NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 Alternating Current In Hindi Mediem
Download the Class 12 Physics NCERT Solutions in Hindi medium and English medium as well offered by the leading e-learning platform Vedantu. If you are a student of Class 12, you have reached the right platform. The NCERT Solutions for Class 12 Physics in Hindi provided by us are designed in a simple, straightforward language, which are easy to memorise. You will also be able to download the PDF file for NCERT Solutions for Class 12 Physics in Hindi from our website at absolutely free of cost.
NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT Textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.
Class: | |
Subject: | |
Chapter Name: | Chapter 7 - Alternating Current |
Content-Type: | Text, Videos, Images and PDF Format |
Academic Year: | 2024-25 |
Medium: | English and Hindi |
Available Materials: |
|
Other Materials |
|
We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes.
Access NCERT Solutions for Class 12 Science (Physics) Chapter 7 – Alternative Current
अभ्यास
1. एक \[100{\text{ }}\Omega \] का प्रतिरोधक \[220{\text{ }}V,{\text{ }}50{\text{ }}Hz\] आपूर्ति से संयोजित है।
(a) परिपथ में धारा का rms मान कितना है?
(b) एक पूरे चक्र में कितनी नेट शक्ति व्यय होती है?
उत्तर:
(a).यहाँ $R = 100\Omega ,{V_{rms}} = 220$ वोल्ट, $f = 50\;Hz$
${I_{rms}} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{R} = \dfrac{{220\;}}{{100\;}} = 2.2$ ऐम्पियर
(b) प्रतिरोधक में पूरे एक चक्र में व्यय औसत शक्ति $P = {V_{rms}} \times {I_{rms}} = 220$ वोल्ट $ \times 2.2$ ऐम्पियर $ = 484$ वाट
2. (a) \[ac\] आपूर्ति का शिखर मान \[300{\text{ }}V\] है। \[rms\] वोल्टता कितनी है?
(b) \[ac\] परिपथ में धारा का \[rms\] मान \[10{\text{ }}A\] है। शिखर धारा कितनी है?
उत्तर: (a) यहाँ ${V_0} = 300$ वोल्ट
$ = 150 \times 1.414$ वोल्ट $ = 212.1$ वोल्ट
(b) यहाँ ${I_{rms}} = 10$ ऐम्पियर
$\therefore \;{I_0}\;\; = {I_{rms}} \times \sqrt 2 = 10\sqrt 2 \;A\;\;\;\; = 10 \times 1.414\; = 14.14\;A\;\;$
3.एक \[44{\text{ }}mH\] को प्रेरित्र \[220{\text{ }}V,{\text{ }}50{\text{ }}Hz\] आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ में धारा के \[rms\] मान को ज्ञात कीजिए।
उत्तर: यहाँ $L = 44{\text{mH}} = 44 \times {10^{ - 3}}{\text{H}}$;
${{\text{V}}_{rms}} = 220$ Volt, $f = 50\;{\text{Hz}}$
$\therefore \quad $ प्रेरक का प्रेरकीय प्रतिघात
${X_L} = 2\pi f L = 2 \times 3.14 \times 50 \times 44 \times {10^{ - 3}}{\text{ ohm}}$
$ = 13.816{\text{ ohm }}$
$\therefore \quad $ धारा का ${r_{rms}}$ मान $\left( {{I_{rms}}} \right) = \dfrac{{{V_{rms}}}}{{{X_L}}} = \left( {\dfrac{{220}}{{13.816}}} \right)\dfrac{{{\text{ volt }}}}{{{\text{ ohm}}}}$ $ = {\mathbf{15}}.{\mathbf{92}}$ ऐम्पियर
4. एक \[60{\text{ }}\mu F\] का संधारित्र \[110{\text{ }}V,{\text{ }}60{\text{ }}Hz{\text{ }}ac\] आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ में धारा के \[rms\] मान को ज्ञात कीजिए।
उत्तर: दिया है, $C = 60\mu {\text{F}} = 60 \times {10^{ - 6}}\;{\text{F}},{V_{rms}} = 110\;{\text{V}},f = 60\;{\text{Hz}}$ धारितीय प्रतिघात, ${x_C} = \dfrac{1}{{\omega C}} = \dfrac{1}{{2\pi fC}}$
धारा ${\text{rms}}$ मान, ${I_{rms}} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{{{X_C}}} = 2\pi fC{V_{rms}}$ $ = 2 \times 3.14 \times 60 \times \left( {60 \times {{10}^{ - 6}}} \right) \times 110\;{\text{A}} = {\mathbf{2}}.{\mathbf{49A}}$
5. प्रश्न \[3\] व \[4\] में एक पूरे चक्र की अवधि में प्रत्येक परिपथ में कितनी नेट शक्ति अवशोषित होती है? अपने उत्तर का विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न \[3\] व \[4\]दोनों में नेट शून्य शक्ति पूरे चक्र में खर्च की जाती है।
विवरण- शुद्ध प्रारंभ करनेवाला और शुद्ध समाई दोनों में वर्तमान और संभावित अंतर के बीच \[90^\circ \] का एक चरण अंतर है।
शक्ति गुणांक \[cos{\text{ }}\phi {\text{ }} = {\text{ }}cos{\text{ }}90^\circ {\text{ }} = {\text{ }}0\]
प्रत्येक में नेट शक्ति व्यय \[P{\text{ }} = {\text{ }}{V_{rms}} \times {i_{rms}}\; \times cos{\text{ }}\phi {\text{ }} = {\text{ }}0\]
6. एक LCR परिपथ की, जिसमें \[L{\text{ }} = {\text{ }}2.0{\text{ }}H,{\text{ }}C{\text{ }} = {\text{ }}32{\text{ }}\mu F\] तथा \[R{\text{ }} = {\text{ }}10{\text{ }}\Omega \] अनुनाद आवृत्ति \[{\omega _r}\] परिकलित कीजिए। इस परिपथ के लिए \[Q\] का क्या मान है?$
उत्तर:
दिया है, \[L{\text{ }} = {\text{ }}2.0\] हेनरी
\[C{\text{ }} = {\text{ }}32{\text{ }} \times {10^{ - 6}}\;\] फैराडे
\[R{\text{ }} = {\text{ }}10\] ओम
अनुनादी आवृत्ति ${\omega _r} = ?,Q$-गुणक
अनुनादी आवृत्ति ${\omega _r} = \dfrac{1}{{\sqrt {LC} }} = \dfrac{1}{{\sqrt {2 \times 32 \times {{10}^{ - 6}}} }}$
$ = \dfrac{{{{10}^3}}}{8} = 125\;Rad/s\;$
परिपथ का $Q$-गुणक $ = \dfrac{1}{R}\sqrt {\dfrac{L}{C}} = \dfrac{1}{{10}}\sqrt {\dfrac{2}{{32 \times {{10}^{ - 6}}}}} = 25$
7. \[30{\text{ }}\mu F\] का एक आवेशित संधारित्र $27\;{\text{mH}}$ के प्रेरित्र से जोड़ा गया है। परिपथ के मुक्त दोलनों की कोणीय आवृत्ति कितनी है?
उत्तर:
दिया है,
\[C{\text{ }} = {\text{ }}30{\text{ }}\mu F{\text{ }} = {\text{ }}30{\text{ }} \times {10^{ - 6}}\;F,{\text{ }}L{\text{ }} = {\text{ }}27{\text{ }}mH{\text{ }} = {\text{ }}27{\text{ }} \times {10^{ - 3}}\;H\]
प्रारम्भिक आवेश, \[{q_0} = {\text{ }}6{\text{ }}mC{\text{ }} = {\text{ }}6{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 3}}\;C\]
मुक्त दोलनों की कोणीय आवृत्ति, $\omega = \dfrac{1}{{\sqrt {LC} }}$
$ = \dfrac{1}{{\sqrt {27 \times {{10}^{ - 3}} \times 30 \times {{10}^{ - 6}}} }} = \dfrac{{{{10}^4}}}{9} = 1.1 \times {10^3}{\text{rad}}{{\text{s}}^{ - 1}}$
8. कल्पना कीजिए कि प्रश्न \[7\] में संधारित्र पर प्रारम्भिक आवेश \[6{\text{ }}mC\] है। प्रारम्भ में परिपथ में कुल कितनी ऊर्जा संचित होती है? बाद में कुल ऊर्जा कितनी होगी?
उत्तर: \[200V{\text{ }}ac\]
दिया है, \[C{\text{ }} = {\text{ }}30{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 6}}\;F,{\text{ }}{Q_0} = {\text{ }}6{\text{ }} \times {10^{ - 3}}\;C\]
प्रारम्भ में परिपथ में संचित ऊर्जा
\[E{\text{ }} = \] संधारित्र की ऊर्जा + प्रेरित्र की ऊर्जा
$= \dfrac{1}{2}\dfrac{{Q_0^2}}{C} + \dfrac{1}{2}Li_0^2 $
$= \dfrac{1}{2} \times \dfrac{{6 \times {{10}^{ - 3}} \times 6 \times {{10}^{ - 3}}}}{{30 \times {{10}^{ - 6}}}} $
$= 0.6\;{\text{J}}\quad \left[ {\because {i_0} = 0} \right] $
परिपथ में कोई प्रतिरोध नहीं जुड़ा है तथा शुद्ध धारिता तथा शुद्ध प्रेरक में ऊर्जा हानि नहीं होती है। अतः बाद में परिपथ में कुल \[0.6{\text{ }}J\] ऊर्जा ही बनी रहेगी।
9. एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ को, जिसमें \[R{\text{ }} = {\text{ }}20{\text{ }}\Omega ,{\text{ }}L{\text{ }} = {\text{ }}1.5{\text{ }}H\] तथा \[C{\text{ }} = {\text{ }}35{\text{ }}\mu F\], एक परिवर्ती आवृत्ति की आपूर्ति से जोड़ा गया है। जब आपूर्ति की आवृत्ति परिपथ की मूल आवृत्ति के बराबर होती है तो एक पूरे चक्र में परिपथ को स्थानान्तरित की गई माध्य शक्ति कितनी होगी?
उत्तर:
जब आपूर्ति की आवृत्ति = परिपथ की मूल आवृत्ति, तो परिपथ \[\left( {L - C - R} \right)\] अनुनादी परिपथ होगा जिसकी प्रतिबाधा \[Z{\text{ }} = \] ओमीय प्रतिरोध \[R{\text{ }} = {\text{ }}20\] ओम
अत: शक्ति गुणांक $cos\phi = \dfrac{R}{Z} = \dfrac{{20\;}}{{20\;\;}} = 1\left( {\because {I_{rms}} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{Z}} \right)$
अत: परिपथ को स्थानान्तरित की गयी माध्य शक्ति
अथवा
$ {P } = {V_{rms}} \times {I_{rms}} \times cos\phi $
$ = {V_{rms}} \times \left( {\dfrac{{{V_{rms}}}}{Z}} \right)cos\phi$
$ = \left( {\dfrac{{{{\left( {{V_{rms}}} \right)}^2}}}{Z}} \right)cos\phi $
$ = \left[ {\dfrac{{{{(200\;volt\;)}^2}}}{{20\;ohm}}} \right] \times 1 $
$ = 2000\;W $
$ = 2\;KW\;\; $
10. एक रेडियो को \[MW\] प्रसारण बैण्ड के एक खण्ड के आवृत्ति परास के एक ओर से दूसरी ओर (\[800{\text{ }}kHz\] से \[1200{\text{ }}kHz\]) तक समस्वरित किया जा सकता है। यदि इसके \[LC\] परिपथ का प्रभावकारी प्रेरकत्व \[200{\text{ }}\mu H\] हो तो उसके परिवर्ती संधारित्र की परास कितनी होनी चाहिए?
संकेत : समस्वरित करने के लिए मूल आवृत्ति अर्थात् LC परिपथ के मुक्त दोलनों की आवृत्ति रेडियो तरंग की आवृत्ति के समान होनी चाहिए
उत्तर: दिया है, ${f_1} = 800{\text{kHz}} = 800 \times {10^3}\;{\text{Hz}},{f_2} = 1200{\text{kHz}} = 1200 \times {10^3}\;{\text{Hz}}\;{\text{L}}$
$ = 200\mu {\text{H}} = 200 \times {10^{ - 6}}{\text{H}}$
समस्वरित करने के लिए, परिपथ के दोलनों की मूल आवृत्ति $\left( { = \dfrac{1}{{2\pi \sqrt {LC} }}} \right)$ रेडियो तरंग की आवृत्ति के बराबर होनी चाहिये।
$\therefore \;f\;\; = \dfrac{1}{{2\pi \sqrt {LC} }} \Rightarrow \;C = \dfrac{1}{{4{\pi ^2}{f^2}L}}\;f\;\; = {f_1} = 800 \times {10^3}\;Hz\;$
${C_1}\;\; = \dfrac{1}{{4 \times {{(3.14)}^2} \times (800 \times {{10}^3}{;^2} \times 200 \times {{10}^{ - 6}}}}\;\;\; = 197.8 \times {10^{ - 12}}\;F = 198pF.\;f\;\; = {f_2} = 120 \times {10^3}\;Hz\;$
$\;{C_2}\;\; = \dfrac{1}{{4 \times {{(3.14)}^2} \times \left( {1200 \times {{10}^3} \times 200 \times {{10}^{ - 6}}} \right)}}\;\;\; = 88 \times {10^{ - 12}}\;F = 88pF\;$
अर्थात् परिवर्ती संधारित्र की धारिता परास $88pF$ से $198pF$ होनी चाहिये।
11. चित्र में एक श्रेणीबद्ध \[LCR\] परिपथ दिखलाया गया है जिसे परिवर्ती आवृत्ति के के स्रोत से जोड़ा गया है। \[L{\text{ }} = {\text{ }}5.0{\text{ }}H,{\text{ }}C{\text{ }} = {\text{ }}80{\text{ }}\mu F,{\text{ }}R{\text{ }} = {\text{ }}40{\text{ }}\Omega \]\[230{\text{ }}V\]
(a) स्रोत की आवृत्ति निकालिए जो परिपथ में अनुनाद उत्पन्न करे।
उत्तर: यहाँ $L = 5.0{\text{H}},C = 80 \times {10^{ - 6}}\;{\text{F}},R = 40\Omega $, ${V_{rms}} = 230$ वोल्ट
(a) अनुनाद पर स्रोत की कोणीय आवृत्ति
$\omega = {\omega _0} = \dfrac{1}{{\sqrt {LC} }} = \dfrac{1}{{\sqrt {\left( {5.0 \times 80 \times {{10}^{ - 6}}} \right)} }}$
$ = 50$ रेडियन/ सेकण्ड $ = 50$ सेकण्ड$ - 1$
(b) परिपथ की प्रतिबाधा तथा अनुनादी आवृत्ति पर धारा का आयाम निकालिए।\
(b) $L - C - R$ श्रेणी अनुनादी परिपथ की अनुनाद पर प्रतिबाधा
$Z = R = 40$ ओम
$\because Z = \sqrt {{R^2} + {{\left( {{X_L} - {X_C}} \right)}^2}} $ तथा ${X_L} = {X_C}$
धारा का आयाम ${I_0} = \dfrac{{{V_0}}}{Z} = \dfrac{{V_{rms}^ - \sqrt 2 }}{Z} = \left( {\dfrac{{230\sqrt 2 }}{{40}}} \right)$ ऐम्पियर
$ = [(230 \times 1.414)/40]{\text{A}} = 8.1\;{\text{A}}$
(c) परिपथ के तीनों अवयवों के सिरों पर विभवपात के \[rms\] मानों को निकालिए। दिखलाइए कि अनुनादी आवृत्ति पर \[LC\] संयोग के सिरों पर विभवपात शून्य है।
(c) अनुनाद पर, प्रेरकीय प्रतिघात
$ = 250\Omega $${X_L} = \omega L = \left( {50 \times 5.0} \right)\Omega $
तथा धारितीय प्रतिघात ${X_C} = $ प्रेरकीय प्रतिघात $ = 250\Omega $
धारा का $rms$ मान अर्थात् ${I_{rms}} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{Z}$
$ = \dfrac{{230\;V}}{{40\Omega }} = \left( {\dfrac{{23}}{4}} \right)A$
$\therefore \;R$ के सिरों पर विभवान्तर
${V_R} = {I_{rms}} \cdot R = (\dfrac{{23}}{4}, \times 40\;V\; = 230\;V$
$C$ के सिरों पर विभवान्तर
${V_C} = {I_{rms}}.{X_C} = \left[ {\dfrac{{23}}{4} \times 250} \right]\; = 1437.5\;\;V$
$L$ के सिरों पर विभवान्तर
${V_L} = {I_{rms}}.{X_L} = \left[ {\dfrac{{23}}{4} \times 250} \right] = 1437.5\;V$
$\therefore \;$ अनुनाद पर $L - C$ संयोग के बीच विभवान्तर
$.{V_{LC}} = {V_L} - {V_C} = 0$
अतिरिक्त अभ्यास
12. किसी \[LC\] परिपथ में \[20{\text{ }}mH\] का एक प्रेरक तथा \[50{\text{ }}uF\] का एक संधारित्र है जिस पर प्रारम्भिक आवेश \[10{\text{ }}mC\] है। परिपथ का प्रतिरोध नगण्य है। मान लीजिए कि वह क्षण जिस पर परिपथ बन्द किया जाता है \[t{\text{ }} = {\text{ }}0\] है।
(a) प्रारम्भ में कुल कितनी ऊर्जा संचित है? क्या यह \[LC\] दोलनों की अवधि में संरक्षित है?
उत्तर:दिया है, $L = 20 \times {10^{ - 3}}{\text{H}},\quad C = 50 \times {10^{ - 6}}\;{\text{F}},\quad {Q_0} = 10 \times {10^{ - 3}}{\text{C}}$
(a) प्रारम्भ में कुल संचित ऊर्जा
$E = \dfrac{1}{2}\dfrac{{Q_0^2}}{C} + \dfrac{1}{2}Li_0^2 = \dfrac{1}{2} \times \dfrac{{{{\left( {10 \times {{10}^{ - 3}}} \right)}^2}}}{{50 \times {{10}^{ - 6}}}} = {\mathbf{1}}.{\mathbf{0}}\;{\mathbf{J}}\quad \left[ {\because {i_0} = 0} \right]$
$\because $ परिपथ में शुद्ध प्रतिरोध नहीं लगा है; अत: परिपथ की कुल ऊर्जा संरक्षित है।
(b) परिपथ की मूल आवृत्ति क्या है?
(b) परिपथ की मूल आवृत्ति
${\omega _r} = \dfrac{1}{{\sqrt {LC} }} = \dfrac{1}{{\sqrt {20 \times {{10}^{ - 3}} \times 50 \times {{10}^{ - 6}}} }} = 1000{\text{rad}}{{\text{s}}^{ - 1}}$
\[\therefore v = \dfrac{{{\omega _r}}}{{2\pi }} = \dfrac{{1000}}{{2 \times 3.14}} = {\mathbf{159}}\;{\mathbf{Hz}}\]
(c) किस समय पर संचित ऊर्जा ।
(i) पूरी तरह से विधुत है (अर्थात वह संधारित्र में संचित है)?
(c) संधारित्र के निरावेशन समीकरण $Q = {Q_0}\cos \omega t$ से, आवेश $Q$ महत्तम अर्थात् ${Q_{\max }} = \pm {Q_0}$ होगा।
जबकि $t = 0,\dfrac{T}{2},T,\dfrac{{3T}}{2}, \ldots .$ आदि
$(\because \cos \omega t = \pm 1)$
इन क्षणों पर धारा $i$ शून्य होगी।
इसके विपरीत आवेश $Q$ शून्य होगा, यदि
$\cos \omega t = 0\quad \Rightarrow \quad t = \dfrac{T}{4},\dfrac{{3T}}{4},\dfrac{{5T}}{4}, \ldots $इन क्षणों पर धारा $i$ महत्तम होगी।
अत: (i) क्षणों $t = 0,\dfrac{T}{2},T,\dfrac{{3T}}{2}, \ldots $ आदि पर कुल ऊर्जा विधुत ीय होगी अर्थात संधारित्र में संचित होगी।
(ii) पूरी तरह से चुम्बकीय है (अर्थात प्रेरक में संचित है)?
(ii) क्षणों $t = \dfrac{T}{4},\dfrac{{3T}}{4},\dfrac{{5T}}{4}, \ldots $ आदि पर कुल ऊर्जा चुम्बकीय होगी अर्थात् प्रेरक में संचित होगी।
जहाँ $T = \dfrac{1}{v} = \dfrac{1}{{159}} = 0.0063\;{\text{s}}$
(d) किन समयों पर सम्पूर्ण ऊर्जा प्रेरक एवं संधारित्र के मध्य समान रूप से विभाजित है?
(d) प्रारम्भ में परिपथ की कुल ऊर्जा $E = \dfrac{{Q_0^2}}{{2C}}$
यदि किसी समय $t$ पर संधारित्र पर आवेश $Q$और कुल ऊर्जा संधारित्र और प्रारंभ करनेवाला के बीच आधा वितरित है, तो
इस क्षण संधारित्र की ऊर्जा $ = \dfrac{1}{2}E$
$ \Rightarrow \quad \dfrac{1}{2}\dfrac{{{Q^2}}}{C} = \dfrac{1}{2}\left( {\dfrac{{Q_0^2}}{{2C}}} \right)$
$ \Rightarrow \quad {Q^2} = \dfrac{1}{2}Q_0^2\quad \Rightarrow \quad {\left( {{Q_0}\cos \omega t} \right)^2} = \dfrac{1}{2}Q_0^2$
$ \Rightarrow \quad \cos \omega t = \dfrac{1}{{\sqrt 2 }} = \cos \dfrac{\pi }{4}\quad $ या $\quad \omega t = \dfrac{\pi }{4}$
$ \Rightarrow \quad \dfrac{{2\pi }}{T}t = \dfrac{\pi }{4}\quad \Rightarrow \quad t = \dfrac{T}{8}$
अत: व्यापक रूप में, $t = \dfrac{T}{8},\dfrac{{3T}}{8},\dfrac{{5T}}{8},\dfrac{{7T}}{8}, \ldots $ आदि समयों पर कुल ऊर्जा संधारित्र व प्रेरक में बराबर-बराबर बँटी होगी।
(e) यदि एक प्रतिरोधक को परिपथ में लगाया जाए तो कितनी ऊर्जा अन्ततः ऊष्मा के रूप में क्षयित होगी?
(e)यदि परिपथ में प्रतिरोध जोड़ दिया जाए, तो धीरे-धीरे परिपथ की सारी ऊर्जा प्रतिरोधक में ऊष्मा के रूप में खर्च हो जाएगी।
13. एक कुण्डली को जिसका प्रेरण \[0.50{\text{ }}H\] तथा प्रतिरोध \[100{\text{ }}\Omega \] है, \[240{\text{ }}V,50{\text{ }}Hz\] की एक आपूर्ति से जोड़ा गया है।
(a) कुण्डली में अधिकतम धारा कितनी है?
उत्तर: यहाँ $L = 0.50H,R = 100\Omega $,
${V_{rms}} = 240$ वोल्ट, $f = 50\;Hz$
(a) वोल्टता का अधिकतम मान
${V_0} = {V_{rms}} \times \sqrt 2 = 240\sqrt 2 $ वोल्ट
परिपथ का प्रेरकीय प्रतिघात
${X_L} = 2\pi fL = 2 \times 3.14 \times 50 \times 0.50$ ओम $ = 157$ ओम
$\therefore \left( {L - R} \right)$ परिपथ की प्रतिबाधा
$Z = \sqrt {{R^2} + X_L^2} = \left[ {\sqrt {{{(100)}^2} + {{(157)}^2}} } \right] = 186\;ohm\;$.
$\therefore \;$ अधिकतम धारा ${I_0} = \dfrac{{{V_0}}}{Z} = \left[ {\dfrac{{240\sqrt 2 }}{{186}}} \right]$ ऐम्पियर $ = 1.82$ ऐम्पियर
(b) वोल्टेज शीर्ष व धारा शीर्ष के बीच समय-पश्चता (time lag) कितनी है?
(b) धारा तथा वोल्टता के बीच कलान्तर $\phi $ हो, तो-
कला पश्चता
$\phi \;\; = ta{n^{ - 1}}\left( {\dfrac{{\Delta L}}{R}} \right) = ta{n^{ - 1}}\left( {\dfrac{{157}}{{10}}} \right)\;\;\; = ta{n^{ - 1}}\left( {1.57} \right) \approx {57.5^ \circ }\;\;\; = \left( {\dfrac{{{{57.5}^ \circ }}}{{180}}} \right)\pi \;Rad\;$
समय पश्चता
$\Delta t = \left( {\dfrac{T}{{2\pi }}} \right)\phi \;\left[ {\because \phi = \left( {\dfrac{{2\pi }}{T}} \right) \times \Delta t} \right]$
$ = \left( {\dfrac{{1/f}}{{2\pi }}} \right)\phi = \dfrac{\phi }{{2\pi f}} = \dfrac{{\left( {\dfrac{{57.5}}{{180}}} \right)\pi }}{{2\pi \times 50}}\; = 3.2 \times {10^{ - 3}}\;s = 3.2\;milli\;seconds\;$
14. यदि परिपथ को उच्च आवृत्ति की आपूर्ति \[\left( {240V,{\text{ }}10{\text{ }}kHz} \right)\] से जोड़ा जाता है तो प्रश्न \[13{\text{ }}\left( a \right)\] तथा \[\left( b \right)\] के उत्तर निकालिए। इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृत्ति पर किसी परिपथ में प्रेरक लगभग खुले परिपथ के तुल्य होता है। स्थिर अवस्था के पश्चात किसी dc परिपथ में प्रेरक किस प्रकार का व्यवहार करता है?
उत्तर: दिया है, ${V_{rms}} = 240v,v = 10kHz = 10000\;Hz,L = 0.5H,R = 100\Omega $
(a) प्रेरक का प्रतिघात
${X_L} = 2\pi vL\;\;\; = 2 \times 3.14 \times 10000 \times 0.5 = 31400\Omega \;$
$Z\;\;\; = \sqrt {{R^2} + X_L^2} \;\;\; \approx 31400\Omega \;\left[ {\because R < < {X_L}} \right]\;$
$\therefore $ परिपथ में महत्तम धारा ${i_0} = \dfrac{{{V_{rms}}\sqrt 2 }}{Z} = \dfrac{{240,2}}{{31400}} \approx 0.009\;A$
(b)
$\tan \phi \;\; = \dfrac{{{X_L}}}{R} = \dfrac{{31400}}{{100}} = 314\; \Rightarrow \;\phi \;\;\; = {\tan ^{ - 1}}\left( {\dfrac{3}{4}} \right) = {89.8^ \circ } \approx {90^ \circ }\;$
$\;t\;\;\; = \dfrac{\phi }{{2\pi v}} = \dfrac{{{{90}^ \circ }}}{{2 \times {{180}^ \circ } \times 1000}}\; \Rightarrow \;t\;\; = 2.5 \times {10^{ - 5}}\;s\;$
महत्तम धारा ${i_0}$ का मान अत्यन्त कम है इससे यह निष्कः प्राप्त होता है कि अति उच्च आवृत्ति की धाराओं के लिए प्रेरक खुले परिपथ की भाँति व्यवहार करता है।
$\because \;$ दिष्ट धारा के लिए $v = 0$
अत: दिष्ट धारा परिपथ में ${X_L} = 2\pi vL = 0$
अत: दिष्ट धारा परिपथ में प्रेरक साधारण चालक की भाँति व्यवहार करता है
15. \[40{\text{ }}\Omega \] प्रतिरोध के श्रेणीक्रम में एक \[100{\text{ }}\mu F\] के संधारित्र को \[110{\text{ }}V,{\text{ }}60{\text{ }}Hz\] की आपूर्ति से जोड़ा गया है।
(a) परिपथ में अधिकतम धारा कितनी है?
उत्तर: दिया है, $R = 40\Omega ,C = 100 \times {10^{ - 6}}\;F,\;{V_{rms}} = 110\;V,\;v = 60\;Hz$
(a) धारितीय प्रतिघात ${X_C} = \dfrac{1}{{2\pi vC}} = \dfrac{1}{{2 \times 3.14 \times 60 \times 100 \times {{10}^{ - 6}}}}$
$ = 26.54\Omega $
$\therefore \;$ प्रतिबाधा $Z = \sqrt {\left[ {{R^2} + X_C^2} \right]} = \sqrt {\left[ {{{(40)}^2} + {{(26.54)}^2}} \right]} $
$ = 48.0\Omega $
$\therefore $ परिपथ में महत्तम धारा
${i_0} = \dfrac{{{V_0}}}{Z} = \dfrac{{{V_{rms}}\sqrt 2 }}{Z} = \dfrac{{110\sqrt 2 }}{{48.0}} = 3.24A$
(b) धारा शीर्ष व वोल्टेज शीर्ष के बीच समय-पश्चता कितनी है?
उत्तर: $\therefore \;$ समय पश्चता $t = \dfrac{\phi }{\omega } = \dfrac{\phi }{{2\pi v}}$
$ \Rightarrow \;t = \dfrac{{33.5}}{{2 \times 180 \times 60}} = 0.00155\;s = 1.55\;ms$
16. यदि परिपथ को \[110{\text{ }}V,{\text{ }}12{\text{ }}kHz\] आपूर्ति से जोड़ा जाए तो प्रश्न \[15{\text{ }}\left( a \right)\] व \[\left( b \right)\] का उत्तर निकालिए। इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृत्तियों पर एक संधारित्र चालक होता है। इसकी तुलना उस व्यवहार से कीजिए जो किसी dc परिपथ में एक संधारित्र प्रदर्शित करता है।
उत्तर:दिया है, $R = 40\Omega ,C = 100 \times {10^{ - 6}}\;F,{V_{rms}} = 110\;V,\;v = 12 \times {10^3}\;Hz$
(a) संधारित्र का प्रतिघात
${X_C} = \dfrac{1}{{2\pi vC}} = \dfrac{1}{{2 \times 3.14 \times 12 \times {{10}^3} \times 100 \times {{10}^{ - 6}}}} = 0.133\Omega $
$ \therefore \;Z = \sqrt {\left[ {{R^2} + X_C^2} \right]} = \sqrt {\left[ {{{(40)}^2} + {{(0.133)}^2}} \right]} = 40.0002 \approx 40.0\Omega $
$\therefore $ महत्तम धारा ${i_0} = \dfrac{{{V_{rms}}\sqrt 2 }}{Z} = \dfrac{{110\sqrt 2 }}{{40.0}} = 3.88A$
(b) $\;tan\phi = - \dfrac{{{X_C}}}{R} = - \dfrac{{0.133}}{{40}} = - 3.3 \times {10^{ - 3}}\; \Rightarrow \;\;\left| \phi \right| = ta{n^{ - 1}}\left( {0.0033} \right) = {0.18^ \circ }\;$
भाग (a) के उत्तर से हम निष्कर्ष निकाल-सकते हैं कि अति उच्च आवृत्ति की धारा के लिए संधारित्र का प्रतिघात नगण्य होता है अर्थात् यह एक शुद्ध चालक की भाँति व्यवहार करता है। स्थायी दिष्ट धारा हेतु $v = 0$; अत:
धारितीय प्रतिघात ${X_C} = \dfrac{1}{{2\pi vC}} = \infty $
17. स्रोत की आवृत्ति को एक श्रेणीबद्ध \[LCR\] परिपथ की अनुनासी आवृत्ति के बराबर रखते हु तीन अवयवों \[L{\text{ C}}\]तथा को समान्तर क्रम में लगाते हैहाल्ल्शाइए किसमान्तर \[LCR\] परिपथ में इस आवृत्ति पर कुल धारा न्यूनतम है। इस आवृति के लिए प्रश्न \[11\] में निर्दिष्ट स्रोत तथा अवयवों के लिए परिपथ की हर शाखा में धारा के \[rms\] मान को परिकलित। कीजिए।
उत्तर: समान्तर $LCR$ सर्किट प्रतिबाधा$Z$ निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है-
$\dfrac{1}{Z} = \sqrt {\left[ {\dfrac{1}{{{R^2}}} + {{\left( {\dfrac{1}{{{X_C}}} - \dfrac{1}{{{X_L}}}} \right)}^2}} \right]} $
अनुनादी आवृत्ति के लिए ${X_C} = {X_C}$
अत: इस स्थिति में $\dfrac{1}{Z}$ न्यूनतम होगी; अत: प्रतिबाधा $Z$ अधिकतम होगी।
$\therefore $ परिपथ में प्रवाहित कुल धारा न्यूनतम होगी।
प्रश्न 11 से ${V_{rms}} = 230\;V,R = 40\Omega ,L = 5.0H$
$C = 80 \times {10^{ - 6}}\;F,\omega = 50rad{s^{ - 1}}$
(अनुनादी आवृत्ति)
$\because L,C$ व $R$ तीनों समान्तर क्रम में जुड़े हैं।
अत: तीनों के सिरों का विभवान्तर समान $($ प्रत्येक ${V_{rms}} = 230\;V)$ होगा।
अत: प्रतिरोध में धारा ${i_R} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{R} = \dfrac{{230}}{{40}} = 5.75\;A$
प्रेरक में धारा ${i_L} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{{\omega L}} = \dfrac{{230}}{{50 \times 5}} = 0.92A$
संधारित्र में धारा ${i_C} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{{{X_C}}} = \omega C \times {V_{rms}}$
$ = 50 \times 80 \times {10^{ - 6}} \times 230 = 0.92\;A$
18. एक परिपथ को जिसमें \[80{\text{ }}mH\] का एक प्रेरक तथा \[60{\text{ }}\mu F\] का संधारित्र श्रेणीक्रम में है, \[230V,{\text{ }}50{\text{ }}Hz\] की आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ का प्रतिरोध नगण्य है।
(a) धारा का आयाम तथा \[rms\] मानों को निकालिए।
उत्तर: दिया है, $L = 80 \times {10^{ - 3}}H,C = 60 \times {10^{ - 6}}\;F,{V_{rms}} = 230\;V,v = 50\;Hz$
(a) प्रेरण प्रतिघात ${X_L} = 2\pi vL = 2 \times 3.14 \times 50 \times 80 \times {10^{ - 3}}$ $ = 25.12\Omega $
धारितीय प्रतिघात ${X_L} = \dfrac{1}{{2\pi vC}} = \dfrac{1}{{2 \times 3.14 \times 50 \times 60 \times {{10}^{ - 6}}}} = 53.07\Omega $
$\therefore $ परिपथ की प्रतिबाधा $Z = {X_C} \sim {X_L} = 27.95 \approx 28\Omega $
$\therefore \;$ परिपथ में धारा ${i_{rms}} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{Z} = \dfrac{{230}}{{28}} = 8.21A$
धारा का शिखर मान ${i_0} = {i_{rms}}\sqrt 2 = 8.21 \times 1.414 = 11.60\;A$
(b) हर अवयव के सिरों पर विभवपात के \[rms\] मानों को निकालिए।
उत्तर- (b) प्रेरक के सिरों पर विभवपात
${V_L} = {i_{rms}} \times {X_L} = 8.21 \times 25.12 = 206\;V$
संधारित्र के सिरों पर विभवपात
${V_C} = {i_{rms}} \times {X_C} = 8.21 \times 53.07 = 436\;V$
(c) प्रेरक में स्थानान्तरित माध्य शक्ति कितनी है?
उत्तर- (c) $\because $ प्रेरक के लिए धारा तथा विभवान्तर के बीच कलान्तर $\phi = \dfrac{\pi }{2}$
$\therefore \;$ प्रेरक में माध्य शक्ति ${P_L} = {V_{rms}} \times {i_{rms}} \times cos\dfrac{\pi }{2} = 0$
(d) संधारित्र में स्थानान्तरित माध्य शक्ति कितनी है?
उत्तर- (d) संधारित्र के लिए धारा तथा विभवान्तर के बीच कलान्तर $\phi = \dfrac{\pi }{2}$
$\therefore $ संधारित्र में माध्य शक्ति ${P_C} = {V_{rms}} \times {i_{rms}} \times cos\dfrac{\pi }{2} = 0$
(e) परिपथ द्वारा अवशोषित कुल माध्य शक्ति कितनी है?
‘माध्य में यह समाविष्ट है कि इसे पूरे चक्र के लिए लिया गया है।
उत्तर- (e) परिपथ द्वारा अवशोषित माध्य शक्ति भी शून्य होगी।
19. कल्पना कीजिए कि प्रश्न \[18\] में प्रतिरोध \[15{\text{ }}\Omega \] है। परिपथ के हर अवयव को स्थानान्तरित माध्य शक्ति तथा सम्पूर्ण अवशोषित शक्ति को परिकलित कीजिए।
उत्तर:प्रश्न \[18\] से, ${X_L} = 25.12\Omega ,{X_C} = 53.07\Omega $
तथा $R\;\; = 15\Omega ,\;{V_{rms}} = 230\;V\;Z\;\; = \sqrt {\left[ {{R^2} + {{\left( {{X_L} \sim {X_C}} \right)}^2}} \right]} \;\;\; = \sqrt {\left[ {{{(15)}^2} + {{(25.12 - 53.07)}^2}} \right]} = 31.7\Omega \;$
$\therefore \;$ परिपथ में धारा
${i_{rms}} = \dfrac{{{V_{rms}}}}{Z} = \dfrac{{230}}{{31.7}} = 7.26A$
प्रेरक तथा संधारित्र दोनों को स्थानान्तरित माध्य शक्ति शून्य है। प्रतिरोध को स्थानान्तरित माध्य शक्ति ${P_R} = {\left( {{i_{rms}}} \right)^2} \times R = {(7.26)^2} \times 15 = 791W$ परिपथ द्वारा अवशोषित सम्पूर्ण माध्य शक्ति $ = $
20. एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ को जिसमें L = 0.12 H, C = 480 nF, R = 23 Ω, 230 V परिवर्ती आवृत्ति वाल स्रोत से जोड़ा गया है।
(a) स्रोत की वह आवृत्ति कितनी है जिस पर धारा आयाम अधिकतम है? इस अधिकतम मान को निकालिए।
उत्तर- अधिकतम धारा के लिए ${X_L} = {X_C}$ (अनुनाद की स्थिति)
इस स्थिति में स्रोत की आवृत्ति
${\omega _0} = \dfrac{1}{{\sqrt {LC} }} = \dfrac{1}{{\sqrt {0.12 \times 480 \times {{10}^{ - 9}}} }} = 4167rad{s^{ - 1}}\;{v_0} = \dfrac{\omega }{{2\pi }} = \dfrac{{4167}}{{2 \times 3.14}} = 663Hz\;$
इस आवृत्ति के लिए परिपथ की प्रतिबाधा $Z = R = 23\Omega $
$\therefore \;$ धारा का आयाम ${i_0} = \dfrac{{{V_0}}}{Z} = \dfrac{{{V_{rms}}\sqrt 2 }}{R}$
$ \Rightarrow \;{i_0} = \dfrac{{230\sqrt 2 }}{{23}} = 14.14\;A$
(b) स्रोत की वह आवृत्ति कितनी है जिसके लिए परिपथ द्वारा अवशोषित माध्य शक्ति अधिकतम है?
उत्तर- चूंकि $प्रारंभ करनेवाला और संधारित्र द्वारा अवशोषित माध्य शक्तियाँ शून्य हैं।
$\therefore $ परिपथ द्वारा अवशोषित माध्य शक्ति $P = i_{rms}^2 \times R \Rightarrow P \propto i_{rms}^2$ स्पष्ट है कि शक्ति $P$ महत्तम होगी यदि प्रवाहित धारा महत्तम हो। इसके लिए ${X_L} = {X_C}$
अत: स्रोत की आवृत्ति ${\omega _0} = \dfrac{1}{{\sqrt {LC} }} = 4167\;Hz$
अथवा
${v_0} = 663Hz$
इस स्थिति में माध्य शक्ति
$P\;\; = i_{rms}^2 \times R = {\left( {\dfrac{{{i_0}}}{{\sqrt 2 }}} \right)^2} \times R\;\;\; = \dfrac{1}{2} \times {(14.14)^2} \times 23 = 2300W\;$
(c) स्रोत की किस आवृत्ति के लिए परिपथ को स्थानान्तरित शक्ति अनुनादी आवृत्ति की शक्ति की आधी है?
उत्तर-
$\Delta \omega = \dfrac{R}{{2L}} = \dfrac{{23}}{{2 \times 0.12}} = 95.8rad{s^{ - 1}}\;\therefore \;\Delta v = \dfrac{{\Delta \omega }}{{2\pi }} = \dfrac{{95.8}}{{2 \times 3.14}} = 15.2Hz\;$
इसलिए, वे आवृत्तियाँ जिन पर परिपथ द्वारा अवशोषित शक्ति अधिकतम शक्ति की आधी होगी,
(d) दिए गए परिपथ के लिए Q कारक कितना है?
उत्तर- परिपथ के लिए $Q = \dfrac{{{X_L}}}{R} = \dfrac{{{\omega _0}L}}{R} = \dfrac{{4167 \times 0.12}}{{23}} = 21.7$
21. एक श्रेणीबद्ध \[LCR\] परिपथ के लिए जिसमें \[L{\text{ }} = {\text{ }}3.0{\text{ }}H,{\text{ }}C{\text{ }} = {\text{ }}27{\text{ }}\mu F\] तथा \[R{\text{ }} = {\text{ }}7.4{\text{ }}\Omega \] अनुनादी आवृत्ति तथा $1$ कारक निकालिए। परिपथ के अनुनाद की तीक्ष्णता को सुधारने की इच्छा से “अर्ध उच्चिष्ठ पर पूर्ण चौड़ाई” को \[2\] गुणक द्वारा घटा दिया जाता है। इसके लिए उचित उपाय सुझाइए।
उत्तर: अनुनादी आवृत्ति ${\omega _r} = \dfrac{1}{{\sqrt {LC} }} = \dfrac{1}{{\sqrt {3.0 \times 27 \times {{10}^{ - 6}}} }} = 111{\text{rad}}{{\text{s}}^{ - 1}}$ तथा
$Q = \dfrac{{{X_L}}}{R} = \dfrac{{{\omega _r} \times L}}{R} = \dfrac{{111 \times 3.0}}{{7.4}} = 45$
पूरी चौड़ाई को आधा-अधिकतम करने के लिए या समान आवृत्ति के लिए Q को दोगुना करने के लिए, प्रतिरोध को R से आधा किया जाना चाहिए।
22. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a). क्या किसी \[ac\] परिपथ में प्रयुक्त तात्क्षणिक वोल्टता परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़े गए अवयवों के सिरों पर तात्क्षणिक वोल्टताओं के बीजगणितीय योग के बराबर होता है? क्या यही बात \[rms\] वोल्टताओं में भी लागू होती है?
उत्तर- हाँ, परन्तु यह तथ्य \[rms\] वोल्टताओं के लिए सत्य नहीं है क्योंकि विभिन्न अवयवों की \[rms\] वोल्टताएँ समान कला में नहीं होती।
(b). प्रेरण कुण्डली के प्राथमिक परिपथ में एक संधारित्र का उपयोग करते हैं।
उत्तर- संधारित्र को जोड़ने से, परिपथ को तोड़ते समय चिनगारी देने वाली धारा संधारित्र को आवेशित करती है; अतः चिनगारी नहीं निकल पाती।
(c). एक प्रयुक्त वोल्टता संकेत एक \[dc\] वोल्टता तथा उच्च आवृत्ति के एक \[ac\] वोल्टता के अध्यारोपण से निर्मित है। परिपथ एक श्रेणीबद्ध प्रेरक तथा संधारित्र से निर्मित है। दर्शाइए कि \[dc\] संकेत ${\text{'C'}}$ तथा \[ac\] संकेत ${\text{'L'}}$ के सिरे पर प्रकट होगा।
उत्तर- संधारित्र \[dc\] सिग्नल को रोक देता है; अत: \[dc\] सिग्नल वोल्टेज संधारित्र के सिरों पर दिखाई देगा जबकि\[ac\] सिग्नल प्रेरक के सिरों पर प्रकट होगा।
(d). एक लैम्प से श्रेणीक्रम में जुड़ी चोक को एक \[dc\] लाइन से जोड़ा गया है। लैम्प तेजी से चमकता है। चोक में लोहे के क्रोड को प्रवेश कराने पर लैम्प की दीप्ति में कोई अन्तर नहीं पड़ता है। यदि एक \[ac\] लाइन से लैम्प का संयोजन किया जाए तो तदनुसार प्रेक्षणों की प्रागुक्ति कीजिए।
उत्तर- \[dc\] लाइन के लिए \[V{\text{ }} = {\text{ }}0\]
अतः चोक की प्रतिबाधा \[{X_L} = {\text{ }}2\pi vL{\text{ }} = {\text{ }}0\]
अतः चोक दिष्ट धारा के मार्ग में कोई रुकावट नहीं डालती, इससे लैम्प तेज चमकता है। \[ac\] लाइन में चोक उच्च प्रतिघात उत्पन्न करती है (${\text{'L'}}$ का मान अधिक होने के कारण); अतः लैम्प में धारा घट जाती है और उसकी चमक मद्धिम पड़ जाती है।
(e). \[ac\] मेंस के साथ कार्य करने वाली फ्लोरोसेंट ट्यूब में प्रयुक्त चोक कुण्डली की आवश्यकता क्यों होती है? चोक कुण्डली के स्थान पर सामान्य प्रतिरोधक का उपयोग क्यों नहीं होता?
उत्तर- चोक कॉइल एक प्रारंभ करनेवाला के रूप में कार्य करता है और बिना बिजली खर्च किए करंट को कम करता है। अगर चोक की जगह रेसिस्टर का इस्तेमाल करेंतो वह धारा को कम तो कर देगा परन्तु इसमें विधुत शक्ति ऊष्मा के रूप में व्यय होती रहेगी।
23. एक शक्ति संप्रेषण लाइन अपचायी ट्रांसफॉर्मर में जिसकी प्राथमिक कुण्डली में \[4000\] फेरे हैं, \[2300\] वोल्ट पर शक्ति निवेशित करती है। \[230V\] की निर्गत शक्ति प्राप्त करने के लिए द्वितीयक में कितने फेरे होने चाहिए?
उत्तर:दिया है, ${N_P} = 4000,\;{V_P} = 2300\;V,\;{V_S} = 230\;V,{N_S} = ?$ सूत्र $\dfrac{{{V_S}}}{{{V_P}}} = \dfrac{{{N_S}}}{{{N_P}}}$ से,
द्वितीयक कुण्डली में फेरों की संख्या
${N_S} = \dfrac{{{V_S}}}{{{V_P}}} \times {N_P} = \dfrac{{230}}{{2300}} \times 4000 = 400$
24. एक जल विधुत शक्ति संयंत्र में जल दाब शीर्ष \[300{\text{ }}m\] की ऊँचाई पर है तथा उपलब्ध जल प्रवाह \[100{\text{ }}{m^3}{s^{ - 1}}\;\] है। यदि टरबाइन जनित्र की दक्षता \[60\% \] हो तो संयंत्र से उपलब्ध विधुत शक्ति का आकलन कीजिए, \[g{\text{ }} = {\text{ }}9.8{\text{ }}m{\text{ }}{s^{ - 2}}\]
उत्तर:
दिया है, $h = 300m,g = 9.8m/s$ , जल का आयतन \[V{\text{ }} = {\text{ }}100{\text{ }}{m^3}\], समय $t = 1s$ , जनित्र की दक्षता $ = 60\% $
जलविधुत शक्ति = जल स्तंभ दबाव x प्रति सेकंड बहने वाले पानी की मात्रा
$ = hvg \times V = 300 \times 10 \times 9.8 \times 100 = 29.4 \times {10^7}\;{\text{W}}$
जनित्र द्वारा उत्पन्न विधुत शक्ति = कुल शक्ति x दक्षता
$ = 29.4 \times 107 \times \dfrac{{60}}{{100}} = 176.4 \times 106W = 176.4MW$
25. \[440V\] पर शक्ति उत्पादन करने वाले किसी विधुत संयंत्र से \[15{\text{ }}km\] दूर स्थित एक छोटे से कस्बे में \[220{\text{ }}V\] पर \[800{\text{ }}kW\] शक्ति की आवश्यकता है। विधुत शक्ति ले जाने वाली दोनों तार की लाइनों का प्रतिरोध \[0.5{\text{ }}\Omega \] प्रति किलोमीटर है। कस्बे को उप-स्टेशन में लगे \[4000 - 220V\] अपचायी ट्रांसफॉर्मर से लाइन द्वारा शक्ति पहुँचती है।
(a) ऊष्मा के रूप में लाइन से होने वाली शक्ति के क्षय का आकलन कीजिए।
उत्तर:
(a) तार की लाइनों का प्रतिरोध \[R{\text{ }} = {\text{ }}30{\text{ }}km{\text{ }} \times {\text{ }}0.5{\text{ }}\Omega {\text{ }}k{m^{ - 1}}\; = {\text{ }}15{\text{ }}\Omega \]
उप-स्टेशन पर लगे ट्रांसफॉर्मर के लिए \[{V_p} = {\text{ }}4000{\text{ }}V,{\text{ }}{V_s} = {\text{ }}220{\text{ }}v\] माना।
प्राथमिक परिपथ में धारा \[ = {\text{ }}{i_p}\]
द्वितीयक परिपथ में धारा \[ = {\text{ }}{i_s}\]
ट्रांसफॉर्मर द्वारा सेकेंडरी सर्किट को सप्लाई की जाने वाली पावर
$ V_{S} \times {i_S} = 800\;kW = 800 \times {10^3}\;W$
$\therefore {V_P} \times {i_P} = {V_S} \times {i_S}$ से,
प्राथमिक परिपथ में धारा ${i_P} = \dfrac{{{V_S} \times {i_S}}}{{{V_P}}} = \dfrac{{800 \times {{10}^3}}}{{4000}} = 200\;A$
यह करंट सप्लाई लाइन से होकर गुजरता है।
लाइन में होने वाला शक्ति क्षय \[P{\text{ }} = {\text{ }}{i_p}^2 \times {\text{ }}R{\text{ }} = {\text{ }}{\left( {200} \right)^2} \times {\text{ }}15{\text{ }}W{\text{ }} = {\text{ }}600{\text{ }}kW\]
(b) संयंत्र से कितनी शक्ति की आपूर्ति की जानी चाहिए, यदि क्षरण द्वारा शक्ति का क्षय नगण्य है।
(b) संयंत्र द्वारा आपूर्ति की जाने वाली शक्ति \[ = {\text{ }}800{\text{ }}kW{\text{ }} + {\text{ }}600{\text{ }}kW{\text{ }} = {\text{ }}1400{\text{ }}kW\]
(c) संयंत्र के उच्चायी ट्रांसफॉर्मर की विशेषता बताइए।
(c) सप्लाई लाइन पर विभवपात \[V{\text{ }} = {\text{ }}{i_p} \times {\text{ }}R{\text{ }} = {\text{ }}200 \times {\text{ }}15{\text{ }} = {\text{ }}3000{\text{ }}V\]
उप-स्टेशन पर लगा अपचायी ट्रांसफॉर्मर 4000 V – 220 V प्रकार का है;
अतः इस ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक कुण्डली पर विभवपात = 4000 V
संयंत्र पर लगे उच्चायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा प्रदान की जाने वाली वोल्टता = 3000 + 4000 = 7000 V
अत: यह ट्रांसफॉर्मर 440 V – 7000 V प्रकार का होना चाहिए।
सप्लाई लाइन में प्रतिशत शक्ति क्षय \[ = \dfrac{{600kW}}{{1400kW}} \times 100 = 42.86\% \]
26. प्रश्न \[26\] को पुनः कीजिए। इसमें पहले के ट्रांसफॉर्मर के स्थान पर \[40,000 - 220{\text{ }}V\] का अपचायी ट्रांसफॉर्मर है। पूर्व की भाँति क्षरण के कारण हानियों को नगण्य मानिए। यद्यपि अब यह सन्निकटन उचित नहीं है, क्योंकि इसमें उच्च वोल्टता पर संप्रेषण होता है अतः समझाइए कि क्यों उच्च वोल्टता संप्रेषण अधिक वरीय है?
उत्तर:(a) पूर्व प्रश्न की भाँति ${V_S} \times {i_S} = 800 \times {10^3}$
$\therefore \;{i_P} = \dfrac{{{V_S} \times {i_S}}}{{{V_P}}} = \dfrac{{800 \times {{10}^3}}}{{40000}} = 20\;A\;[\because $ इस बार ${V_P} = 40000\;V]$
$\therefore \;$ लाइन में होने वाला शक्ति व्यय $P = i_S^2 \times R$
$ \Rightarrow \;P = {(20)^2} \times 15 = 6000\;W = 6kW$
(b) संयंत्र द्वारा प्रदान की जाने वाली शक्ति \[ = {\text{ }}800{\text{ }}kW{\text{ }} + {\text{ }}6{\text{ }}kW{\text{ }} = {\text{ }}808{\text{ }}W\]
(c) सप्लाई लाइन पर विभवपात \[V{\text{ }} = {\text{ }}{I_p} \times R{\text{ }} = {\text{ }}20{\text{ }} \times 15{\text{ }} = {\text{ }}300{\text{ }}V\]
उपस्टेशन पर लगा ट्रांसफॉर्मर \[40000{\text{ }}V{\text{ }}-{\text{ }}220{\text{ }}V\] प्रकार का है; अतः इसकी।
प्राथमिक कुण्डली पर विभवपात \[ = {\text{ }}40000{\text{ }}V\]
प्लांट माउंटेड स्टेप अप ट्रांसफार्मर द्वारा प्रदान किया गया
वोल्टता \[ = {\text{ }}40000{\text{ }}V{\text{ }} + {\text{ }}300{\text{ }}V{\text{ }} = {\text{ }}40300{\text{ }}V\]
संयंत्र पर लगा ट्रांसफॉर्मर \[440{\text{ }}V{\text{ }}-{\text{ }}40300{\text{ }}V\] प्रकार का होना चाहिए।
सप्लाई लाइन में प्रतिशत शक्ति क्षय $ = \dfrac{6}{{806}} \times 100 = 0.74\% $
प्रत्यावर्ती धारा \[247\] प्रश्न \[25\] व \[26\] के हलों से स्पष्ट है कि विधुत शक्ति उच्च वोल्टता पर सम्प्रेषित करने से सप्लाई लाइन में होने वाला शक्ति क्षय बहुत घट जाता है। यही कारण है कि विधुत उत्पादन संयंत्रों से विधुत शक्ति का सम्प्रेषण उच्च वोल्टता पर किया जाता है।
NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 Alternating Current In Hindi
Chapter-wise NCERT Solutions are provided everywhere on the internet with an aim to help the students to gain a comprehensive understanding. Class 12 Physics Chapter 7 solution Hindi medium is created by our in-house experts keeping the understanding ability of all types of candidates in mind. NCERT textbooks and solutions are built to give a strong foundation to every concept. These NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 in Hindi ensure a smooth understanding of all the concepts including the advanced concepts covered in the textbook.
NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 in Hindi medium PDF download are easily available on our official website (vedantu.com). Upon visiting the website, you have to register on the website with your phone number and email address. Then you will be able to download all the study materials of your preference in a click. You can also download the Class 12 Physics Alternating Current solution Hindi medium from Vedantu app as well by following the similar procedures, but you have to download the app from Google play store before doing that.
NCERT Solutions in Hindi medium have been created keeping those students in mind who are studying in a Hindi medium school. These NCERT Solutions for Class 12 Physics Alternating Current in Hindi medium pdf download have innumerable benefits as these are created in simple and easy-to-understand language. The best feature of these solutions is a free download option. Students of Class 12 can download these solutions at any time as per their convenience for self-study purpose.
These solutions are nothing but a compilation of all the answers to the questions of the textbook exercises. The answers/solutions are given in a stepwise format and very well researched by the subject matter experts who have relevant experience in this field. Relevant diagrams, graphs, illustrations are provided along with the answers wherever required. In nutshell, NCERT Solutions for Class 12 Physics in Hindi come really handy in exam preparation and quick revision as well prior to the final examinations.