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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 13 - Pahelwan Ki Dholak

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Class 12 Hindi NCERT Solutions for Aroh Chapter 13 Pahelwan ki Dholak

NCERT solution for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 Pahalwan ki dholak has been meticulously prepared by subject matter experts at Vedantu. Their tremendous experience in designing solutions for Hindi chapters makes it very easy for students to go through and understand any difficult topic. NCERT solutions Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 given by this team of scholars is a valuable resource for Class 12th students in their preparations for CBSE board exams.


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Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Hindi

Subject Part:

Hindi Part 4 - Aroh

Chapter Name:

Chapter 13 - Pahelwan Ki Dholak

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

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  • Important Questions

  • Revision Notes

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Access NCERT solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter - पहलवान की ढोलक

1. कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव पेंच मे क्या तालमेल था। पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज में आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।

उत्तर: कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव पेंच में एक गुरु और शिष्य के समान तालमेल था। ढोलक के हर दाँव में लुट्टन को कुछ नया सीखने को मिलता था । ढोलक की आवाज से हमारा मन उत्साहित हो जाता है, हमारे अंदर एक जोश आ जाता है।

1.चट्ट धा, गिर  धा -----आ जा भीड़  जा 

2.चटाक्क चट्ट धा ------ उठाकर पटक  दे 

3.ढाक्क ढिना ----------वाह  पट्ठे 

4.चट्ट  गिड धा ---------मत  डरना 

5.धिक  धिना ----------चित  करो 

 

2. कहानी के किस किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर: 

कहानी ने लुट्टन के जीवन में कई परिवर्तन लाये -  

1.बचपन में ही लुट्टन का अनाथ हो जाना यह उसके जीवन का सबसे बड़ा परिवर्तन था।

2. गांव के लोगों द्वारा उसकी सास को तकलीफ देने से उसमे बदले की भावना का उत्पन्न  होना और पहलवान बनना।

3. गांव के अनेक नामी पहलवानों (चांद सिंह, काले खां)को पीछे पछाड़ कर अपना नाम कमाना और एक राज पहलवान बनना।

4. अपनी पत्नी की मृत्यु का दुख और बेटों के पालन पोषण की जिम्मेदारी संभालना।

5. 15 वर्षों के अंतराल के बाद राजा साहब का गुजर जाना और नए राजा के आने से उन्हें अपने गांव जाना, यह भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी क्योंकि अब अपनी ढोलक के द्वारा ही रोजी-रोटी चलाते थे।

6. महामारी की चपेट में उनके दोनों बेटों की मृत्यु होना।

 

3. लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोलक है?

उत्तर: लुट्टन ने पहलवानी कभी किसी गुरु से नहीं सीखी क्योंकि उसे कभी जरूरत नहीं पड़ी। वह ढोलक की थाप सुनते ही जोश में भर जाता था और जैसे-जैसे ढोलक बजती वह भी वैसे ही दाँव पेंच लगाता था। मानो लगातार ढोलक उसे सिखा रही हो। तभी उसने कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं यही ढोलक है।

 

4. गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान का ढोलक क्यों बजता रहता?

उत्तर: गाँव में सूखे और महामारी के कारण  चारों और निराशा फैली हुई थी। पहलवान नहीं चाहता था कि गांव में कोई भी अपने सगे संबंधी की मृत्यु पर दुखी हो, ढोलक की आवाज सुनकर गांव के लोगों के अंदर उत्साह उत्पन्न हुआ, वे जागृत  हुए। वास्तव में पहलवान की ढोलक ने गांव वालों को जीने का मतलब सिखाया। इससे बेटों की अकाल मृत्यु का दुख भी कम हो गया इसलिए पहलवान का ढोलक बजता रहा।

 

5. ढोलक की आवाज का पूरे गांव पर क्या असर होता था?

उत्तर: महामारी को झेलते हुए ग्रामीण लोगों पर ढोलक कुछ इस प्रकार असर छोड़ती थी। वह गांव के अर्धमृत,औषधि- उपचार -पथये-विहीन प्राणियों में संजीवनी शक्ति भर देती थी,बूढ़े –बच्चे –जवानों  की शक्तिहीन आंखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता था, स्पन्दन--- शक्ति –शून्य स्नायुओ में भी बिजली दौड़ जाती थी। भले ही ढोलक में बुखार हटाने का कोई गुण न था और ना ही महामारी का सर्वनाश करने का लेकिन मरते हुए प्राणियों को आंख मूदते समय कोई तकलीफ नहीं होती थी। वो मृत्यु से भी डरते नहीं थे।

 

6. महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?

उत्तर: महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में बहुत अंतर था । सूर्योदय के समय सभी लाशों को जलाने के लिए जाते थे, अपने पड़ोसियों और आत्मीयों को हिम्मत देते थे। किंतु सूर्यास्त होते ही लोग अपनी-अपनी झोपड़ियों में घुस जाते थे। उसके बाद कोई चूँ की आवाज भी नहीं आती थी, धीरे-धीरे उनकी बोलने की शक्ति भी जाती रहती थी । पास में दम तोड़ते पुत्र को अंतिम बार ‘बेटा’ कहकर पुकारने की भी हिम्मत माताओं में नहीं होती थी। रात्रि में सिर्फ पहलवान की ढोलक ही महामारी को चुनौती देती थी।

 

7. कुश्ती का दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा लोगों के द्वारा विशेष सम्मान दिया जाता था-

1. ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं होती है?

2. इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?

3. कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?

उत्तर:   

(क) कुश्ती,दंगल और पहलवानी राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था, यही उनके मनोरंजन का भी साधन था। लेकिन अब राजतंत्र की जगह लोकतंत्र ने ले ली है और मनोरंजन के भी कई साधन आ चुके हैं इसलिए अब ऐसी स्थिति नहीं है।

(ख) कुश्ती और दंगल जैसे खेलों की जगह अब बॉक्सिंग, बैडमिंटन,वॉलीबॉल, फुटबॉल, टेबल टेनिस,शतरंज आदि खेलों ने ले ली है।

(ग) कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कुश्ती की प्रतियोगिताएं कराई जा सकती है । सरकार द्वारा कई स्कीम्स भी निकाली जा सकती है जिससे बच्चों की उसमें दिलचस्पी बढ़े।

 

आशय स्पष्ट करें 

8. आकाश से टूटकर यदि कोई भाग तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी अन्य तारे उसकी भावुकता तथा और सफलता पर खिलखिला कर हंस पड़ते थे?

उत्तर: लेखक यहाँ गाँव की असहनीय परिस्थिति  को बताता है। वह कहना चाहते हैं कि इस महामारी काल में कोई भी उस गाँव की रक्षा करने वाला नहीं है। ग्रामीणों की पीड़ा से प्रकृति भीं दुखी हैं। इसलिए आकाश  में भीं निस्तब्धता छाई हुई है। यदि कोई तारा आकर इनके दुख को समेटना भी चाहता है तो वह बीच में ही विलीन हो जाता है, वह पृथ्वी पर पहुंच नहीं पाता है। तथा अन्य सभी तारे उस तारे की इस स्थिति पर उसका मजाक उड़ाते हैं।

 

9. पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए?

उत्तर:

1. अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी- लेखक ने यहाँ रात का मानवीकरण किया है। ठण्ड  में पड़ रही ओस आंसू के समान प्रतीत होती हैं। ऐसा लगता है कि गाँव वालो कि पीड़ा  पर रात आँसू बहा रही हो।

2. तारे उसकी भावुकता तथा और असफलता  पर खिलखिला पड़ते थे- लेखक ने यहाँ भावुक और झिलमिलाते तारों का मानवीकरण किया है। वे कहते हैं कि जब भी कोई भावुक तारा ग्रामीण का दृश्य देखकर टूटता है तो वह बीच रास्ते में ही विलीन हो जाता है और सभी तारे उसकी असफलता पर खिलखिला कर हंस पड़ते हैं, वे उस का मजाक उड़ाते हैं।

 

10. पाठ में मलेरिया और हैज़े से पीड़ित गांव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आप किसी ऐसी अन्य आपदा  स्थिति की कल्पना करें और लिखें कि आप ऐसी स्थिति का सामना कैसे करेंगे?

उत्तर: इस पाठ में लेखक फणीश्वर नाथ रेणु ने मलेरिया और हैजा से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति का वर्णन किया है आजकल कोरोनावायरस जैसी बीमारी ने आम जनता को घेर रखा है। ऐसी स्थिति में मैं सबको निम्नलिखित कार्य करने की सलाह दूंगी 

1.लोगो को कोरोनावायरस के बारे में बताउंगी उन्हें जागरूक करने की कोशिश  करूंगी।

2.लोगो को इलाज़ करवाने की सलाह दूँगी।

3.जुखाम  और बुखार वाले रोगियों को मास्क लगाने और दुरी रखने के बारे में बताउंगी।

4.घर से बाहर कम  निकलने की सलाह दूँगी।

 

11. ढोलक की थाप मृत गांव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी। कला से जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिए?

उत्तर: कला और जीवन दोनों एक दूसरे के पूरक  हैं, दोनों का गहरा  सम्बन्ध  है। कला ही है जिसमें मानव मन में संवेदनाएं उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़ने, अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता है। कला व्यक्ति के मन में बसी हुई स्वार्थ परिवार धर्म आदि की सीमाओं को मिटा कर मानव मन को व्यापकता प्रदान करती है। मानव कला के हर एक रुप काव्य, संगीत, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला, स्थापत्य कला और रंगमंच से अटूट संबंध है।

 

12. चर्चा करें कलाओं का अस्तित्व व्यवस्था का मोहताज नहीं है?

उत्तर: कला व्यवस्था से नहीं फलती फूलती। वह कलाकार की मेहनत और समर्पण पर निर्भर करती है। यदि कोई कलाकार अपनी कला के लिए उत्सुक नहीं है, समर्पण नहीं है तो वह कुछ दिनों बाद जनता के द्वारा भुला दिया जाएगा और उसकी कला का कोई महत्व नहीं रहेगा।

 

13. हर विषय क्षेत्र परिवेश आदि के कुछ विशिष्ट शब्द होते हैं।पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली का बहुतायत प्रयोग हुआ है। उन शब्दों की सूची बनाइए साथ ही नीचे दिए गए क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले कोई पांच पांच शब्द बताइए-

  •  चिकित्सा

  •  क्रिकेट

  •  न्यायालय

  •  या अपनी मनपसंद का कोई क्षेत्र 

उत्तर: 

1. कुश्ती: दंगल, अखाड़ा, दाँव पेंच, चित-पट, धोबी पछाड़।

2. चिकित्सा: एक्स-रे, इंजेक्शन, सीटी स्कैन, नर्स।

3. क्रिकेट: बैट, बॉल, प्ले ग्राउंड, अंपायर, विकेट,

5. न्यायालय: वकालतनामा, जज, वकील, अपील, आरोपी, गवाह।

6. शिक्षा: स्कूल, पुस्तक, अध्यापक, पेंसिल, कलम।

 

14. पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न केवल भाषाई सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है बल्कि कथ्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों ,वाक्यांशों के स्थान पर किसी अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवत: वह अर्थ गत चमत्कार और भाषिक सुंदर उद्घाटित न हो सके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं?

  • हर बार की तरह उस पर टूट पड़ा।

  • राजा साहब की स्नेह दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चांद लगा दिए।

  • पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।

  • इन विशिष्ट भाषा प्रयोगों का प्रयोग करते हुए एक अनुच्छेद लिखिए  

उत्तर: एक गांव में मलखान नाम का पहलवान रहता था जिसके गांव में बहुत चर्चे थे। कोई भी पहलवान उसके सामने आने से डरता था ।एक दिन वह शहर की तरफ रवाना होता है जहाँ उसकी मुलाकात बिल्लू पहलवान से होती है। बिल्लू मलखान को अखाड़े में बुलाता है । मलखान उस पर बाज़ की तरह टूट पड़ता है। मलखान की जीत ने राजा साहब की स्नेह दृष्टि से उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए। राजा साहब ने उसे राज पहलवान बना दिया। जिससे पहलवान मलखान की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो गई थी। फिर पहलवान ने शादी कर ली। शादी के दो साल बाद उसकी स्त्री ने दो पहलवानों को जन्म दिया और स्वर्ग सिधार गई।

 

15. जैसे क्रिकेट की कमेंट्री की जाती है वैसे ही कुश्ती की कमेंट्री की जाती है आपको दोनों में  क्या समानता और अंतर दिखाई पड़ता है?

उत्तर:   

1. क्रिकेट में बल्लेबाजी, गेंदबाजी, क्षेत्ररक्षण का वर्णन होता है जबकि कुश्ती में दांवपेच का वर्णन होता है।

2. क्रिकेट मैच में स्कोर बताया जाता है तथा कुश्ती में चित पट  गिने जाते हैं।

3. क्रिकेट की कमेंट्री शांति के साथ की जाती है, लेकिन कुश्ती की कमेंट्री उत्तेजकता  के साथ की जाती है ताकि पहलवानों में जोश पैदा हो सके।

 

NCERT Solutions for Class 12 Hindi – Free PDF Download

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Chapter 13 – Fanishwar Nath Renu

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 13

Fanishwar Nath Renu was born on March 4, 1921, in the Purnia district of Bihar state, and died on April 11, 1977, in Patna, Bihar. His life was full of ups and downs, and he actively participated in political and social movements in addition to being a writer. He became one of the first Hindi authors to focus on regional or zonal lifestyles. His classic work "Maila Aanchal" (dirty veil) was released in 1954 and changed the course of Hindi literature. He popularised rural life, folk tunes, and villager's vernacular. His painting reflects rural life in its unrefined state.

 

His creations have put light on the many problems and issues that were prevalent in villages in his time. On the one hand, he worked towards creating a new nation with his movements, and on the other side, he gave new dimensions to the creative literary world. He is one of the few writers who bring music and poetry even in prose form.

 

One of the stories which represent and express his special form of writing is “Pahalwan ki dholak” (Wrestler’s drum). It is the tale of how folk art has become extinguished with modernism, and in the name of development, the old traditional systems have been totally eradicated. It depicts how new “India” has overshadowed the “Bharat” that it was.

 

The story is about a wrestler, Lutan Singh Pehalwan. He became an orphan at a very young age of 9 years and was married at that time. Hence his mother-in-law took care of him, but villagers tortured her as they belonged to the lower caste. Due to this, Lutan started learning wrestling at a very young age so that he could take revenge from those who troubled them. By the time he reached youth, he had developed a sturdy body, and people were scared of him.

 

Lutan Singh once went to Shaymnagar to see a wrestling match where Chand Singh was an uncrowned king wrestler. Chand Singh was given the title of “Sher ka Bachcha'' (lion’s son) since no wrestler could stand in front of him. The old king of that region was planning to appoint Chand Singh as part of his court membership. Lutan went ahead to challenge Chand Singh in wrestling. People and even the king were shocked at Logan's audacity and asked him to step back, but he was adamant, and they started the fight.

 

Initially, Lutan was getting overpowered by Chand Singh, and even the crowd was in favor of Chand Singh. Amidst all adversities, Lutan was getting energy from the beats of the drum that was playing in the background. The rhythm of this drum seemed to speak to him and tell him what to do. Finally, Lutan was not just able to escape from assaults, but Chand Singh was defeated, lying supine on the ground. The king was pleased with Lutan and gave him a position in his court. Gradually Lutan Singh became the undefeated wrestling icon and stayed in the court for 15 years. He had two sons who were also as strong as their father and were looked upon as the wrestlers of the next generation. But unfortunately, the king died, and with that came the end of Lutan’s life in the court. The new king was the old king’s son, and he made radical changes in the court and replaced wrestling with a horse race.

 

Lutan came back to his village with his sons and started teaching wrestling to children of his village. His food was taken care of by the villagers. But fate had more things in store for Lutan and his village. The village was hit by drought, and then fatal diseases like malaria and Cholera started killing people of the village one by one. In this moment of despair, it was the drum beats that Lutan played in the night, which provided some relief and energy to the villagers in their trying times.

 

In the end, his sons also died, but Lutan showed grit and courage and never stopped beating his drum for the sake of the villagers. One day the deadly disease took Lutan’s life also, and his disciples put him on the pyre with his stomach down. This is because Lutan used to say that no one has been able to defeat me and I have never laid supine on the ground so when I die, do not put me supine but on my stomach.


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Conclusion 

NCERT Solutions of Pahalwan Ki Dholak" is a resource available for Class 12 Hindi Aroh students to assist them in understanding and mastering the content of the chapter. These solutions provide valuable explanations, interpretations, and answers to the questions posed in the chapter.


The PDF download of the NCERT Solutions allows students to access the material conveniently, enabling them to refer to it whenever necessary and review the content at their own pace. This accessibility fosters self-study and promotes independent learning.


The NCERT Solutions of "Pahalwan Ki Dholak" in Class 12 Hindi Aroh provide students with a comprehensive and structured approach to engage with the chapter's content, thereby supporting their academic growth and facilitating a deeper appreciation for Hindi literature.

FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 13 - Pahelwan Ki Dholak

1. What was the Reaction of the General Public When Lutan was Appointed as a Court Wrestler?

The manager of King’s estate as well as his pundits were not happy when Lutan earnt a place in King’s court. They said that he did not belong to the upper caste hence did not deserve to be given such a high position and respect. But the King ignored them all and said that his work speaks for him and his prowess as a wrestler is nothing short of a warrior.

2. What was the Main Reason Behind Lutan Learning Wrestling at a Young Age?

Lutan had become an orphan at a young age of 9 years and was married at that time. His widow mother-in-law brought him up, and he used to take care of feeding the cows as a kid. The villagers used to trouble his mother-in-law in many ways which infuriated Lutan Pehalwan. That is why he got interested in wrestling so that he could teach these villagers a lesson. With time, he became a strong wrestler and villagers were scared of him.

3. Describe the life of the author of Chapter 13 Pahalwan Ki Dholak of Hindi Aroh Class 12.

Fanishwar Nath Renu was born on March 4, 1921, in the Purnia district of Bihar, and died on April 11, 1977, in Patna, Bihar. His life was full of ups and downs, as well as numerous challenges, and he actively participated in political and social movements in addition to being a writer. He was one of the first Hindi novelists to focus solely on regional or zonal lives. In 1954, he released his famous novel "Maila Aanchal" (dirty veil), which gave Hindi literature a new direction. He popularised rural life, folk melodies, and the language of the villagers. His painting portrays rural life in its most natural and unrefined state.

4. Describe the type of creation the author of Chapter 13 Pahalwan Ki Dholak of Hindi Aroh Class 12 has made till now.

His works have shed light on the myriad challenges and issues that plagued villages at the time. On the one hand, his movements contributed to the formation of a new nation, and on the other, he expanded the creative literary universe. He is one of the rare writers who can incorporate music and poetry into text.


"Pahalwan ki dholak" (Wrestler's drum) is one of the stories that represents and expresses his unique style of writing. It's the storey of how modernity suffocated folk art, and how, in the name of progress, the conventional methods were completely abolished. It shows how the new “India” has eclipsed the old “Bharat.”

5. What is Chapter 13 Pahalwan Ki Dholak of Hindi Aroh Class 12 all about?

Lutan Singh Pehalwan, a wrestler, is the protagonist of the storey. He was an orphan when he was nine years old, and he was married at the time. As a result, his mother-in-law looked after him, but the locals tormented her because they were from the lower caste. As a result, Lutan began learning wrestling at a young age in order to exact vengeance on those who had disturbed them. He had developed a strong body by the time he was a teenager, and many were afraid of him.


Lutan Singh once travelled to Shaymnagar to watch Chand Singh, an uncrowned king wrestler, compete in a wrestling contest. Because no wrestler could stand in front of Chand Singh, he was given the moniker "Sher ka Bachcha" (the lion's son).

6. How was Chandan Singh defeated according to Chapter 13 Pahalwan Ki Dholak of Hindi Aroh Class 12?

The ancient ruler of that region had intended to make Chand Singh a member of his court. Lutan then challenged Chand Singh to a wrestling match. People, including the king, were taken aback by Lutan's daring and implored him to back off, but he refused, and the fight began.


Initially, Chand Singh was overwhelming Lutan, and even the crowd was rooting for Chand Singh. Lutan was gaining energy from the rhythms of the drum that was playing in the background, despite all the difficulties. This drum's rhythm appeared to talk to him and tell him what he should do. Lutan was not only able to avoid attacks, but Chand Singh was also vanquished, lying flat on the ground. To read more about the chapter refer Vedantu or the Vedantu app. All the resources are available free of cost.

7. What happened when the king died according to Chapter 13 Pahalwan Ki Dholak of Hindi Aroh Class 12?

Lutan's performance satisfied the monarch, who offered him a post in his court. Lutan Singh gradually rose to prominence as an undefeated wrestler who remained on the court for 15 years. He has two kids who were both as strong as their father and were regarded as the next generation's wrestlers. But, unhappily, the king died, and Lutan's time at the court came to an end. The new monarch was the son of the previous king, and he overhauled the court, replacing wrestling with a horse race.


Lutan returned to his village with his boys and began teaching wrestling to the local children. The locals were responsible for his food. But fate had other plans for Lutan and his family.