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NCERT Solutions for Class 7 Hindi (Vasant) Chapter 14: Sangharsh Ke Kaaran Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj

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NCERT Solutions for Class 7 Chapter 14 Hindi (Vasant) - FREE PDF Download

Vedantu provides detailed NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 14 "Sangharsh Ke Kaaran Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj," which narrates the story of Dhanraj and his struggles. These solutions offer clear explanations and structured answers to all textbook questions, helping students understand the themes of conflict, resilience, and personal growth. With these resources, students can effectively prepare for exams and gain a deeper understanding of the character's experiences and emotions.


Students can refer to these solutions for a thorough understanding of the poem. Students can also check the CBSE Class 7 Hindi Syllabus and the CBSE Class 7 Hindi NCERT Solutions for a detailed look at what topics will be covered throughout the year. Download the FREE PDF of these solutions to help with your study and revision.


Glance on Class 7 Hindi (Vasant)  Chapter 14 - Sangharsh Ke Kaaran Main Tunukamizaaj Ho Gaya Hoon 

  • The chapter revolves around the theme of personal struggles and the challenges faced by the protagonist, Dhanraj, in his life journey.

  • Dhanraj’s character evolves throughout the story as he learns to cope with difficulties, showcasing the impact of struggles on one's personality.

  • The narrative delves into the emotional turmoil that Dhanraj experiences, reflecting on how conflict can lead to changes in behaviour and attitude.

  • The chapter conveys important life lessons about resilience, patience, and the importance of maintaining composure in challenging situations.

  • Various exercises and questions in the chapter encourage students to reflect on the story's themes and develop a deeper understanding of the character's experiences.

Access NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter- 14 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाजी हो गया: धनराज

साक्षात्कार से

1. साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।

उत्तर:  साक्षात्कार पढ़कर हमारे मन में धनराज पिल्लै के व्यक्तित्व के विविध रूपों की झलक मिलती है। एक ओर उनका धैर्यवान चरित्र उभरता है, वहीं दूसरी ओर वे एक तुनक-मिजाजी व्यक्ति भी थे। वे अत्यंत सरल-सहज स्वभाव वाले व्यक्ति थे। वे एक स्पष्ट वक्ता थे, वहीं भावुक प्रवृति के व्यक्ति भी थे। जब वे अपने जीवन के आर्थिक संघर्षों का जिक्र करते हैं, और वहीं लोकल ट्रैन की घटना से भावुक भी होते है। उन्होंने हमेशा अपने कर्म के प्रति सर्वदा ईमानदारी का व्यवहार अपनाया है।


2. धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।

उत्तर:  धनराज पिल्लै एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिसने अपनी यात्रा जमीन से उठकर आसमान के सितारों तक तय की है। वे पढ़ाई-लिखाई में फिसड्डी थे। उनका हॉकी के प्रति रुझान, उनके बड़े भाई के द्वारा ही विकसित हुआ। उनका परिवार आर्थिक रूप से सशक्त नहीं था, कि वे एक हॉकी स्टीक तक खरीद सके। उनके बड़े भाई, दूसरे हॉकी के खिलाड़ियों से उधार स्वरूप हॉकी स्टीक लाया करते थे। धनराज पिल्लै को वह हॉकी स्टीक,  तब मिलती थी, जब उनके भाई खेल चुके होते थे। उनके भाई का हॉकी टीम में चयन होने के बाद,  उन्हें उनकी पुरानी हॉकी स्टीक प्राप्त हुई। उन्होंने अपनी आर्थिक असक्षमता को अपने खेल के बीच में कभी नहीं आने दिया। वे सम्पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ, अपने खेल में अर्पित हो गए। फलस्वरूप उनका चयन हॉकी टीम में हो जाता है। वे इसी तरह सहजता के साथ सफलता की सीढ़ियों पर कदम रखते गए।


3. “मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है”- धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?

उत्तर:  “मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से संभालने की सीख दी है।“ धनराज पिल्लै की इस बात का आशय यह है, कि उनकी माँ हमेशा, उन्हें अपनी सफलता के पीछे, उनके संघर्ष को स्मरण करने की सीख देती हैं, क्योंकि सफलता तब तक किसी व्यक्ति के पास रहती है, जब तब व्यक्ति उसका आदर करता है। अपनी सफलता के प्रति हमेशा सहज और विनम्र स्वभाव होना चाहिए।


साक्षात्कार से आगे

1. ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।

उत्तर: ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। वे वैश्विक पटल के हॉकी खेल के खिलाड़ी थे। उनका जन्म 29 अगस्त, 1905 को हुआ था। वे भारतीय हॉकी टीम के भूतपूर्व खिलाड़ी और कप्तान थे। वे भारत और विश्व स्तर पर हॉकी के लिए मशहूर थे। वो ओलम्पिक में तीन बार स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं। वे और उनकी टीम 1928 का एम्सटर्डम ओलम्पिक, 1932 का लोस एजेल्स ओलम्पिक एवं 1936 का बर्लिन ओलंपिक में भी शामिल हुए थे। उनकी जन्मतिथि को भारत में “राष्ट्रीय खेल दिवस” के रूप में मनाया जाता है। वे हमेशा टक्कर देने वाले प्रतिद्वंदी थे। उन्होंने अपने खेल के प्रति निष्ठा और ईमानदारी को कभी खोने नहीं दिया। उनकी कलाकारी से मोहित होकर ही जर्मनी के रूदोल्फ़ हिटलर ने, उन्हें जर्मनी की ओर से खेलने के लिए पेशकश का वादा किया था। किंतु उन्होंने वह स्वीकार नहीं की। वे हमारे राष्ट्रीय खेल में जादूगरी बिखेरने वाले खिलाड़ी थे।


2. किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?

उत्तर: हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, क्योंकि इस खेल में हमारे देश भारत ने सन् 1928 से 1956 तक, लगातार छः स्वर्ण-पदक जीते हैं। फलस्वरूप हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित कर दिया गया।


3. आप समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में छुपे हुए साक्षात्कार पढ़े और अपनी रुचि से किसी व्यक्ति को चुनें, उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें।

उत्तर: साक्षात्कार- क्रिकेटर और पत्रकार

पत्रकार: आप इतने बड़े क्रिकेटर हैं, आपको कैसा महसूस होता है?

क्रिकेटर: बहुत ज्यादा अच्छा लगता है।

पत्रकार: आपके पिता क्या करते थे? 

क्रिकेटर: मेरे पिता मोची थे।

पत्रकार: आपकी जिंदगी में इतने उतार चढ़ाव के बावजूद, आप सफलता की चोटी को जकड़े हुए है। कैसा लगता है आपको?

क्रिकेटर: अपने जीवन में आर्थिक संकटों को खूब देखा है। किंतु कहते हैं न संघर्ष आपको सूर्य की तरह चमका देता है।


अनुमान और कल्पना

1. ‘यह कोई ज़रूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’- क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से आप सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों से बातचीत के आधार पर लिखिए।

उतर: ‘यह कोई ज़रूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’- धनराज पिल्लै के इस कथन से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ। शोहरत और धन दोनों एक सिक्के के दो पहलू है। दोनों दिखते एक जैसे हैं, किन्तु होते अलग हैं। आज समाज में अनेक कलाकार है, जो अपने कार्य व रचना से प्रसिद्ध अवश्य हैं, किन्तु उन्हें आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है।


2.

(क) अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगना आसान होता है या मुश्किल?

उत्तर: अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगना मुश्किल  तब तक होता है,  जब तक गलती का एहसास न हो जाए। अगर एक बार गलती स्वीकार कर लिया, फिर माफ़ी माँगे बिना चैन नहीं मिलता है।


(ख) क्या आप और आपके आसपास के लोग अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँग लेते हैं?

उत्तर: मेरे आसपास के कुछ लोग अपनी गलती की माफ़ी माँगते हैं। वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी गलती को नहीं स्वीकारते हैं।


(ग) माफ़ी माँगना मुश्किल होता है या माफ़ करना? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।

उत्तर: मेरे अनुभव के आधार पर माफ़ करना ज्यादा मुश्किल होता है। क्योंकि अगर कोई आपको मानसिक यातना देता है, उस यातना को भूल कर माफ़ करना बहुत कठिन है।


भाषा की बात

1. नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिनमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-

प्रेरणा  प्रेरक  प्रेरित 

संभव  संभावित  सम्भवत:

उत्साह  उत्साहित उत्साहवर्धक

उत्तर: दिए गए अलग-अलग प्रत्ययों वाले शब्दों में अंतर निम्नलिखित है।

  • प्रेरणा- गांधी जी हमे प्रेरणा देते हैं।

  • प्रेरक- गांधी जी एक प्रेरक व्यक्तित्व हैं।

  • प्रेरित- मैं गांधी जी के विचारों से प्रेरित होती हूँ।

  • सम्भव- बारिश में स्कूल जाना संभव है।

  • संभावित- संभावित है कि कल बारिश होगी।

  • संभवत: - आज यह कार्य संभवतः पूर्ण नहीं होगा।

  • उत्साह- अगली कक्षा में जाने का बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है।

  • उत्साहित- मैं कल के पिकनिक के लिए बहुत उत्साहित हूँ।

  • उत्साहवर्धक- श्रोताओं की तालियाँ, कलाकारों के लिए उत्साहवर्धक होती है।


2. तनकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे- बादल, बादर, बदरा, बदरिया; मयूर, मयूरा, मोर; दर्पण, दर्पन, दरपन। शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। काम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए।

उत्तर: 

इच्छा- चाह, अभिलाषा, कामना, आकांक्षा

फूल- पुष्प, कुसुम, सुमन

पुत्री- बेटी, बिटिया, सुता

जल- पानी, जल, नीर


3. हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर- तरीक़े और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए, जैसे- फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द हैं,- गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि।

उत्तर: क्रिकेट: बल्ला, गेंद, विकेट, पिच, अम्पायर, चौका, छक्का, रन और आउट इत्यादि


Benefits of NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant

  • Sangharsh Ke Karan Mai Tunukmijaj Ho Gaya Dhanraj Class 7 are formulated by the Vedantu's experts that are easy to understand and all the question answers are 100% accurate.

  • All the solutions contain easy tricks that help to achieve a good result.

  • Class 7th Hindi Vasant Chapter 14 is organised in a way that will help the students to get a strong command of the concept and to improve their grades.

  • Chapter 14 Vasant Class 7 is available for free online access and can also be downloaded in pdf format for future use.

  • Pointwise step by step explanation of the answers for the question covered in Chapter 14 Vasant Class 7 will help students to get a clear idea of the answer writing pattern.


With the help of the Vedantu app and its CBSE Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 solutions, students can tackle all the questions which could trouble them in the exam, students can easily attain all the questions smartly and can improve their marks.


Important Study Material Links for Hindi (Vasant) Chapter 14 Class 7 - Sangharsh Ke Kaaran Main Tunukamizaaj Ho Gaya Hoon

S.No.

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant - All Chapterwise Solutions

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FAQs on NCERT Solutions for Class 7 Hindi (Vasant) Chapter 14: Sangharsh Ke Kaaran Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj

1. How Dhanraj Achieves his Goal Gradually?

In the text, "Sangharsh Ke Karan Mai Tunukmijaj ho Gaya Dhanraj," the author Binita Pandey depicts a real-life hero namely Dhanraj Pillay who is now a renowned hockey player. But in the beginning, the journey was not so easy. Like us, Dhanraj belongs to a middle-class family, and in his childhood, he had not yet a hockey stick to play though his passion for hockey remains high.


After that when his elder brother was selected for playing in high rank, he left his old stick which was taken by Dhanraj and started playing. After so much effort, he was selected for Manipur Rastrio junior Hockey player in 1985 at his extremely young age of 16. Then he grew up a little bit supreme, yet he cannot earn much money.


He also arranged his sister's marriage on his own and bought a little flat for him. Then the Maharashtra government offered him a huge flat to stay in. So, the whole text emphasises how a person became a wealth for the country as well as an inspiration for young stars from a common one. Thus, the total story is composed to describe his struggle and success after doing a lot.

2. How Vedantu Proceeds with the Students in Their Future?

Vedantu does a lot for students to study. They provide various pdf formats, animated videos, live demonstration, online classes, and doubt solving discussion, to get better marks in exams. It will further help to choose your next step or stream. If you secure good grades in the CBSE exam, you will be one step closer to fulfil your fixed goal of choosing your favourite path for the next future.

3. Explain Dhanraj Pillai’s childhood, according to Chapter 14 of Class 7 Hindi Vasant.

Dhanraj Pillai had a very difficult childhood. His parents were very poor. His elder brothers played Hockey, and Dhanraj also wanted to, but unfortunately, he could not afford to buy a hockey stick, so he borrowed it from his teammates. When his elder brother was selected in the Indian camp, he gave his old hockey stick to Dhanraj. This became his first hockey stick. He got his first opportunity to play in junior nation hockey in Manipur.

4. Explain Dhanraj's Progress in life, according to Chapter 14 of Class 7 Hindi Vasant.

Dhanraj had to struggle a lot in his life. This made him very emotional. He brought his first car, a second-hand car, and he was very proud to say this. This shows his down-to-earth character. After that, he bought a Ford Icon and then bought a two-bedroom flat. Later, he was given a flat in Powai by the Maharashtra Government. Dhanraj's progress and achievement in life are appreciable.

5. Why did Dhanraj tell himself to be Tunak Mizaj, according to Chapter 14 of Class 7 Hindi Vasant?

When he was giving an interview, he said he was Tunak Mizaj because he had lots of struggles in his life from childhood. His mother had to work hard. They used to get angry as others used to provoke them. They used to be irritable and emotional. They never used to hesitate to apologise for their mistakes. One can say they were very down to earth. The important thing that can be noted is that despite the hardship and the poverty, he never left the determination, which people usually do.

6. What can one learn from the Chapter 14 of Class 7 Hindi Vasant?

The name itself suggests to us that the lesson is about the struggle (sangharsh). Students should learn from this lesson that they should go ahead with determination if they want to achieve their goals. Lots of struggle and hardships might come in your way. Life will not always be easy, but you should focus on your goal and work hard to achieve it and reach your destination.

7. Explain Dhanraj's achievements, according to Chapter 14 of Class 7 Hindi Vasant.

Dhanraj played his first junior national Hockey in Manipur in 1985. After that, he was in the senior team in 1986. He and his elder brother played in the Mumbai League in the year 1988. Though Dhanraj was not good at studies, he was good at Hockey. Today when he is on the job, he still often thinks that if Hockey had not been there, his life would still have been a struggle as he was not good at studies. He could not have got a good job to support himself and his family. The NCERT Solutions for Chapter 14 of Class 7 Hindi Vasant are available free of cost on the Vedantu website.

8. How does Dhanraj’s character evolve throughout the chapter?

Dhanraj's character evolves from being someone who faces numerous challenges to a more resilient individual who learns to cope with difficulties. His journey highlights the importance of facing struggles head-on and how they contribute to one's development.

9. How do the NCERT Solutions assist students in understanding this chapter?

The NCERT Solutions provide clear explanations and structured answers to all textbook questions, helping students grasp the themes and character development in the story. They also encourage critical thinking about Dhanraj's experiences.

10. Where can students access the NCERT Solutions for Chapter 14?

Students can access the NCERT Solutions for Chapter 14 "Sangharsh Ke Kaaran Main Tunukamizaaj Ho Gaya Hoon: Dhanraj" for free on Vedantu, where they can download the solutions in PDF format for their convenience.