Important Questions Class 7 Hindi Durva Chapter 9
FAQs on Important Questions Class 7 Hindi Durva Chapter 9
1. कक्षा 7 की हिंदी परीक्षा 2025-26 के लिए 'विश्वेश्वरैया' पाठ से कौन-से लघु उत्तरीय प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
कक्षा 7 की परीक्षा के लिए 'विश्वेश्वरैया' पाठ से कुछ महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न इस प्रकार हैं:
विश्वेश्वरैया का पूरा नाम क्या था और उनका जन्म कब और कहाँ हुआ था?
विश्वेश्वरैया ने अपनी इंजीनियरिंग की शिक्षा कहाँ से पूरी की?
उन्हें 'सर' की उपाधि क्यों और किसके द्वारा दी गई?
अपने जन्मदिन के बारे में विश्वेश्वरैया का क्या विचार था?
2. 'विश्वेश्वरैया' पाठ से परीक्षा में किस प्रकार के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (3-5 अंक) पूछे जा सकते हैं?
इस पाठ से 3 से 5 अंकों के लिए अक्सर चरित्र-चित्रण, योगदानों का विश्लेषण और जीवन से मिलने वाली सीख पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। एक महत्वपूर्ण प्रश्न हो सकता है: “सर एम. विश्वेश्वरैया के जीवन से छात्रों को क्या प्रेरणा मिलती है? उनके किन्हीं तीन गुणों का वर्णन करें।" इस तरह के प्रश्नों में उनके अनुशासन, समय प्रबंधन और राष्ट्र-सेवा जैसे गुणों पर ध्यान केंद्रित करना होता है।
3. पाठ के अनुसार, एक इंजीनियर के रूप में सर एम. विश्वेश्वरैया के प्रमुख योगदान क्या थे?
एक इंजीनियर के रूप में सर एम. विश्वेश्वरैया के योगदान अमूल्य थे। पाठ के अनुसार, उनके कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
कृष्णराज सागर बाँध: मैसूर के पास कावेरी नदी पर इस विशाल बाँध का निर्माण उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
स्वचालित फाटक प्रणाली: उन्होंने पुणे के खडकवासला जलाशय के लिए स्वचालित जल द्वारों (automatic floodgates) का आविष्कार और पेटेंट कराया।
हैदराबाद की बाढ़ सुरक्षा प्रणाली: उन्होंने मूसी नदी की विनाशकारी बाढ़ से हैदराबाद शहर को बचाने के लिए एक उन्नत जल निकासी और बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की।
4. मैसूर के दीवान के रूप में विश्वेश्वरैया ने राज्य के विकास के लिए क्या कदम उठाए?
मैसूर के दीवान के रूप में, विश्वेश्वरैया ने राज्य के औद्योगिकीकरण और आधुनिकीकरण पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा, उद्योग, और कृषि के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार किए। उन्होंने मैसूर बैंक (अब स्टेट बैंक ऑफ मैसूर), मैसूर सोप फैक्ट्री, और भद्रावती में आयरन एंड स्टील प्लांट की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी दूरदर्शी योजनाओं ने मैसूर को एक प्रगतिशील और मॉडल राज्य बना दिया।
5. विश्वेश्वरैया को 'भारत रत्न' से क्यों सम्मानित किया गया? उनके किन गुणों ने उन्हें यह सम्मान दिलाया?
सर एम. विश्वेश्वरैया को वर्ष 1955 में 'भारत रत्न', भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें राष्ट्र निर्माण में उनके असाधारण योगदान के लिए दिया गया था। उनके निम्नलिखित गुणों ने उन्हें इस सम्मान का पात्र बनाया:
अद्वितीय इंजीनियरिंग कौशल: बाँधों, पुलों और शहरी नियोजन में उनके क्रांतिकारी कार्यों ने देश को नई दिशा दी।
दूरदर्शिता और योजना: उन्होंने भारत के आर्थिक और औद्योगिक भविष्य की एक मजबूत नींव रखी।
अखंडता और अनुशासन: उनका जीवन सार्वजनिक सेवा और ईमानदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
6. 'विश्वेश्वरैया' पाठ छात्रों को समय के सदुपयोग और अनुशासन के बारे में क्या सिखाता है?
यह पाठ सिखाता है कि सफलता के लिए अनुशासन और समय का सदुपयोग अत्यंत आवश्यक है। विश्वेश्वरैया अपनी समय की पाबंदी के लिए प्रसिद्ध थे; वे हर काम निश्चित समय पर करते थे। उनकी घड़ी हमेशा सही समय बताती थी। यह अध्याय छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि समय का सम्मान करके और एक अनुशासित जीवन शैली अपनाकर वे भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सफल हो सकते हैं।
7. परीक्षा की तैयारी के लिए 'विश्वेश्वरैया' अध्याय को क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?
यह अध्याय केवल एक जीवनी नहीं है, बल्कि यह चरित्र-निर्माण, देशभक्ति और दृढ़ संकल्प जैसे मूल्यों पर प्रकाश डालता है। परीक्षा में इस पाठ से प्रश्न पूछकर छात्रों की तथ्यात्मक जानकारी के साथ-साथ उनके नैतिक और विश्लेषणात्मक कौशल का भी मूल्यांकन किया जाता है। इससे अक्सर मूल्य-आधारित प्रश्न (Value-Based Questions) बनते हैं, जो अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
8. विश्वेश्वरैया के जीवन की कौन-सी घटना यह दर्शाती है कि वे सादगी और स्वाभिमान को महत्व देते थे?
पाठ में वर्णित एक घटना उनके स्वाभिमान को दर्शाती है जब वे एक ट्रेन में यात्रा कर रहे थे और एक अंग्रेज ने उन्हें अशिक्षित समझकर उनका अपमान करने की कोशिश की। विश्वेश्वरैया ने अपनी इंजीनियरिंग विशेषज्ञता का उपयोग करके ट्रेन को दुर्घटना से बचाया, जिससे उस अंग्रेज को अपनी गलती का एहसास हुआ। यह घटना दिखाती है कि वे अपने ज्ञान पर विश्वास करते थे और सादगीपूर्ण जीवन जीते हुए भी अपने आत्म-सम्मान से समझौता नहीं करते थे।

















