about relationships, humility, and virtues.


Our Class 6 Hindi Malhar NCERT Solutions for Chapter 5 are designed to simplify these teachings, helping students understand their meanings effortlessly. With these solutions, you can enhance your understanding of Rahim’s couplets and excel in your exams.

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पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही (सटीक) उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए—

प्रश्न 1. “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल। आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल।” दोहे का भाव है-

  • सोच-समझकर बोलना चाहिए।

  • मधुर वाणी में बोलना चाहिए।

  • धीरे – धीरे बोलना चाहिए।

  • सदा सच बोलना चाहिए।

उत्तर: सोच-समझकर बोलना चाहिए।


प्रश्न 2. “रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि । जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।” इस दोहे का भाव क्या है?

  • तलवार सुई से बड़ी होती है।

  • सुई का काम तलवार नहीं कर सकती।

  • तलवार का महत्व सुई से ज्यादा है।

  • हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।

उत्तर: हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।


(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने यही उत्तर क्यों चुने?

उत्तर: मैंने "सोच-समझकर बोलना चाहिए" उत्तर इसलिए चुना क्योंकि रहीम के इस दोहे का अर्थ है कि बिना सोचे-समझे बोले गए शब्द कभी-कभी अनजाने में बड़ी परेशानी या नुकसान का कारण बन सकते हैं। जिह्वा (जीभ) को बावरी (पागल) कहा गया है क्योंकि यह बिना सोचे कुछ भी बोल सकती है, जिससे परिणामस्वरूप कभी-कभी अपमान या कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यह दोहा हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अपने शब्दों को ध्यान से चुनना चाहिए और सोच-समझकर बोलना चाहिए ताकि किसी को दुःख या हानि न पहुँचे।


मिलकर करें मिलान

पाठ में से कुछ दोहे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके भाव स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही भाव से मिलान कीजिए।


स्तंभ 1 (Dohe)

स्तंभ 2 (भाव)

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

प्रेम या रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए।

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बुरीता। बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।

सच्चे मित्र विपत्ति या विपदा में भी साथ रहते हैं।

तुकार फल नहीं खात हैं, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति साँचिब सुमान।

सज्जन परहित के लिए ही संपत्ति संचय करते हैं।



उत्तर:

स्तंभ 1 (Dohe)

स्तंभ 2 (भाव)

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

सज्जन परहित के लिए ही संपत्ति संचय करते हैं।

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बुरीता। बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।

सच्चे मित्र विपत्ति या विपदा में भी साथ रहते हैं।

तुकार फल नहीं खात हैं, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति साँचिब सुमान।

प्रेम या रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए।



पंक्तियों पर चर्चा

नीच दिए गए दोहों पर समूह में चर्चा कीजिए और उनके अर्थ या भावार्थ अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए –

(क) “रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ।। ”

उत्तर: इस दोहे का अर्थ है कि छोटी और अस्थायी विपत्तियाँ जीवन में अच्छी होती हैं क्योंकि वे हमें सच्चे मित्र और शत्रु की पहचान करने का अवसर देती हैं। विपत्ति के समय ही यह पता चलता है कि कौन हमारा सच्चा हितैषी है और कौन केवल दिखावा करता है। यह कठिन समय हमें जीवन के असली अनुभव देता है।


(ख) “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल।

आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल ।”

उत्तर: इस दोहे का भाव यह है कि जीभ को सोच-समझकर चलाना चाहिए क्योंकि अनियंत्रित और असावधान वाणी से बड़ी परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं। गलत बोले गए शब्द दूसरों को दुख पहुँचाते हैं और कभी-कभी खुद के लिए भी अपमानजनक स्थिति उत्पन्न कर देते हैं। इसलिए वाणी पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है।


सोच-विचार के लिए

दोहों को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

प्रश्न 1.
“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।”

(क) इस दोहे में ‘मिले’ के स्थान पर ‘जुड़े’ और ‘छिटकाय’ के स्थान पर ‘चटकाय’ शब्द का प्रयोग भी लोक में प्रचलित है। जैसे—
“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय ।।”
इसी प्रकार पहले दोहे में ‘डारि’ के स्थान पर ‘डार’, ‘तलवार’ के स्थान पर ‘तरवार’ और चौथे दोहे में ‘’मानुष’ के स्थान पर ‘मानस’ का उपयोग भी प्रचलित हैं। ऐसा क्यों होता है?

उत्तर: भाषा में ऐसे शब्दों के परिवर्तन का कारण क्षेत्रीयता और बोलचाल की विविधता है। अलग-अलग क्षेत्रों में लोग अपनी स्थानीय बोली, उच्चारण और प्रचलन के अनुसार शब्दों का प्रयोग करते हैं। जैसे, "छिटकाय" के स्थान पर "चटकाय" या "डारि" के स्थान पर "डार" का उपयोग उन क्षेत्रों में प्रचलित है जहाँ उच्चारण सरलता और संक्षेप में बोलने का रिवाज अधिक है।


इसके अतिरिक्त, समय के साथ भाषा में भी बदलाव आता है। लोकभाषा और साहित्यिक भाषा में अंतर होने के कारण भी ऐसे परिवर्तन होते हैं। रहीम के दोहों का उद्देश्य सरलता और लोगों तक संदेश पहुँचाना था, इसलिए उनके दोहे समय और स्थान के हिसाब से अनुकूल हो गए। इन परिवर्तनशील शब्दों के बावजूद, दोहों का मूल भाव और अर्थ वही रहता है।


(ख) इस दोहे में प्रेम के उदाहरण में धागे का प्रयोग ही क्यों किया गया है? क्या आप धागे के स्थान पर कोई अन्य उदाहरण सुझा सकते हैं? अपने सुझाव का कारण भी बताइए।

उत्तर: इस दोहे में प्रेम के उदाहरण के लिए धागे का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि धागा बहुत नाजुक होता है, जैसे प्रेम का रिश्ता। यदि इसे तोड़ा या झटके से खींचा जाए, तो यह टूट जाता है और इसे फिर से जोड़ने पर गाँठ पड़ जाती है। इसी तरह, प्रेम और रिश्तों में अगर दरार आ जाए, तो उसे ठीक करना मुश्किल होता है, और यदि ठीक हो भी जाए, तो पहले जैसा नहीं रहता।


धागे के स्थान पर अन्य उदाहरण: धागे के स्थान पर "मिट्टी के बर्तन" का उदाहरण दिया जा सकता है। जैसे एक मिट्टी का बर्तन यदि टूट जाए, तो उसे जोड़ना मुश्किल होता है, और यदि जोड़ भी दिया जाए, तो वह कमजोर हो जाता है।


सुझाव का कारण: मिट्टी के बर्तन का उदाहरण इसलिए उपयुक्त है क्योंकि यह भी प्रेम की तरह नाजुक और संवेदनशील होता है। यह दिखाता है कि रिश्तों में यदि सावधानी न बरती जाए, तो वे आसानी से टूट सकते हैं। धागे और मिट्टी के बर्तन दोनों प्रेम और रिश्तों की नाजुकता को समझाने में कारगर हैं।


प्रश्न 2.

“तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिँ न पान ।

कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।”

इस दोहे में प्रकृति के माध्यम से मनुष्य के किस मानवीय गुण की बात की गई है? प्रकृति से हम और क्या-क्या सीख सकते हैं?

उत्तर: प्रकृति के माध्यम से इस दोहे में मनुष्य के इस मानवीय गुण की बात की गई है कि जैसे पेड़ अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल ग्रहण नहीं करते। ऐसे ही सज्जन धन का संचय स्वयं के लिए न करके दूसरों की भलाई के लिए करते हैं। प्रकृति से हम और गुण भी सीख सकते हैं। जैसे-

  • नदियों के जल की भाँति निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।

  • जिस प्रकार तपती गरमी से बचाने के लिए वृक्ष छाया देते हैं, वैसे ही दूसरों के कठिन समय में हमें उनकी मदद करनी चाहिए।

  • फूलों की भाँति अपने अच्छे कार्यों की सुगंध चारों ओर बिखेरनी चाहिए।

  • सूरज की भाँति अच्छे कार्य करने पर अपना नाम जग में चमकाना चाहिए।

  • चाँद की चाँदनी की ठंड कला की भाँति अपने विचारों से सबको प्रभावित करना चाहिए।

  • पर्वतों की भाँति अपने विचारों को दृढ़ रखना चाहिए।

  • सागर की भाँति अपने हृदय को विशाल बनाना चाहिए। जीवन में अच्छी-बुरी जिन भी घटनाओं का सामना हो उन्हें गहराई से अपने अंदर समेटना चाहिए।


शब्दों की बात

हमने शब्दों के नए-नए रूप जाने और समझे। अब कुछ करके देखें-


  • शब्द-संपदा

कविता में आए कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इन शब्दों को आपकी मातृभाषा में क्या कहते हैं? लिखिए।


कविता में आए शब्द

मातृभाषा में समानार्थक शब्द

तरुवर


विपत्ति


छिटकाय


सुजान


सरवर


साँचे


कपाल




उत्तर:

कविता में आए शब्द

मातृभाषा में समानार्थक शब्द

तरुवर

पेड़

विपत्ति

कष्ट

छिटकाय

तोड़ना

सुजान

सज्जन

सरवर

तालाब



विशेष- विद्यार्थी अपनी-अपनी मातृभाषा के शब्द भी लिख सकते हैं।

  • शब्द एक अर्थ अनेक

“रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।”

इस दोहे में ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ हैं— सम्मान, जल, चमक।

इसी प्रकार कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। आप भी इन शब्दों के तीन-तीन अर्थ लिखिए। आप इस कार्य में शब्दकोश, इंटरनेट, शिक्षक या अभिभावकों की सहायता भी ले सकते हैं।

कल – ________, _________, _________
उत्तर: कल – आने वाला कल, चैन या शांति, पुर्जा/मशीन


पत्र – ________, _________, _________
उत्तर: पत्र – पत्ता, चिट्ठी, दल


कर – ________, _________, _________
उत्तर: कर – हाथ, टैक्स, किरण


फल – ________, _________, _________
उत्तर: फल – परिणाम, एक खाने का फल (आम), हल का अग्र भाग


पाठ से आगे

आपकी बात

“रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि ।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि ॥”

इस दोहे का भाव है— न कोई बड़ा है और न ही कोई छोटा है। सबके अपने-अपने काम हैं, सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्ता है। चाहे हाथी हो या चींटी, तलवार हो या सुई, सबके अपने-अपने आकार-प्रकार हैं और सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्व है। सिलाई का काम सुई से ही किया जा सकता है, तलवार से नहीं। सुई जोड़ने का काम करती है जबकि तलवार काटने का। कोई वस्तु हो या व्यक्ति, छोटा हो या बड़ा, सबका सम्मान करना चाहिए।

अपने मनपसंद दोहे को इस तरह की शैली में अपने शब्दों में लिखिए | दोहा पाठ से या पाठ से बाहर का हो सकता है।
उत्तर: रहीमदास जी कहते हैं कि सच्चे महान लोग अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते। उनके कार्य और उपलब्धियाँ ही उनके बड़प्पन और कौशल को प्रदर्शित करते हैं। जैसे हीरा, चाहे कितना भी कीमती क्यों न हो, अपनी कीमत के बारे में स्वयं कुछ नहीं कहता। उसी प्रकार, हमें भी अपने गुणों और क्षमताओं को स्वयं उजागर करने की आवश्यकता नहीं है। हमारे कार्य ही हमारे व्यक्तित्व और काबिलियत को दर्शाने के लिए पर्याप्त होते हैं। उदाहरण के लिए, एक कुशल खिलाड़ी अपने खेल से, बावर्ची अपने स्वादिष्ट व्यंजनों से, नर्तक अपने नृत्य से, गायक अपने मधुर गायन से और एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी अपने उत्कृष्ट परिणामों से पहचाना जाता है।


आज की पहेली

1. दो अक्षर का मेरा नाम, आता हूँ खाने के काम

उल्टा होकर नाच दिखाऊँ, मैं क्यों अपना नाम बताऊँ।

उत्तर: चना |


2. एक किले के दो ही द्वार, उनमें सैनिक लकड़ीदार

टकराएँ जब दीवारों से, जल उठे सारा संसार।

उत्तर: माचिस |


खोजबीन के लिए

रहीम के कुछ अन्य दोहे पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।


Conclusion

The NCERT Solutions for CBSE Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 5 Rahim Ke Dohe by Abdurrahim Khan-i-Khana provides a clear understanding of Rahim’s meaningful couplets. These solutions help students understand the life lessons and values Rahim conveyed through his poetry, such as humility, kindness, and the importance of thoughtful speech. With easy explanations and simple language, students can appreciate the timeless wisdom in these dohas. By studying these, children not only improve their knowledge of literature but also learn moral values that can guide them in real life. These solutions make learning enjoyable, interactive, and impactful for young learners.


Important Study Material Links for Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 5 - Rahim Ke Dohe

S.No. 

Important Study Material Links for Chapter 3

1.

Class 6 Rahim Ke Dohe Important Questions

2.

Class 6 Rahim Ke Dohe Notes



Chapter-wise NCERT Solutions Class 6 Hindi (Malhar)

After familiarising yourself with the Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 5 Solutions, you can access comprehensive NCERT Solutions for all Chapters in Class 6 Hindi (Malhar).




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FAQs on NCERT Solutions for Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 5 Rahim Ke Dohe (रहीम के दोहे)

1. What are NCERT Solutions for Class 6 Hindi (Malhar) Chapter 5 Rahim Ke Dohe?

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 Rahim Ke Dohe are detailed answers to the questions in the textbook. They help students understand the meaning of Rahim’s dohas and their moral lessons easily.

2. How do NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 Rahim Ke Dohe help in exams?

These solutions from Vedantu simplify the explanations of dohas, helping students write accurate and meaningful answers in exams. They focus on key concepts and themes from the chapter.

3. What is the main message of Chapter 5 Rahim Ke Dohe in Class 6 Hindi?

The main message is to adopt values like humility, kindness, and thoughtful speech. The dohas highlight how good behaviour and wise actions can improve relationships and life.

4. Can Vedantu’s NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 help in understanding the dohas better?

Yes, Vedantu’s NCERT Solutions explain the meaning of each doha in simple words, making it easy for students to grasp their deeper lessons and apply them in daily life.

5. Are Vedantu’s NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 reliable?

Yes, Vedantu’s solutions are prepared by experts according to the NCERT guidelines, ensuring they are accurate, easy to understand, and exam-friendly.

6. What is the best way to learn Chapter 5 Rahim Ke Dohe from Class 6 Hindi?

The best way is to read the chapter carefully, understand the dohas with the help of NCERT Solutions from Vedantu, and discuss them with teachers or friends to grasp their practical meaning.

7. What kind of values can students learn from Chapter 5 रहीम के दोहे in Class 6 Hindi?

रहीम के दोहे से छात्र जीवन के कई महत्वपूर्ण मूल्यों को सीख सकते हैं। यह अध्याय विनम्रता, सोच-समझकर बोलने, रिश्तों की अहमियत और निःस्वार्थता जैसे गुणों को समझाता है। रहीम के दोहे हमें सिखाते हैं कि हर व्यक्ति और वस्तु की अपनी महत्ता होती है और हमें सभी का सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा, यह अध्याय सही समय पर सही कार्य करने और दूसरों की मदद करने की प्रेरणा भी देता है।

8. How can Vedantu’s NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 improve moral understanding?

By explaining the morals behind each doha, Vedantu’s solutions help students learn important values like respect, patience, and the importance of thoughtful actions.

9. How does Rahim emphasize the importance of relationships in Chapter 5 रहीम के दोहे?

रहीम अपने दोहे में कहते हैं कि रिश्ते बेहद नाज़ुक होते हैं और उन्हें संभालकर रखना चाहिए। जैसे "रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।" इस दोहे में प्रेम को धागे के समान बताया गया है, जो एक बार टूट जाने पर फिर से जुड़ तो सकता है, लेकिन उसमें गाँठ पड़ जाती है। इसलिए रिश्तों में हमेशा मधुरता और संयम बनाए रखना चाहिए।

10. Are Vedantu’s NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 helpful for revision?

Yes, these solutions are perfect for quick revision as they summarize the meaning and lessons of all the dohas, helping students recall important points effectively before exams.