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हरिद्वार (पत्र) Class 8 Hindi Chapter 4 CBSE Notes 2025-26

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Hindi Notes for Chapter 4 हरिद्वार (पत्र) Class 8- FREE PDF Download

CBSE Class 8 Hindi Malhar Notes Chapter 4 are your go-to resource for quick and focused revision. Here, you’ll find clear explanations and highlights covering key points, keeping the CBSE class 4 Hindi chapter 8 in mind to help in better understanding.


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Access Revision Notes for Class 8 Hindi Chapter 4 हरिद्वार (पत्र)

भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित ‘हरिद्वार (पत्र)’ पाठ में लेखक ने अपनी हरिद्वार यात्रा का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया है। यह पत्र 14 अक्टूबर 1871 को 'कविवचन सुधा' पत्रिका के संपादक को भेजा गया था, जिसमें हरिद्वार की पावन भूमि, वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य, गंगा नदी की महिमा, वहाँ के वृक्षों, पक्षियों और लोगों का चित्रण बड़े सजीव ढंग से सामने आता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र हिंदी साहित्य के जनक माने जाते हैं, जिन्होंने हिंदी भाषा को अद्भुत साहित्यिक ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

हरिद्वार का परिचय एवं महत्त्व

हरिद्वार भारतीय संस्कृति का प्रमुख तीर्थ-स्थल है, जहाँ गंगा नदी शिवालिक पर्वतों से मैदान में प्रवेश करती है। हरिद्वार का अर्थ है ‘हरि (भगवान विष्णु) के द्वार’। यह नगर हिमालय के पादस्थल में बसा है और इसका उल्लेख अनेक पुराणों एवं धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु स्नान, पूजा एवं तीर्थयात्रा के लिए आते हैं। हर की पौड़ी, यहाँ का मुख्य घाट है, जिसे अत्यंत पवित्र माना गया है। पत्र में हरिद्वार की यात्रा एवं गंगा स्नान के पुण्य को विस्तारपूर्वक बताया गया है।

प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण

लेखक ने हरिद्वार की प्राकृतिक छटा को बड़े ही भावपूर्ण शब्दों में प्रस्तुत किया है। वृक्षों की कतारें, हरियाली, रंग-बिरंगे पक्षी, शीतल जल, स्वच्छ वातावरण एवं पर्वतों की शोभा मन को शांति और सात्विक आनंद से भर देती है। गंगा की कल-कल धारा, नीलधारा तथा घाटों का विस्तृत वर्णन करते हुए वह लिखते हैं कि जैसे ही इस भूमि पर प्रवेश करते हैं, मन शुद्ध एवं निर्मल हो जाता है।

हर की पौड़ी व गंगा का विभाजन

हरिद्वार में गंगा दो धाराओं में विभाजित हो जाती है: एक को ‘नीलधारा’ कहा जाता है, दूसरी गंगा की मुख्य धारा है। इन दोनों धाराओं के बीच नीचा पुल एवं चबूतरा है, जहाँ चण्डिका देवी का मंदिर है। हर की पौड़ी घाट अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ केवल गंगा नदी को ही पूज्य माना जाता है, अन्य देवी-देवता के पूजन का विशेष प्रचलन नहीं है। स्नान करने से पापों का नाश होने की धार्मिक मान्यता है।

त्याग, तपस्या एवं साधुओं का जीवन

हरिद्वार नगरी के चारों ओर साधु-संतों का बसेरा है। ये साधु अपने जीवन में वृक्षों की भाँति सहनशीलता, त्याग एवं तपस्या को अपनाते हैं। वे सर्दी-गर्मी, वर्षा-सर्दी सबकुछ सहन करते हुए शांतचित्त बने रहते हैं। लेखक ने गंगा तट पर बैठकर भोजन करने के अनुभव की तुलना राजसी सुख से की है। उनके अनुसार, हरिद्वार का शांत एवं सात्विक वातावरण आत्मा को स्थिरता व बालपन की अनुभूति कराता है।

भाषा एवं शैली के विशेष गुण
  • पत्र शैली में आत्मीयता एवं भावुकता स्पष्ट रूप से झलकती है।
  • स्थान, समय एवं वातावरण का सजीव चित्रण मिलता है।
  • ग्राम्य, धार्मिक एवं प्राकृतिक शब्दों का समावेश है।
  • लेखक जनमानस की भावनाएँ सीधे पाठकों तक पहुँचाते हैं।
  • प्रश्नोत्तर एवं व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति का प्रयोग।
प्रमुख विचार एवं अंश

लेखक का कहना है कि ‘सज्जन लोग वृक्षों की तरह दूसरों का उपकार बिना भेदभाव के करते हैं’। प्राकृतिक सौंदर्य देखकर लेखक के मन में वैराग्य, शांति और आत्मिकता उत्पन्न होती है। गंगा तट पर भोजन करने का सुख दुनिया की बाकी विलासिता से अधिक है। “औह संपादक महोदय, मैं लिखते-लिखते तो अब तक वहीं निवास करता हूँ”— यह अंश पत्र की आत्मीयता तथा स्थल-प्रेम को दर्शाता है।

पाठ्यांश से महत्वपूर्ण प्रश्न
  1. लेखक ने हरिद्वार की प्राकृतिक छटा को कैसे अनुभूत किया?
  2. हरिद्वार में गंगा को किस प्रकार महत्व प्राप्त है?
  3. ‘गंगा तट पर भोजन करने में क्या विशेषता है?’ समझाइए।
  4. भारतेंदु हरिश्चंद्र का हिंदी साहित्य में क्या योगदान है?
  5. ‘सज्जन’ और ‘वृक्ष’ में लेखक ने क्या समानता बताई है?
शब्दार्थ
शब्द अर्थ
गंगा पवित्र नदी
हरिद्वार तीर्थ स्थल
भूगर्भ धरती के अंदर का भाग
चण्डिका देवी का नाम
भागीरथ गंगा लाने वाले पुराणपुरुष
दार्चैनी कुशनुमा घास
महत्वपूर्ण तथ्य
  • ‘हरिद्वार (पत्र)’ भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा 1871 में ‘कविवचन सुधा’ के संपादक को लिखा गया था।
  • हर की पौड़ी हरिद्वार का प्रसिद्ध घाट है।
  • यह पत्र ‘पत्र लेखन’ की श्रेष्ठ शैली का उदाहरण है।
  • पाठ में प्रकृति, साधु-संत, गंगा एवं धार्मिक महत्त्व का सजीव चित्रण मिलता है।
  • लेखक ने आत्मिक अनुभव को सरल भाषा में पाठकों तक पहुँचाया है।
लेखक परिचय: भारतेंदु हरिश्चंद्र

भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850–1885) हिंदी के आदिकवि, नाटककार, पत्रकार और गद्यकार हैं, जिन्हें हिंदी का ‘जनक’ कहा जाता है। कविवचन सुधा, बालाबोधिनी, हरिश्चंद्र मैगजीन एवं चंद्रिका जैसी पत्रिकाएँ संपादित कीं। प्रमुख कृतियाँ: ‘अंधेर नगरी’, ‘भारत दुर्दशा’, ‘सत्य हरिश्चंद्र’ आदि। भारतेंदु हिंदी प्रवाह एवं संवेदनशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं।

अभ्यास हेतु प्रश्न
  • क्या आपने कभी किसी पहाड़ी या धार्मिक स्थल की यात्रा का पत्र लिखा है?
  • प्राकृतिक वातावरण में भोजन करने का अनुभव आपको कैसा लगा? साझा करें।
  • आपकी दृष्टि में ऐसा कौन-सा स्थान है, जहाँ जाने से मन एकदम प्रसन्न हो जाता है?
अन्वेषण (खोजबीन)

भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाटक ‘अंधेर नगरी’ इंटरनेट या पुस्तकालय से खोज कर पढ़ें और उसके पात्रों की विशेषताओं पर विचार करें।

प्रासंगिकता

‘हरिद्वार (पत्र)’ न केवल धार्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति कराता है, बल्कि हिंदी गद्य लेखन की सशक्त शैली, आत्मीयता एवं संवेदनशीलता का सुंदर उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। पाठकों को यह पत्र भारतीय संस्कृति, मानवीय मूल्यों और प्रकृति-प्रेम की ओर प्रेरित करता है।


Class 8 Hindi Chapter 4 Notes – Haridwar (Patra) Revision Key Points

These concise revision notes for Class 8 Hindi Chapter 4 – Haridwar (Patra) summarize India’s spiritual hub with author insights and exam-focused language. Every aspect, from letter-writing format to main poetic points, is covered for clarity and fast recall.


Revise important terms, character sketches, and key episodes on Haridwar’s cultural and natural beauty. These NCERT-aligned Hindi notes make pre-exam preparation efficient for all students.


FAQs on हरिद्वार (पत्र) Class 8 Hindi Chapter 4 CBSE Notes 2025-26

1. What are the most effective ways to revise CBSE Class 8 Hindi Malhar Chapter 4 notes?

To revise CBSE Class 8 Hindi Malhar Chapter 4 efficiently, focus on stepwise solutions and important questions. Use brief summaries, revise all exercise-wise answers, and highlight key definitions or literary terms. Practice writing short and long answer formats as suggested in the CBSE marking scheme for full marks.

2. How should I structure long answers for Hindi Chapter 4 to match CBSE exam patterns?

Long answers should be well-organized for higher marks. Begin with an introduction, cover all points step-by-step, and conclude clearly. Include:

  • Relevant headings/subheadings
  • Key examples or definitions
  • Neat handwriting and correct grammar

4. Where can I download the revision notes and NCERT solutions PDF for Chapter 4?

You can download Class 8 Hindi Malhar Chapter 4 revision notes and NCERT solutions PDF from Vedantu’s official Class 8 Hindi revision notes section. This allows you to revise offline, keep notes handy, and prepare quickly before exams as per the 2025–26 syllabus.

3. What are the key topics and definitions to focus on during last-minute revision?

For last-minute revision, pay attention to important definitions, key literary terms, and main theme points from each section of Chapter 4. Revise:

  • Author and chapter summary
  • Critical questions
  • Any diagrams or examples

4. How can I avoid common mistakes in CBSE Class 8 Hindi Chapter 4 revision notes?

Read questions carefully and answer only what is asked. Stick to word limits, use correct grammar, and never skip steps in stepwise solutions. Underline or highlight main points and avoid writing irrelevant content that’s not required by the question.

5. Are exercise-wise or chapter-wise solutions better for Hindi Chapter 4 exam prep?

Using exercise-wise solutions helps you tackle each question format individually and understand the marking scheme. However, chapter-wise revision notes give you a big-picture view and summary, important for quick revision before exams. A combination of both is ideal.