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NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 5: Galta Loha

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NCERT Solutions for Class 11 Chapter 5 Galta Loha Hindi (Aroh) - FREE PDF Download

The NCERT Solutions for Class 11 Chapter 5: Galta Loha is an engaging narrative that presents a profound reflection on human emotions and societal issues. Written by Shekhar Joshi, the story explores the complexities of human relationships and the moral dilemmas faced by individuals. It emphasises the significance of social responsibilities and the impact of personal decisions on community dynamics. Through its rich storytelling, the chapter invites readers to think critically about their actions and their consequences in a broader social context.

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Table of Content
1. Glance on Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 5 - Galta Loha
2. Access NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 5 - गलता लोहा
3. Benefits of NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 5 Galta Loha
4. CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 Other Study Materials
5. Chapter-wise NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh
6. Book-wise Links for CBSE Class 11 Hindi NCERT Solutions
7. Important Related Links for CBSE Class 11 Hindi
FAQs


These solutions are designed to align with the Class 11 Hindi syllabus, offering clear explanations, summaries, and insightful discussions that help students comprehend the text deeply. Students can easily access the FREE PDF download of the NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) by visiting the landing page here. With structured answers and expert guidance, these solutions make studying easier and prepare students effectively for their exams, making them an invaluable resource for mastering the chapter and appreciating Hindi literature.


Glance on Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 5 - Galta Loha

Chapter 5, "Galta Loha," written by Shekhar Joshi, talks about the intricacies of human relationships and societal responsibilities. Here’s a brief overview of the chapter:


  • The narrative centres around a character who faces a significant moral dilemma related to his social duties. As the story unfolds, it highlights the challenges and pressures individuals experience when trying to balance personal desires with societal expectations.

  • The chapter explores important themes such as integrity, social responsibility, and the consequences of one's actions. It prompts readers to reflect on how individual choices can impact not just oneself but also the broader community.

  • The main character's journey illustrates the internal conflicts he faces, revealing his thoughts and emotions as he navigates complex situations. This development provides insights into the character's motivations and struggles.

  • "Galta Loha" reflects the social issues prevalent in society, encouraging readers to think critically about moral values and the importance of ethical behaviour.

  • The story evokes a range of emotions, prompting empathy and understanding for the characters involved. It showcases how human relationships are shaped by social pressures and personal choices.

  • Through the protagonist's experiences, the chapter teaches valuable lessons about making responsible choices and considering the impact of those choices on others.

Access NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 5 - गलता लोहा

प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ

प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ: 1 

1 .कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है| 

उत्तर: मास्टर त्रिलोक सिंह ने  तेरह  का पहाड़ा पूछा तो धनराम तेरह का पहाड़ा नहीं सुना सका तो मास्टर त्रिलोक सिंह ने जबान के चाबुक लगाते हुए कहा कि ‘तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें?’ यह सच है कि किताबों की विद्या का ताप लगाने की सामथ्र्य धनराम के पिता की नहीं थी। उन्होंने बचपन में ही अपने पुत्र को धौंकनी फूंकने और सान लगाने के कामों में लगा दिया था। वे उसे धीरे-धीरे हथौड़े से लेकर घन चलाने की विद्या सिखाने लगे। उपर्युक्त प्रसंग में किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है|


प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ: 2

2. धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था? 

उत्तर: धन राम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझता था क्योंकि बचपन से ही धन राम को यह बताया गया है कि वह नीची जाति का है | मोहन कक्षा में सबसे होशियार था जिस कारण उसे कक्षा का मॉनिटर बना दिया गया था मास्टर जी भी कहते थे कि मोहन एक दिन बड़ा आदमी बनेगा जिससे उनका और इस विद्यालय का नाम रोशन करेगा |


प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ: 3

3. धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों?

उत्तर : मोहन ब्राहमण जाति का था और उस गाँव में ब्राह्मणों को कारीगरों के यहाँ उठते-बैठते नहीं थे। यहाँ तक कि उन्हें बैठने के लिए कहना भी अपमानजनक माना जाता था। मोहन धनराम की दुकान पर काम खत्म होने के बाद भी काफी देर तक बैठा रहा। इस बात पर धनराम को हैरानी हुई। उसे अधिक हैरानी तब हुई जब मोहन ने उसके हाथ से हथौड़ा लेकर लोहे पर नपी-तुली चोटें मारी और धौंकनी फूंकते हुए भट्ठी में लोहे को गरम किया और ठोक-पीटकर उसे गोल रूप दे दिया।

 

प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ: 4

4. मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय क्यों कहा है?

उत्तर: मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय इसलिए कहा क्योंकि यहां आकर उसका जीवन सामान्य पथ पर चलने लगा था| बड़ा अफसर बनने का उसका सपना अब आकाश हो गया था सुबह से शाम तक नौकरों की बात एक काम करता था उसके अंदर काम मेधावी छात्र कब यहां हर किसी का नौकर बन गया उसे पता भी नहीं चला| नए वातावरण और काम के बोझ  के कारण उसकी सारी प्रतिमा कुंठित हो गई उसके द्वारा देखी गई उज्जवल भविष्य की कल्पना नष्ट हो गई|

 

प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ: 5

5 . मास्टर त्रिलोक सिंह के किस कथन को लेखक ने ज़बान के चाबुक कहा है और क्यों ?

उत्तर: जब धनराम तेरह का पहाड़ा नहीं सुना सका तो मास्टर त्रिलोक सिंह ने व्यंग्य करते हुए कहा तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें?’ लेखक ने इन व्यंग्य शब्दों को ज़बान के ‘चाबुक’ कहा है। चमड़े की चाबुक शरीर पर चोट करती है, परंतु ज़बान की चाबुक मन पर चोट करती है। यह चोट कभी ठीक नहीं होती। इस चोट के कारण धनराम आगे नहीं पढ़ पाया और वह पढ़ाई छोड़कर अपने पिता के काम में लग गया|

 

प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ: 6

6 . 1 ) बिरादरी का यही सहारा होता है।

क) किसने किससे कहा?

उत्तर: यह कथन मोहन के पिता वंशीधर ने  रमेश नामक युवक से कहा।


ख) किस प्रसंग में कहा?

उत्तर: पंडित वंशीधर अपने बेटे की आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित में थे| इस बात पर रमेश ने सहानुभूति व्यक्त किया और वंशीधर के बेटे को अपने साथ लखनऊ ले जाने की बात कहीं| 


ग) किस आशय से कहा?

उत्तर: यह कथन पंडित वंशीधर ने अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए तथा उनके इस वाक्य का आशय था कि बिरादरी के लोगों को वक्त आने पर एक दूसरे की मदद करनी चाहिए | 


(घ) क्या कहानी में यह आशय स्पष्ट हुआ है?

उत्तर: कहानी में यह आशय स्पष्ट नहीं हुआ। इसका कारण यह है कि जिस आशा से पंडित वंशीधर ने अपने बेटे को अपने बिरादरी के युवक रमेश के साथ लखनऊ भेजा वह पूरा नहीं हुआ | वंशीधर ने अपने बेटे की आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ भेजा था परंतु रमेश ने लखनऊ में बंशीधर के बेटे को अपने घर का नौकर बना दिया| 


2) उसकी आँखों में एक सर्जक की चमक थी- कहानी का यह वाक्य-

क) किसके लिए कहा गया है?

उत्तर: यह वाक्य मोहन के लिए कहा गया है|


ख) किस प्रसंग में कहा गया है?

उत्तर: जब मोहन धनराम की भट्टी में बैठता है और घुमावदार आकृति में लोहे की एक मोटी छड बनाता है, तब उसकी आंखों में किसी सृजक की चमक दिखाई पड़ती है|


ग) यह पात्र-विशेष के किन चारित्रिक पहलुओं को उजागर करता है?

उत्तर: यह मोहन की विशेषता को उजागर करता है कि वह जाति को व्यवसाय से नहीं जोड़ता है और अपने मित्र की मदद करके उदारता भी दिखाता है|


प्रश्न अभ्यास कविता के आसपास : 1 

7. गाँव और शहर, दोनों जगहों पर चलनेवाले मोहन के जीवन-संघर्ष में क्या फ़र्क है? चर्चा करें और लिखें।

उत्तर: गांव और शहर दोनों में मोहन का जीवन संघर्ष भरा रहा| गांव में उसे गरीबी, पुनर्जीवन और प्राकृतिक बाधाओं से जूझना पड़ता है | इसी प्रकार शहर में वह पूरे दिन नौकरों की तरह काम करता है | उसका दाखिला एक साधारण स्कूल में करवा दिया जाता है ,उसे पढ़ने का मौका भी नहीं दिया जाता पूरा दिन उसको एक नौकरों की बातें काम में लगाया जाता है|


प्रश्न अभ्यास कविता के आसपास: 2

8. एक अध्यापक के रूप में त्रिलोक सिंह का व्यक्तित्व आपको कैसा लगता है? अपनी समझ में उनकी खूबियों और खामियों पर विचार करें।

उत्तर: एक शिक्षक के रूप में त्रिलोक सिंह का व्यक्तित्व अच्छा कहा जाएगा| वह एक पारंपरिक शिक्षक है जो बिना किसी की मदद के स्कूल को चलाने और बनाए रखने में सक्षम है| एक अच्छे शिक्षक की तरह बच्चों को पढ़ाना और जरूरत पड़ने पर बच्चों को अनुशासित करते हुए उन्हें सजा भी दी जाती है इसके बाद भी उन्हें एक पूर्ण शिक्षक नहीं कहा जा सकता है क्योंकि एक बच्चे से लगाव उसकी जाति के आधार पर निर्भर करता है उनके मन में जातिगत भेदभाव की भावना थी इसलिए वे मोहन जैसे उच्च कुलीन बच्चे से अधिक स्नेह करते हैं थे और धनराम  जैसी निचली जाति के बच्चे से “ दिमाग में लोहा भरा है” जैसे कटु शब्द कहते  थे | उनकी यह बातें एक शिक्षक को शोभा नहीं देती है| 


प्रश्न अभ्यास कविता के आसपास: 3 

9. गलता लोहा कहानी का अंत एक खास तरीके से होता है। क्या इस कहानी का कोई अन्य अंत हो सकता है? चर्चा करें।

उत्तर: कहानी का अंत यह स्पष्ट नहीं करता है कि मोहन ने केवल सृजन के आनंद का अनुभव किया या अपने कृषि व्यवसाय में वापस आ गया  धनराम का पेशा अपना लिया | इस कहानी का अंत इस प्रकार हो सकता है कि यह परिस्थितियां देखने के बाद मास्टर त्रिलोक सिंह सभी को बताते कि यदि माता-पिता और शिक्षक के होते हुए भी बच्चे भटकें तो दोस्त उन तीनों का है | शिक्षकों को अपने सभी शिष्यों को समान दृष्टि से देखना चाहिए| 


प्रश्न अभ्यास भाषा की बात :1

1. पाठ में निम्नलिखित शब्द लौहकर्म से संबंधित हैं। किसको क्या प्रयोजन है? शब्द के सामने लिखिए –

उत्तर: 

1. धौंकनी-यह आग को सुलगाने व धधकाने के काम में आती है।

2. दराँती-यह खेत में घास या फसल काटने का काम करती है।

3. सँड़सी-यह ठोस वस्तु को पकड़ने का काम करती है तथा कैंची की तरह है।  

4. आफर-भट्ठी या लुहार की दुकान।

5. हथौड़ा-ठोस वस्तु पर चोट करने का औज़ार। जो लोहे को कूटने पीटने से काम आता है| 


प्रश्न अभ्यास भाषा की बात : 2

2. पाठ में काट-छाँटकर जैसे कई संयुक्त क्रिया शब्दों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए और अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए|

उत्तर: 

1. उलट – पलटकर : मेरे पीछे किसी ने आकर सब कुछ उलट-पुलटकर रख दिया था|

2. सोच-समझकर: पिताजी ने मुझे सोच समझकर ही बाजार भेजा था| 

3. पढ़ा-लिखाकर : रीना की मां उसे पढ़ा लिखाकर अफसर बनाना चाहती है|

4.उठा-पटक: बच्चों की उठा पटक देखकर माताजी की तबीयत बिगड़ जाती है|

5. घूम- फिरकर : मैंने घूम फिर कर शिविर के चारों तरफ देखा| 


प्रश्न अभ्यास भाषा की बात: 3

3. बूते का प्रयोग पाठ में तीन स्थानों पर हुआ है उन्हें छाँटकर लिखिए और जिन संदर्भो में उनका प्रयोग है, उन संदर्भो में उन्हें स्पष्ट कीजिए।

क) बूढ़े वंशीधर के बूते का अब यह सब काम नहीं रहा।

उत्तर: लेखक स्पष्ट करना चाहते हैं कि वृद्धावस्था के कारण अब वंशीधर से खेती का काम नहीं होता|

ख) दान-दक्षिणा के बूते पर वे किसी तरह परिवार का आधा पेट भर पाते थे।

उत्तर: यह लेखक वंशीधर की दयनीय दशा का वर्णन करता है, साथ ही पुरोहिती के व्यवसाय की निरर्थकता को भी बताता है।

ग)सीधी चढ़ाई चढ़ना पुरोहित के बूते की बात नहीं थी|

उत्तर: वंशीधर  वृद्ध हो गया, जिसके कारण वह पुजारी के रूप में काम करने में सक्षम नहीं था|


प्रश्न अभ्यास भाषा की बात: 4 

4. इन वाक्यों में आप सर्वनाम का इस्तेमाल करते हुए उन्हें दुबारा लिखिए।

1) मोहन! थोड़ा दही तो ला दे बाजार से।

उत्तर: आप थोड़ा दही तो ला दो बाज़ार से| 

2) मोहन! ये कपड़े धोबी को दे तो आ।

उत्तर: तुम ये कपड़े धोबी को दे तो आ|

3) मोहन! एक किलो आलू तो ला दे।

उत्तर: आप एक किलो आलू तो ला दो|


NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 5 – Galta Loha

Introduction

Shekhar Joshi was born in Almora, Uttaranchal in 1932. The last 6 years of the last century were a landmark in the Hindi story writing world. Many youths came forward who changed the face of the typical story writing of that era. This was termed as “Nayi Kahani Andolan” or “|new story movement”, and it became the limelight of the literary world. Amongst the many talents which emerged during this period, Shekhar Joshi’s name surely stands out. His stories are representative of the revolutionary style of this new story movement.

He wrote many famous stories like Kosi ka Ghatwar, Saath ke log, Halwaha, Dajyu, etc. He also wrote a collection of stories known as “Naurangi beemar hai”. He received the pahal samman also. 

His stories mainly talk about the hardworking and poor people of society. His writing style is devoid of a show-off and is very simple. He writes about the nuances of the reality of society in a very detailed fashion. 

Galta Loha (melting iron) represents his writing style perfectly. It is a story on the division of society based on caste and depicts the depth of emotions without using big and hefty words. It is the story of a bright and young chap Mohan who is a Brahmin (considered upper caste in society), yet his poverty leads him to a mental situation where the pride of his caste seems banal.

 

Galta Loha

At the beginning of the story, Mohan, the protagonist of this story, comes out to cut down the thorny shrubs which have grown around his farm. His father, Pandit Vanshidhar, worked as a priest to provide for his family. But now he was too old and could not earn anymore. Mohan tried to take the burden off his father’s shoulders by working on the farm. 

While on his way to the farm, he takes a turn to go to the blacksmith’s colony to sharpen his sickle. There he meets his childhood friend Dhanram who gives him a job offer. Both of them had studied together though Mohan had a sharp mind and Dhanram was a bit of a dimwit. Their teacher, Triloki Singh, liked Mohan a lot for his intelligence while Dhanram used to get beaten up for not memorising his lessons.

Dhanram was a blacksmith by caste which is considered as low caste. Due to this, he was bullied and made fun of in his school days. Despite all this, Dhanram never thought of Mohan as his competitor. He learned the art of a blacksmith from his father and took up his business after he expired.

Since Mohan was good in academics, his father sent him to the city for further studies. But he was poorly treated in the city. He had to stop his studies in between due to a lack of money. He then tried looking for a job in many factories and offices but did not meet with success in finding a job. His father had high expectations for him and hoped he would become a rich man after his studies in the city, but that did not happen. 

So, once he was back in his village, he took up the work of a farmer. When he saw Dhanram moulding iron in his shop, his eyes brightened up. Dhanram was not able to mould the iron efficiently, so Mohan got up and did that job with enthusiasm and confidence. 

In the end, Mohan breaks free from the rules and shackles of the norms and the kind of job caste binds him to. Instead, he takes up the job of a blacksmith where his art and talent lies.


Benefits of NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 5 Galta Loha

  • The NCERT Solutions provide detailed explanations of the themes and characters in "Galta Loha," helping students grasp the stories effectively.

  • Developed by experienced educators, these solutions offer valuable insights into the author's intent and the moral dilemmas presented in the narrative.

  • The chapter-wise solutions present organised answers to important questions, making it easier for students to study and review the material systematically.

  • Engaging with the solutions encourages students to analyse the themes of social responsibility and integrity, fostering deeper critical thinking skills.

  • The solutions help enhance vocabulary and grammar, allowing students to improve their Hindi language proficiency through context-based learning.

  • NCERT Solutions are readily available online, providing students with easy access to study materials whenever needed.

  • By thoroughly covering all key aspects of the chapter, these solutions help students approach exam questions with confidence, knowing they are well-prepared.


CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 Other Study Materials

S. No

Important Links for Chapter 5 Galta Loha

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Class 11 Galta Loha Questions

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Class 11 Galta Loha Notes


Conclusion 

The NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 5 - "Galta Loha" provide a comprehensive understanding of the chapter and its content. This chapter is part of the Hindi textbook for Class 11 students, and it revolves around the theme of social reform and the need for change in society. Download the NCERT Solutions for chapter 5 Galta Loha for effective exam preparation.


Chapter-wise NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh


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FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 5: Galta Loha

1. How has the writer spoken about the education of books and education of money?

The writer talks about Dhanram, who is a blacksmith’s son, when he refers to these two types of education. Dhanram was getting a formal education in school and also learning the art of a blacksmith from his father, which would bring him money. He was weak in mathematics; hence, teachers would often scold and beat him. Even the teachers would give him equipment to sharpen using his art of the blacksmith.

2. Which behaviour of Mohan surprises Dhanram and why?

One-day Dhanram was trying to give a round shape to a rod of iron by melting it in a furnace. Despite his efforts, he was not able to provide it with a perfect shape. Mohan saw his struggle and efficiently and confidently took the job in his hands and moulded the iron rod into a perfect circle. Dhanram was surprised at this talent of Mohan since he was a brahmin by caste and did not learn blacksmith’s job anywhere.

3. What do the stories of the writer represent?

The writer mainly focuses on the hardships of the poor and hardworking people. He mainly represents the problems faced by society in a simple and detailed manner. The Vedantu Study guide offers the student a chance to score high in their exams by using the materials provided for free. The experts at Vedantu have provided the solutions to all the exercises chapter-wise. These can be downloaded for free from their official website (vedantu.com).

4. What is the basis of the story?

In this chapter, the writer has depicted the emotions of the people who are discriminated against by the division of caste. The story pictures two people named Mohan and Dhanram who are Brahmin and blacksmith respectively. It shows how the teachers and the other people discriminate based on caste. Vedantu offers complete and detailed solutions including the summary in a simplified way. You can refer to it online or download it for free from the link NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh.

5. Why did the Teacher like Mohan more than Dhanram?

Mohan was very intelligent in academics, while Dhanram never memorised the lessons of the subject. This is the reason why the Teacher favoured Mohan more and Dhanram would get beaten up. Vedantu offers the solutions to all the exercises in a detailed manner provided by experienced subject matter experts. The solutions can be found on their official website or downloaded for free.

6. What does Mohan do at the end of the story and how did it change his lifestyle?

Mohan realises that his art lies in the job of a Blacksmith. He drops his existing job and becomes a blacksmith. Doing this, he broke the norms and rules of the caste and the type of job that binds him to his status. Detailed answers and a summary is provided on the official website of Vedantu (vedantu.com). The experienced experts provide verified solutions in a simplified manner.

7. Who has created the solutions of Galta Loha and why is it easier to study Vednatu’s material?

The solutions are provided by experienced subject matter experts who have complete knowledge of Hindi. These solutions are verified and are in a simplified manner. The experts have designed solutions that are easily understandable by the students. They have also followed the guidelines set by the CBSE Board that focuses on the marks distributions, and the level and type of problems.

8. What is the main theme of "Galta Loha"?

The main theme of "Galta Loha," written by A. M. Nair, revolves around moral dilemmas and the responsibilities individuals have towards society. It explores the challenges of making ethical decisions in the face of personal desires and societal pressures.

9. How do NCERT Solutions for "Galta Loha" assist students?

The NCERT Solutions provide detailed explanations of the chapter’s themes, character analyses, and key events, helping students understand the narrative and its broader implications.

10. What moral lessons can be learned from the chapter?

The chapter teaches important lessons about integrity, social responsibility, and the consequences of one's actions, encouraging readers to reflect on their own decision-making.

11. What literary devices are used in "Galta Loha"?

The chapter employs various literary devices, including symbolism and imagery, to convey its messages and enhance the emotional depth of the narrative.

12. How does the story reflect social issues?

The narrative addresses relevant social issues, prompting readers to consider the impact of individual choices on community dynamics and the importance of ethical behaviour.