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Shirish Ke Phool Class 12 Notes: CBSE Hindi (Aroh) Chapter 14

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Shirish Ke Phool Notes and Summary - FREE PDF Download

Download and Access the FREE PDF of the Revision Notes for CBSE Hindi Class 12 Aroh Chapter 14, Shirish Ke Phool Revision Notes and Summary. The chapter highlights the essay by Hazari Prasad Dwivedi about the qualities of the flower from the Shirish Tree and how it contrasts its characteristics with those in our daily lives. Vedantu offers complete revision notes, a summary, and everything you need to know about the Class 12 Aroh Chapter 14, Shirish Ke Phool. You can expand your understanding of the chapter by utilising these Class 12 Hindi Revision Notes which are created on the basis of the updated CBSE Class 12 Hindi Syllabus.

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Access Class 12 English Chapter 14 Shirish Ke Phool Notes

लेखक के बारे में: (About the Author)

हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक, आलोचक और निबंधकार थे। उनका जन्म 19 अगस्त 1907 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था। उनकी प्रमुख कृतियों में 'बाणभट्ट की आत्मकथा', 'अनामदास का पोथा', 'अशोक के फूल', और 'पुनर्नवा' शामिल हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य के आलोचना और इतिहास लेखन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। द्विवेदी जी का लेखन सरल, प्रभावी और विद्वत्तापूर्ण होता था, जिसमें भारतीय परंपराओं और मूल्यों का सजीव चित्रण मिलता था। उन्हें 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' और 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। उनका निधन 19 मई 1979 को हुआ, लेकिन उनकी रचनाएँ और विचारधारा हिंदी साहित्य में अमर हैं।


संक्षेप (Synopsis)

हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध "शिरीष के फूल" शिरीष के फूल की कोमलता और विपरीत परिस्थितियों में उसकी स्थिरता को माध्यम बनाकर जीवन में धैर्य और संघर्ष की प्रेरणा देता है। लेखक ने इसे जेठ की तपती गर्मी में लिखते हुए शिरीष को कालजयी अवधूत कहा है, जो हर मौसम में खिलता है और सुख-दुख से अप्रभावित रहता है। शिरीष के पेड़ और फूलों की विशेषताएं हमें सिखाती हैं कि कठिन परिस्थितियों में भी मस्ती और प्रसन्नता से जीवन जीना चाहिए। लेखक ने शिरीष की तुलना सन्यासी से की है, जो आत्मबल के सहारे हर कठिनाई का सामना करता है, और जीवन में स्थिरता और संघर्ष की महत्ता को दर्शाता है।


विषय (Theme):

हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध "शिरीष के फूल" का मुख्य विषय विपरीत परिस्थितियों में धैर्य, संघर्ष, और आत्मबल बनाए रखना है। शिरीष के फूल, जो आँधी, लू, और गर्मी जैसी कठिनाइयों में भी अपनी कोमलता और सुंदरता को बनाए रखते हैं, एक प्रतीक के रूप में उपयोग किए गए हैं। लेखक इस निबंध के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि जीवन में हमें भी शिरीष के फूल की तरह विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए स्थिर और संघर्षशील रहना चाहिए। निबंध में जीवन के संघर्ष, धैर्य, और आत्मबल की महत्ता को प्रमुखता से उभारा गया है, जो हमें जीवन की कठिनाइयों में भी मस्ती और प्रसन्नता से जीने की प्रेरणा देता है।


सारांश (Summary):

  • निबंध में शिरीष के फूल की कोमलता और सुंदरता को विपरीत परिस्थितियों में बनाए रखने की क्षमता पर जोर दिया गया है। चाहे वह आँधी, लू, या भयंकर गर्मी हो, शिरीष का फूल हमेशा खिला रहता है और अपनी कोमलता और सुंदरता को बनाए रखता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों के बावजूद हमें अपने गुणों को बनाए रखना चाहिए।

  • शिरीष के फूल जीवन में लगातार संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि कठिनाइयों का सामना करते हुए भी हमें प्रयासरत रहना चाहिए। शिरीष का फूल हमें याद दिलाता है कि लगातार संघर्ष और परिश्रम से हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।

  • लेखक ने शिरीष के फूल को "कालजयी अवधूत" कहा है, जो समय और मौसम के प्रभाव से मुक्त रहता है और हर परिस्थिति में खिला रहता है। यह विशेषण उसकी स्थिरता और निरंतरता को दर्शाता है, जो हमें सिखाता है कि हमें भी जीवन की प्रतिकूलताओं से अप्रभावित रहना चाहिए।

  • शिरीष के फूल की तुलना एक सन्यासी से की गई है, जो आत्मबल के सहारे हर कठिनाई का सामना करता है और सुख-दुख से अप्रभावित रहता है। जैसे एक सच्चा सन्यासी बाहरी परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होता, वैसे ही शिरीष का फूल भी अपनी आंतरिक शक्ति से खिलता रहता है। यह हमें आत्मबल की महत्ता सिखाता है।

  • लेखक ने शिरीष के फूल को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है, जो हमें सिखाता है कि हमें जीवन में स्थिरता और संघर्ष बनाए रखना चाहिए। शिरीष का फूल विपरीत परिस्थितियों में भी खिला रहता है, यह दर्शाता है कि हमें हर परिस्थिति में अपने लक्ष्यों के प्रति अडिग रहना चाहिए।

  • निबंध में जीवन की कठिनाइयों में भी मस्ती और प्रसन्नता से जीने की कला सिखाई गई है। शिरीष का फूल भयंकर गर्मी और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भी खिलता रहता है। यह हमें संदेश देता है कि जीवन की हर कठिनाई के बीच भी हमें खुशी और उत्साह के साथ जीना चाहिए।


Important Points to Shirish Ke Phool Class 12 Summary:

  • The Shirish flower symbolises resilience, maintaining its beauty and softness despite harsh conditions like storms and intense heat.

  • The flower inspires persistent struggle and perseverance in life, teaching us to remain steadfast in facing challenges.

  • Described as an "eternal ascetic," the Shirish flower remains unaffected by time and seasons, embodying stability and continuous growth.

  • The comparison to an ascetic highlights the importance of inner strength and staying unaffected by external circumstances.

  • The essay emphasises living joyfully and enthusiastically, even amidst life's difficulties, drawing inspiration from the Shirish flower's characteristics.


Importance of Class 12 Hindi (Aroh) Chapter 14 Shirish Ke Phool Summary - Notes PDF

  • Revision notes provide a simple summary of the chapter, saving time during revision by highlighting the main points.

  • The notes highlight key themes and concepts, making it easier to understand and remember the chapter's importance.

  • Important points and simple explanations are included, helping students understand and remember the material better.

  • The notes explain the characters and the story clearly, making it easier for students to understand the chapter fully.

  • These notes help quickly review important points before exams, ensuring students are well-prepared.

  • The Notes PDF covers the entire syllabus, ensuring that every topic is included and the chapter is fully understood.


Tips for Learning the Class 12 Hindi (Aroh) Chapter 14 Shirish Ke Phool Summary and Notes PDF

  • Read the summary for a quick chapter overview and understand the main storyline and key messages.

  • Focus on the theme to grasp the underlying message of resilience and maintaining one's essence in adverse conditions.

  • Review the important points to reinforce your understanding of key concepts, including the symbolism of the Shirish flower and its comparison to an ascetic.

  • The synopsis provides a detailed outline of the chapter, helping readers understand the structure and flow of the essay and follow the author's arguments and observations.

  • Relate the messages from the chapter to real-life examples or personal experiences, making the concepts more relatable and easier to remember.

  • Regularly revise the notes to keep the information fresh in your mind, and practice writing short answers or essays to ensure your answers are well-structured and cover all important aspects.


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Conclusion

"Shirish ke Phool" by Hazari Prasad Dwivedi teaches the value of resilience and inner strength through the symbolism of the Shirish flower, which thrives despite harsh conditions. Vedantu's revision notes help by providing clear summaries, themes, and key points, making it easier to grasp the chapter's essence. These revision notes and Summary PDF facilitate quick revision, ensure comprehensive understanding, and effectively relate the chapter's messages to real-life situations.


Chapter-wise Revision Notes for Hindi Class 12 - Aroh


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FAQs on Shirish Ke Phool Class 12 Notes: CBSE Hindi (Aroh) Chapter 14

1. कक्षा 12 के 'शिरीष के फूल' पाठ के त्वरित रिवीज़न के लिए मुख्य बातें क्या हैं?

शिरीष के फूल' अध्याय के त्वरित रिवीज़न के लिए इन मुख्य बातों पर ध्यान दें:

  • अजेय जीवन-शक्ति: शिरीष का फूल भीषण गर्मी, लू और आँधी में भी खिला रहता है, जो जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी जीने की प्रेरणा देता है।
  • अवधूत का प्रतीक: लेखक ने शिरीष की तुलना एक कालजयी अवधूत (संन्यासी) से की है, जो सुख-दुःख, मोह-माया से परे रहकर आत्मबल से जीता है।
  • कोमलता और कठोरता का संतुलन: शिरीष के फूल अत्यंत कोमल होते हैं, लेकिन उनके फल बहुत कठोर और स्थायी होते हैं। यह जीवन में कोमलता और दृढ़ता के संतुलन का प्रतीक है।
  • गाँधीजी से तुलना: लेखक ने शिरीष के अवधूत रूप की तुलना महात्मा गाँधी से की है, जो बाहरी दबावों से अप्रभावित रहकर अपने सिद्धांतों पर टिके रहे।
  • सामाजिक संदेश: यह निबंध हमें सिखाता है कि अधिकार और शक्ति क्षणिक होते हैं, जबकि आंतरिक शक्ति और अनासक्ति ही स्थायी है।

2. 'शिरीष के फूल' पाठ का सारांश क्या है जिसे परीक्षा से पहले दोहराया जा सके?

यह निबंध लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया है, जिसमें शिरीष के फूल को प्रतिकूल परिस्थितियों में भी धैर्य, संघर्ष और आत्मबल बनाए रखने का प्रतीक बताया गया है। लेखक बताते हैं कि जब जेठ की तपती गर्मी में सब कुछ झुलस जाता है, तब भी शिरीष का पेड़ फूलों से लदा रहता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में कठिनाइयों के बावजूद हमें अपनी सहजता और आनंद को नहीं खोना चाहिए। लेखक ने शिरीष की तुलना एक अनासक्त योगी से की है, जो हर हाल में मस्त रहता है।

3. रिवीज़न करते समय 'शिरीष के फूल' के केंद्रीय भाव को समझना क्यों महत्वपूर्ण है?

इस पाठ का केंद्रीय भाव समझना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केवल एक फूल का वर्णन नहीं, बल्कि जीवन का एक गहरा दर्शन है। केंद्रीय भाव (संघर्ष में भी धैर्य और अनासक्ति) को समझे बिना आप उच्च-स्तरीय वैचारिक प्रश्नों (HOTS) का उत्तर नहीं दे पाएँगे। यह भाव आपको लेखक के उद्देश्य, प्रतीकों के अर्थ और मानवीय मूल्यों पर की गई टिप्पणी को जोड़ने में मदद करता है, जिससे आपके उत्तरों में गहराई आती है।

4. लेखक ने शिरीष को 'कालजयी अवधूत' क्यों कहा है? रिवीज़न के लिए इसका क्या महत्व है?

लेखक ने शिरीष को 'कालजयी अवधूत' इसलिए कहा है क्योंकि वह समय (काल) के प्रभाव से मुक्त होकर हर परिस्थिति में खिला रहता है। जैसे एक अवधूत (संन्यासी) सुख-दुःख, मान-अपमान से अप्रभावित रहता है, वैसे ही शिरीष का फूल भी भीषण गर्मी और लू से अप्रभावित रहकर अपनी कोमलता और सौंदर्य बिखेरता है। रिवीज़न के लिए इसका महत्व यह है कि यह पाठ के मुख्य संदेश - अनासक्ति और आत्मबल को समझने में मदद करता है।

5. 'शिरीष के फूल' पाठ में किन प्रमुख साहित्यिक विशेषताओं पर रिवीज़न के दौरान ध्यान देना चाहिए?

रिवीज़न के दौरान निम्नलिखित साहित्यिक विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करें:

  • प्रतीकात्मकता: शिरीष का फूल एक अवधूत, धैर्य और आंतरिक शक्ति का प्रतीक है।
  • मानवीकरण: लेखक ने शिरीष के पेड़ और फूलों को मानवीय भावनाओं और गुणों से जोड़ा है, जैसे 'मस्तमौला' होना।
  • ललित निबंध शैली: यह निबंध वैचारिक होने के साथ-साथ अत्यंत सहज, सरल और आत्मीय भाषा में लिखा गया है।
  • तत्सम शब्दों का प्रयोग: लेखक ने 'कालजयी', 'अवधूत', 'अनासक्त' जैसे गंभीर अर्थ वाले तत्सम शब्दों का प्रयोग किया है।

6. शिरीष के फूल के प्रतीक को लेकर छात्रों में एक आम गलतफहमी क्या हो सकती है?

एक आम गलतफहमी यह है कि शिरीष का फूल केवल कोमलता या क्षणभंगुर सौंदर्य का प्रतीक है। वास्तव में, लेखक ने इसकी कोमलता के माध्यम से इसकी असाधारण सहनशीलता और आंतरिक शक्ति (आत्मबल) को उजागर किया है। यह फूल बाहरी कोमलता के पीछे छिपी हुई कठोर जीवटता का प्रतीक है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानती।

7. लेखक शिरीष के माध्यम से आधुनिक समाज और नेताओं पर क्या व्यंग्य करते हैं?

लेखक शिरीष के स्थायी और शांत स्वभाव की तुलना उन नेताओं और अधिकार-संपन्न लोगों से करते हैं जो कुछ समय के लिए शक्ति पाकर घमंड में चूर हो जाते हैं और भूल जाते हैं कि उनका पद अस्थायी है। शिरीष हमें सिखाता है कि असली शक्ति बाहरी पद में नहीं, बल्कि गाँधीजी जैसे महापुरुषों की तरह आंतरिक अनासक्ति और धैर्य में होती है। यह आधुनिक समाज की क्षणिक सफलता की चाह पर एक गहरा व्यंग्य है।