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Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par Class 12 Notes: CBSE Hindi (Aroh) Chapter 3

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Class 12 Hindi Notes for Chapter 3 - FREE PDF Download

Learn about Kunwar Narayan’s Kavita ke Bahaane and Baat Seedhi Thi Par with Vedantu’s notes for Class 12 Hindi—Aroh Chapter 3. These poems describe the poet's view on language, creativity, and the essence of poetry. Our Class 12 Hindi Revision Notes break down complex ideas into easy points, making learning engaging and effective for understanding the theme and analysing poetic devices.

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The first poem explains the pressures and expectations placed on poetry in contemporary times. The second poem focuses on the simplicity and directness of language. This page covers the poet, a summary, important points, and more. Download our FREE PDF notes, prepared as per the CBSE Class 12 Hindi Syllabus, and prepare effectively for your board exams.

Access Chapter 3 Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par Notes for Hindi Class 12

कवि के बारे में

कुँवर नारायण

कुँवर नारायण छायावादी युग के प्रमुख कवियों में से एक हैं। उनकी कविताएँ सरल भाषा और गहरे अर्थ के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं को स्पर्श किया है। उनकी रचनाएँ पाठकों के मन में एक गहरी छाप छोड़ती हैं।


इस इकाई में कुँवर नारायण की दो कविताएँ हैं: "कविता के बहाने", "बात सीधी थी पर" और उनके लिए नोट्स नीचे दिए गए हैं।


"कविता के बहाने" 

सारांश

"कविता के बहाने" में कवि ने कविता और जीवन के बीच संबंध को रेखांकित किया है। कविता को फूल से तुलना करते हुए, कवि बताता है कि कैसे कविता की सुंदरता और स्थायित्व फूलों से भिन्न है। कविता मुरझाई नहीं, बल्कि कालजयी होती है।


मुख्य विषय

"कविता के बहाने" में कविता की प्रकृति, स्थायित्व और उसकी सीमाओं के बारे में चर्चा की गई है। कविता को फूल से तुलना करते हुए कवि ने बताया है कि कविता की सुंदरता और स्थायित्व फूलों से भिन्न होता है। कविता कालजयी होती है जबकि फूल मुरझा जाते हैं।


पात्र चित्रण

"कविता के बहाने" में मुख्य पात्र कवि स्वयं है। वह एक चिंतक और दार्शनिक के रूप में उभरता है जो कविता और जीवन के संबंध पर विचार करता है। कविता के स्थायित्व और फूलों की नश्वरता की तुलना करते हुए वह कविता की श्रेष्ठता को उजागर करता है।


कविता के बहाने कविता का सार:

  • कविता में, कुँवर नारायण कविता की प्रकृति, उसकी उड़ान, और उसकी अनंत संभावनाओं का वर्णन करते हैं।

  • कवि कल्पना और भावनाओं को कविता की शक्ति का स्रोत मानते हैं।

  • कविता को चिड़िया और फूल से तुलना करते हुए उसकी श्रेष्ठता और स्थायित्व को उजागर करते हैं।

  • कविता बच्चों के खेल की तरह सीमाहीन और सभी को प्रभावित करने वाली मानी जाती है।


मुख्य बिंदु:

  1. कविता की उड़ान: कवि कविता की तुलना चिड़िया से करते हैं, जो कल्पनाओं और भावनाओं के पंखों पर उड़ती है। चिड़िया की उड़ान सीमित होती है, लेकिन कविता की उड़ान असीमित है।

  2. कविता का स्थायित्व: कवि फूल और कविता की तुलना करते हैं। फूल खिलते हैं और मुरझा जाते हैं, लेकिन कविता का प्रभाव स्थायी होता है।

  3. कविता और बच्चे: कवि बच्चों के खेल को कविता के समान मानते हैं। दोनों ही कल्पना और भावनाओं से परिपूर्ण होते हैं और सभी को आनंदित करते हैं।

  4. कविता की शक्ति: कविता भाषा की शक्ति का उपयोग कर लोगों को प्रेरित करती है, उन्हें विचार करने पर मजबूर करती है, और उनके जीवन में बदलाव ला सकती है।


निष्कर्ष:

"कविता के बहाने" कविता की शक्ति और उसके महत्व का एक सुंदर चित्रण है। यह कविता हमें कल्पना और भावनाओं की उड़ान भरने के लिए प्रेरित करती है और हमें जीवन की सुंदरता को देखने के लिए प्रोत्साहित करती है।


"बात सीधी थी पर"

सारांश

"बात सीधी थी पर" में कवि भाषा के महत्व पर प्रकाश डालता है। वह बताता है कि सीधी बात भी भाषा के प्रयोग के कारण जटिल हो सकती है। शब्दों के अर्थ और प्रयोग की सूक्ष्मता पर कवि जोर देता है।


मुख्य विषय

"बात सीधी थी पर" में भाषा के महत्व और उसके प्रयोग की सूक्ष्मता पर बल दिया गया है। कवि ने बताया है कि सीधी बात भी भाषा के प्रयोग के कारण जटिल हो सकती है। शब्दों के चयन और प्रयोग का प्रभाव भाषा की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।


पात्र चित्रण

"बात सीधी थी पर" में भी मुख्य पात्र कवि ही है। वह भाषा के प्रयोग में निपुण और विचारशील व्यक्ति के रूप में दिखाई देता है। कवि भाषा की शक्ति और उसके प्रभाव को समझता है और भाषा के सही प्रयोग पर जोर देता है।


"बात सीधी थी पर" कविता का सार:


  • कविता भाषा की सरलता और प्रभावशीलता पर बल देती है।

  • कविता का भाव सीधा और स्पष्ट होना चाहिए, ताकि पाठक या श्रोता आसानी से समझ सके।

  • शब्दों का चयन और प्रयोग कविता के भावों के अनुरूप होना चाहिए।


मुख्य बिंदु:

  1. सरल भाषा का महत्व: कवि का मानना ​​है कि कविता की भाषा सरल और सहज होनी चाहिए। जटिल भाषा और शब्दों का प्रयोग कविता को अस्पष्ट और प्रभावहीन बना देता है।

  2. भावों की स्पष्टता: कविता का भाव सीधा और स्पष्ट होना चाहिए। पाठक या श्रोता को कविता के अर्थ को समझने के लिए संघर्ष नहीं करना चाहिए।

  3. शब्दों का उचित प्रयोग: शब्दों का चयन और प्रयोग कविता के भावों के अनुरूप होना चाहिए। गलत या अनुचित शब्दों का प्रयोग कविता के प्रभाव को कम कर सकता है।

  4. कवि की असफलता: कवि इस कविता में स्वीकार करते हैं कि वे अपनी बात को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में विफल रहे। उन्होंने भाषा के साथ प्रयोग करके अपनी कविता को जटिल बना दिया, जिसके परिणामस्वरूप वह प्रभावहीन हो गई।


निष्कर्ष:

"बात सीधी थी पर" कविता भाषा के महत्व और उसके प्रभावी उपयोग पर एक महत्वपूर्ण संदेश देती है। यह कविता हमें याद दिलाती है कि किसी भी विचार या भाव को व्यक्त करने के लिए भाषा का सरल और प्रभावी ढंग से उपयोग करना आवश्यक है।


Learnings from Class 12 Chapter 3 Notes 

  • Both poems emphasise the crucial role of language in conveying meaning and emotion.

  • The poet is the central figure in both poems, reflecting on the creation process and the challenges faced in expressing ideas.

  • Both poems are for clarity and effectiveness in their communication, highlighting the difficulties involved.

  • The poems acknowledge the complexity and beauty of the creative process, whether in writing poetry or using language in general.


Importance of Chapter 3 Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par and Summary - PDF

  • Study notes for Chapter 3 offer a summary, saving time by focusing on essential details.

  • They highlight key themes and ideas, making it easier to understand why the chapter is essential.

  • Including meaningful quotes and clear explanations helps students better understand and remember the material.

  • The notes explain the characters and story clearly, making it easier for students to understand the chapter fully.

  • These notes are useful for quick review before exams, ensuring students are well-prepared.

  • The Notes PDF covers the entire syllabus, ensuring students understand all aspects of the chapter.


Tips for Learning the Class 12 Hindi (Aroh) Chapter 3  Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par Notes

  • Read the poems slowly and carefully, focusing on the words, phrases, and imagery.

  • Try to learn the overall meaning and message of each poem.

  • Annotate the poems, marking important lines, phrases, and literary devices.

  • Identify the themes, central ideas, and emotions expressed in each poem.

  • Examine the use of literary devices such as metaphors, similes, imagery, and symbolism.

  • Understand the structure and form of each poem, including rhyme scheme and metre.


Conclusion

Kunwar Narayan's "Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par" leaves a mark on the reader's mind, prompting deep reflection on the nature of poetry, language, and their role in society. The poems serve as a reminder of the challenges poetry faces in a world driven by technology and instant gratification. Vedantu's comprehensive notes provide a key resource for understanding the themes, symbolism, and literary devices the poet uses. By learning these poems with the help of our notes, students can learn about Bachchan's poetic brilliance for their Hindi Aroh examinations. Download our FREE PDF notes for effective learning.


Important Study Materials for Class 12 Hindi Aroh Chapter 3 Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par


Chapter-wise Revision Notes for Hindi Class 12 - Aroh


Important Study Materials for Class 12 Hindi

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FAQs on Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par Class 12 Notes: CBSE Hindi (Aroh) Chapter 3

1. इस पाठ में शामिल दो कविताओं, 'कविता के बहाने' और 'बात सीधी थी पर' का केंद्रीय भाव क्या है?

इस पाठ का मुख्य सार दो हिस्सों में है।

  • 'कविता के बहाने' कविता की असीमित शक्ति और स्थायित्व को दर्शाती है। यह बताती है कि कविता की उड़ान कल्पना के सहारे किसी भी सीमा को पार कर सकती है, जो चिड़िया की उड़ान या फूल के जीवन से कहीं अधिक है।
  • 'बात सीधी थी पर' भाषा की सहजता और सरलता पर जोर देती है। यह कविता समझाती है कि कैसे एक सीधी-सादी बात को भी जटिल शब्दों के जाल में फँसाकर उसके प्रभाव को खत्म किया जा सकता है।

2. 'कविता के बहाने' और 'बात सीधी थी पर' कविताओं में मुख्य अंतर क्या है?

इन दोनों कविताओं में मुख्य अंतर उनके विषय और संदेश में है। 'कविता के बहाने' कविता की रचनात्मकता और उसकी प्रकृति पर केंद्रित है, जहाँ कवि कविता की तुलना चिड़िया, फूल और बच्चों के खेल से करते हैं। इसके विपरीत, 'बात सीधी थी पर' भाषा के प्रयोग और संप्रेषण की चुनौतियों पर केंद्रित है, जिसमें कवि अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहने में भाषा के कारण आई कठिनाई को दर्शाते हैं।

3. 'कविता के बहाने' में कवि ने कविता की तुलना फूल से क्यों की है और कविता को श्रेष्ठ कैसे बताया है?

कवि ने कविता की तुलना फूल से उसकी सुंदरता और महक को समझाने के लिए की है। हालाँकि, वे कविता को श्रेष्ठ बताते हैं क्योंकि फूल का जीवन सीमित होता है—वह खिलता है और फिर मुरझा जाता है। इसके विपरीत, कविता शब्दों के माध्यम से अमर हो जाती है। उसका प्रभाव और संदेश समय की सीमाओं से परे होते हैं और वह कभी मुरझाती नहीं है।

4. 'बात सीधी थी पर' कविता का मूल भाव क्या है?

'बात सीधी थी पर' कविता का मूल भाव यह है कि हमें अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए सरल और सहज भाषा का प्रयोग करना चाहिए। कवि समझाते हैं कि जब वे अपनी सीधी बात को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए भाषा को जटिल बनाते हैं, तो उसका अर्थ खो जाता है और वह प्रभावहीन हो जाती है। इस प्रकार, कविता 'कथ्य' (विचार) और 'माध्यम' (भाषा) के सही संतुलन पर जोर देती है।

5. 'कविता के बहाने' में बच्चों के खेल और कविता में क्या समानता बताई गई है?

कवि के अनुसार, बच्चों के खेल और कविता दोनों ही कल्पना और रचनात्मकता से भरे होते हैं। जिस तरह बच्चों का खेल किसी भी तरह की सीमा (जैसे घर की, समय की) को नहीं मानता, उसी तरह कविता भी कल्पना की उड़ान भरते हुए सभी सीमाओं को लांघ जाती है। दोनों का उद्देश्य आनंद और सृजन करना है और वे किसी बंधन में नहीं बंधते।

6. 'बात सीधी थी पर' में कवि को अपनी बात कहने में क्या-क्या मुश्किलें आईं?

कवि को अपनी सीधी बात कहने में कई मुश्किलें आईं क्योंकि उन्होंने उसे और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए भाषा को घुमाना-फिराना शुरू कर दिया। उनकी मुख्य मुश्किलें थीं:

  • शब्दों के जाल में उलझना, जिससे बात का मूल अर्थ खो गया।
  • भाषा को जटिल बनाने के प्रयास में उसका प्रभाव कम हो जाना।
  • अंत में, बात का अपना अर्थ खोकर एक 'शरारती बच्चे' की तरह उनसे खेलने लगना, जिसे वे संभाल नहीं पाए।

7. इस अध्याय को दोहराते समय किन मुख्य अवधारणाओं पर ध्यान देना चाहिए?

इस अध्याय के त्वरित पुनरीक्षण के लिए, इन मुख्य अवधारणाओं पर ध्यान दें:

  • कविता का स्वरूप: 'कविता के बहाने' में कविता की तुलना चिड़िया, फूल और बच्चे के खेल से कैसे की गई है।
  • कविता का स्थायित्व: समझें कि कविता कैसे समय से परे है।
  • भाषा की सहजता: 'बात सीधी थी पर' में सरल भाषा के महत्व को समझें।
  • कथ्य और माध्यम का द्वंद्व: विश्लेषण करें कि कैसे भाषा (माध्यम) कभी-कभी विचार (कथ्य) पर हावी हो जाती है।

8. कुँवर नारायण की इन कविताओं में भाषा की क्या विशेषताएँ हैं?

कुँवर नारायण की इन कविताओं की भाषा अत्यंत सरल, सहज और सीधी है, जो गहरे अर्थ व्यक्त करती है। उन्होंने 'कविता के बहाने' में प्रतीकों (जैसे चिड़िया, फूल) का सुंदर प्रयोग किया है, जबकि 'बात सीधी थी पर' में उन्होंने खड़ी बोली का प्रभावी उपयोग करते हुए भाषा की जटिलताओं को उजागर किया है। उनकी भाषा में बनावटीपन नहीं है, जिससे पाठक सीधे उनके भाव से जुड़ जाता है।