CBSE Important Questions for Class 6 Hindi Bal Ram Katha Sita Ki Khoj - 2025-26
FAQs on CBSE Important Questions for Class 6 Hindi Bal Ram Katha Sita Ki Khoj - 2025-26
1. कक्षा 6 बाल राम कथा के अध्याय 'सीता की खोज' से परीक्षा 2025-26 के लिए कौन से प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
CBSE 2025-26 की परीक्षा के लिए, 'सीता की खोज' अध्याय से कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न बनते हैं। छात्रों को इन पर विशेष ध्यान देना चाहिए:
जटायु का प्रसंग: जटायु ने राम को सीता हरण के बारे में क्या जानकारी दी? (2 अंक)
कबन्ध का पात्र: कबन्ध कौन था और उसने राम को सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह क्यों दी? (3 अंक)
शबरी से भेंट: राम और शबरी की भेंट का क्या महत्व है? (3 अंक)
राम की यात्रा: सीता को खोजते समय राम और लक्ष्मण ने किन-किन कठिनाइयों का सामना किया? (5 अंक)
2. मरणासन्न जटायु ने श्री राम को सीता के विषय में क्या महत्वपूर्ण जानकारी दी?
घायल और मरणासन्न अवस्था में गिद्धराज जटायु ने श्री राम को बताया कि लंका का राजा रावण सीता का हरण करके ले गया है। उन्होंने यह भी बताया कि रावण ने उन्हें बलपूर्वक दक्षिण दिशा की ओर ले जाते हुए देखा है। जटायु ने रावण से युद्ध किया, परन्तु रावण ने उनके पंख काट दिए, जिससे वे घायल होकर गिर पड़े। यह जानकारी राम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे उन्हें खोज की सही दिशा मिली।
3. कबन्ध कौन था? उसने राम-लक्ष्मण की सहायता किस प्रकार की?
कबन्ध एक विशालकाय राक्षस था, जिसकी भुजाएँ बहुत लंबी थीं और जिसका कोई सिर नहीं था; उसका मुँह पेट में था। राम और लक्ष्मण द्वारा उसका वध किए जाने पर वह श्राप से मुक्त होकर अपने गंधर्व स्वरूप में आ गया। उसने राम-लक्ष्मण का आभार व्यक्त किया और सीता की खोज में उनकी सहायता की। उसने सलाह दी कि वे ऋष्यमूक पर्वत पर रहने वाले वानर राज सुग्रीव से मित्रता करें, क्योंकि सुग्रीव के पास एक विशाल वानर सेना है जो सीता को खोजने में उनकी मदद कर सकती है।
4. राम ने शबरी के झूठे बेर क्यों खाए? यह घटना उनके चरित्र के किन गुणों को उजागर करती है?
राम ने शबरी के झूठे बेर इसलिए खाए क्योंकि वे बेर शबरी की निस्वार्थ भक्ति और प्रेम का प्रतीक थे। शबरी यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि वह अपने प्रभु को केवल मीठे बेर ही खिलाए, इसलिए वह प्रत्येक बेर को पहले स्वयं चखती थी। राम के लिए बेर के स्वाद से अधिक भक्त का प्रेम और भावना महत्वपूर्ण थी। यह घटना उनके चरित्र के निम्नलिखित गुणों को दर्शाती है:
समता का भाव: वे जाति या सामाजिक स्थिति में भेदभाव नहीं करते थे।
करुणा और विनम्रता: उनमें एक साधारण भीलनी के प्रति भी अपार करुणा थी।
भक्तवत्सलता: वे अपने भक्तों की भावनाओं का सबसे अधिक सम्मान करते थे।
5. 'सीता की खोज' अध्याय केवल एक खोज यात्रा नहीं, बल्कि राम के धैर्य और संकल्प की परीक्षा भी है। इस कथन की विवेचना कीजिए।
यह कथन बिल्कुल सही है। 'सीता की खोज' अध्याय में राम केवल सीता को नहीं खोज रहे थे, बल्कि इस कठिन समय में उनके धैर्य, संयम और संकल्प की भी कठोर परीक्षा हो रही थी। पत्नी के अपहरण से वे अत्यधिक दुखी और क्रोधित थे, फिर भी उन्होंने अपना संयम नहीं खोया। उन्होंने हर बाधा का सामना किया, चाहे वह राक्षसों से युद्ध हो या अपरिचित जंगलों में भटकना। जटायु, कबन्ध और शबरी से मिलना केवल संयोग नहीं था, बल्कि यह उनके अटूट विश्वास और दृढ़ संकल्प का परिणाम था जिसने उन्हें सही मार्ग दिखाया।
6. सीता की खोज करते समय राम की मनःस्थिति कैसी थी?
सीता की खोज करते समय राम की मनःस्थिति अत्यंत व्याकुल और दुखद थी। वे अपनी पत्नी के वियोग में गहरे विषाद में थे। वे पेड़ों, पौधों और पशु-पक्षियों से सीता के बारे में पूछते हुए विलाप कर रहे थे। उनकी आँखों में आँसू और मन में हताशा थी, लेकिन इसके साथ ही रावण के प्रति तीव्र क्रोध और सीता को किसी भी कीमत पर वापस लाने का दृढ़ संकल्प भी था। यह उनके मानवीय और दैवीय दोनों स्वरूपों का मिश्रण था।
7. यदि कबन्ध राम-लक्ष्मण को सुग्रीव के बारे में न बताता, तो सीता की खोज पर क्या प्रभाव पड़ता?
यह एक उच्च-स्तरीय वैचारिक प्रश्न है। यदि कबन्ध राम-लक्ष्मण को सुग्रीव के बारे में न बताता, तो सीता की खोज लगभग असंभव हो जाती। इसके कई कारण हैं:
दिशाहीन खोज: उन्हें यह पता नहीं चलता कि किस विशिष्ट स्थान पर सहायता मिल सकती है। वे दक्षिण दिशा में अनिश्चित काल तक भटकते रहते।
सैन्य शक्ति का अभाव: सुग्रीव की वानर सेना के बिना, राम के पास रावण की विशाल राक्षसी सेना से लड़ने और समुद्र पार करके लंका पहुँचने का कोई साधन नहीं होता।
महत्वपूर्ण सहयोगी: वे हनुमान, अंगद और जामवंत जैसे शक्तिशाली और बुद्धिमान सहयोगियों से कभी नहीं मिल पाते।
अतः, कबन्ध का सुझाव कहानी का एक रणनीतिक मोड़ था जिसने खोज को एक निश्चित लक्ष्य और उसे पूरा करने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान किए।




















