Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

Ncert Solutions Class 12 Biology Chapter 10 In Hindi

ffImage
banner

An Overview of Ncert Solutions Class 12 Biology Chapter 10 In Hindi

In Ncert Solutions Class 12 Biology Chapter 10 In Hindi, you’ll discover how tiny microbes can make a big difference in our lives. This chapter explains how bacteria, fungi, and other microorganisms help us in everyday things like making curd, bread, and even medicines. You’ll also learn how microbes are used to clean the environment, create biofertilizers, and much more.


With Vedantu’s step-by-step NCERT Solutions, you can clear your doubts, understand key concepts easily, and prepare confidently for your board exams. You can also find the latest CBSE syllabus for Class 12 Biology and download the syllabus to plan your studies better.


Download the FREE solution PDF and use it anytime as you revise or practice answers. “Microbes in Human Welfare” is a scoring chapter, so mastering these NCERT answers can really boost your final marks!


Competitive Exams after 12th Science
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow

Access NCERT Solutions for Class 10 Biology Chapter 10 - Microbes in Human Welfare

1. जीवाणुओं को नग्न आँखों द्वारा नहीं देखा जा सकता, परन्तुसूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। यदि आपको अपने घर से अपनी जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक एकनमूना ले जाना हो और सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इस नमूनेसे सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति को प्रदर्शित करना हो तो किसप्रकार का नमूना आप अपने साथ ले जाएँगे और क्यों?

उत्तर:हम अपने घर में आसानी से उपलब्ध होने वाले दही कोप्रयोगशाला में नमूने के रूप में लेकर जा सकते हैं व सूक्ष्मजीवकी उपस्थिति को दर्शासकते हैं क्योंकिदूध का दहीमें परिवर्तन या किण्वन लैक्टोबैसिलस जीवाणु की सहायतासे होता है। इसलिए दही में ये सूक्ष्मजीव उपस्थित होते हैं।


2. उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव गैसों का निष्कासन करते हैं,उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए।

उत्तर: चावल, आटा, दाल का बना नरम-नरम आटा जिसका प्रयोगडोसा व इडली बनाने के लिए होता है। जीवाणु द्वारा किण्वितहोता है। इस आटे का फूला हुआ दिखना CO2 के उत्पादनके कारण होता है।

इसी तरह का सना हुआ आटा यीस्ट द्वारा किण्वितहोता है।


3. किस भोजन (आहार) में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया मिलतेहैं? इनके कुछ लाभप्रद उपयोगों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया लैक्टिक अम्ल उत्पन्न करके दुधको दही में बदल देता है। यह दूध की शर्करा लैक्टोज को लैक्टिक एसिड में बदलता है। लैक्टिक अम्ल दूध की प्रोटीन केसीन को जमाकर दही में परिवर्तित कर देता है। यहजीवाणु दूध से लैक्टोज को निकाल देता है परंतु बहुत-सेव्यक्तियों को बिना लैक्टोज के दूध पीने पर एलर्जी होती है।ये जीवाणु महत्त्वपूर्णविटामिन B12 उत्पन्न करते हैं तथा ये सड़ाने वाले जीवाणु व हानिकारक सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकते हैं।


4. कुछ पारम्परिक भारतीय आहार जो गेहूं, चावल तथा चना (अथवा उनके उत्पाद) से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग शामिल हो, उनके नाम बताइए।

उत्तर: गेहूं, चावल तथा चना (अथवा उनके उत्पाद) से सूक्ष्मजीवोंका प्रयोग करके भटूरा (गेहुँ से), डोसा व इडली (चावल वउड़द की दाल) इत्यादि से बनते हैं, जिनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग होता है।


5. हानिप्रद जीवाणु द्वारा उत्पन्न करने वाले रोगों के नियन्त्रण में किस प्रकार सूक्ष्मजीव महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?

उत्तर: प्रतिजैविक (antibiotic) सूक्ष्मजीवधारियों (microbes)के उपापचयी व्युत्पन्न होते हैं। ये किसी अन्य सूक्ष्म जीवधारी जैसे-जीवाणु के लिए हानिकारक अथवा निरोधी होते हैं।प्रतिजैविक, प्रतियोगिता निरोध द्वारा रोगों को ठीक करतेहैं। अधिकतर प्रतिजैविक बैक्टीरिया से ही प्राप्त होते हैं।प्रतिजैविक जैसे-पेनिसिलिन (Penicillin) का उत्पादनसूक्ष्मजीवों (कवक) द्वारा किया जाता है। यह प्रतिजैविकहानिकारक रोगों को उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों को मारनेके काम आते हैं। प्रतिजैविक संक्रमित रोग जैसे-डिफ्थीरिया, काली खाँसी तथा न्यूमोनिया की रोकथाममें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेनिसिलिन सर्वप्रथम प्राप्तप्रतिजैविक है। इसकी खोज एलेक्जेण्डर फ्लेमिंग (Alexander Fleming) ने की थी।


6. किन्हीं दो कवक प्रजातियों के नाम लिखिए, जिनका प्रयोगप्रतिजैविकों (एंटीबायोटिक्स) के उत्पादन में किया जाता है।

उत्तर:

1. रैमाइसिन को म्यूकर रैमोनियास नामक कवक से।

2. पेनिसिलिन को पेनिसिलियम नोटेटम नामक कवक से प्राप्त करते हैं।



7.वाहित मल से आप क्या समझते हैं? वाहित मल हमारे लिए किस प्रकार से हानिप्रद है?

उत्तर:प्रतिदिन नगर व शहरों से व्यर्थ जल की बहुत बड़ी मात्राजनित होती है। इस व्यर्थ जल का प्रमुख घटक मनुष्य कामल-मूत्र है। नगर में इस व्यर्थ जल को वाहित मल (सीवेज)कहते हैं।

1. वाहित मल (सीवेज) में कार्बनिक पदार्थों की बड़ी मात्रा तथा सूक्ष्मजीव पाये जाते हैं, जो अधिकांशतःरोगजनकीय होते हैं।

2. वाहित मल में ऑक्सीजन की कमी होती है। इसलिए कार्बनिक पदार्थों का विघटन भी नहीं हो पाता है। इसके फलस्वरूप वाहित मल वातावरण पाता है। इसके फलस्वरूप वाहित मल वातावरण को प्रदूषित करते हैं।


8. प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहित मल उपचार के बीच पाएजाने वाले मुख्य अन्तर कौन-से हैं?

उत्तर: वाहित मल का उपचार वाहित मल संयन्त्र में किया जाता हैजिससे यह प्रदूषण मुक्त हो सके। यह उपचार दो चरणों मेंसम्पन्न होता है

1. प्राथमिक उपचार (Primary treatment) -

प्राथमिक उपचार में मुख्यत: बड़े-छोटे कणों को भौतिक क्रियाओं; जैसे- अवसादन (sedimentation), निस्पंदन (filtration), प्लवन आदि द्वारा अलग किया जाता है। सबसे पहले तैरते हुए कूड़े-करकट को नियंदन द्वारा हटादिया जाता है। इसके बाद ग्रिट (grit) मृदा तथा छोटे कणोंको अवसादन द्वारा पृथक् किया जाता है। बारीक कणप्राथमिक स्लज (primary sludge) के रूप में नीचे बैठजाते हैं और प्लावी बहिःस्राव (supernatant effluent)का निर्माण होता है। बहिःस्राव को प्राथमिक उपचार टैंक सेद्वितीयक उपचार के लिए ले जाया जाता है।

2. द्वितीयक उपचार (Secondary treatment) -

द्वितीयक उपचार में सूक्ष्मजीवधारियों का उपयोग किया जाता है। जैसे-ऑक्सीकरण ताल एक उथला जलाशय होता है जिसमें वाहित मल एकत्रित किया जाता है। इसमेंकार्बनिक पदार्थ अधिक होने के कारण शैवाल और जीवाणुओं की अच्छी वृद्धि होने लगती है।

जीवाणु अपघटन करते हैं और शैवाल उनसे उत्पन्न कार्बनडाइ ऑक्साइड का प्रकाश संश्लेषण में उपयोग करते हैं।प्रकाश संश्लेषण में विमोचित ऑक्सीजन जल को दूषित होने से बचाती है। इस प्रकार ऑक्सीकरण ताल, शैवाल और जीवाणुओं के बीच सहजीविता का उदाहरण है।ऑक्सीजन ताल में होने वाली क्रियाओं द्वारा संक्रामकजीवाणु नष्ट हो जाते हैं और कार्बनिक पदार्थों के अपघटनके पश्चात् केवल नुकसान न देने वाले पदार्थ ही रह जाते हैं।द्वितीयक उपचार के पश्चात् प्लान्ट से बहिःस्राव सामान्यत:जल के प्राकृतिक स्रोतों जैसे-नदियों, झरनों आदि में छोड़दिया जाता है अथवा तृतीयक उपचार हेतु रासायनिकक्रियाविधियों द्वारा इससे नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस लवणों को पृथक् करने के पश्चात् बहिःस्राव को जलाशयों में मुक्तकर दिया जाती है।


9. क्या सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है? यदि हाँ, तो किस प्रकार से? इस परविचार करें।

उत्तर: हाँ, सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी कियाजा सकता है। बायोगैस एक प्रकार से गैसों (मुख्यतः मीथेन)का मिश्रण है जो सूक्ष्मजीवी सक्रियता द्वारा उत्पन्न होती है।गोबर में पादपों के सेलुलोजीय व्युत्पन्न प्रचुर मात्रा में होतेहैं। अतः इसका प्रयोग बायोगैस को पैदा करने में किया जाता है। गोबर में मुख्य रूप से मिथेनोबैक्टीरियम पाया जाता है, जो मीथेन का उत्पादन करते हैं। बायोगैस (गोबरगैस) संयन्त्र का उपयोग मुख्य रूप से गाँवों में खाना बनानेएवं प्रकाश उत्पन्न करने में किया जाता है।


10. सूक्ष्मजीवों का प्रयोग रसायन उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों के प्रयोग को कम करने के लिए भी किया जा सकता है।यह किस प्रकार सम्पन्न होगा? व्याख्या कीजिए। 

उत्तर:जैव नियन्त्रण (Bio Control) - पादप रोगों तथा पीड़कों (pests) के नियन्त्रण के लिए जैववैज्ञानिक विधि (biological methods) का प्रयोग ही जैव नियन्त्रण (bio control) है। आधुनिक समाज में ये समस्याएँ रसायनों, कीटनाशियों तथा पीड़कनाशियों के बढ़ते हुएप्रयोगों की सहायता से नियन्त्रित की जाती हैं। ये रसायनमनुष्यों तथा जीव-जन्तुओं के लिए अत्यन्त ही विषैले तथाहानिकारक होते हैं। विषाक्त रसायन खाद्य श्रृंखला के माध्यम से जीवधारियों के शरीर में पहुंचते हैं। ये पर्यावरणको भी प्रदूषित करते हैं।

जैव उर्वरक के रूप में सूक्ष्मजीव (Microbes as biofertilizers) - जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं। लेग्यूमिनस पादपों कीजड़ों पर उपस्थित ग्रंथियों का निर्माण राइजोबियम (Rhizobium) जीवाणु के सहजीवी सम्बन्ध द्वारा होता है। ये जीवाणु वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत करकार्बनिक रूप में परिवर्तित करते हैं।मृदा में मुक्तावस्था मेंरहने वाले अन्य जीवाणु जैसे-एजोस्पाइरिलम (Azospirillum) तथा एजोटोबैक्टर (Azotobacter) भी वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर मृदा में नाइट्रोजन अवयव की मात्रा को बढ़ाते हैं।

कवक अनेक पादपों के साथ सहजीवी सम्बन्ध स्थापितकरते हैं। इस सम्बन्ध को माईकोराइजा (Mycorrhiza)कहते हैं। ग्लोमस (Glomus) जीनस के बहुत-से कवकसदस्य माइकोराइजा बनाते हैं। इस सम्बन्ध में कवकीयसहजीवी मृदा से जल एवं पोषक तत्वों का अवशोषण करपादपों को प्रदान करते हैं और पादपों से भोजन प्राप्त करतेहैं।

सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) स्वपोषितसूक्ष्मजीव हैं जो जलीय तथा स्थलीय वायुमण्डल में विस्तृतरूप से पाए जाते हैं। इनमें से अधिकांश वायुमण्डलीयनाइट्रोजन को नाइट्रोजन यौगिकों के रूप में स्थिर करकेमृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं। जैसे-ऐनाबीना (Anabaena), नॉस्टॉक (Nostoc) आदि। धान के खेत में सायनोबैक्टीरिया महत्त्वपूर्ण जैव उर्वरक की भूमिका निभातेहैं।

पीड़क तथा रोगों का जैव नियन्त्रण (Biological Control of Pests & Diseases) - जैव नियन्त्रण विधि से विषाक्त रसायन तथा पीड़कनाशियों पर हमारी निर्भरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।बैक्टीरिया बैसीलस थूरिनजिएन्सिस (Bacillus thuringiensis) को प्रयोग बटरफ्लाई कैटरपिलर नियन्त्रण में किया जाता है। पिछले दशक में आनुवंशिकअभियान्त्रिकी की सहायता से वैज्ञानिक बैसीलसथूरिनजिएन्सिस टॉक्सिन जीन को पादपों में पहुँचा सके हैं।ऐसे पादप पीड़के द्वारा किए गए आक्रमण के प्रति प्रतिरोधीहोते हैं। Bt-कॉटन इसका एक उदाहरण है जिसे हमारे देशके कुछ राज्यों में उगाया जाता है। ड्रेगनफ्लाई (dragonflies), मच्छर और ऐफिड्स (aphids) आदि Bt-कॉटन को क्षति नहीं पहुंचा पाते।

जैव वैज्ञानिक नियन्त्रण के तहत कवक ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) का उपयोग पादप रोगों के उपचार में किया जाता है। यह बहुत-से पादप रोगजनकों काप्रभावशील जैव नियन्त्रण कारक है। बेक्यूलोवायरसिस (Baculoviruses) ऐसे रोगजनक हैं जो कीटों तथा सन्धिपादों (आर्थोपोड्स) पर हमला करते हैं। अधिकांशबैक्यूलोवायरसिस जो जैव वैज्ञानिक नियन्त्रण कारकों कीतरह प्रयोग किए जाते हैं, वे न्यूक्लिओपॉलिहीड्रोवायरस (nucleopolyhedrovirus) प्रजाति के अन्तर्गत आते हैं। यह विषाणु प्रजाति-विशेष; सँकरे स्पेक्ट्रम कीटनाशीयउपचारों के लिए अति उत्तम मानी जाती हैं।


11. जल के तीन नमूने लो, एक-नदी का जल, दूसरा-अनुपचारितवाहित मल जले तथा तीसरा-वाहित मल उपचार संयन्त्र सेनिकला द्वितीयक बहिःस्राव; इन तीनों नमूनों पर 'अ', 'ब','स' के लेबल लगाओ। इस बारे में प्रयोगशाला कर्मचारी को पता नहीं है कि कौन-सा क्या है? इन तीनों नमूनों 'अ','ब','स' का बी०ओ०डी० रिकॉर्ड किया गया जो क्रमश: 20 mg/L, 8 mg/L तथा 400 mg/L निकाला। इन नमूनों में कौन-सा सबसे अधिक प्रदूषित नमूना है? इस तथ्य कोसामने रखते हुए कि नदी का जल अपेक्षाकृत अधिक स्वच्छहै। क्या आप सही लेबल का प्रयोग कर सकते हैं?

उत्तर: BOD (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) ऑक्सीजन की उस मात्रा को संदर्भित करता है जो जीवाणु द्वारा एक लीटरपानी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों की खपत निश्चित समय-काल में करता है। तथा उन्हें ऑक्सीकृत करता है।अनुपचारित वाहित मल जल सबसे अधिक प्रदूषित होता है क्योंकि इसमें मनुष्य का मल-मूत्र, कपड़े की धुलाई से उत्पन्नजल, औद्योगिक तथा कृषि अपशिष्ट आदि उपस्थित रहताहै, इसलिए इस जल का BOD सबसे अधिक होगा। नदी काजल साफ होता है क्योंकि इसमें कार्बनिक पदार्थों की मात्राबहुत कम होती है, अत: इस जल को BOD सबसे कमहोगा। इसलिए ये निम्नलिखित प्रकार से लेबल किए जा सकते हैं:

नमूना

BODमापन

नमूने का प्रकार

(अ)

20 mg

द्वितीयक बहि:स्नान

(ब)

8 mg/L

नदी का जल

(स)

400 mgL

अनुपचारित वाहित मल जल



12. उन सूक्ष्मजीवों के नाम बताओ जिनसे साइक्लोस्पोरिन-ए (प्रतिरक्षा निषेधात्मक औषधि) तथा स्टैटिन (रक्त कोलिस्ट्रॉल लघुकरण कारक) को प्राप्त किया जाता है।

उत्तर: 

1. साइक्लोस्पोरिन-ए का उत्पादन ट्राइकोडर्मा पॉलोस्पोरम नामक कवक से किया जाता है।

2. स्टैटिन (लोभास्टैटिन) का उत्पादन मोनॉस्कस परफ्यूरीअस से किया जाता है।


13. निम्नलिखित में सूक्ष्मजीवियों की भूमिका का पता लगाएँतथा अपने अध्यापक से इनके विषय में विचार-विमर्श करें:

1. एकल कोशिका प्रोटीन (SCP)

उत्तर:

1. एकल कोशिका प्रोटीन (Single Cell Protein) - शैवाल (algae); जैसे- स्पाइरुलिना, क्लोरेला तथासिनेडेस्मस एवं कवक (fungi); जैसे- यीस्टसैकेरोमाइसीटी, टॉरुलाप्सिस तथा कैंडिडा का उपयोगएकल कोशिका प्रोटीन के रूप में किया जा रहा है।


2. मृदा

उत्तर:मृदा (Soil) - यह एक अकेला निवास स्थल है जिसमें विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव तथा प्राणिजात उपस्थित रहतेहैं और उच्च पादपों को यांत्रिक सहायता एवं पोषक तत्त्वप्रदान करते हैं, जिस पर मनुष्य की सभ्यता आधारित है।पौधे के विकास पर राइजोस्फीयर सूक्ष्मजीवों कालाभदायक प्रभाव पड़ता है। राइजोस्फीयर में सूक्ष्मजीवोंद्वारा प्रतिक्रिया के फलस्वरूप CO2 तथा कार्बनिक अम्लका निर्माण होता है जो पौधे में अकार्बनिक पोषकों कोघुलाते हैं। कुछ राइजोस्फीयर सूक्ष्मजीव वृद्धि उत्तेजकपदार्थ भी उत्पादित करते हैं। जीवाणु, कवक,सायनोबैक्टीरिया आदि जैव उर्वरक मृदा की पोषकगुणवत्ता को बढ़ाते हैं।


14. निम्नलिखित को घटते क्रम में मानव समाज कल्याण केप्रति उनके महत्त्व के अनुसार संयोजित करें; महत्त्वपूर्णपदार्थ को पहले रखते हुए कारणों सहित अपना उत्तरलिखें- बायोगैस, सिट्रिक एसिड, पेनिसिलिन तथा दही

उत्तर: 

1. पेनिसिलिन - यह एक प्रतिजैविक है। इसका उपयोग बहुत-से जीवाणु-जनित रोगों; जैसे-सिफलिस, गठिया, डिफ्थीरिया, फेफड़े कासंक्रमण आदि के उपचार में किया जाता है।

2. बायोगैस - इसका उपयोग खाना बनाने एवं प्रकाश पैदा करने में किया जाता है। गोबर गैसनिर्माण के उपरान्त उपयोग की गई गोबर की स्लरीका प्रयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है।

3. सिट्रिक एसिड - इसका उपयोग बहुत-से भोज्य पदार्थों के परिरक्षण के रूप में किया जाता है।सिट्रिक अम्ल का उत्पादन ऐस्परजिलस नाइजरनामक कवक द्वारा किया जाता है।

4. दही - यह एक दुग्ध उत्पाद है जिसका उपयोग हम प्रतिदिन करते हैं। लैक्टिक एसिड बैक्टीरियादूध को दही में परिवर्तित कर देते हैं।


15. जैव- उर्वरक किस प्रकार से मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं?

उत्तर: जैव-उर्वरक का निर्माण विभिन्न प्रकार के जीवों; जैसे- नील-हरित शैवाल या सायनोबैक्टीरिया, जीवाणु एवं कवक सेहोता है।

सायनोबैक्टीरिया की कई जातियाँ, जैसे- नॉस्टॉक,ऐनाबीना, टोलीप्रोथ्रिक्स आदि वायुमण्डल से नाइट्रोजनगैस को ग्रहण कर इसे नाइट्रोजन यौगिकों में परिणत करदेती हैं। इनमें हेट्रोसिस्ट नामक विशेष कोशिका पायी जातीहै, जो नाइट्रोजन-स्थिरीकरण में मुख्य भूमिका निभाती हैंतथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती हैं।

सहजीवी जीवाणु, जैसे- राइजोबियम मटर कुल के पौधों कीजड़ों में ग्रंथियाँ बनाते हैं और वायुमण्डल से नाइट्रोजन गैसग्रहण कर इसे नाइट्रोजन के यौगिकों के रूप में परिणतकरते हैं। इससे मृदा की पोषक शक्ति की वृद्धि होती है।भूमि में पाए जाने वाले मुक्तजीवी जीवाणु; जैसे-एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरिलम भी वायुमण्डल के नाइट्रोजनको स्थिरीकृत करते हैं।

माइकोराइजा के कवक पौधों को पोषक तत्त्व प्रदान करतेहैं। कवक के तन्तु मृदा से फॉस्फोरस तथा अन्य पोषकों कोग्रहण कर पौधों को उपलब्ध कराते हैं।


NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 10 Microbes in Human Welfare in Hindi

Chapter-wise NCERT Solutions are provided everywhere on the internet with an aim to help the students to gain a comprehensive understanding. Class 12 Biology Chapter 10 solution Hindi medium are created by our in-house experts keeping the understanding ability of all types of candidates in mind. NCERT textbooks and solutions are built to give a strong foundation to every concept. These NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 10 in Hindi ensure a smooth understanding of all the concepts including the advanced concepts covered in the textbook.

NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 10 in Hindi medium PDF download are easily available on our official website (vedantu.com). Upon visiting the website, you have to register on the website with your phone number and email address. Then you will be able to download all the study materials of your preference in a click. You can also download the Class 12 Biology Microbes in Human Welfare solution Hindi medium from Vedantu app as well by following the similar procedures, but you have to download the app from Google play store before doing that. 

NCERT Solutions in Hindi medium have been created keeping those students in mind who are studying in a Hindi medium school. These NCERT Solutions for Class 12 Biology Microbes in Human Welfare in Hindi medium pdf download have innumerable benefits as these are created in simple and easy-to-understand language. The best feature of these solutions is a free download option. Students of Class 12 can download these solutions at any time as per their convenience for self-study purpose. 

These solutions are nothing but a compilation of all the answers to the questions of the textbook exercises. The answers/ solutions are given in a stepwise format and very well researched by the subject matter experts who have relevant experience in this field. Relevant diagrams, graphs, illustrations are provided along with the answers wherever required. In nutshell, NCERT Solutions for Class 12 Biology in Hindi come really handy in exam preparation and quick revision as well prior to the final examinations.

WhatsApp Banner
Best Seller - Grade 12 - JEE
View More>
Previous
Next