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CBSE Important Questions for Class 8 Hindi Vasant जहाँ पहिया है - 2025-26

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जहाँ पहिया है Class 8 Extra Questions and Answers Free PDF Download

Vedantu provides Important Questions for Hindi Vasant Chapter 9, 'जहाँ पहिया है'. This chapter highlights the social movement in Tamil Nadu's Pudukkottai district, where women embraced cycling as a symbol of freedom, self-reliance, and confidence. It became a powerful tool for breaking societal norms and empowering women both economically and socially. Download the FREE PDF to access CBSE Class 8 Hindi Vasant Important Questions so that every section of the CBSE Class 8 Hindi Syllabus is completely covered.

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Get Class 8 Hindi Chapter 9: Jahan Pahiya Hai (जहाँ पहिया है) Important Questions

1. पुडुकोट्टई जिले में महिलाओं के साइकिल चलाने के आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई?

पुडुकोट्टई, तमिलनाडु का एक पिछड़ा हुआ जिला, जहाँ महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक दोनों तरह से बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। 1990 के दशक में जब यह जिला नवसाक्षरता अभियान से जुड़ा, तो महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान, महिलाओं ने महसूस किया कि साइकिल चलाना न केवल एक व्यावहारिक आवश्यकता है, बल्कि यह स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है। महिलाओं ने साइकिल को अपनी आज़ादी का माध्यम बनाया और इसे सीखने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए गए। धीरे-धीरे यह व्यक्तिगत कौशल सामाजिक आंदोलन में बदल गया। 


2. साइकिल चलाना महिलाओं के लिए स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक कैसे बना?

साइकिल चलाना महिलाओं के लिए इसलिए स्वतंत्रता का प्रतीक बना क्योंकि यह उनके लिए पहली बार घर और समाज की सीमाओं को तोड़ने का माध्यम बना। साइकिल चलाने से वे किसी पर निर्भर नहीं रहीं—न ही पुरुषों पर और न ही सार्वजनिक परिवहन पर। वे अपने रोज़मर्रा के काम जैसे पानी लाना, बाज़ार जाना और बच्चों को स्कूल छोड़ने जैसे कार्य खुद कर सकती थीं। यह आंदोलन उनकी आत्मनिर्भरता का एक ऐसा कदम था, जिसने उन्हें आत्मसम्मान और समाज में समानता का अनुभव कराया।


3. जमीला बीवी ने साइकिल चलाने के बारे में क्या कहा?

जमीला बीवी, जो एक युवा मुस्लिम महिला थीं, ने साइकिल चलाने को अपने जीवन में आज़ादी का प्रतीक माना। उन्होंने कहा, “यह मेरा अधिकार है। अब मैं कहीं भी जा सकती हूँ और किसी पर निर्भर नहीं हूँ।” शुरुआत में उन्हें समाज की आलोचना का सामना करना पड़ा, लोगों ने फब्तियाँ कसीं, लेकिन उन्होंने इन बातों की परवाह नहीं की। उन्होंने साइकिल चलाना जारी रखा और अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया। जमीला का यह कदम तमाम रूढ़ियों को तोड़ने और अपनी पहचान स्थापित करने का साहसिक प्रयास था। 


4. फातिमा ने साइकिल चलाने को कैसे देखा, और इसके बारे में उनकी राय क्या थी?

फातिमा, जो एक माध्यमिक विद्यालय में शिक्षिका थीं, ने साइकिल चलाने को अपनी आज़ादी और खुशी का प्रतीक बताया। उनके पास साइकिल खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं था, इसलिए वे हर शाम किराए पर साइकिल लेकर चलाती थीं। उनके लिए साइकिल चलाना न केवल व्यावहारिक था, बल्कि यह उनके व्यक्तिगत आनंद और आत्मसम्मान का स्रोत भी था। उन्होंने कहा, "साइकिल चलाने से मैं खुश रहती हूँ, यह मुझे आत्मनिर्भर महसूस कराता है।" उनके विचार इस आंदोलन के भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं को उजागर करते हैं। 


5. साइकिल आंदोलन ने पुरुषों और महिलाओं के बीच संबंधों को कैसे बदला?

इस आंदोलन ने महिलाओं को समाज में एक नई पहचान दी और पुरुषों पर उनकी निर्भरता को कम कर दिया। पहले, महिलाएँ पानी लाने, बाज़ार जाने और अन्य कार्यों के लिए पुरुषों पर निर्भर रहती थीं। साइकिल चलाने से उन्होंने यह निर्भरता तोड़ दी। हालाँकि, शुरुआत में पुरुषों ने इसका विरोध किया और इसे लेकर आलोचना की, लेकिन धीरे-धीरे महिलाओं के आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को देखकर उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। इससे समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत हुई। 


6. महिलाओं के साइकिल चलाने से उनके जीवन पर क्या आर्थिक प्रभाव पड़ा?

साइकिल चलाने से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त होने का अवसर मिला। वे अब अपने उत्पादों को पास के गाँवों और बाज़ारों में बेचने के लिए तेज़ी से पहुँच सकती थीं। बसों के इंतज़ार में समय बर्बाद होने के बजाय, साइकिल ने उन्हें अधिक काम करने का समय दिया। खराब परिवहन व्यवस्था वाले इलाकों में साइकिल एक महत्वपूर्ण साधन बन गई। इसका नतीजा यह हुआ कि उनकी आय में वृद्धि हुई और वे अपने जीवन में अधिक आत्मनिर्भर हो गईं।


7. साइकिल प्रशिक्षण शिविरों का क्या महत्व था?

साइकिल प्रशिक्षण शिविर न केवल महिलाओं को साइकिल चलाना सिखाने के लिए थे, बल्कि ये उनके आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाने का माध्यम भी बने। इन शिविरों में महिलाएँ इकट्ठा होकर एक-दूसरे को सिखाती थीं और एकजुटता का प्रदर्शन करती थीं। किलाकुरुचि गाँव में रविवार को आयोजित एक शिविर में महिलाओं का उत्साह देखने लायक था। उन्होंने साइकिल चलाने को सीखने के साथ-साथ इसके लिए गाने भी गाए। 


8. साइकिल चलाने को लेकर समाज की प्रतिक्रिया कैसी थी?

शुरुआत में, समाज ने महिलाओं के साइकिल चलाने को रूढ़िवादी दृष्टिकोण से देखा। उन्हें अपमानजनक टिप्पणियाँ सुननी पड़ीं और उनका मज़ाक उड़ाया गया। लेकिन महिलाओं ने इन आलोचनाओं की परवाह नहीं की और अपने प्रयास जारी रखे। धीरे-धीरे समाज ने इस बदलाव को स्वीकार कर लिया और इसे एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा। 


9. महिलाओं ने साइकिल चलाने को लेकर कौन-कौन सी चुनौतियों का सामना किया?

महिलाओं को न केवल समाज के रूढ़िवादी दृष्टिकोण का सामना करना पड़ा, बल्कि आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। उनके पास साइकिल खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। उन्हें अपमान और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने साहस दिखाया और अपने प्रयासों से सफलता पाई। 


10. साइकिल चलाने ने महिलाओं को किस प्रकार सशक्त किया?

साइकिल चलाने ने महिलाओं को न केवल भौतिक रूप से सशक्त किया, बल्कि उनके आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को भी बढ़ाया। उन्होंने महसूस किया कि वे किसी पर निर्भर नहीं हैं और अपने कार्यों को स्वतंत्र रूप से कर सकती हैं। यह आंदोलन उनके सामाजिक, आर्थिक और मानसिक सशक्तिकरण का प्रतीक बना। 


11. महिलाओं के लिए साइकिल चलाना क्यों इतना बड़ा बदलाव था?

साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इसलिए बड़ा बदलाव था क्योंकि यह उनके जीवन में पहली बार स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता लेकर आया। इससे पहले वे पुरुषों पर निर्भर रहती थीं। साइकिल चलाने ने उन्हें अपने जीवन की कमान अपने हाथ में लेने का अवसर दिया। 


12. साइकिल चलाने से महिलाओं के दैनिक जीवन में क्या परिवर्तन आया?

महिलाएँ अब साइकिल का उपयोग करके अपने काम जल्दी और कुशलता से कर सकती थीं। वे बच्चों को स्कूल ले जाने, पानी लाने और बाज़ार जाने जैसे कार्य आसानी से कर लेती थीं। यह उनके जीवन को अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाने में मददगार साबित हुआ। 


13. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का साइकिल आंदोलन से क्या संबंध था?

1992 के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 1500 महिलाओं ने झंडे और घंटियाँ लगाकर साइकिल पर मार्च किया। यह घटना साइकिल आंदोलन की सफलता और महिलाओं के साहस और एकजुटता का प्रतीक बनी। 


14. महिला खेतिहर मज़दूरों और नर्सों के लिए साइकिल का क्या महत्व था?

महिला खेतिहर मज़दूर और नर्सें साइकिल का उपयोग अपने कार्यों को तेज़ी और कुशलता से करने के लिए करती थीं। इससे उनका समय बचता था और वे अधिक उत्पादक बन पाती थीं। 


15. साइकिल चलाने के प्रति नवसाक्षर महिलाओं की क्या भूमिका थी?

नवसाक्षर महिलाओं ने इस आंदोलन को सबसे अधिक प्रेरित किया। उन्होंने इसे अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में देखा। उन्होंने अन्य महिलाओं को भी सिखाने का प्रयास किया और इस आंदोलन को व्यापक बनाया। 


16. साइकिल चलाने की लोकप्रियता में ‘आर. साइकिल्स’ का क्या योगदान था?

‘आर. साइकिल्स’ ने बताया कि महिलाओं के साइकिल चलाने के आंदोलन के कारण लेडीज़ साइकिल की बिक्री में वृद्धि हुई। इससे पता चला कि यह आंदोलन केवल सामाजिक नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी प्रभावी था। 


17. साइकिल चलाने का आंदोलन कैसे महिलाओं के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ?

यह आंदोलन महिलाओं के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ क्योंकि इससे उन्होंने अपनी पारंपरिक भूमिकाओं और सीमाओं को तोड़ने का साहस दिखाया। साइकिल ने उन्हें आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का अनुभव कराया। 

18. साइकिल चलाने से महिलाओं को क्या भावनात्मक संतुष्टि मिली?

महिलाओं को साइकिल चलाने से आत्मसम्मान और खुशी का अनुभव हुआ। उनके लिए यह आज़ादी का प्रतीक था और एक ऐसा माध्यम था जिससे वे अपने सपनों को पूरा कर सकती थीं। 


19. क्या साइकिल चलाने का महत्व केवल आर्थिक था? फातिमा के विचारों से इसे स्पष्ट करें।

फातिमा के अनुसार, साइकिल चलाने का महत्व केवल आर्थिक नहीं है। उनके लिए यह आत्मसम्मान, खुशी और स्वतंत्रता का प्रतीक था। उन्होंने इसे अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण अनुभव के रूप में देखा। 


20. साइकिल चलाने से ग्रामीण महिलाओं का जीवन कैसे बदला?

ग्रामीण महिलाओं के जीवन में साइकिल चलाने से बड़ा बदलाव आया। वे आत्मनिर्भर बनीं, उनके कार्यों में गति और कुशलता आई। वे सामाजिक बंधनों से मुक्त होकर एक स्वतंत्र और सशक्त जीवन जीने लगीं। 


Points to Remember from Class 8 Hindi Vasant Chapter 9: Jahan Pahiya Hai

  1. Women in Pudukkottai, Tamil Nadu, used cycling as a tool to break free from societal restrictions and express their independence.

  2. Learning to ride a bicycle gave women confidence, reduced their dependency on men, and provided a sense of self-reliance.

  3. The cycling movement was closely linked to the literacy campaign, as many women involved were newly literate and eager to explore new opportunities.

  4. Cycling saved time and transportation costs, allowing women to focus on selling products in nearby villages and increasing their income.

  5. Women faced societal criticism, ridicule, and resistance initially, but their determination helped them overcome these challenges.

  6. Special training camps were organized to teach women cycling, where they supported and motivated each other to learn.

  7. Women from various backgrounds, including agricultural workers, teachers, and domestic helpers, embraced cycling for their daily needs.

  8. With bicycles, women could fetch water, transport goods, and travel to work more efficiently, significantly improving their quality of life.

  9. Cycling brought a shift in traditional gender roles, as women stepped out of their confined spaces and claimed public spaces.

  10. Beyond practicality, cycling gave women a sense of joy, freedom, and dignity, making it more than just a mode of transport.


Benefits of Important Questions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 9: Jahan Pahiya Hai

  • Questions help explore how cycling became a tool for women to achieve independence, and self-reliance, and break societal norms.

  • They reveal how cycling improved women's economic opportunities by saving time and allowing them to access markets more efficiently.

  • The questions focus on how cycling contributed to shifting traditional gender roles and gave women the confidence to occupy public spaces.

  • Important questions address the struggles women faced, such as societal criticism and financial constraints, showing their resilience and determination.

  • The insights gained from these questions can inspire similar movements for empowerment and independence in other communities.


Conclusion

To help understand this chapter better and learn the concepts, a FREE PDF of all the important questions has been provided by Vedantu. This chapter showcases how cycling empowered women in Pudukkottai, giving them freedom, confidence, and independence. It highlights a simple yet revolutionary movement that broke societal barriers and brought meaningful change to their lives.


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FAQs on CBSE Important Questions for Class 8 Hindi Vasant जहाँ पहिया है - 2025-26

1. कक्षा 8 के पाठ 'जहाँ पहिया है' के अनुसार, पुडुकोट्टई की महिलाओं के लिए साइकिल चलाना क्यों महत्वपूर्ण था?

पुडुकोट्टई की महिलाओं के लिए साइकिल चलाना केवल एक वाहन चलाना नहीं था, बल्कि यह उनकी आज़ादी, आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का प्रतीक था। इसने उन्हें पुरुषों पर अपनी निर्भरता कम करने और घर से बाहर निकलकर अपने काम खुद करने का आत्मविश्वास दिया, जिससे उनके जीवन में एक बड़ा सामाजिक बदलाव आया।

2. 'जहाँ पहिया है' पाठ में वर्णित साइकिल आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई?

पुडुकोट्टई में साइकिल आंदोलन की शुरुआत नवसाक्षरता अभियान के हिस्से के रूप में हुई। जब महिलाएँ साक्षर हुईं, तो उनमें अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता बढ़ी। उन्होंने साइकिल चलाने को अपनी गतिशीलता बढ़ाने और सामाजिक बंधनों को तोड़ने का एक शक्तिशाली माध्यम माना, जिससे यह एक बड़े आंदोलन में बदल गया।

3. साइकिल चलाना सीखने के दौरान महिलाओं को किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

शुरुआत में महिलाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें से प्रमुख थीं:

  • सामाजिक विरोध: पुरुषों ने इसका कड़ा विरोध किया और उन पर भद्दी और गंदी टिप्पणियाँ कीं।
  • आर्थिक समस्या: कई गरीब महिलाओं के पास साइकिल खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे।
  • प्रशिक्षण का अभाव: शुरुआत में साइकिल सिखाने वाला कोई नहीं था, इसलिए उन्हें खुद ही सीखना पड़ा।

4. 'पहिया' इस पाठ में केवल एक साइकिल का हिस्सा नहीं, बल्कि एक प्रतीक है। यह किन बातों का प्रतीक है?

इस पाठ में 'पहिया' कई गहरे अर्थों का प्रतीक है:

  • प्रगति का प्रतीक: यह सामाजिक और आर्थिक उन्नति को दर्शाता है, क्योंकि इसने महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद की।
  • गतिशीलता का प्रतीक: पहिये ने महिलाओं को घर की सीमाओं से निकालकर गति प्रदान की।
  • समय के चक्र का प्रतीक: यह उस बदलाव का भी प्रतीक है जो समय के साथ आया, जहाँ महिलाओं ने रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ा।
  • आत्मनिर्भरता का प्रतीक: पहिया महिलाओं के अपने दम पर चलने और किसी पर निर्भर न रहने की भावना को दर्शाता है।

5. पुडुकोट्टई में साइकिल प्रशिक्षण शिविरों ने महिला सशक्तिकरण में क्या भूमिका निभाई?

साइकिल प्रशिक्षण शिविरों ने महिला सशक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन शिविरों ने न केवल महिलाओं को व्यवस्थित तरीके से साइकिल चलाना सिखाया, बल्कि उन्हें एक-दूसरे से जुड़ने, अनुभव साझा करने और सामूहिक एकता बनाने का एक मंच भी प्रदान किया। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और वे सामाजिक विरोध का सामना करने के लिए और भी मजबूत हुईं।

6. साइकिल चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में क्या आर्थिक और व्यावहारिक बदलाव आए?

साइकिल चलाने से महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण आर्थिक और व्यावहारिक बदलाव आए:

  • आर्थिक लाभ: वे अब अपने कृषि उत्पादों को आस-पास के गाँवों में आसानी से ले जाकर बेच सकती थीं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई।
  • समय की बचत: बस का इंतज़ार करने में लगने वाला समय बचने लगा, जिससे वे उस समय का उपयोग अन्य कामों या आराम के लिए कर सकती थीं।
  • काम में आसानी: पानी लाना, बच्चों को स्कूल छोड़ना और बाज़ार से सामान लाना जैसे दैनिक काम बहुत आसान और तेज़ हो गए।

7. 'जहाँ पहिया है' पाठ यह कैसे सिद्ध करता है कि नवसाक्षरता और गतिशीलता एक दूसरे से जुड़े हुए हैं?

यह पाठ दर्शाता है कि साक्षरता केवल पढ़ना-लिखना सीखना नहीं है, बल्कि यह सोच में बदलाव लाती है। नवसाक्षर होने के बाद ही महिलाओं ने अपनी स्थिति को समझा और उसे बदलने के लिए कदम उठाए। साइकिल ने उन्हें वह भौतिक गतिशीलता प्रदान की, जो उनकी वैचारिक स्वतंत्रता को साकार करने के लिए ज़रूरी थी। इस प्रकार, साक्षरता ने उन्हें सोचने की आज़ादी दी और साइकिल ने उन्हें उस सोच को कार्य में बदलने की शक्ति दी।

8. इस साइकिल आंदोलन ने केवल महिलाओं को ही नहीं, बल्कि पुडुकोट्टई के पूरे समाज को कैसे प्रभावित किया?

यह आंदोलन केवल महिलाओं तक सीमित नहीं रहा, इसने पूरे समाज पर गहरा प्रभाव डाला। शुरुआत में पुरुषों द्वारा विरोध के बावजूद, जब हज़ारों महिलाओं ने इसे अपना लिया, तो यह एक सामाजिक स्वीकृति बन गया। इसने समाज को यह देखने पर मजबूर किया कि महिलाएँ भी पुरुषों की तरह स्वतंत्र और आत्मनिर्भर हो सकती हैं। इससे धीरे-धीरे पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं और रूढ़िवादी सोच में बदलाव की नींव पड़ी।